‘चर्चा’ एक व्यापक शब्द है, जिसका अर्थ है, दो या अधिक लोगों के समूह के बीच अन्वेषी अन्योन्यक्रिया (खोज करने की दिशा में लक्षित बातचीत एवं व्यवहार)। ‘बहस’ (वाद-विवाद) चर्चा का एक अधिक औपचारिक (और संभावित रूप से अधिक गहन) रूप है जिसमें सामान्यतः दो भिन्न या परस्पर विरोधी दृश्टिकोण अथवा ‘पक्ष’ शामिल होते हैं। यह इकाई ‘चर्चा’ शब्द का उपयोग दोनों प्रकार की सामूहिक अन्योन्यक्रिया को शामिल करने के लिए करती है।
श्रीमती आशा गोयल प्रायः अपने पाठों के बारे में अपनी सहकर्मी सुमन से बात करती हैं। सुमन ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे विद्यार्थियों को विषय-बिंदु पर चर्चा करने दें।
सुमन ने मुझे बताया कि उसने एक विज्ञान शोधपत्रिका में एक लेख पढ़ा था, जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार की चर्चा विद्यार्थियों के सोचने में मदद कर सकती है। और यह लेख पढ़ने के बाद श्रीमती सुमन ने कक्षा के साथ चर्चा की थी। मैं उत्साह से और विद्यार्थियों ने कैसी प्रतिक्रिया इस बारे में उसके विवरण से प्रभावित हुई तो मैं भी ऐसा करके देखने पर सहमत हो गई। मैं बहुत घबराई हुई थी, परन्तु उसकी मदद से मैंने ‘स्वास्थ्यकर आहार/भोजन क्या है?’ इसकी खोज के लिए एक सत्र की योजना तैयार कर ली।
मैंने कक्षा IV के विद्यार्थियों को समझाया कि मैं क्या करवाना चाहती हूँ? मैं विज्ञान की समस्याओं के बारे में बात करने में विद्यार्थियों की मदद, जोड़ी में कार्य और छोटे समूहों के उपयोग द्वारा करती आ रही थी।यह अपेक्षाकृत विद्यार्थियों के समूहों का उपयोग करने का निर्णय लिया। अधिक खुले-छोर वाली चर्चा थी इस कारण तो मैं इस बारे में निश्चित नहीं थी कि वे इसे जोड़ियों में करने में सक्षम हो सकेंगे। मैंने पाँच-पाँच
मैंने भोजन के दो चित्र बनाए थे, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर लगा दिया। एक चित्र ऐसे भोजन का था, जिसमें केवल कार्बोहायड्रेट थे दूसरा चित्र सब्जियों, चिकन और कार्बोहायड्रेट के मिश्रित भोजन का था। मैंने उनसे यह सोचने के लिए कहा कि क्या इनमें से कोई भोजन संतुलित है? और यदि है तो कौन सा? मैंने उन्हें बात करने के लिए कुछ मिनट दिए और फिर उनसे कुछ टिप्पणियां मांगीं। मैंने उनके मुख्य विचारों को ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया। उन्होंने कुछ इस तरह की टिप्पणियां और प्रश्न दिए, ‘दोनों भोजन ठीक हैं!’, ‘मुझे चिकन पसंद नहीं है, इसलिए मैं वह वाला भोजन नहीं खाऊंगा’, ‘क्या सभी भोजनों का संतुलित होना ज़रूरी है?’ और ‘क्या होगा यदि आप केवल सब्जियां खाएं? क्या वह संतुलित होगा?’ मैं इनसे काफ़ी प्रभावित हुई और फिर मैंने विद्यार्थियों से इस बारे में आगे बातचीत करने को कहा कि एक संतुलित भोजन के बजाय संतुलित आहार से क्या समझते हैं?
इसके उत्तर में और भी अधिक टिप्पणियां और प्रश्न सामने आए। इससे मुझे दिखाई दे गया कि उन्होंने संतुलित आहार के बारे में कितना समझा था। परन्तु साथ ही इससे उनकी समझ के बीच के रिक्त स्थान भी साफ़-साफ़ दिखाई दिए, विशेषकर इस बारे में कि कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन आदि के बीच किस प्रकार का संतुलन होना आवश्यक है, और संतुलित आहार नहीं लेने का प्रभाव क्या होता है?
मेरे अगले सत्र में उन सभी को इस बारे में अधिक जानकारी का पता लगाने के लिए अवसर दिया जाएगा कि स्वास्थ्यकर आहार लेने में क्या-कुछ शामिल है? उनके वर्तमान ज्ञान का आकलन करने का यह एक बहुत अच्छा तरीका था और विद्यार्थी बातचीत के दौरान बहुत जोशपूर्ण थे। मैं यह देख कर बहुत खुश थी कि उन्होंने एक-दूसरे को कितनी अच्छी तरह से सुना, तब भी जब उनके विचार, वक्ता से मेल नहीं खाते थे।
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