जैसे ही विद्यार्थी एक-दूसरे को सुनने और प्रतिक्रिया देने के कौशल को विकसित कर चुके हों, तब वे कक्षा चर्चा में संलग्न हो सकते हैं। अपने विद्यार्थियों के लिए साथ कार्य करने, अपने विचारों के बारे में समझाने और सहयोगात्मक ढंग से समस्याएं हल करने के अधिकाधिक संभावित अवसरों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। ये गतिविधियां वैज्ञानिक चर्चा में भाग लेते समय उनकी सहायता करेंगी।
गतिविधि 1 में हो सकता है कि आपको यह ज्ञात हो कि विद्यार्थियों से जोड़ियों में कार्य करने को कहने से चर्चा की गहराई सीमित हुई है। परन्तु, शुरूआती बिंदु के रूप में यह एक सुरक्षित एवं अधिक सरल सन्दर्भ है जिसमें विद्यार्थी विचार का साझा करना और एक-दूसरे को अवधारणाएं को समझाना शुरू कर सकते हैं।
बड़ी कक्षा में, विद्यार्थियों से जोड़ियों में काम करने के लिए कहना, आपके लिए कक्षा में घूमकर उनकी बातें सुनना कठिन बना देता है। परन्तु आप उन विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जिनके बारे में आपको ज्ञात है कि वे अपनी बात कहने में कम आत्मविश्वासी हैं। विज्ञान के अपने ज्ञान के बारे में अनिश्चित हैं। समूह चर्चा और पूरी-कक्षा चर्चा का उपयोग करना शुरू करने में, आपको और आपके विद्यार्थियों को समय लगेगा और इसके लिए तैयारी भी करनी होगी, परन्तु आत्मविश्वास, प्रेरणा और रुचि की दृष्टि से जो लाभ प्राप्त होंगे वे आसानी से दिखेंगे, उपलब्धि में वृद्धि (और गहरी जानकारी के लिए देखें संसाधन 2, ‘समूहकार्य का उपयोग करना’)। समूहों के साथ, आपके लिए निगरानी हेतु कम संख्या में पृथक इकाइयां होंगी और आप शीघ्र यह सुन व देख सकेंगे कि कैसे और विद्यार्थी कार्य व परिस्थिति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
अगले केस स्टडी में श्री भाना समूहों का उपयोग कर रहे हैं; देखें कि किस प्रकार से वे अपने विद्यार्थियों का सहयोग करते हैं।
![]() वीडियो: समूहकार्य का उपयोग करना |
श्री भाना ने अपने विद्यार्थियों को कक्षा चर्चा के माध्यम से कुपोषण के कारणों के बारे में पढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने इस शिक्षण कार्यनीति को चुना क्योंकि कुपोषण के कारण जटिल एवं विवादास्पद होते हैं। जिसमें कई जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों का संयोजन शामिल होता है। साथ ही, ऐसा करने से उनके विद्यार्थी शामिल मुद्दों में से कुछ के साथ सीधे जुड़ने में भी समर्थ हो सकेंगे।
मैंने कक्षा को चार-चार के समूहों में संगठित कर पाठ आरंभ किया। मैंने विद्यार्थियों को समझाया कि वे दो प्रश्नों पर चर्चा करने जा रहे हैं। मेरे द्वारा पूछा गया पहला प्रश्न था ‘कुपोषण का अर्थ क्या है?’ मैंने उन्हें अपने विचार साझा करने के लिए पाँच-मिनट की समय सीमा दिया।
मैं चाहता था कि चर्चाएं मुक्त-प्रवाही हों, इसलिए मैंने समूहों में भूमिकाएं तय नहीं किया और न ही उनसे अपने विचार लिखने को कहा। मैं कक्षा में घमू ता रहा, और कोई हस्तक्षेप किए बिना सावधानी से अपने विद्यार्थियों की चर्चाएं सुनता रहा। इससे मुझे यह निर्धारित करने का अवसर मिला कि शब्द ‘कुपोषण’ से उन्होंने क्या समझा है?
पाँच मिनटों के बाद, मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे बारे में बात कर रहे थे उसे बाकी कक्षा के साथ साझा करें। जब उन्होंने अपनी बात कही, मैंने उनके विचार दोहराए और उन्हें ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया जो उनमें शामिल थे। ‘कुपोषण का अर्थ है पर्याप्त भोजन नहीं मिलना’ और ‘इसका अर्थ मैंने समझाया कि मैं सत्र के अंत में उनके साथ कुपोषण की कुछ परिभाषाएं साझा करूंगा।
इसके बाद मैंने उनसे दूसरा प्रश्न पूछा, ‘कुपोषण के परिणाम क्या होते हैं?’ जब मैंने उनकी चर्चाएं सुनीं तो मैंने ध्यान दिया कि कुछ विद्यार्थी अपने विचारों को समझाने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। इसलिए उनकी मदद करने के लिए मैंने हर समूह से एक-दो अतिरिक्त प्रश्न पूछे, जैसे ‘क्या आप समझा सकते हैं कि कुपोषण वाले मरीज के लक्ष्ण क्या है? किस प्रकार आपके शरीर के लिए हानिकारक है?’ और ‘आपका शरीर किन-किन तरीकों से उचित ढंग से कार्य करना बंद कर सकता है?’
इसके बाद प्रत्येक समूह ने जो चर्चा की थी उसे बाकी की कक्षा के साथ साझा किया। एक बार फिर, मैंने उनके योगदानों को दोहराया और उनके बारे में ब्लैकबोर्ड पर नोटस लिख दिए। मैंने उन्हें कुपोषण की परिभाषाएं [देखें संसाधन 3] देकर और मानव शरीर पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का संक्षिप्त विवरण देकर पाठ समाप्त किया।
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OpenLearn - विज्ञान में परिचर्चाः- कुपोषण Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.