गतिविधि 1 में ‘कितनी तरह से…’ प्रश्न का उपयोग किया गया है ताकि विद्यार्थी खेलने, खोजने और अन्वेषण करने के लिए प्रेरित हों कि समकोण त्रिभुजों से कितने बंद बहुभुज बनाए जा सकते हैं। करने के तरीकों के विकल्प होने और गलतियाँ करने से आपके विद्यार्थियों में काम से जुड़ने की उत्सुकता पैदा होती है।
खेलने की प्रवृत्ति में स्थिति में बदलाव के बारे में सोचना शामिल होता है। इसे कभी–कभी ‘क्या होगा यदि?’ सोच भी कहा जाता है। गणित में चरों के बारे में सोचते समय यह बेहतर कार्य करता है: ‘यदि मैं इस चर को बदल दूँ तो अन्य चरों का क्या होगा?’ संभावनाओं के बारे में सोचने की इस प्रक्रिया में, चरों और स्थिरांकों की भूमिका और उनके बीच के संबंध का पता भी लगाया जाता है।
गतिविधि 2 में विद्यार्थियों से यह पूछने के बारे में सोचने को कहा जाता है कि ‘क्या होगा यदि मैं...को बदल दूँ?’ स्वयं के अनुमानों के साथ आने और कार्य करने के लिए स्वयं के उदाहरणों का उपयोग करने से उनमें स्वामित्व का बोध आ सकता है और वे अपनी चिंतन शक्तियों के लिए सम्मानित महसूस कर सकते हैं। गतिविधि के अंत में, इन विभिन्न उदाहरणों पर आधारित जानकारी का मिलान करने से सामान्यीकरण निकालना भी संभव हो पाएगा।
यह गतिविधि विद्यार्थियों से अपने विचारों का परीक्षण करने से पहले यह सोचने को भी कहती है कि क्या होने जा रहा है। इससे उन्हें यह विचार करने में मदद मिलनी चाहिए कि कौन सा चिंतन आवश्यक है (इसे ‘मेटा कॉग्निशन’ कहा जाता है)। जब उन्हें अपना चिंतन सही लगता है, तो इससे उन्हें अच्छा लगेगा, क्योंकि उन्होंने इसे ‘सही’ पहचाना। जब उनके अनुमान गलत निकलते हैं, तो इससे भी उन्हें आश्चर्य हो सकता है और उन्हें इस बारे में कौतूहल होगा कि
‘ऐसा क्यों है...?’
इस गतिविधि में आपके विद्यार्थियों के लिए यह खोजबीन करना आवश्यक होगा कि क्या होगा यदि वे त्रिभुज की एक भुजा या कोण बदल देते हैं, और उन्हें इस बात पर विचार करना होगा कि इस बदलाव से अन्य कोणों और भुजाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:
चित्र 4 समकोण त्रिभुज का एक उदाहरण।
कोण A | कोण B | कोण C | AB | BC | AC |
---|---|---|---|---|---|
बढ़ता है | स्थिर रहता है | ||||
घटता है | स्थिर रहता है | ||||
बढ़ता है | स्थिर रहता है | ||||
घटता है | स्थिर रहता है | ||||
स्थिर रहता है | दोहरा | ||||
स्थिर रहता है | आधा | ||||
स्थिर रहता है | बढ़ता है | ||||
स्थिर रहता है | स्थिर रहता है | ||||
स्थिर रहता है | स्थिर रहता है |
तालिका 2 की हर पंक्ति में, आपको कोण C का आकार और AB (कर्ण) और AC भुजाओं का आकार दिया गया है।
कोण A | कोण B | कोण C | कणण (AB) | a | AC |
---|---|---|---|---|---|
90° | 2 | 1 | |||
90° | 4 | 2 | |||
90° | 6 | 3 | |||
90° | 8 | 4 |
मैंने विद्यार्थियों को यह कहते हुए गतिविधि के भाग 1 का परिचय कराया कि वे अब ‘क्या होगा यदि…?’ समस्या करने जा रहे हैं, जिसमें उन्हें जासूस बनना होगा और संभावनाओं के बारे में सोचना होगा। सबसे पहले उन्हें अपनी स्वयं की मापों से एक समकोण त्रिभुज बनाना था। ऐसा करवाने के बाद, मैंने उन्हें तालिका 1 उतारने को कहा जो मैंने श्यामपट्ट पर लिखी थी।
पहले तो वे अपने स्वयं के त्रिभुज मापों का उपयोग करने लगे, फिर मुझे उन्हें याद दिलाना पड़ा कि वे बढ़ाने और घटाने को देख रहे थे। इससे उन्हें शुरू करने में सहायता मिली। मैंने देखा कि उनमें से कई इधर–उधर नजरें दौड़ाने के साथ अपने हाथ भी दौड़ा रहे थे। जब नितीन ने अपने हाथ फैलाए तो मैंने उससे पूछा कि क्या कर रहे हो, तो उसने कहा कि ‘मैं अपने मन की आँखों में कोण को बढ़ा रहा हूँ, ताकि देख पाऊँ कि दूसरी भुजाओं पर क्या प्रभाव होगा।’ मैंने उससे कहा कि यह तो रोचक है और इसे जारी रखे। यह सोचने की बारी आने पर कि भुजाओं को दोहरा या आधा करने पर अन्य कोणों पर क्या प्रभाव पड़ता है, कुछ विद्यार्थियों को नया त्रिभुज, भले ही कच्चा हो, बनाने की आवश्यकता पड़ी ताकि वे इस बारे में आश्वस्त हो सकें। जब किसी समकोण त्रिभुज को इस तरह से बदला जाता है, तो क्या होता है, यह देखने के लिए मैंने उन्हें ‘कल्पना’ करने के लिए प्रेरित किया, पेंसिल का उपयोग करके या आरेखित करके, जो भी वे चाहें।
जब तालिका भर गई, तो विद्यार्थियों को ध्यान दी गई बातों के बारे में सोचना था। मैंने पहले उन्हें उनकी तालिका को देखने और 30 सेकंड सोचने को कहा; फिर मैंने उन्हें उनके साथी को यह बताने को कहा कि उन्होंने तालिका में क्या देखा और देखी गई कुछ बातों पर सहमत होने को कहा। फिर मैंने विद्यार्थियों से देखी गई बात को दूसरी जोड़ी को बताने को कहा और चार के समूह में किसी विचार पर सहमति बनाने को कहा। हर समूह ने शेष कक्षा को बताया कि उन्होंने क्या देखा और एक जीवंत चर्चा शुरू हुई। मैंने महसूस किया कि इससे कम समय में सभी लोगों के विचारों पर चर्चा हुई और उन्हें शामिल किया गया।
फिर हम भाग 2 पर आगे बढ़े। इस बार मैंने उन्हें कोई आरेख कॉपी पर बनाए बिना व मन में सोंचे बिना तालिका में लिखने को कहा कि अब क्या होगा। यह करने के लिए उन्हें दो–तीन मिनट देने के बाद, मैंने उन्हें जोड़ियों में आरेखण करने को कहा ताकि वे जाँच सकें कि उन्होंने जो सोचा वह सही था या नहीं। आरेखण को एकदम सही बनाना हमेशा कठिन होता है, इसलिए मैंने उन्हें याद दिलाया कि आरेखण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है, ताकि वे जाँच सकें कि सिद्धांतत: जो उन्होंने सोचा है, वास्तव में भी वैसा ही है। यदि उन्होंने कोई कोण मापा और वह कुछ अंश बाहर निकला, तो मैंने उन्हें यह सोचने को कहा कि क्या वह उनका ‘सिद्धांत’ था जो ‘गलत’ लगा, या उनका ‘व्यवहार’ था। वे तुरंत समझ गए कि मैं क्या कह रही थी और वे अपने स्वयं के ‘सिद्धांत’ के लिए तर्क कर पा रहे थे। मैंने कई विद्यार्थियों को काम करते समय यह कहते सुना कि ‘मैंने देखा…’ इसलिए वे इसके बाद होने वाली कक्षा चर्चा के लिए तैयार थे।
![]() विचार के लिए रुकें अनुभाग 1 की संभावना सोच की कुछ विशेषताओं के बारे में फिर से सोचें और विचार करें कि क्या आपके विद्यार्थियों ने:
आपके किन विद्यार्थियों ने इन कौशलों का प्रदर्शन किया? क्या आप उदाहरण दे सकते हैं? |
OpenLearn - गणित में रचनात्मक सोच विकसित करना: त्रिकोणमिति Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.