जब आप साइकिल की सवारी करना सीखते हैं तो आपको संतुलन हासिल करना भी सीखना पड़ता है। यह स्वीकार किया जाता है कि साइकिल चलाना सीखने की प्रक्रिया में आप एक–दो बार गिरेंगे, ग़लत दिशा में मुडेंगे, तेज़ी से हैंडलबार को खींचेंगे, भूल जाएँगे कि ब्रेक्स कहाँ हैं, या गियर किस प्रकार काम करते हैं इस बारे में ग़लत विचार रखेंगे। केवल इस प्रकार की ग़लतियाँ करके ही आप साइकिल चलाने के कौशल को विकसित करेंगे और उसमें सुधार करेंगे। ग़लतियाँ करना और अपनी ग़लत धारणाओं के साथ सामना होने पर आप भविष्य में बेहतर जान सकते हैं।
गणित सीखना किसी बाइक या अन्य किसी वाहन की सवारी सीखने से अलग नहीं है। ग़लतियाँ करना उसी प्रक्रिया का हिस्सा है, और वास्तव में एक अच्छी बात है, क्योंकि यह आपके रोजमर्रा की सोच के पैटर्न के साथ हस्तक्षेप करता है और आप जो कर रहे हैं, उस पर आपको सोचने पर मजबूर करता है। यदि कोई कक्षा लोकाचार हो कि ग़लतियाँ करके सीखा जा सकता है, और इसलिए ग़लतियाँ करना प्रभावी शिक्षण का एक हिस्सा है, तो फिर विद्यार्थी भी अधिक इच्छुक हो जाएँगे और प्रयोग करने में अधिक समर्थ तथा ग़लतियाँ करने से कम डरते हुए नई अवधारणाओं को आज़माने का प्रयास करेंगे, और परिणामस्वरूप गणित को जानने–बूझने तथा उसका मज़ा लेने के लिए बेहतर रूप से सुसज्जित हो जाएँगे।
इस प्रकार के कक्षा लोकाचार की स्थापना करना, जहाँ विद्यार्थी अपनी ग़लतियों और ग़लत धारणाओं को साझा करने के लिए तैयार हो जाएँ, रातों–रात नहीं हो जाता – इसके लिए पोषण और सावधानी से सिखाने की ज़रूरत होती है। लेकिन, इस लोकाचार को बढ़ावा देने के लिए ऐसे तरीके़ हैं, जिनका आप उपयोग कर सकते हैं:
किसी उत्तर को सिर्फ़ ’गल़त’ के रूप में खारिज करने के बजाय गल़तियों और गल़त धारणाओं पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करें – यह सीखने के लिए एक उपयोगी तरीक़ा प्रदान करता है।
विचारों के आदान–प्रदान को बढ़ावा दें, भले ही वे आधे–अधूरे या ’ग़लत’ क्यों न हों।
दूसरी गतिविधि अभिकल्पित की गई है, जिसमें बहुत संभावना है कि विद्यार्थी ग़लतियाँ करें। इन पर स्पष्ट रूप से चर्चा करने से ग़लत धारणाओं को प्रकाश में लाने और इन्हें गणित सीखने के अवसरों में परिवर्तित करने में मदद मिलेगी।
अपनी कक्षा को तीन–तीन विद्यार्थियों के समूहों में विभाजित करें।
अपने विद्यार्थियों को निम्न स्पष्ट करें:
यदि दो विद्यार्थी उनके साथ साझा किए गए तथ्यों का उपयोग करते हुए अपने त्रिकोण नहीं बना पा रहे हों, तो उन्हें ‘हमें और जानकारी दें’ कहना होगा। उसके बाद लीडर अपने त्रिकोण के बारे में एक और तथ्य बताएगा। दोनों विद्यार्थियों द्वारा अपने त्रिकोण तैयार करने के बाद, लीडर उन्हें एक अंक देंगे, यदि उनका त्रिकोण एक जैसा हो; अन्यथा उन्हें कोई अंक नहीं मिलेगा। मूल त्रिकोण और अंक पाने वाले त्रिकोणों को कक्षा में त्रिकोणों के एक ढेर में रखा जाएगा। अन्य खारिज कर दिए जाएँगे।
समूह इस गतिविधि को और दो बार दोहराता है, जहाँ अन्य विद्यार्थी बारी–बारी से लीडर बनेंगे।
जब वे उपर्युक्त गतिविधि संपन्न कर लें, तब विद्यार्थियों से निम्नलिखित प्रश्न पूछें:
आप में से कुछ सर्वांगसम त्रिकोण क्यों नहीं बना पाए जब कि दूसरे ऐसा कर सके? क्या ग़लतियाँ हुईं और क्यों?
अपने विद्यार्थियों को समझाएँ कि भाग 1 में तैयार किए गए त्रिकोणों के वर्ग ढेर पर अब ध्यान केंद्रित करना होगा। तीन विद्यार्थियों का प्रत्येक समूह ढेर से एक त्रिकोण एकत्रित करेगा। एक वालंटियर विद्यार्थी ढेर से यादृच्छिक रूप से बाक़ी त्रिकोणों में से एक उठाएगा और फिर कक्षा को एक–एक करके उसके तथ्यों का वर्णन करेगा। विद्यार्थी यह निर्धारित करने के लिए अपने समूहों में अपने त्रिकोणों की जाँच करेंगे कि उनके पास ‘सटीक रूप से मेल खाने वाला’ है या ‘उससे मेल खाने वाला’ है। फिर, सटीक रूप से मेल खाने वाले को एक अंग दिया जाएगा।
शेष सभी त्रिकोणों का उपयोग संपन्न होने तक इस अभ्यास को दोहराएँ।
प्रत्येक दौर के बाद, निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें:
गतिविधि के इस भाग में विद्यार्थियों को अपनी सीख पर विचार करने को कहा जाएगा, ताकि वे बेहतर बन सकें और गणित सीखने के प्रति सहज महसूस कर सकें। अपने विद्यार्थियों से निम्नलिखित प्रश्न पूछें।
इस गतिविधि के भाग 1 के बारे में आपको क्या आसान या मुश्किल लगा?
मैंने अपने उत्तर लिखने के लिए समूहों को काग़ज़ के टुकड़े वितरित किए। उसके बाद मैंने उन्हें गतिविधि के बारे में विस्तार से समझाया। मैंने उनसे त्रिकोण बनाने के लिए लीडर द्वारा प्रयुक्त तथ्यों को भी लिख लेने के लिए कहते हुए गतिविधि में थोड़ा संशोधन किया और उनसे कहा कि इससे उन्हें यह जानने में मदद मिलेगी कि वे क्यों त्रिकोण बना पाए और ठीक कितने चरणों में।
विद्यार्थी इस गतिविधि को करने में बेहद उत्साहित थे। लग रहा था कि उन्हें प्रतिस्पर्धा की भावना पसंद आई और उन्हें भी लीडर बनने का एक मौका़ मिला। कुछ शिकायतें भी थीं कि किस प्रकार एक विद्यार्थी ने नक़ल की थी और उसे एक अतिरिक्त अंक दिया गया। मैंने उनसे कहा कि यदि उन्होंने नक़ल की, तो यह उनके लिए बदनामी की बात है और उन्हें स्पष्ट करना होगा कि वे वहाँ तक कैसे पहुँचे, जहाँ अब पहुँचे हैं।
ग़लतियों से सीखने की चर्चा दिलचस्प रही। मैंने उम्मीद की थी कि विद्यार्थी अपनी ग़लतियों के बारे में बात करने के लिए अनिच्छुक होंगे, लेकिन मैं गल़ त थी – उन्होंने उसके बारे में बड़े उत्साह से बात की! शायद इसलिए कि वे उनके बारे में पहले अपने समूह में बात कर सके, जो शायद कम धोखाधड़ी वाला था। फिर मैंने विद्यार्थियों से अपनी ग़लतियों को पूरी कक्षा के साथ साझा करने के लिए कहा, और उन्हें ब्लैकबोर्ड पर लिखा। हमने इन पर इस सन्दर्भ में चर्चा की कि यह दिलचस्प है। यह ग़लती क्यों हुई होगी? वे क्या सोच रहे थे?’ कक्षा में सभी विद्यार्थियों ने इन ग़लत धारणाओं से बहुत कुछ सीखा। हमने इस पर भी चर्चा की, कि– क्या हमने इन ग़लतियों को करने और इस पर चर्चा करने से कुछ सीखा – और हम सब इस बात से सहमत थे। कुछ विद्यार्थियों ने उल्लेख किया कि अब अंततः उन्हें पता चला कि उन्हें ग़लत धारणा थी। जिन्होंने शुरुआत से ही ’सही’ किया था, उन्होंने कहा कि दूसरों को यह कहते हुए सुनना और यह जानना उन्हें अच्छा लगा कि वे क्यों सही ढंग से सोच रहे थे, क्योंकि अक्सर वे गतिविधियाँ और प्रश्न बिना सोच कर ही हल कर रहे थे।
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