सीखने तक पहुँच को कई कारक प्रभावित कर सकते हैं, जैसे हाजिरी, यूनिफार्म खरीद सकने में सक्षम होना, छात्रों की विद्यालय तक पहुँचने की क्षमता या विद्यालय में शौचालय सुविधाओं की परिसीमाएं। वैकल्पिक रूप से छात्र अपनी कक्षा में उनकी शिक्षा को प्रभावित करने वाली असुविधा महसूस कर सकते हैं जिसका कारण शिक्षकों का रवैया, प्रयुक्त पद्धतियाँ और सामग्रियाँ, और पढ़ाते समय पाठ्यक्रम का प्रतिपादन हो सकते हैं।
आपको ऐसे छात्रों द्वारा की गई कड़ी मेहनत की जानकारी मिल गई है जो अपने भिन्न होने और विद्यालय की माँगों के अनुरूप ‘अनुकूलित’ होने की जरूरत महसूस करते हैं। इन माँगों में हो सकता है कि छात्रों को साफ–सुथरा लिखना चाहिए, या चार मीटर की दूरी पर स्थित ब्लैकबोर्ड को पढ़ना चाहिए, या कि उन्हें लंबे समय तक बैठना और सुनना चाहिए।
छात्र इन (और अन्य) माँगों के प्रति विभिन्न प्रकार की अनुक्रियाएं करते हैं, जो ‘सरलता से’ लेकर ‘बड़ी कठिनाई से’ तक विस्तृत होती हैं। कुछ छात्रों को, इन माँगों को पूरा करने के लिए न्यूनतम प्रयास की जरूरत पड़ती है। अन्य मामलों में, वे यह काम करने में केवल तभी सक्षम हो पाते हैं जब उन्हें अपने जीवन के उल्लेखनीय लोगों से सहायता मिलती हैं (आम तौर पर, मातापिता और शिक्षक)।
यह स्पष्ट है कि विद्यालयों को ऐसी जूझी जाने वाली रणनीतियों और कठिनाइयों को ‘अपरिहार्य’ के रूप में देखने की स्थिति से हटने की जरूरत है। एनसीएफ के अनुसार परिवर्तन की जिम्मेदारी विद्यालय और शिक्षा देने वाले पर है जब वह घोषित करता है कि:
समानता के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अभिप्राय है सभी शिक्षार्थियों को उनके अधिकारों का दावा करने और साथ ही समाज और राज्य–व्यवस्था में योगदान करने में सक्षम करना। इस प्रकार, अधिकारहीन शिक्षार्थियों, और विशेष रूप से लड़कियों के लिए अपने अधिकारों पर दावा करने और साथ ही सामूहिक जीवन को मूर्तरूप देने में सक्रिय भूमिका निभाने को संभव करने के लिए, शिक्षा को उन्हें असमान सामाजीकरण की असुविधाओं पर काबू पाने के लिए सशक्त बनाना चाहिए और स्वायत्त और समान नागरिक बनने की क्षमताएं विकसित करने में सक्षम करना चाहिए।
आपके विद्यालय में छात्रों के अलग अलग समूहों और सीखने के अवसरों तक उनकी पहुँच में अंतरों के बीच की कड़ी का विश्लेषण करना आवश्यक है। कैसे कुछ छात्र कुछ विषयों को शीघ्रता से समझने लगते हैं, इसमें संपर्क और अभ्यास की बड़ी भूमिका होती है, इस बोध ने अध्यापन को देखने के तरीके को बदल दिया। अच्छे अध्यापन की कला को केवल जानकारी के प्रतिपादन से हटाकर ऐसी रणनीतियों के उपयोग की ओर ले जाया गया जो सीखने के समान नतीजे पाने के लिए शिक्षार्थियों को अपने खुद के तरीके खोजने में सक्षम करती थीं।
तालिका 1 पर एक नज़र डालें, जो श्री शर्मा की डायरी से लिया गया एक उद्धरण है जिसमें उन्होंने अपने विद्यालय की विविधता की सीमा और इस बात पर चिंतन किया है कि उसे कैसे छात्रों के सीखने के अनुभवों के साथ जोड़ा जा सकता है। श्री शर्मा विविधता की सीमा, कितने छात्रों को शामिल किया गया और उसने आर्टाइल्स और अन्य के आयामों के अनुसार समावेश को कैसे प्रभावित किया, आदि बातों की पहचान करना चाहते थे। यह समझते हुए कि सीखने की प्रक्रिया केवल विद्यालय में ही नहीं होती है, उन्होंने इस बारे में भी सोचा कि छात्रों की घरेलू स्थिति उनकी पढ़ाई को कैसे प्रभावित करती है। श्री शर्मा ने अपने नियोजन में मदद के लिए उस डेटा का उपयोग किया जो उन्होंने इकाई अपने विद्यालय को सुधारने के लिए विविधता पर डेटा का उपयोग करना में एकत्र किया था।
A | B | C | D | E |
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# | विविधता का प्रकार | छात्रों का प्रतिशत | विद्यालय और घर पर सीखने में प्रतिशत पहुँच, स्वीकृति, प्रतिभागिता और उपलब्धि का अनुमान | कार्यवाहियाँ, हस्तक्षेप या वह स्टाफ जिसके साथ सहयोग किया जाना है |
1 | लड़के | 80 | 90%: लड़कों को उनकी कमाने की क्षमता का निर्माण करने के लिए प्रगति और विकास के अवसर प्रदान किए जाते हैं, वे प्रायः कक्षा में सामने बैठते हैं और पुरूष शिक्षक विशेष तौर पर उनका साथ देते हैं | |
2 | लड़कियाँ | 20 | 30%: लड़कियों की शिक्षा को ऐसे निवेश के रूप में नहीं देखा जाता है जो परिवार को लाभ प्रदान करेगी; वे नियमित रूप से उपस्थित नहीं होती हैं और हो सकता है उनके पास कागज और कलम जैसे उपकरण न हों | |
3 | सीखने में निःशक्त | 3 | 20%: इन बच्चों के लिए उपयुक्त रणनीतियों वाले शिक्षकों की मदद करने के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं; उनकी कठिनाइयाँ बहुत देर हो जाने तक या माता पिता के लज्जित होने तक सामने नहीं आती हैं | |
4 | सामाजिक–आर्थिक वर्णक्रम का ऊपरी बैंड | 15 | 60%: परिवार ट्यूशन के रूप में सहायता खरीदते हैं; कुछ छात्र जानते हैं कि वे पारिवारिक व्यवसाय संभालेंगे और इसलिए प्रेरणाहीन होते हैं; छात्रों के पास सीखने में मदद के लिए घर पर किताबें और कागज, तथा संभवतः प्रौद्योगिकी | |
5 | सामाजिक–आर्थिक वर्णक्रम का निचला बैंड | 85 | 40%: पढ़ने और लिखने के लिए बहुत थोड़ी घरेलू सहायता; खेतों और घर के कामकाज में मदद की अपेक्षा; कम हाजिरी; मातापिता की संलिप्तता का अभाव; सीखने की सामग्रियों और संसाधनों का अभाव | |
6 | शारीरिक रूप से निःशक्त | 2 | 30%: निःशक्त लोगों की शिक्षा को परिवार के लिए लाभप्रद निवेश के रूप में नहीं देखा जाता है; पहुँच में सहायता के लिए भौतिक पर्यावरण में कोई अनुकूलन नहीं; विद्यालय और समुदाय में अन्य स्थानों तक जाने में कठिनाई | |
7 | विद्यालय में मुस्लिम छात्र | 10 | 50%: शिक्षा को महत्व दिया जाता है लेकिन उसे शिल्पकला सीखने और धार्मिक शिक्षा के साथ स्पर्धा करनी पड़ती है; लड़कियों में एक अच्छी पत्नी बनने से परे शिक्षा में नगण्य रुचि | |
8 | हिंदू | 60 | 80%: लड़कों के लड़कियों की अपेक्षा परिवार से सहायता प्राप्त करने की अधिक संभावना होती है | |
9 | वंचित समुदाय (एससी/एसटी)* | 30 | 40%: घरेलू सहायता में पहुँच की कमी; खेतों और घर के कामकाज में मदद की अपेक्षा; अल्पपोषित और ऊर्जा का अभाव होना; आत्मविश्वास की कमी |
श्री शर्मा की तालिका का उपयोग करते हुए, अपने विद्यालय के लिए अपनी सीखने की डायरी (या संसाधन 2 में दिए गए टेम्प्लेट का उपयोग करें) में ऐसी ही एक तालिका बनाएं। इस बारे में विविध प्रकार की अवधारणाएं और परिप्रेक्ष्य पाने के लिए कि विद्यालय के अलग अलग क्षेत्रों में छात्र कैसे अनुभव करते और हासिल करते हैं, इस गतिविधि को स्टाफ के एक समूह के साथ पूरा करना उपयोगी साबित हो सकता है।
पहले कॉलम में, विविधता के अलग अलग प्रकारों को सूचीबद्ध करें जो आपने या तो अपने विद्यालय में आने वाले छात्रों में देखे हैं या इकाई अपने विद्यालय को सुधारने के लिए विविधता पर डेटा का उपयोग करना में डेटा विश्लेषण के माध्यम से पहचाने हैं। आप चाहें तो निम्नलिखित कारकों पर विचार कर सकते हैं:
यदि आपने इकाई पूरी कर ली है अपने विद्यालय को सुधारने के लिए विविधता पर डेटा का उपयोग करके, तो आप डेटा का उपयोग करके कॉलम बी और सी को पूरा, और कॉलम डी को शुरू कर सकते हैं। अनुमान का उपयोग चित्र का निर्माण करना शुरू करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन आपको आगे जाँच– पड़ताल करने से पहले इनसे निष्कर्ष निकालने के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए।
कॉलम डी आपको यह सोचना शुरू करने की अनुमति देता है कि अलग अलग समूह कैसे पहुँच प्राप्त करते हैं, स्वीकार किए जाते हैं, सीखने में भाग लेते हैं और हासिल करते हैं। यह केवल प्रारंभिक प्रतिक्रिया हो सकती है और आपको समय के साथ इन मुद्दों को अधिक पूर्णता से पहचानने के लिए अपने स्टाफ के साथ सहयोगात्मक ढंग से काम करना होगा।
कॉलम ई (जिसे श्री शर्मा के टेम्प्लेट में अब तक पूरा नहीं किया गया है) आपके विद्यालय में समावेश के मुद्दों को संबोधित करने के चरणों के बारे में सोचना शुरू करने में आपकी मदद करेगा। यह अंतिम कॉलम आपको अपने द्वारा पहचाने गए मुद्दों को संबोधित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के लिए आपके मन में आने वाले किसी भी विचार के बारे में नोट्स बनाने की अनुमति देता है।
श्री शर्मा द्वारा प्रयुक्त श्रेणियाँ उनके विद्यालय से संबंधित हैं। उन्होंने प्रत्येक श्रेणी के बारे में कुछ सामान्यीकरणों तक पहुँचने के लिए बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों को देखा। उन्होंने केवल हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग किया और हो सकता है की कभी और अन्य धार्मिक समूहों की विशेषताओं पर नज़र डाली हो।
चर्चा
आपने श्री शर्मा की सूची देखी होगी और आपको पता चला होगा कि समुचित रूप से समृद्ध परिवार से आने वाले हिंदू पुरूष छात्र को सीखने तक पहुँच प्राप्त करने का सर्वोत्तम मौका मिलता है। क्या आपकी तालिका में भी ऐसा ही है? यह संभवतः स्पष्ट है कि यदि महिला छात्र आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके, अल्पसंख्यक समुदाय या अनुसूचित जनजातियों और जातियों से हैं तो उनके पास सीखने के कम अवसर होते हैं । यदि उसमें कोई शारीरिक निःशक्तता है, तो हो सकता है वह कभी विद्यालय ही न जा पाए। यह बात दोहरी या तिगुनी असुविधा के विचार का परिचय देती है, और आपको एक से अधिक श्रेणी में आने वाले छात्रों के बारे में सतर्क रहना चाहिए।
आपको यह बात नोट करने में दिलचस्पी हुई होगी कि श्री शर्मा ने आसान धारणा नहीं बनाई कि उन्हें ‘सुविधाप्राप्त’ प्रतीत होने वाले समूह के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है – नोट करें कि (उच्चतर सामाजिक–आर्थिक स्थिति वाले) चौथे समूह में शिक्षार्थियों के संबंध में उन्होंने क्या पहचान की है:वे चिंतित थे कि हो सकता है कि छात्र सीखने में शामिल न हों, जो कि शिक्षक के लिए चिंता की बात है। साथ ही, यह तालिका यह तथ्य नहीं प्रदर्शित करती है कि छात्र अनेकों समूहों में शामिल हो सकते हैं – उनकी रूपरेखा में बहुआयामीयता होगी। इसलिए यह बात स्वीकार करना आवश्यक है कि यदि आप (उदाहरण के लिए)
छात्राओं को एक समूह में रखते हैं, तो वह बहुत असमान होगा और यही बात विशिष्ट धार्मिक पहचान से युक्त माने गए समूह के साथ भी होगी। यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्तियों को समहू के भीतर देखा जाय और विद्यालय की शिक्षण प्रक्रिया के भीतर उनकी विशिष्ट स्थिति की पहचान की जाय।
इस बात की सर्वाधिक संभावना है कि आप दो या तीन मुद्दों को छात्रों के सीखने के नतीजों पर सबसे अधिक प्रभाव डालते हुए पहचानेंगे, और वे आपके प्राथमिकता वाले क्षेत्र बन जाएंगे। हो सकता है आपने इनकी पहचान इकाई अपने विद्यालय को सुधारने के लिए विविधता पर डेटा का उपयोग करना में कर ली हो और इन्हें संबोधित करने के लिए अपने स्टाफ के साथ सहयोगात्मक रूप से रणनीतिक योजना विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी हो। लेकिन यह महसूस न करें कि हर कार्यवाही के लिए बड़ा कदम उठाना पड़ता है; शुरू में आप बहुत आसान परिवर्तन कर सकते हैं, जैसे कक्षा में बैठने की व्यवस्था।
डेटा का उपयोग करके और प्राथमिता क्षेत्र पहचानकर आप अपने स्टाफ के साथ पाठ्यचर्या में परिवर्तन करने के तरीकों, अध्यापन की रणनीतियों, सहायता प्रणालियों या यहाँ तक कि यह बात समझने में सहयोग करना शुरू कर सकते हैं कि अधिक समावेशी सीखने के पर्यावरण की रचना करने के लिए छात्र, शिक्षक और समुदाय के अन्य वयस्क कैसे अंतर्क्रिया करते हैं।
OpenLearn - सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का परिवर्तन: आपके विद्यालय में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.