विद्यार्थी, जिन्होंने गणितीय समस्याओं पर काम करने के ऐसे तरीक़े विकसित किए हैं, जो उन्हें समस्या का सामना करने पर भी, जारी रखने देता है, गणितीय रूप से लचीले कहे जा सकते हैं। ऐसे विद्यार्थियों की ‘विकासशील मानसिकता’ होती है (Dweck, 2000), इसका मतलब है कि वे जानते हैं कि चुनौतियों का सामना करने के लिए जितना अधिक वे कार्य करते हैं और समस्याओं को हल करते हैं, वे उतने ही ‘होशियार’ बनेंगे। विकासशील मानसिकता वाले विद्यार्थी यह स्वीकार नहीं करते कि उनके सीखने की कोई उच्चतम सीमा या दायरा है। इसलिए, वे किसी अवधारणा को पूरी तरह समझने तक, ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ गणितीय अवधारणाओं के बारे में चर्चा और प्रश्न करेंगे जो उनकी मदद कर सकता है। इस लचीले ढंग से काम करने के लिए अवधारणाओं की व्याख्या करने के लिए और सहयोग से काम करने के लिए पर्याप्त गणितीय शब्दावली की ज़रूरत होगी।
प्रयोग करना और सवाल करना, गणितीय रूप से लचीलेपन का हिस्सा है। जो विद्यार्थी, उदाहरण के लिए, ICT उपकरणों या हस्तकौशल का उपयोग करते हुए ‘गणितीय अवधारणाओं के साथ खेलने’ के लिए प्रोत्साहित किए जाते हैं, वे अपना लचीलापन विकसित कर पाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे उन अवधारणाओं का पता लगा सकते हैं और उन अवधारणाओं को समझने लगते हैं। लचीलापन विकसित करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका़ है सहयोगपूर्ण तरीके़ से काम करना, जहाँ विद्यार्थियों को जब भी ज़रूरत हो, वे अपने साथियों से मदद पा सकते हैं। एक लचीला विद्यार्थी विभिन्न स्रोतों से मदद प्राप्त करेगाः पुराने विद्यार्थी, पाठ्यपुस्तकें, इंटरनेट, शिक्षकगण, होशियार चाचा आदि।
विद्यार्थियों में लचीलापन विकसित करने एक और महत्वपूर्ण पहलू है, उन्हें यह महसूस कराना कि प्रश्न पूछना ‘बुद्धिमानी’ है और लगातार पूछना ‘और भी समझदारी’ है। सभी विद्यार्थियों को यह जानना चाहिए कि उनके सीखने की जिम्मेदारी केवल एक ले सकता है, जोकि वे स्वयं हैं, और इसलिए उन्हें सक्रिय रूप से समझने की कोशिश करनी चाहिए। गणितीय रूप से लचीले विद्यार्थी में स्वयं अपनी शक्तियों की एक अच्छी समझ होती है और वे जानते हैं कि किन्हीं सीमाओं में सुधार करने के लिए उचित सहायता किस प्रकार प्राप्त की जा सकती है।
संक्षेप में, गणितीय रूप से लचीले विद्यार्थी, अपने व्यवहार में, इस अधिकार पर ज़ोर देंगे कि वे गणितीय रूप से पृथक न हों या गणितीय रूप से अत्यधिक कमजोर न महसूस करें; वे निष्क्रिय रूप से गणितीय अवधारणाओं को स्वीकार करने की किसी भी उम्मीद का विरोध करेंगे, लेकिन वे खुद के लिए उन्हें समझने हेतु उन पर काम करने की अनुमति चाहेंगे। वे मौजूदा ज्ञान, कौशल, समझ और रणनीतियों का उपयोग करते हुए, अपने स्वयं की गणितीय सोच को विकसित करने के अपने अधिकार को पुनःप्राप्त करेंगे, और नए गणित को सीखने की अपनी क्षमता के बारे में आश्वस्त हो जाएँगे।
(Lee and Johnston-Wilder, 2013)
ली और जॉन्स्टन–वाइल्डर (2013) के अनुसार, गणितीय लचीलापन विकसित करने के लिए, विद्यार्थियों को निम्न करने का मौक़ा मिलना चाहिएः
गणितीय संवादों में शामिल होने के लिए, पर्याप्त गणितीय शब्दावली और अभिव्यक्ति के तरीक़े जानें, अवधारणाओं पर सवाल पूछें, सहयोग से काम करें, गणितीय रूप से सोचे और समझ पैदा करें। इसका मतलब है कि विद्यार्थियों को न केवल अपने शिक्षकों द्वारा गणितीय भाषा के उपयोग को सुनना होगा, बल्कि स्वयं अपने लिए गणितीय शब्दों और अभिव्यक्ति के तरीक़ों का उपयोग करना होगा।
इस इकाई में गतिविधियाँ इन पाँच लचीले कौशल को विकसित करने पर काम करेंगी।
OpenLearn - गणितीय लचीलेपन का निर्माण :त्रिभुजों में समरुपता और सर्वांगसमता Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.