एक अधिक जटिल सक्रिय पठन गतिविधि, जिसमें विद्यार्थियों को पाठ पढ़ कर उसका उपयोग करना होता है।
श्री संजय कक्षा को लिंग निर्धारण पढ़ा रहे थे।
इस सत्र में, मैं आनुवंशिकता और क्रमिक विकास का पाठ पढ़ा रहा था और मैंने लिंग निर्धारण पढ़ाना शुरू ही किया था। यह उन सभी को समझने के लिये कठिन विषय है और मुझे भी इसे पढ़ाना खास पसंद नहीं है। मैं कुछ अलग करना चाहता था इसलिये पिछले हफ्ते मैंने उऩके गृहकार्य के लिये उन्हें एक समस्या दी जिस पर उन्हें विचार करना था। जब मैंने उनसे कहा कि वे सिर्फ संध्या की परिस्थिति के बारे में विचार करें तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि सामान्यतः पर मैं उन्हें बहुत कुछ लिखने के लिये कहता हूं।
मैंने उन्हें बताया कि भारत में कुछ समुदायों में महिलाओं पर यह दबाव बनाया जाता है कि उन्हें बेटी की जगह बेटे को ही जन्म देना है। संध्या की दो बेटियां थीं और वह फिर एक बार गर्भवती होने की आस लगाए थी। उसके परिवार ने उसे पहाड़ पर एक बाबा के पास भेजा। उस बाबा ने उसे कोई खास दवा दी और बताया कि इस दवा के प्रभाव से उसे अगली बार निश्चित तौर पर बेटा ही पैदा होगा। उस दवा का स्वाद एकदम खराब था। उसे बताया गया कि इसमें खास ज्वालामुखी की राख, पानी और बहुत–सी जड़ी–बूटियां और मसाले मिले हैं।
अगली कक्षा में मैंने विद्यार्थियों से पाठ्यपुस्तक में से लिंग निर्धारण का पेज पढ़ने के लिये कहा। फिर मैंने उनसे कहा, ‘‘पाठ्यपुस्तक पढ़ने से आपको “लिंग निर्धारण” के बारे में जो कुछ पता चला उसके आधार पर संध्या के परिवार को एक पत्र लिखिये और समझाइये कि उसके बच्चे का लिंग निर्धारण किस प्रकार होगा? और उस दवा का कोई असर क्यों नहीं होगा? मैंने उन्हें उनके उत्तर के बारे में सोचने के लिये पांच मिनट दिये और फिर उनसे लिखना शुरू करने के लिये कहा। जब उन्होंने लिखना खत्म किया तो मैंने उनसे अपने पत्र की अदला–बदली अपने साथी से करने के लिए कहा। मैंने उन्हें एक–दूसरे के पत्र पढ़ने और उस पर एक टिप्पणी लिखने के लिये कहा। बहुत–सी चर्चा हुई और वे काफी जोश में आ गए।
इसके बाद, मैंने उनसे कहा कि वे इस बारे में सोचें कि अंधविश्वास पर निर्भर रहने के बजाय लिंग निर्धारण के पीछे छिपे विज्ञान को समझने के लिये समुदाय की मदद किस प्रकार की जा सकती है
केस स्टडी– 2 में श्रीमती नंदा ने पठन के काम को विभिन्न तरह से बाँट कर किया। बाँटना यह सुनिश्चित करने का एक उपाय है कि सभी इसमें शामिल हों।
श्रीमती नंदा कक्षा X के विद्यार्थियों को आनुवंशिकता पढ़ाना खत्म कर रही हैं। उन्होंने तय किया है कि वे उस सक्रिय पठन रणनीति को आजमाएंगी जिसमें विद्यार्थी की विचारों को अमल में लाने का कौशल परखा जाता है, वे इस बार प्रश्नों की श्रृंखला का उपयोग करके ऐसा करने वाली हैं। विभिन्न स्तरों के विद्यार्थियों के लिये वे काम बाँट देती हैं।
मैं जानना चाहती थी कि क्या विद्यार्थियों को आनुवंशिकता की बुनियादी बातें समझ में आ गई है, इसलिये मैंने इस इकाई से रणनीति 5 को अपनाने का निर्णय लिया। मुझे यह विचार विशेष रूप से पसंद आया कि विद्यार्थियों ने जो पाठ पढ़ा है उस पर वे अपने विचार लागू करके देखें।
मैंने पाठ्यपुस्तक में आनुवंशिकता के अध्याय में देखा तो मुझे फ्लाईज़ की आंखों के बारे में कुछ मिला जिसमें जेनेटिक्स के मूल सिद्धांत समझाए गए थे। इसे बहुत अच्छी तरह से नहीं समझाया गया था। मुझे अपने अनुभव से पता था कि विद्यार्थी इसे ठीक से समझ नहीं पाएंगे। लेकिन अपनी तैयारी में लगने वाला समय बचाने के लिये, मैंने सोचा कि मैं इसी का उपयोग करूं, बजाय इसके कि मैं खुद कोई पाठ्य तैयार करूं। दुर्भाग्य से, अध्याय के आखिर में दिये हुए प्रश्नों से भी कोई मदद नहीं मिली। तो पाठ्यपुस्तक के इस भाग के लिये मैंने अपने प्रश्न बना लिये। ये थे–
जब मैंने इन प्रश्नों को फिर से पढ़ा, तब मुझे लगा कि मेरे कुछ कमज़ोर विद्यार्थियों के लिये ये कठिन हो सकते हैं। तो मैंने एक और सेट बनाया जिसमें मुझे लगा कि यह विज्ञान के उसी पहलू की जांच करेगा लेकिन ये प्रश्न उन विद्यार्थियों के लिये ज्यादा कठिन नहीं थे।
जब विद्यार्थियों ने पाठ पढ़ लिया तब मैंने कक्षा में प्रश्नों के दोनों ही सेटों का उपयोग किया। हमने साथ मिलकर उत्तरों पर निशान लगाए जिससे मुझे तुरंत फ़ीडबैक मिले। मुझे इसका परिणाम देख कर खुशी हुई। कमज़ोर विद्यार्थियों ने भी उतनी ही अच्छी तरह प्रश्न हल किये थे जितनी अच्छी तरह अन्य विद्यार्थियों ने। मेरे ख्याल से प्रश्नों को अलग तरह से पेश करना कमज़ोर विद्यार्थियों के लिहाज़ से अच्छी रणनीति थी। एक नकारात्मक पहलू यह था कि तैयारी में ज्यादा समय लगा, लेकिन पढ़ाते हुए मेरा समय बच गया क्योंकि विद्यार्थियों ने मुझसे मदद नहीं मांगी। वे अपने प्रश्नों के साथ खुश थे।
इस पाठ से जो खास सकारात्मक परिणाम आया वह यह था कि विद्यार्थियों के इस समूह के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। तुरंत फ़ीडबैक मिलने से मेरे सभी विद्यार्थियों को पता चल सका कि उनका प्रदर्शन कैसा रहा है? कमज़ोर विद्यार्थियों को पता चला कि वे भी विज्ञान में दूसरे विद्यार्थियों की तरह ही अच्छा कर सकते हैं। मुझे पता चल गया था कि सभी विद्यार्थियों को जेनेटिक्स के मूल सिद्धांत सिर्फ पाठ्यपुस्तक नहीं पढऩे के बाद भी अच्छी तरह समझ आ गए हैं। मैं इस तरीके का उपयोग आगे भी करूंगी।
श्रीमती नंदा ने प्रश्न लिखने की जिस तकनीक का उपयोग किया, उससे विद्यार्थियों को लिखने का काम कम करना पड़ा, जिससे उन विद्यार्थियों को लाभ हुआ होगा जिन्हें लिखना कठिन लगता है। विद्यार्थियों को इस प्रकार सहायता देना अनुसरण कहा जाता है। कमज़ोर और कम आत्मविश्वास वाले विद्यार्थियों को आत्मविश्वासी और अधिक सक्षम विद्यार्थियों की तुलना में अधिक अनुसरण की जरूरत होगी। आप अपने अनुमान और अपने विद्यर्थियों के बारे में जानकारी का उपयोग करके पता लगा सकते हैं कि आपके किन विद्यार्थियों को सक्रिय पठन कार्य में स्कैफोल्डिंग की जरूरत है? और किस हद तक
OpenLearn - विज्ञान की कक्षा में पठन ; अनुवंशिकी और क्रमिक विकास Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.