आपने भले ही गतिविधि 4 में दिए गए सुझाव का इस्तेमाल किया हो या अपने शिक्षकों के लिए कोई विकल्प तैयार किया हो, आपको क्या कुछ चल रहा है इस पर नजर रखने की जरूरत होगी और आपको यह मूल्यांकन भी करना होगा कि आपकी फोकस परियोजना, योजनानुसार विकसित हो रही है या नहीं (चित्र 2 में चरण 5)। निगरानी और मूल्यांकन से यह भी पता चल सकता है कि आगे क्या करना है और इससे, आपको अच्छी कार्यप्रणालियों की पहचान करने या अपनी योजनाओं में सुधार और बदलाव करने का मौका मिल सकता है।
आप कुछ शिक्षकों के लिए कोच की भूमिका भी ले सकते हैं, या फिर आप इस कार्य को करने में सक्षम शिक्षकों को यह भूमिका सौंप सकते हैं। (यदि आप इस पद्धति के बारे में अपने ज्ञान को अद्यतन करना चाहते हैं तो सलाह देने (मेंटरिंग) एवं कोचिंग देने पर एक अलग नेतृत्व इकाई उपलब्ध है।)
मैं यह जानने को बहुत उत्सुक थी कि शिक्षक अपनी कायप्रणाली किस प्रकार विकसित करेंगे और टीईएसएस-इंडिया ओईआर का इस्तेमाल कैसे करेंगे। मैंने शिक्षकों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने अनुभवों के बारे में मुझसे और दूसरों से बात करें। इससे, मुझे चीजें कैसी चल रही हैं इस बारे में थोड़ी अंदरूनी जानकारी मिली। अब मैं जब भी कभी विद्यालय में टहलती हूँ, तो यह सुनने की कोशिश करती हूँ कि कक्षाओं में किस बारे में बात की जा रही है और बात कौन कर रहा है।
कुछ हफ्ते बीतते-बीतते, मैंने पाया कि सुश्री चक्रकोड़ि की कक्षा में सूक्ष्म बदलाव आ रहे थे। वे अपने विद्यार्थियों के मन को खोलने के लिए प्रश्न पूछने की तकनीक का इस्तेमाल पहले से कर रही थीं, और अब वे अपनी कार्यप्रणाली को विकसित करने के लिए एक अन्य शिक्षक के साथ मिल कर, ओईआर के उपयोग पर कार्य कर रही थीं। उन्होंने मुझे बताया था कि यह कार्य अच्छा चल रहा था। सूक्ष्म बदलाव यह था कि उन्होंने ऐसे प्रश्नों का सेट तैयार कर लिया था जिनसे उनके विद्यार्थियों को यह सोचना होता था कि ‘वे क्या जानते हैं’ और ‘वे उस बारे में निश्चित क्यों हैं’
मैंने सुश्री चक्रकोड़ि से पूछा कि क्या बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि अपने सभी पाठों में वे प्रश्न पूछने की तकनीक पर काम कर रहीं थीं। पर शिक्षण के बीच में ही ऐसे प्रश्न सोचना कठिन मालूम दे रहा था जो विद्यार्थियों के ज्ञान का आकलन करने में उनकी और उनके विद्यार्थियों की मदद करें। इसलिए उन्होंने हर पाठ से पहले, संभावित प्रश्नों को लिखना शुरू कर दिया था। वे यह पहले ही निष्कर्ष निकाल चुकी थीं कि कौन से प्रश्न सबसे अच्छा परिणाम दे रहे थे।
मैंने एक नोट लिख लिया कि अगली स्टाफ बैठक में मैं सुश्री चक्रकोड़ि और दूसरों से कहूंगी कि वे अपने सर्वोत्तम प्रश्नों को साझा करें ताकि दूसरे भी उन्हें अपना सकें।
यह केस स्टडी दिखाती है कि विद्यालय नेता न केवल क्या चल रहा है इसकी निगरानी कर रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को साझा किया जाए, जिससे नई पद्धतियों के अधिक व्यापक अंगीकरण को बढ़ावा मिल सके। अगली गतिविधि आपको अपनी फोकस परियोजना के संवेग को बनाए रखने में मदद करने पर लक्षित है।
अपनी अगली स्टाफ बैठक के बारे में सोचना शुरू करें और इस बारे में विचार करें कि अगली बैठक का उपयोग प्रगति की समीक्षा करने के लिए और अपने व अपने शिक्षकों के लिए आगे के कार्य व लक्ष्य तय करने हेतु इस बैठक का उपयोग कैसे किया जा सकता है। यह सोचें कि आप बैठक के लिए किस प्रकार ऐसी तैयारी कर सकते हैं जिससे आप सर्वाधिक प्रभाव हासिल कर पाएं और शिक्षक आपसे केवल बात ही न करते रहें।
आप अध्यापकों से अपने अनुभवों की चर्चा करने के लिए जोड़ियों या छोटे-छोटे समूहों में र्काय करने को कह सकते हैं। संसाधन 6 में कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं।
आपने जो अच्छे कार्याभ्यास देखे हों उन्हें साझा कर सकते हैं, पर ध्यान रखें कि प्रशंसा भी सभी में साझी हो। अध्यापकों को अपनी सफलता की कहानियां साझा करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। यहां तक कि आप विद्यार्थियों से प्रतिक्रिया (उपख्यानात्मक या किसी सर्वेक्षण से) शामिल करने के बारे में भी सोच सकते हैं।
इस बारे में सोचें कि अध्यापक आपके अध्यापन फोकस के साथ अपने कौशलों को और आगे विकसित करने के लिए क्या कर सकते हैं। उन्हें और क्या सहायता चाहिए होगी? क्या ऐसे और भी टीईएसएस-इंडिया ओईआर हैं जिनसे मदद मिल सकती है? आपको कुछ विचार तैयार रखने चाहिए, पर साथ ही, उनके सुझावों को भी सुनें और साथ मिल कर तय करें कि आगे क्या करना है।
चर्चा
आपके स्टाफ सदस्य आपके एवं अन्य अध्यापकों द्वारा उनके अध्यापन कार्य को सम्मान व मान्यता मिलते देख बहुत खुश होंगे। प्रगति बैठक आयोजित कर आप जो भी सकारात्मक बदलाव हुए हों उन्हें पहचान सकते हैं, जो भी कठिनाइयां हों उन्हें हल करने पर ध्यान दे सकते हैं और अपने स्टाफ को संलग्न रख सकते हैं। उत्साही और प्रतिबद्ध स्टाफ की सार्वजनिक प्रशंसा की जानी चाहिए। पर याद रखें कि कुछ स्टाफ़ सदस्य, अन्य से अधिक आत्मविश्वासी होंगे, इसलिए आपको, छोटे-छोटे बदलावों की भी प्रशंसा करनी चाहिए और अतिरिक्त सहयोग का प्रस्ताव रखना चाहिए। याद रखें कि आप सहभागितापूर्ण पद्धति का प्रतिरूपण कर रहे हैं जिसमें आप, विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान को मान देते हैं।
अगला चरण है अच्छे कार्याभ्यास को समेकित करना। अगले केस स्टडी में, विद्यालय प्रमुख श्रीमती चड्ढा बता रही हैं कि कैसे वे अपने विद्यालय में बदलाव ले आ पाई हैं।
श्रीमती चड्ढा से साक्षात्कार में पूछा गया कि उन्होंने अपने विद्यालय में कैसे बदलाव ले आई यहां वे अपने सामने आईं चुनौतियों और अपनी कुछ रणनीतियों के बारे में बता रही हैं।
सच कहूं तो, मुझे किसी भी परियोजना का जो पहलू सबसे चुनौतीपूर्ण लगता है वह है बदलाव लाना यूं तो यह मान लेना कि ऐसा हो गया है और अगली परियोजना पर चले जाना बहुत आसान है। पर मैंने सोचा कि मुझे ऐसा करने से रोकने का केवल एक ही तरीका है, और वह यह है कि बदलाव लाना के लिए एक योजना लिखूं, समीक्षाओं की तारीखों समेत, और उसे अपनी डायरी में लिख लूं।
मैं खुश थी कि सभी अध्यापकों ने अपने अध्यापन में थोड़े-थोड़े बदलाव किए थे, और मैं देख पा रही थी कि सीखने की क्रिया में मदद के लिए कक्षा में पहले से अधिक प्रश्न पूछे जा रहे थे। अधिक विविधतापूर्ण प्रश्न पूछे जा रहे थे और विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए अधिक समय दिया जा रहा था। कुछ अध्यापक अपने कई पाठों में बड़े बदलाव कर रहे थे; कुछ अन्य ने किसी ओईआर से कभी-कभार कोई गतिविधि की, प्रायः इसलिए क्योंकि उन्हें अपने सहकर्मियों या मेरे द्वारा ऐसा करने के लिए प्रेरित किया गया।
मैं स्वयं कक्षाओं को नहीं पढ़ाती हूँ, पर मैं उन अध्यापकों की कक्षाएं ले रही थी जो एक-दूसरे का प्रेक्षण करने जा रहे थे। ऐसे कुछ मौकों के बाद मैंने जाना कि मेरे स्वयं के अध्यापन कार्याभ्यास को करने के लिए भी मेरे सामने मौका था। चूंकि साक्षरता मेरा अध्यापन का विषय, इसलिए मैंने भाषा एवं साक्षरता इकाई कक्षा में बहुभाषावाद से एक गतिविधि का उपयोग करते हुए एक अन्य अध्यापक के साथ कार्य किया। इससे मुझे एहसास हुआ कि कार्य कितना चुनौतीपूर्ण था औ थे। र अलग–अलग तरीको से अध्यापक उसे कर रहे।
संवेग बनाए रखने के लिए, मैंने अगले दो सत्रों के लिए निम्नांकित का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया है:
किसी भी बदलाव के साथ यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि:
अपने सत्र के अंत में आप प्रशंसा करने लिए और शिक्षण एवं सीखने में फोकस मुद्दे पर किए गए कठिन कार्य का आभार प्रकट करने के लिए एक बैठक आयोजित कर सकते हैं। इसकी तैयारी के लिए आप चाहें तो अपनी सीखने की डायरी पर फिर से नजर डाल कर खुद को यह याद दिला सकते हैं कि आपने शुरूआत कहां से की थी। इस बैठक को रूखा-सूखा या औपचारिक नहीं बल्कि क्रियाशील और सहभागितामुक्त होना चाहिए।
आप ‘विचारों की दीवार’ का उपयोग भी आजमा सकते हैं। यह दीवार पर एक ऐसा स्थान होता है जहां व्यक्ति विचारों को सोचते समय उन्हें लिख सकते हैं, दूसरों के लिखे विचार देख सकते हैं और दूसरों की टिप्पणियों में अपने विचार जोड़ सकते हैं। इसका लाभ यह होता है कि समय के साथ यह बढ़ती जाती है और इसमें हर कोई शामिल होता है। अध्यापकों को टिप्पणी लिखने को प्रेरित करने के लिए, आप उदाहरण के तौर पर, निम्नांकित शीर्षकों के साथ कागज के बड़े-बड़े टुकड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं या पिन से छोटे-छोटे नोट्स बोर्ड पर लगा सकते हैं:
इसे मजेदार और उत्साहवर्धक गतिविधि होना चाहिए, जिसमें स्टाफ सदस्य बैठे रहने की बजाए, ‘विचारों वाली दीवार’ (जो कोई ब्लैकबोर्ड या कागज की बड़ी सी शीट हो सकती है) के इर्द-गिर्द इकट्ठा होकर खड़े रहें।
अगर आपका स्टाफ समूह बड़ा है, तो आप अलग अलग दीवारों पर अलग अलग विषय लिख सकते है और स्टाफ से कह सकते हैं कि वे दीवार तक जाएं और कागज की शीटों पर अपनी टिप्पणियां लिखें और फिर प्रत्येक शीट पर साथ मिलकर चर्चा करें। अगर आपके पास चिपकाने वाली नोट्स की पर्चियां हों तो आप अपने स्टाफ से उन पर लिख कर उन्हें कागज की उपयुक्त शीट पर चिपकाने को कह सकते हैं। एक अन्य विकल्प के तौर पर, आप कागजी मेजपोश का इस्तेमाल कर सकते हैं और स्टाफ से कह सकते हैं कि वे एक-एक करके मेजों पर जाते रहें और समूह के रूप में बैठ कर उस पर लिखते जाएं।
किसी भी विचार-मंथन की गतिविधि के समान, आपको उसे सारांशित करने में और अंत में योगदानों का आभार प्रकट करते हुए सभी चीजों को एक साथ रख कर एक बड़ा चित्र बनाने में सक्षम होना होगा। आप बाद में प्रदर्शनों को लगा छोड़ सकते हैं, या भावी संदर्भ के लिए उन्हें टाइप करवा सकते हैं।
चर्चा
अपने सत्र की फोकस परियोजना की सफलता को सहेजना महत्वपूर्ण है। ऐसा करने का अर्थ है कि:
इसे औपचारिक बैठक की बजाए, किसी ऐसी मजेदार गतिविधि के रूप में किया जा सकता है जो कुशलक्षेम और सहशासन का एहसास देती हो। आदर्श रूप से, आप बोलने से ज्यादा सुनेंगे। उसके बाद, आपने जो कुछ सुना उस जानकारी का उपयोग यह योजना बनाने में कर सकते हैं कि अपने विद्यालय में अधिक सहभागितापूर्ण शिक्षण कैसे हो सकता है।
OpenLearn - सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में परिवर्तन: प्राथमिक विद्यालय में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सुधारों का नेतृत्व करना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.