यहां पर एक अध्यापक द्वारा बताई गई बातों को पढ़ें कि किस प्रकार उन्होंने अपनी कक्षा में विचार मंथन तकनीक का प्रयोग किया था।
श्री प्रसाद अपनी IX कक्षा के विद्यार्थियों को बल से संबंधित विषय को पढ़ाना शुरू करने वाले थे। उन्होंने इस विचार मंथन सत्र के संचालन के लिए इस इकाई में पढ़े गए कुछ विचारों को अपनाने का निर्णय किया।
मैंने अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को उनके सामान्य समूहों में बांट दिया। मैंने हर समूह को एक छोटी गेंद दी, जिसे समूह के मध्य में डेस्क के ऊपर रखा गया था। मैंने प्रत्येक समूह को एक बड़ा कागज भी दिया। प्रत्येक समूह में से किसी एक विद्यार्थी को स्वयंसेवक के रूप में लेखन कार्य करने के लिए कहा। पेज के बीच में उन्होने ‘बल’ शब्द को लिखा।
मैंने तीनों समूहों को गेंद को लुढ़काने के लिए जितने तरीकों पर वे सोच सकते थे, सोचने के लिए कहा। मैंने दूसरे तीन समूहों को गेंद के लुढ़कने को रोकने के लिए जितने तरीकों पर वे सोच सकते थे, सोचने के लिए कहा। उन्होंने बहुत ही जल्द चर्चा शुरू कर दी, अनेक विचारों पर मंथन किया तथा एक–दूसरे को दिखाने के लिए उन्होंने गेंद का इस्तेमाल करना शुरू किया। एक–दूसरे के साथ मिलकर उन्होंने नए विचारों पर सोचना शुरू किया। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि शांत रहने वाले विद्यार्थियों ने भी सुझाव दिए तथा अक्सर कुछ अलग प्रकार के विचारों को पेश किए जाने पर हंसी मजाक भी किया जा रहा है।
दस मिनट के बाद, मैंने चर्चा को रोका तथा उनसे कहा, ‘आपका पसंदीदा विचार कौन सा है, आप इसे शेष कक्षा को किस प्रकार दिखाएंगे? तथा इसका प्रदर्शन कौन करेगा?’ तब प्रत्येक समूह आगे आया और उन्होंने प्रदर्शन करके दिखाया। इस प्रकार हमारे पास तीन बहुत ही अलग–अलग उदाहरण थे कि गेंद किस प्रकार से लुढ़कना शुरू कर सकते है? और इसे किस प्रकार से रोका जा सकता है
फिर से उनके समूहों में, मैंने उनसे कहा, ‘अपने विचार मंथन से संबंधित विचारों की सूची को देखें, प्रदर्शन के बारे में विचार करें, तथा इस बात पर निर्णय करे कि आपके सभी विचारों में से क्या बात सर्वसामान्य रूप से उभर रही है? मैंने प्रत्येक समूह से पूछा कि वे किस निर्णय पर पहुंचे हैं तथा इसके बाद उनके उत्तरों को (कि गेंद तभी लुढ़कने लगी थी या रूक गई थी, जब इस पर बल का प्रयोग किया गया था) बल से संबंधित रेखाचित्र के साथ जोड़ा, जिसे मैंने पोस्टर पर तैयार किया था।
अब यह विचार मंथन गतिविधि समाप्त हो चुकी थी, लेकिन मुझे पूरा विश्वास था कि वे न्यूटन के गति के पहले नियम को समझ चुके थे। मैंने विद्यार्थियों से अपने कागजों और अपनी गेंदों को आगे लाने के लिए कहा तथा हमने विचार मंथन की सूची को दीवार पर लगा दिया जिससे यदि हमें बाद में इसे देखने की जरूरत हो तो हम ऐसा कर सकें। मैं उनके सृजनात्मक विचारों से वास्तव में बहुत ही प्रभावित था।
श्री प्रसाद ने इस इकाई से विचार को लिया और इसे अपनाया। अनेक सफल अध्यापकों में इस बात की योग्यता होती है कि वे दूसरे पाठों में प्रयोग में लाई जाने वाली शिक्षण तकनीकों या अपनी कक्षा के संदर्भों में प्रयुक्त तकनीकों को ‘अपना’ सकते हैं। विचार मंथन के उपरांत होने वाली चर्चा शिक्षण में बहुत उपयोगी होती है। विद्यार्थी उत्तरों को तैयार करने के लिए एक–दूसरे के साथ काम करते हैं नहीं कि उन्हें अध्यापक द्वारा उत्तर बताए जाते हैं।
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