इस इकाई में पीछे दिए गए बल क्षेत्र विश्लेषण पर ज़रा फिर से नज़र डालें। आप देखेंगे कि उसमें परिवर्तन के बल और विरोधी बल यानी परिवर्तन के रास्ते की बाधाएं मौजूद हैं। किसी परिवर्तन को सफल रूप से क्रियान्वित करने के लिए या तो सकारात्मक परिवर्तन के बलों को बढ़ाना या शक्तिशाली बनाना होगा, या फिर परिवर्तन की बाधाओं को घटाना या समाप्त करना होगा – या फिर दोनों कार्य करने होंगे।
केस स्टडी 5 में श्री अग्रवाल द्वारा अपनाई गई पद्धति पर फिर से नज़र डालें। अपनी सीखने की डायरी में सूची बना कर लिखें कि कौन से कार्य सकारात्मक बलों को शक्तिशाली बनाने के लिए थे और कौन से बाधाओं को घटाने के लिए।
चर्चा
प्रेरक बलों को शक्तिशाली बनाने के लिए, श्री अग्रवाल के दल ने अभिभावकों को संलग्न किया और अध्यापकों को उनके नियोजन कार्य में मदद देने के लिए सहयोगी कार्य को बढ़ावा दिया। बाधाएं घटाने के लिए श्री अग्रवाल ने परिवर्तन दल में एक सर्वाधिक प्रतिरोधी अध्यापक को शामिल किया। उन्होंने विद्यार्थियों के दृष्टिकोण के बारे में और जानकारी जुटाई और समकक्ष समीक्षा एवं स्व-समीक्षा के क्रियान्वयन में अध्यापकों की मदद की।
श्री थापा एक कर्तव्यनिष्ठ अध्यापन विद्यालय प्रमुख थे जिन्होंने राज्य के शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ( RTE ) के कार्यान्वयन के विवरणों की पुष्टि करने वाली एक बैठक में भाग लिया था। इस विवरण में अगले वर्ष समूह में प्रोन्नति को रोकने पर लगाया गया प्रतिबंध भी शामिल था। जब वे विद्यालय लौटे तो उन्हें पता था कि स्टाफ़ की प्रतिक्रिया क्या होगी , और वे चाह रहे थे कि हाथ उठाएं और कहें ‘ क्या करें ’ – ‘ यह मेरा दोष नहीं ; हमें खराब कार्यों से भी अधिकतम लाभ निकालना ही होता है !’
उनका मानना था कि इस प्रतिबंध को शामिल करना सही था , और उन्होंने सप्ताहांत में इस बारे में काफी परिकल्पना की कि पहली स्टाफ बैठक में क्या करना है। सप्ताहांत के दौरान मीडिया को RTE के प्रस्तुत होने की जानकारी हो चुकी थी और हर कोई इसे लेकर बेचैन था कि इसका क्या अर्थ होगा। जब सोमवार को उनकी बैठक शुरू हुई तो जबर्दस्त शोर - शराबे ने उनका अभिवादन किया। स्टाफ उनके कार्य को और कठिन बना देने वाले के बारे में अपनी भड़ास निकाल देना चाहता था। श्री थापा ने एक बड़ा ही साधारण सा कदम उठाया। उन्होंने स्टाफ को RTE के बारे में बताया , उसके कुछ लाभ बताए कि इससे विद्यार्थियों को क्या लाभ होंगे , आने वाली पीढ़ी की आकांक्षाओं को क्या लाभ होंगे और दीर्घकाल में अध्यापकों को छोटी आकार की कक्षाओं के रूप में क्या - क्या लाभ होंगे। उन्होंने किसी पर भी दोषारोपण नहीं किया। बैठक के अंत में उन्होंने जो कहा उससे स्टाफ रुक कर सुनने और सोचने पर मजबूर हो गया।
[श्री थापा ने स्टाफ से कहा], मैं जानता हूँ कि मैं आप सब जितने पाठ नहीं पढ़ाता, पर मैं रोज़ाना पढ़ाता तो हूँ, और इसलिए मैं समझ सकता हूँ कि आप क्यों खिन्न हैं। पर यदि हम सच्चाई से सोचें, तो हममें से कितने ऐसे हैं जो विद्यार्थियों को रोके रखने के लिए दिन के आखिर तक रुकते हैं? और प्रोन्नत नहीं किए जाने की धमकी ने कब किसी विद्यार्थी को आलसी या शरारती होने से रोका है? आपकी बात सुनकर, मुझे लगता है कि आपकी चिंताएं इसे लेकर भी हैं कि हम कैसे हमारे विद्यार्थियों को सफल होने में मदद दे सकते हैं – और हाँ, निश्चित रूप से, हम यह पक्का करने के लिए क्या कर सकते हैं कि शरारती विद्यार्थी और ज्यादा कठिन न बन जाएं। आज जब मैं अपने नियमित दैनिक भ्रमण पर गया, तो मैंने देखा कि कुछ ऐसे पाठ हैं जिनमें विद्यार्थी हमेशा रुचि लेते हैं, उनमें व्यवहार शायद ही कभी कोई समस्या बनता है और जिनमें विद्यार्थी चीजों को सीख रहे हैं। सरकार जो भी कहे पर वह जारी रहेगा।
आज के दिन ने मुझे याद दिलाया कि मेरा मुख्य कार्य अपने कार्यालय में बैठ कर फॉर्म भरना नहीं है। आज मैं चाहता हूँ कि हम सब अपने बीच इस बात पर एक चर्चा शुरू करें कि कैसे हम अपनी कक्षाओं को अधिक रोचक बनाएं, विद्यालय के उन शिक्षकों से कैसे सीखें जो मुझे और विद्यार्थियों, दोनों को प्रेरित करते हैं, भले ही उनमें कितने भी विद्यार्थी हों, और हम हमारे और यह पता करें कि उनके गुणों को बाकी सभी से कैसे साझा किया जाए। और – सबसे महत्वपूर्ण बात – स्वयं विद्यार्थियों को यह पता करने में कैसे संलग्न किया जाए कि ज्ञानार्जन को अधिक आनंददायक तथा अध्यापन को अधिक उत्पादक बनाने में उनकी जिम्मेदारियां क्या-क्या हैं।
अपनी सीखने की डायरी में, वे कौशल एवं व्यवहार सूचीबद्ध करें जिनका उपयोग श्री थापा ने अपने स्टाफ को उनकी मदद के लिए प्रोत्साहित करने में किया। इस बारे में सोचें कि कैसे उन्होंने नेतृत्व प्रदर्शित किया, पर साथ ही यह भी सोचें कि दूसरों को अपने अनुसरण हेतु प्रेरित करने के लिए उन्होंने किन कौशलों और व्यवहारों का उपयोग किया। इस बारे में सोचें कि आप भी किस हद तक इन कौशलों का उपयोग करते हैं, और किन कौशलों को आप और विकसित करने के बारे में परिकल्पना कर सकते हैं।
चर्चा
श्री थापा सकारात्मक और आशावादी थे और उन्होंने आगे का रास्ता देखने में स्टाफ की मदद की। वे व्यावहारिक मुद्दों पर अटकने की बजाए RTE की परिकल्पना को और उसके अभीष्ट परिणामों को देखने में स्टाफ की मदद कर सके। उनके विद्यालय में जो हो रहा था उसकी जिम्मेदारी उन्होंने अपने सिर पर ली और किसी अन्य पर दोषारोपण करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने दिखाया कि वे अध्यापकों के सामने मौजूद व्यावहारिक मुद्दों को समझते हैं, पर उन्होंने विद्यालय के मौजूदा अच्छे कार्याभ्यासों को आगे बढ़ाते हुए अध्यापकों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। उन्होंने स्टाफ की चिंताएं समझीं और मुद्दों को ‘मैं एक स्टाफ विरोधी नेता’ के रूप में व्यक्तिगत नहीं बनने दिया। उन्होंने विश्लेषण और शोध करने की तथा उनके स्टाफ के लिए आगे बढ़ने का जो सबसे अच्छा रास्ता है उस पर गंभीरता से चिंतन करने की योग्यता दिखाई।
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