इस रणनीति में विद्यार्थी किसी जानकारी को सही क्रम में लगाते हैं। गलत क्रम में दी जानकारी चित्रों, शब्दों, वाक्यों या निर्देशों के रूप में हो सकती है। यह अधिक जटिल सक्रिय पठन गतिविधि है। इसमें शिक्षक को अधिक तैयारी करनी होती है। यह विद्यार्थी के लिये भी अधिक कठिन होती है, क्योंकि विद्यार्थी को जानकारी के बारे में सोचना होता है और उसके सही क्रम के बारे में भी। इसमें विद्यार्थी के सोचने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है।
इस गतिविधि की आप पहले योजना बनाएं और फिर कक्षा के साथ करें।
चित्र 2 इसमें जीवाश्मों के निर्माण और उनकी खोज के बारे में चित्रों की एक श्रृंखला और उनके साथ के पाठ्य का उपयोग किया गया है। पुनः निर्माण की गतिविधि के लिये यह सही संसाधन है।
पुनः निर्माण की गतिविधि में इस संसाधन का इस्तेमाल मूलतः दो प्रकार से किया जा सकता है, एक जहां पर पुस्तक को सही किया जाए और दूसरा जहां पर चित्रों को सही किया जाए। तीसरा जटिल तरीका हो सकता है पाठ और चित्र दोनों को ही सही करना। यदि आपके पास फोटोकॉपी मशीन नहीं हो, तो सबसे आसान तरीका है पाठ को सही करना। आप विद्यार्थियों को किताबें बंद रखने के लिये कहें और ब्लैकबोर्ड पर वे वाक्य लिखें जिन्हें सही क्रम में लगाना है (देखों संसाधन 3)।
अपने किसी सहकर्मी के साथ इसकी तैयारी करें और उनसे प्राप्त फ़ीडबैक के आधार पर बदलाव करें। अगली बार जब आप सम्बन्धित कक्षा X के विद्यार्थियों को पढ़ाएं तो इस योजना का उपयोग करें। एक प्रायोगिक पद्धति के साथ इस प्रक्रिया का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। प्रक्रिया के चरणों का क्रम बदल कर लिखें और विद्यार्थियों से कहें कि उन्हें सही क्रम में लगाएं।
विद्यार्थियों की इस गतिविधि के लिये प्रतिक्रिया कैसी रही? इससे आपको जीवाश्मों के निर्माण के बारे में उनकी समझ के बारे में क्या पता चला? क्या आपको इन विचारों पर फिर चर्चा करने की आवश्यकता है
इस गतिविधि में पाठ्य को एक–एक वाक्य में अलग न किया जाए तो अच्छा होगा, अन्यथा अधिकतर विद्यार्थियों के लिये इसे सही क्रम में रखना अत्याधिक कठिन हो जाएगा।
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