पाठ्यपुस्तकें बहुत महत्वपूर्ण संसाधन होती हैं और सभी विद्यार्थियों को उनका लाभकारी ढंग से उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। जब विद्यार्थियों को पढ़ने की अस्पष्ट, साधारण और व्यक्तिगत गतिविधियाँ दी जाती हैं, तो वे निष्क्रियता से पढ़ते हैं। उन्हें पाठ का अर्थ ठीक तरह से समझ आ ही जाएगा, ऐसा जरूरी नहीं है। इस प्रकार से पढ़ने पर विद्यार्थी को विशेष लाभ नहीं होता है। यह केवल विज्ञान ही नहीं, बल्कि पाठ्यचर्या के सभी विषयों के बारे में सही है।
जब पढ़ने की गतिविधियाँ जोड़ी बना कर स्पष्ट उद्देश्य से की जाएं और पाठ पर चर्चा हो, उसे तोड़ा–मरोड़ा जाए और पुनः बनाया जाए, तो विद्यार्थी जो पढ़ेंगे उससे उन्हें अधिक अर्थ समझ आएगा। ये सब पढ़ने की सक्रिय रणनीतियाँ हैं। पढ़ने की सक्रिय रणनीतियों का उपयोग जब विज्ञान की कक्षा में अधिक होगा तब आप देखेंगे कि विद्यार्थी पहले से अधिक समीक्षात्मक, विचारवान और विश्लेषण करने वाले हो गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि वे विज्ञान को अधिक अच्छी तरह समझेंगे। इन गतिविधियों का उपयोग आप विद्यार्थियों की विज्ञान की समझ और कौशल के विकास को मापने के लिये कर सकते हैं।
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