जीवन में कोणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। फिर भी, विद्यार्थी अक्सर उनके आस-पास इन कोणों को नहीं देख पाते या उन्हें उन कोणों से नहीं जोड़ पाते, जिनपर वे गणित की कक्षा में काम करते हैं। जब विद्यार्थी कोणों के बारे में सोचते हैं, तो वे अक्सर अपने विचारों को कागज़ पर बनी प्रतिच्छेदी रेखाओं तक सीमित रखते हैं, जिन्हें केवल चाँदे और कम्पास की सहायता से मापा और बनाया जा सकता है।
गतिविधि 1 का उद्देश्य विद्यार्थियों को यह बताना है कि वे किस प्रकार केवल एक आयताकार कागज़ का टुकड़ा लेकर, उसे मोड़कर कोणों का ‘निर्माण’ कर सकते हैं। कोणों में परिवर्तन करने का यह प्रायोगिक अनुभव विद्यार्थियों को चिह्नों के पीछे के अर्थ, निरूपण व संकल्पनाएँ समझाने में मदद कर सकता है। ये उन कोणों का एक त्वरित दोहराव है, जो उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में पढ़े होंगे।
इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो परोक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि कोई भी सीधा किनारा 180° के ऋजु कोण का प्रतिनिधनत्व करता है. जब आप किसी कागज को इस प्रकार मोड़ते हैं कि आरंभिक किरण अंतिम किरण पर पड़े, तो इससे कोण का समद्विभाजन होता है।
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे इस ज्ञान का उपयोग कर 180°, 90°, 77.5°, 50°, 45°, 30°, 22.5° व 11.25° माप वाले कोण बनाने का प्रयास करें।
उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर देना होगा:
यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।.
विद्यार्थियों ने पहले कागज़ मोड़ने की कोई गतिविधि नहीं की थी (या कम से कम बहुत लंबे समय से नहीं की थी) और वे आरंभ में थोड़े चकराए हुए थे। उन्हें यह संकल्पना अजीब लगी कि आप कोणों को आधा कर सकते हैं। मैंने यह जानने के लिए प्रश्न पूछे कि वे क्या सोच रहे थे और पता लगा कि वे कोण को स्थिर, अचल मानते थे, न कि जगह से हिल सकने वाला। अत: मैंने पहले उन्हें उठकर दोनों हाथ सामने फैलाकर 180°, 360°, 720°, 90°, 45°, 360° का आधा, 45° से दुगना, 360° से आधा, उसके बाद 45° आदि पर दक्षिणावर्त/वामावर्त घूमने को कहा, जिसमें एक बाँह स्थिर रहे व दूसरी कोण का आकार इंगित करने के लिए हिले, जिससे वे कोण को मापने को वर्तन या घूर्णन को मापने जैसा समझने लगे।
इसके बाद वे कागज़ को मोड़ने का काम खुशी से करने लगे। उन्हें लगा कि कोण को सही रखना बहुत बड़ी समस्या बन गई, विशेषकर तब जब छोटे कोण बनाए जाने थे।
जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसी कोई गतिविधि करें, तो बाद में सोचे कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ हुई। ऐसे सवालों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग कुछ छोटी–छोटी चीजें नोट करते हुए करें, जिनसे काफ़ी फ़र्क पड़ता है, जैसा श्रीमती मनीषा ने किया।
![]() विचार के लिए रुकें ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:
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