जब विद्यार्थी कार्बन यौगिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इलेक्ट्रॉन डॉट संरचनाओं का उपयोग करना सीखेंगे, तब ये रेखाचित्र CH4 या C2H6 जैसे आणविक सूत्र को प्रत्येक प्रकार के परमाणु के लिए संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या को बंधों की संख्या से जोड़ेंगे।
जैसे ही यह अवधारणा स्थापित हो जाती है, इलेक्ट्रॉन डॉट संरचनाएँ सरल अणुओं के अलावा किसी अन्य का प्रतिनिधित्व करने का सुविधाजनक तरीक़ा नहीं रह जाएँगे, क्योंकि वृत्त और बिंदुओं की अधिकतम संख्या ध्यान भटका सकती है। यह फिर से अभिक्रियाओं को क्रियाविधि सीखते समय उपयोगी सिद्ध होती है। लेकिन अब के लिए नमूने का प्रयोजन सिद्ध हो गया है और विद्यार्थी एक रेखा से प्रत्येक सहसंयोजक बंध का प्रतिनिधित्व करने वाली आणविक संरचना के चित्र का उपयोग करना शुरू कर देते हैं।
ये दोनों ही मॉडल किसी अणु में बंधों की संख्या की पहचान करते हैं, लेकिन वे अणु के वास्तविक आकार के बारे में या यह जानकारी नहीं देते हैं कि अणु के अवयव एक दूसरे के सापेक्ष घूमने में सक्षम हैं। विद्यार्थियों ने पहले से सीखा है कि गैस में कण एक दूसरे के सापेक्ष तेज़ी से गतिशील होते हैं, लेकिन अणुओं को बस तेज़ी से गतिशील गोले माना है। रसायन शास्त्र का आगे और अध्ययन करने वाले अवरक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी (Infra-Red Spectroscopy) के बारे में सीखेंगे और अणुओं के अंदर बन्धन विशेष के चारों ओर गति और कंपन को वर्णक्रमीय विशेषताओं (Spectral feature) से जोड़ेंगे। कक्षा X के विद्यार्थी अब भी मानसिक मॉडलों के प्रयोग के लिए विकसित कर रहे हैं। यद्यपि पहले चरण के रूप में उन्हें यह जानने की जरूरत है कि उनके द्वारा प्रयुक्त चित्र त्रि-आयामी आणविक संरचना का द्वि-आयामी संरचना के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
कार्बन यौगिकों के बारे में सीखने में विद्यार्थियों की समस्याओं में से एक है कि वे कभी-कभी किसी संरचना को अक्षरशः मान लेते हैं। उदाहरण के लिए, जब उन्हें दिए गए सूत्र के लिए संरचनात्मक समावयव तैयार करने के लिए कहा जाता है, तो कई विद्यार्थी यह नहीं देख पाते हैं कि उनके द्वारा तैयार की गई संरचनाएँ समतुल्य हैं। जब विद्यार्थी अणु का स्थूल मॉडल और उसका घूर्णन देख लें तो फिर ऐसा करना बहुत आसान है।
[यदि आपको ऐसे कंप्यूटर अनुप्रयोगों तक पहुँच हासिल है जो विद्यार्थियों को आणविक संरचना तैयार करने और उन्हें घूमते हुए देखने का अवसर देते हैं, तो यह भी बहुत उपयोगी हो सकता है।]
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श्रीमती गुप्ता ने कुछ आणविक मॉडलों का निर्माण किया और इनकी संरचनाओं के चित्रों से तुलना की।
मैं क्रियात्मक समूहों के बारे में पढ़ाना चाहती थी, और अपने पिछले अनुभव से, मैं जानती थी कि यदि मैं केवल संरचनाओं के चित्रों के उपयोग पर निर्भर करूँगी, तो अधिकांश विद्यार्थी यह देख पाने में असमर्थ होंगे कि कुछ प्रतिस्थापक स्थितियाँ वास्तव में बराबर हैं। मैंने क्रियात्मक समूहों के बारे में सीखने की तैयारी में विद्यार्थियों को ऐल्कीन के बारे में पहले से ज्ञात जानकारी के पुनः परीक्षण के लिए आणविक मॉडलों का उपयोग करने का फ़ैसला किया। साथ ही, मैं अपनी कक्षा को याद दिलाना चाहती थी कि पाठ्यपुस्तक में चित्र किसी अणु की संरचना का प्रतिनिधित्व करने का केवल एक ही तरीका हैं। स्थूल मॉडलों का उपयोग करने से उन्हें चित्र का उपयोग करने में शामिल कुछ सीमाओं का एहसास हो सकेगा।
पाठ से पहले, मैंने एक मीथेन अणु और एक हेक्सेन अणु का एक मॉडल तैयार किया। मैंने हेक्सेन अणु को दृष्टि से दूर रखा और अपनी कक्षा को मीथेन अणु का मॉडल दिखाकर पाठ पढ़ाना शुरू किया। मैंने उनसे कहा कि यह मीथेन का एक आणविक मॉडल है और उनसे पूछा कि उन्होंने उसके बारे में क्या नोटिस किया है? उन्होंने मुझे बताया कि वे प्लास्टिक की छड़ों के सहारे एक काले गोलक से जुड़े चार सफ़ेद गोलक देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे चार सफ़ेद गोलक शायद हाइड्रोजन परमाणु हैं, काला गोलक शायद एक कार्बन परमाणु है और छड़ (चित्र में रेखाओं की तरह) बंध हैं।
इसके बाद, मैंने उन सबसे पाठ्यपुस्तक में चित्रों वाली सारणी को देखने के लिए कहा और पूछा, ‘आप सारणी में जो देख सकते हैं उससे मॉडल में क्या अलग है?’ किसी ने जवाब नहीं दिया। ‘कोणों को देखो’, मैंने कहा। ‘क्या आप कोई समकोण देख सकते हैं? क्या अणु समतल है?’ अब वे जानते थे कि उन्हें किस पर ग़ौर करना है, निश्चित रूप से वे देख सकते थे कि मॉडल समतल नहीं था, बल्कि यथासंभव एक दूसरे से दूरी पर सभी हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ एक चतुश्फलकीय आकार (Tetrahedral) का गठन किया था।
मैंने वह दूसरा मॉडल बाहर निकाला जो मैंने पाठ पढ़ाने से पहले तैयार किया था। मैंने अपने एक विद्यार्थी से कहा, ‘कितने कार्बन परमाणु और कितने हाइड्रोजन परमाणु हैं, इसकी गिनती करो तथा कक्षा में बाकी लोगों को बताओ।’ फिर मैंने पूछा कि उनके विचार में वह क्या हो सकता है? उन्होंने हेक्सेन के रूप में उसकी पहचान की, क्योंकि उसमें छह कार्बन परमाणु थे।
हमने फिर से दोनों मॉडलों को देखा और सारणी में चित्र से उनकी तुलना की। इस बार, मेरे विद्यार्थी मुझे यह बताने के लिए तैयार थे कि ये आणविक नमूने निश्चित रूप से समतल नहीं थे, और दरअसल थोड़ा घुमावदार नज़र आने लगे। अणु की ‘रीढ़’ सीधी नहीं थी; प्रत्येक में कार्बन परमाणु चारों ओर घूम सकते थे, इसलिए हाइड्रोजन परमाणु और उनके बंध किसी नाव या हवाई जहाज पर प्रोपेलर की तरह थे।
मैंने एक विद्यार्थी को मीथेन का मॉडल दिया और उसे ब्यूटेन अणु में बदलने के लिए कहा। साथ ही, मैंने एक विद्यार्थियों को हेक्सेन का मॉडल दिया और उसे ब्यूटेन अणु के एक और मॉडल में बदलने के लिए कहा।
इस प्रकार तब मेरे पास दो एक समान ब्यूटेन अणु थे। मैंने समझाया कि एक क्लोरीन परमाणु से हाइड्रोजन परमाणुओं को प्रतिस्थापित करके नया कार्बन यौगिक बनाना संभव था और हम एक लिंक बिंदु के साथ एक हरे रंग के गोलक का उपयोग करके मॉडलों में क्लोरीन परमाणु का प्रतिनिधित्व करेंगे। मैंने दो विद्यार्थियों को एक ‘ब्यूटेन अणु’ और एक ‘क्लोरीन परमाणु’ दिया और उनसे एक नया अणु बनाने के लिए कहा।
दोनों विद्यार्थियों ने अणु के एक छोर पर एक हाइड्रोजन परमाणु को प्रतिस्थापित किया था। मैंने दोनों मॉडलों को ऊपर उठाया जिससे सब देख सकें ‘क्या वे एक समान हैं या अलग-अलग?’ मैंने पूछा। क्योंकि एक हाइड्रोजन दूसरे हाइड्रोजन के विपरीत सिरे में प्रतीत हो रहा था, सबने सोचा कि वह अलग हो सकता है। मैंने अणु की ‘रीढ़’ के आसपास के अणुओं को घुमाया। अणु के सिरों को घुमाया तब उन्होंने यह महसूस किया कि वास्तव में अणु एक समान ही थे। मैंने संरचना के तीन चित्र खींचे जो अलग नज़र आ रहे थे लेकिन वास्तव में एक ही आणविक संरचना का निरूपण कर रहे थे [चित्र 2]।
मैंने अपने विद्यार्थियों से पूछा कि मैं किस तरह अणुओं को एक दूसरे से अलग बना सकी। कुछ पल सोचने के बाद, किसी ने सुझाया कि श्रृंखला के बीच में कार्बन से जुड़े हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने से अणु अलग बन सकता है। मैंने संरचना का एक चित्र बनाया [चित्र 3]।
फिर एक विद्यार्थी ने सुझाव दिया कि हम क्लोरीन परमाणु को एक और कार्बन परमाणु पर स्थानांतरित कर सकते हैं। हमने इसको आजमाया, और यह वास्तव में अलग था। दूसरे मॉडल का उपयोग करते हुए और क्लोरीन परमाणु का स्थान बदलते हुए जिससे वह किसी एक कार्बन परमाणु के बीच से जुड़े, हमने यह भी स्थापित किया कि नमूने को एक बार घुमाने के बाद बीच वाले कार्बन परमाणुओं को अन्य से अलग पहचानना असंभव है, भले ही चित्र अलग लग सकते हैं [चित्र 4]।
हालाँकि मेरे पास केवल एक ही मॉडलिंग किट है, लेकिन मेरे विचार में विद्यार्थियों के साथ उसके उपयोग ने उन्हें स्थूल मॉडलों और पुस्तक के चित्रों के बीच के रिश्ते को समझने में मदद की। चूँकि मैंने अपने पाठों में मॉडलों का उपयोग किया है, मैं विद्यार्थियों को समूहों में व्यवस्थित कर सकती हूँ और प्रत्येक समूह को मॉडलिंग किट के साथ रचने का मौका दे सकती हूँ।
यह गतिविधि आपको अपनी योजना विकसित करने और कक्षा में पढ़ाने में मदद करेगी।
इस गतिविधि के लिए आपको एक आणविक मॉडलिंग किट (‘गोलक और छड़ी’ प्रकार या ‘जगह भरने वाला’ प्रकार) की जरूरत होगी। वैकल्पिक रूप से, आप बंधों और परमाणुओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए टूथपिक और क्ले मॉडलिंग का उपयोग कर सकते हैं।
संबन्धित कक्षा X की पाठ्य पुस्तक में कार्बन और उसके यौगिक पाठ से जोड़ कर देखें।
संबंधित पाठ्य पुस्तक में कार्बन की चतुश्फलकीय संरचना को देखें। एक अणु के कार्बन कंकाल को और फिर संपूर्ण अणु को दर्शाते हैं।
अब संबन्धित पाठ में दिखाई संरचनाओं से प्रत्येक के लिए मॉडल तैयार करें। पाठ्यपुस्तक में संबंधित चित्रों से इन मॉडलों की तुलना करें।
OpenLearn - मानसिक मॉडलों का निर्माण करना: कक्षा 10 में कार्बन और उसके यौगिक पढ़ाना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.