जब परिकल्पना की दिशा में बढ़ने के लिए कार्यों की पहचान हो जाए तो विद्यालय नेतृत्व टीम की जिम्मेदारी है कि वह उन कार्यों पर नज़र रखे और सुनिश्चित करे कि वे विद्यालय को सुधार के पथ पर अग्रसर करें। समीक्षा और नियोजन की नेतृत्व इकाइयों में, आपको प्रोत्साहित किया जाएगा कि आप नियोजन करना, कार्य करना और समीक्षा करना, इन को तीन चरणों के चक्र की दृष्टि से सोचें। सभी कार्यों की निगरानी होनी चाहिए और अगले वर्ष की नई योजना की तैयारी को सुनिश्चित करने के लिए प्रमाण एकत्र किए जाने चाहिए।
इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, समय-समय पर यह आवश्यक होगा कि अपने परिकल्पना वक्तव्य को फिर से देखा जाए और सुनिश्चित किया जाए कि वह ‘उद्देश्य हेतु उपयुक्त’ बना हुआ हो। जैसे-जैसे विद्यालय में सुधार होगा या सरकारी नीतियां बदलेंगी, वैसे-वैसे नई प्राथमिकताएं उभरेंगी और आपको अपनी परिकल्पना में समायोजन करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
विद्यालय नेतृत्व के लिए समाज और अपने अध्यापकों के साथ प्रभावी रूप से कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों से आप जो करवाना चाहते हैं उनसे वह कार्य करवाने के लिए थोड़े कौशल और समझाने-बुझाने की आवश्यकता हो सकती है। परंतु स्पष्ट और सर्वसम्मत परिकल्पना आपको हमेशा ही एक संदर्भ बिंदु प्रदान करेगा। यदि लोग इस बारे में सहमत न हों कि कौन से कार्य तत्काल आवश्यक हैं, तो उन पर परिकल्पना के परिप्रेक्ष्य में चर्चा की जा सकती है, और इससे प्राथमिकताएं स्पष्ट हो जाएंगी।
इस अंतिम केस स्टडी में, ध्यान दें कि श्री नागराजू परिकल्पना वक्तव्य बनाने तथा हितधारकों को उसकी निगरानी में जोड़ने से पहले कैसे मुख्य हितधारकों के साथ संबंध बनाते हैं।
श्री नागराजू को जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा स्थानांतरित कर एक छोटे से ग्रामीण माध्यमिक विद्यालय का नेतृत्व करने भेजा गया था। स्थानीय समाज की नज़र में विद्यालय का कोई विशेष सम्मान नहीं था क्योंकि पिछले विद्यालय प्रमुख ने उसके संसाधनों का गबन किया था। अगले विद्यालय नेता ने पाया कि समाज में जो अविश्वास का स्तर था वह बहुत ही तनावपूर्ण था और उसने मात्र दो वर्षों बाद वह नौकरी छोड़ दी। श्री नागराजू ने पाया कि विद्यालय के नेतृत्व का भार ग्रहण करने में उनका सामना एक बड़ी चुनौती से हुआ है।
अपने पहले सत्र में, श्री नागराजू ने सभी कुछ देखा और सुना। उन्होंने विद्यालय दिवस के दौरान विद्यालय में चहलकदमी की, प्रत्येक दिन की शुरूआत और अंत में विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ बातचीत की, और अध्यापकों एवं समाज के नेताओं की चिंताएं सुनीं। उन्होंने पाया कि लोगों का मनोबल बहुत गिरा हुआ था और वे इतने निराश थे कि परिकल्पना की प्रक्रिया को शुरू करना बहुत मुश्किल था।
उन्होंने निश्चय किया कि अध्यापकों को अपनी तरफ करना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने उनकी चिंताओं को सुना और उनके जीवन को आसान बनाने के प्रयास किये, उदाहरण के लिए अलमारियों में बंद उपकरणों को उपलब्ध कराया, भाषा के विकास के लिए अपने लैपटॉप पर शिक्षकों को अंग्रेजी में काटर्नू की पेशकश की और दसवीं कक्षा के उन छात्रों के लिए, जिनके घर पर बिजली नहीं थी, सौर लैंपों की व्यवस्था की ताकि वे शाम में अध्ययन कर सकें। उनके कार्यकाल के पहले साल के अंत तक, परीक्षा परिणामों में सुधार हुआ।
विद्यालय में उनके कार्यकाल के दूसरे वर्ष के दौरान मनोबल में सुधार आया। अध्यापकों ने श्री नागराजू के सहयोग की प्रशंसा की और स्थानीय जनता की स्कूल में रूचि लगातार बढ़ती गई। दूसरे वर्ष के पहले सत्र के दौरान, उन्होंने अनेक बैठकें आयोजित की, जिनके फलस्वरूप परिकल्पना वक्तव्य की पहचान हुई। उन्होंने वक्तव्य के साथ एक प्रतीक चिन्ह तैयार किया और इसे स्कूल के दरवाजों पर लगा दिया। अगले सत्र के अंत तक, अध्यापकों तथा एसएमसी ने अनेक प्राथमिकताओं की पहचान की और विकास योजना लागू की गई।
परिकल्पना वक्तव्य स्कूल के आदर्श वाक्य से अधिक महत्वपूर्ण हो गया, यह निगरानी के लिए एक औजार बन गया। एसएमसी के दो सदस्यों के साथ श्री नागराजू ने एक तिमाही बैठक आयोजित की। माता-पिता को इसमें निमंत्रित किया गया और उम्र में बड़े छात्रों ने अधिकांश कार्यक्रम आयोजित किए। श्री नागराजू ने इन बैठकों का प्रयोग केवल यह पता लगाने के लिए किया कि दूरस्थ छात्र और माता-पिता स्कूल के सभी मामलों में किस प्रकार से शामिल रहते हैं, क्योंकि परिकल्पना का केंद्रबिंदु भी यही था। उन्होंने विभिन्न मामलों पर प्रवेश तथा निर्गम मत-सर्वेक्षण के साथ, बोतलों के ढक्कनों का प्रयोग करते हुए विशेष मामलों में माता-पिता की राय जानने के लिए एक अनूठे तरीके की शुरूआत की। उदाहरण के लिए, यदि अभिभावक गृहकार्य के स्तर से संतुष्ट थे तो वे अंदर आते समय एक डिब्बे में बोतल का एक ढक्कन डाल देते, या अगर उन्हें लगता कि वह बहुत कम है तो एक बाल्टी में या फिर अगर वह बहुत ज्यादा है तो दूसरी बाल्टी में डाल देते। बाहर जाते समय, अभिभावक अपने बोतलों के ढक्कनों को (जिन्हें इस दौरान विद्यार्थियों ने गिन कर लिख लिया था) को आगामी वर्ष की प्राथमिकता के लिए वोट करने हेतु कई लेबल लगे डब्बों में से एक में डाल देते।
चित्र 4 मतदान व्यवस्था।
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