याद रखते हुए सीखना, या रटना, दोहराव पर आधारित एक शिक्षण तकनीक है।
शिक्षण के इस तरीके के समर्थन में कई तर्क हैं: एक यह है कि गणित में कुछ तथ्यों का तुरंत याद आना गणित के अन्य विषयों में निपुण बनने के लिए आवश्यक है।
कई विद्यार्थियों को अपना ’टाइम टेबल’ रटकर याद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि सवालों को हल करते समय वे 6 × 7 जैसी अपेक्षाकृत सरल गणनाएँ करने में समय व प्रयास न लगाएँ – विशेष रूप से जब उनके पास कैल्क्यूलेटर न हो। टाइम टेबल को कंठस्थ याद रखने से उन्हें संख्याओं का बेहतर बोध भी प्राप्त होता है; उदाहरण के लिए, संख्याओं के परिमाण का और इस बात का कि संख्याएँ किस प्रकार संबंधित हैं या गुणज और भिन्न क्या हैं। इसी प्रकार के तर्कों का उपयोग याद रखते हुए बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को सीखने के लिए भी किया जा सकता है।
हालाँकि, याद रखने की शिक्षण तकनीक के विरोध में भी कई तर्क हैं (डी मॉर्गन, 1865; मॉर्टन एंड बूथ, 1997)। इनमें से एक तर्क ’पहुंच’ के बारे में है। विद्यालय में अपनी कम उपस्थिति, आवश्यक अभ्यास के लिए समय या अवसर की कमी, या समय पर वापस याद ला पाने की कमजोरी के कारण सभी विद्यार्थियों को याद रखने की तकनीक से लाभ नहीं मिलता। डिसलेक्सिया जैसी विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों को इससे बहुत नुकसान होता है।
एक अन्य तर्क इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि याद रखने की तकनीक से क्या–क्या याद रखा जा सकता है। याद रखने की तकनीक बोध पर केंद्रित नहीं है या समझ का निर्माण नहीं करती; न ही यह अवधारणाओं की गहराई से व्याख्या का समर्थन करती है, और इस बात का भी नहीं कि किस प्रकार वे गणित के अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं। यह याद रखने और उनकी यथावत् पुर्नप्रस्तुति पर केंद्रित है, जो कि किसी विषय के उन अधिक जटिल पहलुओं का अध्ययन करते समय समस्याप्रद हो सकता है (जैसे सूत्र या एल्गोरिथ्म) जिनमें कई चरण शामिल होते हैं। याद रखने से अर्थ की समझ नहीं आती, जिसका अर्थ है कि तत्व छूट जाते हैं, विवरण अव्यवस्थित हो जाते हैं, तनाव बढ़ जाता है और परीक्षा असफल हो सकती है।
याद रखते हुए सीखने का अनुभव अक्सर रोचक नहीं होता; इसे अपनी दोहराई जाने वाली प्रकृति और समझ व संबंध स्थापित करने पर ध्यान की कमी के कारण अरुचिकर भी माना जा सकता है। विद्यार्थी अभ्यासों को यांत्रिक रूप से ’पूरा’ करते हैं, जिसमें उनके दिमाग का उपयोग कम से कम होता है। यह सभी विद्यार्थियों के लिए समस्याप्रद होता है। (अच्छे अंक लाने वाले तेज विद्यार्थियों सहित)। गणित सीखते समय उबाऊपन, चिन्तन की बहुत कम आवश्यकता और संबंध स्थापित करने व गणित को अर्थ देने के कार्य के अवसर की कमी से यह विधि सीखने वालों के लिए विषय को समझना और उसका आनंद लेना कठिन बना देती है।
![]() विचार के लिए रुकें
|
OpenLearn - दृश्यवालोकनों का उपयोग करना :बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.