![]() विचार के लिए रुकें जब आप विश्वविद्यालय या कॉलेज के विद्यार्थी थे, उस समय आपके द्वारा देखे गए किसी प्रदर्शन के बारे में विचार करें।
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अपनी कक्षा के साथ किसी प्रदर्शन को करने से पहले, स्वयं से यह पूछना महत्वपूर्ण है कि: ‘मैं अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहता/चाहती हूं?’ और ‘मेरे विद्यार्थी इस प्रदर्शन से उस बात को कब सीखेंगे?’ यदि प्रदर्शन से वह नहीं हासिल होता जो आप अपने विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, तो वह कितना भी प्रभावकारी हो फिर भी यह प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं होता है।
कुमारी बलसारा ने उत्तल लेंस द्वारा बनाए प्रतिबिम्बों के प्रदर्शन की अपनी योजनाओं विज्ञान के अन्य शिक्षक से समीक्षा करने के लिए कहा (गतिविधि 1)।
मैंने यह विषय पहली बार ही पढ़ाया है। लेंस में प्रतिबिम्बों की प्रायोगिक गतिविधि में अनेक बिंदुओं के सापेक्ष किया जाना है,। मुझे चिंता थी कि यदि प्रदर्शन ज्यादा लम्बा चला तो विद्यार्थियों की दिलचस्पी नहीं रहेगी तथा उनका ध्यान इधर-उधर हो जाएगा। जिस कार्य की मैं योजना बना रही थी, उस विषय में मैं किसी दूसरे की राय जानना चाहती थी इसलिए मैंने अपनी सहकर्मी श्रीमती गुप्ता से पूछा कि क्या वे छुट्टी के बाद जिस कक्षा में पढ़ाने वाली हूँ उस कक्षा में मेरे साथ प्रदर्शन के बारे में बात करेंगी?
उस कक्षा में एक प्रदर्शन करके दिखाने के लिए एक बड़ी बेंच उपलब्ध है, इसलिए मैंने अपने सारे उपकरण उस बेंच पर एक ट्रे में रखे और प्रदर्शन की तैयारी करने लगी।
श्रीमती गुप्ता ने पूछा, ‘आप पहले किस लेंस का प्रयोग करने की योजना बनायी है? इससे लेंस होल्डर और रेखाओं की व्यवस्था को प्रभावित करेगा।’
मैंने इसका निर्णय नहीं किया था इसलिए तीन अलग अलग उत्तल लेंसों की फोकल दूरी की जांच करने में और फिर उनमें से एक को लेंस स्टैंड में रख कर मेज पर समांतर रेखाएं खींचने में मुझे कुछ मिनट लग गए। मैंने अपनी योजना में नोट लिखा कि प्रदर्शन के लिए कौन-सा लेंस लेना है और रेखाओं के बीच की दूरी क्या होनी चाहिये? विद्यार्थियों को सिखाते समय मुझे जल्दी व्यवस्था करने के लिए इस जानकारी की जरूरत होगी।
मैं जब F और 2F के स्थान चिन्हित कर रही थी तब श्रीमती गुप्ता ने कहा, ‘आज तो कक्षा में बड़ी शांति है, है ना?’
हम हंस दिये, क्योंकि मैं निर्देशों का पालन करने में इतनी व्यस्त थी कि मैं यह भूल ही गई थी कि यह मेरे विद्यार्थियों को कैसा दिखेगा। मैं कहने ही वाली थी, की ‘मैं इस रेखा को F के रूप में चिन्हित करने वाली हूँ’ और तभी मैं रूक गई। शायद ऐसा करना बेहतर होगा कि मैं अपने किसी विद्यार्थी से पूछूं कि मैंने इन्ही खास दूरियों पर रेखाएं क्यों खींची हैं और मैं उन पर F और 2F के लेबल क्यों लगा रही हूँ? योजना के संबंध में एक और बात अचानक याद आ गई!
मैंने स्क्रीन व्यवस्थित किया और मोमबत्ती जलाई। मोमबत्ती को जितनी दूरी पर रखा जा सकता था रखा और स्क्रीन पर अच्छा साफ प्रतिबिम्ब लाने के लिए उसमें कुछ समायोजन किए। श्रीमती गुप्ता ने पूछा, ‘आपके विद्यार्थी कहाँ होंगे? क्या सभी प्रतिबिम्ब देख पाएंगे?’ इसकी जांच करना उपयोगी था। मेरे कुछ विद्यार्थियों के लिए उनके खड़े होने की जगह से प्रतिबिम्ब को देखना मुश्किल होता। इस योजना के संबंध में नोट करने के लिए एक और बात थी!
जगह से प्रतिबिम्ब को देखना मुश्किल होता। यह योजना से संबंध में नोट करने के लिए एक और बात थी!
मैंने श्याम पट्ट पर तालिका 1 के समान एक तालिका बनाई जिसमें सिर्फ पहले कॉलम में वस्तुओं की भित्र–भित्र स्थितियों के बारे में लिखा था लेकिन बाकी सभी को खाली छोड़ दिया गया था। सभी को पहला उदाहरण दिखाने के बाद वस्तु से संबंधित अन्य सभी स्थितियों के लिए मैंने किसी विद्यार्थी से पूछने के बारे में सोचा कि वह मुझे बताया कि मैं हर बार मोमबत्ती कहाँ रखूँ और किसी दूसरे विद्यार्थी से यह पूछने की योजना बनाई कि उनके विचार से प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा। मैं और किसी से कहूंगी कि वह स्क्रीन पर दिखाई दे रहे प्रतिबिम्ब का वर्णन करें।
मैं अपने विद्यार्थियों को प्रदर्शन के दौरान सारी जानकारी उन्हें ही भरने के लिए कहने वाली थी, जिससे उनका ध्यान इसमें लगा रहे। लेकिन श्रीमती गुप्ता ने सलाह दी कि इससे तो ध्यान इधर-उधर हो सकता है, खासकर इसलिए कि जब हर किसी को यह पता होगा कि सारे उत्तर किताब में दी गई तालिका में हैं। इसके बजाय, मैंने निर्णय किया कि सभी स्थितियों के संबंध में काम करते हुए श्याम पट्ट पर ही तालिका को भरा जाए जिससे विद्यार्थियों को पता चले कि हमने पूरी तालिका को किस प्रकार से प्राप्त किया है। मेरी योजना से संबंधित एक और नोट!
हमारी चर्चा के अंत तक मैंने यह महसूस किया कि मेरे पास एक ऐसी योजना है जो वास्तव में मुझे एक प्रभावी प्रदर्शन प्रस्तुत करने में मदद करेगी। हमारी चर्चा से यह समझ बनी कि मैं अपने अन्य विषयों के प्रदर्शनों को कैसे बेहतर बना सकती हूँ।
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अब गतिविधि 2 में अपने प्रदर्शन की योजना बनाने की कोशिश करें।
यह गति विधि आपको प्रभावी प्रदर्शन के लिए योजना वनाने में मदद करेगी।
आप, कक्षा X की पाठ्यपुस्तक से प्रदर्शन के लिए एक की पाठ की योजना बनाने जा रहे हैं जिसमें नीचे दिये 1 से 8 तक के बिंदुओं का समाधान किया जाएगा और फिर योजना को लागू किया जाएगा। आप बिंदु 3 से 8 का समाधान कैसे करेंगे? इस बारे में सामान्य सुझावों के लिए संसाधन 2 को देखें।
संसाधन 2 में दिये सुझावों से अपनी योजना की तुलना करें। क्या ऐसे कोई सुझाव थे जिनके बारे में आपने सोचा नहीं था? कौन-से सुझाव आपको सबसे उपयोगी लगे?
अपनी योजना जल्द से जल्द क्रियान्वित करें। इसके बाद, सहकर्मी के साथ पाठ पर चर्चा करें। क्या अच्छा रहा? क्या आपके विद्यार्थी वे सीख पाए जिसकी आप उनसे उम्मीद कर रहे थे? अगली बार के लिए आप अपनी योजना के किस पहलू को बेहतर बनाएंगे?
याद रखें कि वैज्ञानिकी अवलोकन सिखाना पड़ता है। विद्यार्थी केवल तभी बेहतर ढंग से वैज्ञानिकी अवलोकन कर पाएंगे जब विद्यार्थियों को पता होगा कि उन्हें क्या देखना है? इसे कैसे देखना है और वे जो देख रहे हैं उसके महत्व को कैसे समझना है विद्यार्थियों को अवलोकनों के बारे में भी शिक्षित करना महत्वपूर्ण है: कि हमारी ज्ञानेंद्रियां धोखा खा सकती हैं और अवलोकन हमारे द्वारा नियत सिद्धान्तों से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए सभी अवलोकनों का समालोचनात्मक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान योजनाबद्ध प्रश्नों का उपयोग करके इन विचारों पर अपने विद्यार्थियों के साथ विचार-विमर्श किया जा सकता है।
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प्रभावी प्रदर्शन : कक्षा 10 में प्रकाश एवं दृष्टि का शिक्षण
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