प्रोजेक्ट के काम में विद्यार्थियों को लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से काम करना होता है। जब तक उन्हें इसकी आदत न हो, तो आपके विद्यार्थियों को अपने समय या काम का प्रबंधन करने में कठिनाई आ सकती है। हो सकता है कि प्रोजेक्ट के अंत में लगे कि कक्षा के कुछ समूहों का प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है या कुछ भागों में जल्दबाज़ी की गई है। विद्यार्थियों को समय का प्रबंधन करने में मदद करने के लिये ये कुछ विचार हैं जिससे उनका प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो सकता है और काम का स्तर भी बेहतर होगा।
आपको निर्णय करना है कि आप अपने विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिये कितना समय देंगे। प्रोजेक्ट के शुरू में ही विद्यार्थियों को यह बता देना चाहिये। अपने विद्यार्थियों के समूहों को आप पहले प्रोजेक्ट की योजना बनाने के लिये कहें। इस योजना में यह दर्शाना होगा कि वे किस प्रकार, सबक दर सबक, प्रोजेक्ट कार्य को बाँटने वाले हैं। इसमें यह भी दर्शाना होगा कि समूह के किस सदस्य को प्रोजेक्ट के किस भाग की जिम्मेदारी दी गई है?
इस योजना को प्रोजेक्ट की प्रगति का रिकॉर्ड करने के जीवंत दस्तावेज़ की तरह उपयोग करें। अपनी कक्षा में एक योजना की दीवार पर लगा दें। जिस पर सारे समूहों की योजनाएं दिखाई जाएं। प्रत्येक कक्षा में समूह अपने किये गए काम पर निशान लगा सकते हैं। प्रत्येक को दिखाई देने वाली जगह पर योजनाएं रखना विद्यार्थियों को बहुत प्रेरणा दे सकता है।
प्रत्येक पाठ में जाँचें कि प्रत्येक समूह कैसी प्रगति कर रहा है? यह जाँच छोटी सी हो सकती है जिसमें उनकी योजना के अनुरूप उनकी प्रगति देखी जाए तथा समस्याओं या मुद्दों पर चर्चा हो।
शिक्षिका सीमा ने अपना प्रोजेक्ट जारी रखा और इस पर विचार किया कि उनकी बड़ी कक्षा के शिक्षण में प्रोजेक्ट दीवार कितनी उपयोगी सिद्ध हुई।
मुझे अपने पिछले अनुभव से पता था जब मैंने प्रोजेक्ट करने की कोशिश की थी, सारा माहौल गड़बड़ और शोर भरा हो जाता है, तथा मेरा बहुत समय इधर–उधर दौड़ कर विद्यार्थियों को बताने में लग जाता है कि आगे क्या करें? और जल्दी करें? प्रोजेक्ट की कक्षा के बाद मुझे सरदर्द हो जाता था। मुझे लगता था कि मैं अपने कई विद्यार्थियों से ज्यादा मेहनत कर रही हूं!
इस बार मैंने ऊर्जा के स्रोत के प्रोजेक्ट के प्रबंधन के लिये प्रोजेक्ट दीवार का उपयोग किया। कक्षा में प्रोजेक्ट करवाना अब भी मेहनत का काम था, लेकिन इस बार मुझे लगा कि स्थिति पर मेरा पूरा है। मैंने निर्णय लिया कि इस प्रोजेक्ट को दो सप्ताह दूंगी, क्योंकि इतना ही समय हम एक अध्याय में लगाते हैं। हमने कक्षा और गृह कार्य के समय का उपयोग किया।
अपने विद्यार्थियों को चार के समूहों में बाँटने के बाद, मैंने प्रत्येक समूह को एक ’मैनेजर’ नियुक्त करने के लिए कहा। प्रत्येक कक्षा की शुरूआत में, समूह प्रोजेक्ट दीवार के पास जाते और अपनी योजना देखते। फिर वे योजना में आज की कक्षा के लिये पूर्व निर्धारित काम वही करने लगते। प्रत्येक कक्षा की शुरूआत में मैं सारे मैनेजरों के साथ एक छोटी–सी पाँच मिनट की बैठक करती और पता लगाती कि प्रत्येक समूह उस कक्षा में क्या करने वाला है? इससे मुझे एक संक्षिप्त विवरण मिला। इसके आधार पर मैं निर्णय करती कि उस कक्षा में किन समूहों पर विस्तार से नजऱ रखनी है? प्रोजेक्ट के दौरान अधिक व्यवस्थित समूहों के साथ मुझे कम बैठकें ही करनी पड़ीं । कम व्यवस्थित समूहों को अधिक बैठकें मिलीं, जिससे मैं उन्हें बेहतर तरीके से दिशा दे सकी।
मैंने महसूस किया कि इस प्रकार की दिशा देने वाली परिस्थिति अधिक नियत्रं ण में रही। मुझे अन्त में अपने विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय देना पड़ा, परन्तु प्रोजेक्ट की गुणवत्ता पहले की तुलना में बेहतर रहा। प्रत्येक समूह ने प्रोजेक्ट कार्य अच्छी तरह से किया, इसलिए मैं इसका उपयोग आगे जरूर करूंगी।
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