प्रोजेक्ट में सिर्फ लिखने का ही काम नहीं होता है। प्रोजेक्ट को पोस्टर, मॉडल, नाटक या कहानी के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि आपके पास कम्प्यूटर हो, तो यह प्रेज़ेंटेशन के रूप में भी हो सकता है। यदि आप विद्यार्थियों ने पोस्टर बनाया हो, तो अपने मोबाइल फोन से उनकी फोटो लेना न भूलें! जिन विद्यार्थियों को पढ़ना और लिखना कठिन लगता है, उनके लिये अन्य प्रारूपों का उपयोग अच्छा है। इससे सभी विद्यार्थियों को खुद को अलग–अलग तरह से व्यक्त करने का मौका मिलता है। इससे उनकी रचनात्मकता बढ़ती है। उपयोग करने के प्रारूप को लेकर विद्यार्थियों को कुछ विकल्प देना विद्यार्थियों के लिये प्रेरक होता है।
श्री सिंह ने अपना कक्षा X को बताया कि उनका ’ ऊर्जा के स्रोत ’ के प्रोजेक्ट एक प्रेज़ेंटेशन होगा।
पहले जब मैं अपने विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट लिखने के लिये कहता था, तो दो बातें होती थीं। लड़कियाँ अपने काम को सुंदर बनाने के लिये ज्यादा समय खर्च कर देती हैं और लड़के जल्दी खत्म करने के अवसर में रहते हैं। इसके अतिरिक्त मैं चाहता था कि वे मुख्य बातों पर ध्यान दें। इस बार मैंने उनसे एक दस मिनट का प्रेज़ेंटेशन बनाने के लिये कहा। मुझे लगा, यदि सभी को एक ही प्रेज़ेंटेशन बनाना होगा, तो सभी के लिये समान अवसर होंगे और उनका दिमाग केंद्रित होगा!
मैं सही था! नियमित प्रगति बैठकों में, मैं प्रत्येक समूह के प्रेज़ेंटेशन पर बनाते समय निगरानी रख पाया। हमने आत्मविश्वास वाले विद्यार्थियों के साथ मैं उनके बोलने की भूमिकाओं का अभ्यास भी किया। मैं समूहों को सलाह भी दे पाया कि क्या शामिल किया जाए? और क्या नहीं? मैंने उन्हें बताया कि मैं उनका समीक्षक मित्र हूं, और मेरा काम है उन्हें इस पर चुनौती देकर उनसे सर्वोत्तम काम करवा लेना।
अलग–अलग प्रेज़ेंटेशन दिलचस्प और जानकारी से भरपरू थे? कोई भी प्रेजेंटेशन ऊबाऊ या दोहराव वाले नहीं थे। एक समूह ने एक रैप गाना शामिल किया और एक अन्य ने एक कविता बनाई। मैंने एक समूह को अपना प्रेज़ेंटेशन किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह देने से रोका; इसके बदले उन्होंने एक छोटी नाटिका की। प्रेज़ेंटेशन के दौरान, एक समय तो सारी कक्षा हँस रही थी, दूसरे ही पल हम गहरे विचार में थे। मैं देख सकता था कि प्रत्येक समूह ने अपनी अभिव्यक्ति अलग–अलग तरह से दिया, जबकि वे सभी प्रेज़ेंटेशन के प्रारूप से ही जुड़े थे।
यह नीति अपनाकर मुझे खुशी हुई। शायद अगली बार मैं उन प्रेज़ेंटेशनों का उन्हीं के साथियों द्वारा फिर से आकलन कराऊंगा। अब चूंकि मुझे पता है कि मेरे विद्यार्थी कल्पनात्मक प्रेज़ेंटेशन बना सकते हैं, तो हो सकता है कि मैं उन्हें अपने काम का प्रदर्शन किन्हीं निमंत्रित वास्तविक दर्शकों के सामने करने को कहूं। मुझे नहीं लगता कि अभिभावकों, स्थानीय समुदाय के व्यक्तियों या अन्य शिक्षकों को आमंत्रित करना कठिन होगा।
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