संपूर्ण प्रबलता (dominance) तब होती है जब एक पूर्णतया प्रबल युग्मविकल्पी (allele) दूसरी अप्रभावी युग्मविकल्पी के प्रभाव को समाप्त कर देती है। परिणामस्वरूप संतान में सिर्फ दो ही समलक्षणी (phenotypes) रह जाते हैं। यद्यपि सहप्रबलता (codominance) तब होती है जब एक ही समलक्षणी (phenotypes) में दो युग्मविकल्पी (alleles) व्यक्त होते हैं। उदाहरण के लिये, गुलनार के पौधे में लाल, सफेद या गुलाबी फूल आ सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि न तो लाल और न ही सफेद युग्मविकल्पी (alleles) पूरी तरह प्रबल होते हैं। इसका अर्थ है कि जब किसी लाल पौधे का मिलन किसी सफेद पौधे से किया जाता है तो परिणामी F1 संतान में गुलाबी फूल आएंगे। जहां भी आपको एक तीसरा समलक्षणी (phenotype) मिले, तो इसका अर्थ है कि वहां सहप्रबलता (codominance) मौजूद है। सहप्रबलता (codominance) का एक और उदाहरण बिल्लियों में देखा जा सकता है। यदि एक काली और एक नारंगी बिल्ली का मिलन हो, तो उनकी संतानों में काले और नारंगी दोनों रंगों के बालों वाले बच्चे मिलेंगे। सहप्रबलता (codominance) रक्त के वर्गीकरण में भी पाई जा सकती है। टाइप AB सहप्रबल होता है क्योंकि इस जीनोटाइप में प्रतिजन A और प्रतिजन B दोनों ही होते हैं।
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