खोज से संबंधित कार्यप्रणाली का प्रयोग करने से आपके विद्यार्थियों को इस बात के संबंध में मदद मिल सकती है कि वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं। इससे वे प्रश्न पूछने के लिए तथा अपने विचारों की जांच करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। उन्हें यह भी विचार करना होगा कि वे क्या घटित होने वाला है? और क्यों ऐसा होने की अपेक्षा कर सकते हैं? तथा वे अपने पूर्वानुमानों के साथ अपने परिणामों की तुलना कर सकते हैं।
विज्ञान विषय के अध्यापक अनेक उद्देश्यों से खोज विधियों का प्रयोग करते हैं, अलग-अलग अध्यापक, भिन्न-भिन्न तरीके से खोज करेंगे। खोज करने का कोई ‘सही’ तरीका नहीं होता है। आपको उद्देश्य के आधार पर फैसला करना होता है। जिन परिणामों को आप समझाना चाहते हैं, उसके लिए गतिविधि की योजना बनानी पड़ती है।
खोज में सामान्यतः निम्नलिखित में से एक या अधिक शिक्षण गतिविधियां शामिल हो सकती हैं–
कुछ खोज सापेक्षिक रूप से बन्द होते हैं। इस संबंध में एकमत बनाने का दृष्टिकोण मौजूद रहता है। इस प्रकार की खोज के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं–
‘स्प्रिंग के विस्तार तथा भार के बीच में संबंध की खोज करना (हुक का नियम)।’
इस प्रकार के खोज में, कुछ विद्यार्थियों को अपने अपेक्षित परिणामों की जानकारी हो सकती है, लेकिन उन्हें अभी भी उपरोक्त सूचीबद्ध अनेक शिक्षण गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता होगी।
यह सीखने के लिए कि वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं, विद्यार्थियों को किसी ऐसे अवसर की आवश्यकता होती है जहां वे किसी ऐसी चीज की खोज कर सकें जहां पर उत्तर अज्ञात है। उदाहरण के लिए, वे यह खोज कर सकते हैं कि कौन सा पेय पदार्थ सबसे अधिक अम्लयुक्त है। इस मामले में, उन्हें सावधानी से यह सोचना होगा कि किस प्रकार से एक स्पष्ट जांच की जाए, कौन-कौन सी माप आदि की जाए तथा वे किस प्रकार यह निर्णय करेंगे कि कौन सा पदार्थ सर्वाधिक था?
आप अपने विद्यार्थियों को यह कहने की बजाए कि कौन-कौन से कारकों की खोज करें, यह कह कर खोज को अधिक खुला बना सकते हैं कि वे उन कारकों की पहचान करें जिनकी वे खोज करेंगे। खोज जितनी अधिक खुली होगी, विद्यार्थियों को अंतर्निहित विज्ञान की उनकी समझ बूझ के आधार पर यह सोचना होगा कि क्या होगा? तथा इस बात पर विचार करना होगा कि इन पूर्वानुमानों की तुलना में उनके परिणाम क्या दर्शाते हैं? खुले-सिरे वाली खोज में निम्नलिखित तरह के प्रश्न हो सकते हैं कि सर्वश्रेष्ठ विधि कौन सी हो सकती है?’ या ‘मैं इस बात का कैसे पता लगा सकता/सकती हूं कि कौन–सा सर्वाधिक संभव कारण क्या है?’
यदि आपके विद्यार्थी यह सुनने के आदी हैं कि क्या करना है? तो आप उनसे यह आशा नहीं कर सकते हैं कि किसी खोज की योजना कैसे बनानी है? आपको इसे प्रक्रिया का चुनाव, या वे किन परिणामों की आशा कर सकते हैं तथा वे अपने परिणामों का विश्लेषण किस प्रकार से करेंगे। आदि जैसे पहलूओं पर चर्चा करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करके उनके खोज से संबंधित कौशल का सृजन करना होगा।
सामान्यतः पाठ्यपुस्तक में दी गई गतिविधियां खोज परक न होकर ढांचागत प्रयोग होते हैं। यद्यपि, आप कुछ गतिविधियों को अनुकूलित कर सकते हैं जिससे उन्हें खोज से ही मिलती जुलती बनाया जा सके तथा आपके विद्यार्थियों के खोज संबंधी कौशल के विकास में मदद की जा सके।
श्रीमती बुलसारा द्वारा स्थानीय प्रशिक्षण सत्र के दौरान सहकर्मियों के साथ खोज कौशलों का विकास करने के लिए कुछ कार्यनीतियों पर चर्चा की गई।।
जब मैं पिछले सप्ताह प्रशिक्षण सत्र में गई थी तो हमने कुछ ऐसी बातों पर विचार किया था जो हमें प्रायोगिक गतिविधियों के दौरान करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों के खोज संबंधी कौशल के विकास में मदद की जा सके।
प्रशिक्षक ने अध्यापकों के प्रत्येक समूह को दो सुझाव दिए थे। हमसे यह पूछा था कि आपके विचार से ये हमारे विद्यार्थियों के लिए किस प्रकार से सहायक हो सकते हैं। दो सुझाव निम्नलिखित थे–
हमने विचार किया कि पूर्वानुमान के बारे में कहना उपयोगी था क्योंकि इसका अर्थ है कि आपको विद्यार्थियों को इस बारे में विचार करना होगा कि वे पहले से क्या जानते हैं? तथा और उन्हें इस जानकारी को इस स्थिति से जोड़ना होगा। यदि विद्यार्थी पूर्वानुमान लगाते हैं। लेकिन वे यह नहीं बता सकते हैं कि ऐसा क्यों होगा? तो इसका अर्थ है कि उन्होंने कुछ नहीं समझा है। इसलिए आपको उनकी मदद करनी होगी।
हमने विचार किया कि दूसरा सुझाव पहले वाले सुझाव से संबंधित है। आप अपने परिणामों से आश्चर्यचकित नहीं हो सकते हैं यदि आपको इस बात की कुछ आशा नहीं है कि क्या होने चाहिए? यदि परिणाम आपके द्वारा पूर्वानुमान से कुछ भिन्न हैं, तो आपको इस बात पर विचार करना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। संभव है कि आपकी प्रक्रिया में कुछ गलती हुई हो?
अब, हमें अपने दो सुझाव देने थे। यहां पर हमारे दो विचार दिए गये हैं–
![]() विचार के लिए रुकें
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श्रीमती बुलसारा ने यह बात स्पष्ट की है कि आप इस बात पर सावधानी से विचार करें कि आप जिन प्रायोगिक गतिविधियों को सामान्यतः पर करते हैं, उन्हे अधिक विचारणीय रूप से किस प्रकार से प्रस्तुत करें जिससे विद्यार्थियों की खोज कौशल के विकास में मदद की जा सके। गतिविधि 3 में आप तुलनात्मक रूप से अधिक खोज के तरीके से किसी मानक प्रयोग पर कार्य करेंगे; केस स्टडी 3 में, श्री राजा ने अपनी कक्षा को खुली खोज में व्यवस्थित किया और परिणामों के संबंध में विचार प्रस्तुत किए।
इस गतिविधि से आपको किसी विद्यार्थी की खोज का प्रबन्धन करने में अपने कक्षा संबंधी अभ्यास का विकास करने में मदद मिलेगी।
इस गतिविधि में आप कक्षा IX की पाठ्यपुस्तक आधारित आर्किमीडिज के सिद्धांत के लिए निर्देशों और सम्बद्ध पाठ के मौजूदा सेट से शुरूआत करेंगे। आप गतिविधि को अनुकूलित करेंगे जिससे यह अधिक खोजपरक हो जाए।
इस प्रयोग को करने का उद्देश्य क्या है? इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आर्कीमीडिज़ के सिद्धान्त को समझने मे मदद करना है। इस वर्णित गतिविधि से अभी भी ऐसा किया जा सकेगा, परन्तु इसमें प्रश्नों से सम्बद्ध कुछ निर्देशों को बदल दिया जाएगा। आपके विद्यार्थियों की संवेग तथा दबाव से संबंधित सोच में विस्तार करने के लिए प्रयास किया जाएगा।
इन निर्देशों और प्रश्नों को ब्लैकबोर्ड पर लिखें–
भिन्न-भिन्न द्रव्यों का इस्तेमाल करने के परिणामस्वरूप विद्यार्थी विस्तार में परिवर्तन का (तथा इसलिए भार में स्पष्ट परिवर्तन) द्रव्य के भिन्न-भिन्न घनत्वों में उत्क्षेप में परिवर्तन के साथ सह-संबंध स्थापित कर पाएंगे। द्रव्य का घनत्व जितना अधिक होता है। प्रतिस्थापित किए जाने पर यह उतना ही अधिक उत्क्षेप प्रदान करता है।
अंतिम बिन्दु से विद्यार्थियों को यह पता लग जाना चाहिए कि प्रतिस्थापन के आयतन को बढ़ाने से (थाली में पत्थर को रखने से) वजन की कमी में वृद्धि होती है। जितना अधिक पानी को प्रतिस्थापित किया जाता है, उत्क्षेप उतना ही अधिक होता है।
श्रीमती बुलसारा द्वारा अपने विद्यार्थियों के साथ एक खोज की गई है।
डाइट में एक प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के कारण, मैं अपने विद्यार्थियों द्वारा एक उचित खोज करने के प्रति बहुत उत्सुक थी। मैंने हेलीकॉप्टर तैयार करने का निर्णय किया (संसाधन 5 देखें)।
सबसे पहले मैंने एक सरल हेलीकॉप्टर तैयार किया। मैं कुर्सी पर खड़ी हुई और मैंने हैलीकॉप्टर ऊर्ध्वाधर रूप से नीचे गिरा दिया। मैंने राकी से इसके गिरने में लगने वाले समय को नोट करने के लिए कहा। तब मैंने अपने विद्यार्थियों से पूछा कि हम इसे तेजी से किस प्रकार गिरा सकते हैं। किसी ने सुझाव दिया कि ‘पंखों’ को छोटा करके। फिर मैंने पेपर का एक क्लिप लगा दिया, और इसे फिर से गिराया। मैंने समझाया कि, मैं यह चाहती हूं कि प्रत्येक समूह द्वारा हेलीकॉप्टर के बारे में कुछ परिवर्तन पर विचार किया जाना चाहिए तथा इसके बाद इसके नीचे गिरने में लगने वाले समय पर उस परिवर्तन के प्रभाव की जांच करनी चाहिए।
उन्होंने छहः-छहः विद्यार्थियों के समूह में काम किया। कुछ समूहों ने पंखों को छोटा बना दिया, कुछ ने पेपर क्लिप जोड़ दिए तथा एक समूह ने भिन्न भिन्न प्रकार के कागज़ों के हेलीकॉप्टर बनाए। उनको यह फैसला करना था कि समय की माप कैसे की जाए? तथा उनके परिणामों को किस प्रकार से रिकार्ड किया जाए? मैंने प्रत्येक समूह से इसे सारांश में प्रस्तुत करने के लिए एक प्रश्न लिखने के लिए कहा कि वे क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं?
जुन्ता के समूह को यह अहसास हुआ कि समय की सही-सही माप करना कठिन है, इसलिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि एक ही व्यक्ति द्वारा इसे हर बार किया जाए तथा प्रत्येक ड्रॉप के लिए उन्होंने तीन माप लिया जिससे वे औसत समय निकाल सकें।
उनके पास बहुत ही कम समय में बहुत सी रीडिंग उपलब्ध थीं, इसलिए उनके पास परिणामों को किस प्रकार से प्रस्तुत करना है तथा अपने निष्कर्ष को किस प्रकार से समझाना है, इसके लिए बहुत अधिक समय था।
मेरे विद्यार्थियों ने वास्तव में पाठ का आनन्द लिया तथा प्रत्येक इसमें शामिल था। जब मैंने इसके बाद इस पर विचार किया, तो मुझे यह अहसास हुआ कि उन्होंने ऐसे अनेक काम किए हैं जो वास्तविक वैज्ञानिक करते हैं। उन्होंने खोज के लिए एक प्रश्न पर विचार किया। उन्होंने यह योजना बनाई कि इसे स्पष्ट व सही कैसे जांचा जाए? समय का सर्वश्रेष्ठ प्रबन्धन करने के लिए उन्होंने परीक्षण किए। उन्होंने यह निर्णय किया कि अपने परिणामों को किस प्रकार से रिकॉर्ड करना है तथा उन्होंने निष्कर्ष को लिखा था। दूसरे शब्दों में, उन्होंने कुछ ऐसी चीज का पता लगाया था, जिसे वे पहले से नहीं जानते थे।
मैंने प्रत्येक समूह से कहा, ‘आपने क्या किया है? इसका वर्णन करने के लिए एक पोस्टर तैयार करें और इसे शेष कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करें।’ अंत में, मैंने उनसे यह पूछा कि वे अपने निष्कर्ष के प्रति कितने विश्वस्त थे। उन्हें क्या कठिन लगा? तथा वे अपने परिणामों की विश्वसनीयता में कैसे सुधार कर सकते थे?
OpenLearn - प्रायोगिक कार्य तथा जांच-पड़ताल : कक्षा 9 में गुरूत्वाकर्षण पढ़ाना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.