परिवर्तन के प्रमुखों और प्रतिभागियों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकता है, क्योंकि लोगों को परिणामों के विषय में चिंता हो सकती है। कई शैक्षणिक प्रणालियों में, विद्यालय से संबंधित अनेक परिवर्तनों का आरंभ प्रायः नीतिनिर्माता करते हैं;ये बाह्य प्रेरक हैं। तथापि, ऐसे भी कई अन्य उदाहरण हैं जहाँ आप एक नायक होने के नाते अपने शिक्षकों के साथ अपने विद्यालय में छोटे या मध्यम आकार के परिवर्तन करते हैं जो आपके छात्रों और संभवतः समुदाय की जरूरतों और हितों के प्रति अनुक्रिया में किए जाते हैं; ये आंतरिक प्रेरक हैं।
एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में, उन परिवर्तनों के बारे में सोचें जो हाल ही में आपके विद्यालय में हुए हैं। क्या वे बाहर से थोपे गए लगते हैं या वे विद्यालय के समुदाय द्वारा उत्पन्न किए गए हैं? वे राष्ट्रीय या प्रादेशिक निकायों द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम या परीक्षाओं में मूल परिवर्तन हो सकते हैं, या वे आपके विद्यालय में छोटे परिवर्तन हो सकते हैं जिन्हें दिनकों अधिक सृजनात्मक बनाने के उद्देश्य से छात्रों के लिए बनाया गया है।
ऐसे पाँच बाह्य कारकों और पाँच आंतरिक कारकों को सूचीबद्ध करें जो आपके अनुसार आपके विद्यालय या जिले में परिवर्तन के प्रेरक रहे हैं।
आपके द्वारा पहचाने गए आंतरिक प्रेरक भारी रूप से उस संदर्भ पर जिसमें आप काम कर रहे हैं और विद्यालय प्रमुख के रूप में आपको उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर होंगे। यदि आपके विद्यालय में न्यूनतम संसाधन और बड़ी कक्षाएं हों, तो भी आप सीखने की प्रक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव लाने वाले उल्लेखनीय परिवर्तनों की शुरुआत और उनका नेतृत्व कर सकते हैं, उदाहरण के लिए अधिक विकलांग छात्रों को शामिल करना या उच्चतर कक्षाओं में अधिक छात्राओं को लेना।
इस गतिविधि ने संभवतः आपको उन परिवर्तनों के प्रकार पर विचार करने को प्रेरित किया होगा जो आप अपने विद्यालय में लाना चाहेंगे। उनका संबंध छात्र पर अधिक केंद्रित दृष्टिकोण रखने, गतिविधि पर आधारित शिक्षण प्रक्रिया को अधिक सुगम करने, हर बालक और उसके अनूठेपन को महत्व और सम्मान देने, या सीखने के लिए परीक्षाओं/ परीक्षणों की बजाय आकलन का आयोजन करने से हो सकता है।
तालिका 1 प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों पर हाल के बाह्य प्रेरकों के उदाहरण दर्शाती है। कभी-कभी इन्हें व्यापक रूप से अपेक्षित किया जाता है और उन्हें समायोजित करने के लिए तैयारियाँ की जाती हैं; और कहीं–कहीं पर वे अधिक अकस्मात होते हैं। कुछ को तत्काल कार्यवाही की जरूरत होती है; अन्य के लिए परिवर्तन अधिक क्रमिक रूप से होता है।
प्राथमिक | माध्यमिक |
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राष्ट्रीय पाठ्यचार्या की रूपरेखा (NCF) शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RtE) सर्व शिक्षा अभियान (SSA) माध्याह्न भोजन योजना महिला समाख्या कार्यक्रम मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की योजना |
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान मॉडल विद्यालय स्कीम कन्या छात्रावास योजना ICT @ Schools माध्यमिक स्तर पर विकलांगों की समावेशी शिक्षा व्यावसायिक प्रशिक्षण की योजना नेशनल मीन्स-कम-मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम नेशनल इन्सेंटिव फॉर गर्ल्स भाषा के अध्यापकों की नियुक्ति |
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