एक विद्यालय की परिकल्पना में प्रत्येक विद्यालय का अनूठा संदर्भ प्रकट होना चाहिए। लेकिन यह पृथक रूप में मौजूद नहीं हो सकता; इसमें चित्र 3 में दिखाए गए विस्तृत तत्व और प्रभावों को भी प्रकट किया जाना चाहिए।
चित्र 3 विस्तृत संदर्भ जिन्हें आपकी परिकल्पना को प्रभावित करना चाहिए।
राष्ट्रीय और राज्य के संदर्भ NCF-2005 और (RET-2011) द्वारा तय किए गए हैं। आपका कार्य अपने विद्यालय के लिए एक परिकल्पना विकसित करना है जो आपको अपने व्यक्तिगत संदर्भ के अंदर इन आशाओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।
श्रीमती चड्ढा लड़कियों के एक बड़े कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्य थीं। उन्होंने एक पाठ्यक्रम बनाया था जहां उन्हें एक विद्यालय परिकल्पना की आवश्यकता का एहसास हुआ। पाठ्यक्रम के दौरान उन्हें विभिन्न परिकल्पनाओं से अवगत कराया गया, उन्होंने बहुत से विद्यालय प्रमुखों से उनकी परिकल्पनाओं पर बात की और वे बहुत से विचारों से प्रभावित हुईं। उन्होंने चर्चाओं में हिस्सा लिया और वे अपने विद्यालय के लिए परिकल्पना को लेकर स्पष्ट हो गईं।
वे उत्साह के साथ लौटीं और अपने कर्मचारियों, अभिभावकों और समुदाय को अपने विद्यालय के लिए नई दिशा के बारे में बताने के लिए आतुर थीं। उन्होंने महसूस किया कि उनका विद्यालय अपने अधिक सक्षम विद्यार्थियों के लिए अच्छा काम कर रहा था, लेकिन वह सभी विद्यार्थियों को समान तौर पर सम्मिलित नहीं कर रहा था और सीमित साक्षरता कौशल के साथ आने वाले बहुत से विद्यार्थी विद्यालय में खुश नहीं थे और अच्छा नहीं कर रहे थे। उन्होंने सोचा कि परिकल्पना निम्नांकित होनी चाहिए: ‘एक विद्यालय जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी सफल हो’।
उन्होंने बहुत सी बैठकें बुलाईं और अपनी परिकल्पना को साझा किया। बैठकों के बाद कम चर्चा और कम परिवर्तन हुआ, वैसे कुछ अभिभावक और कर्मचारियों ने निजी तौर पर विद्यालय के परिणाम नीचे जाने के खतरे के बारे में बात की क्योंकि शिक्षक ऐसे छात्रों पर समय बर्बाद कर रहे थे जो कभी सफल नहीं हो सकते थे। परिकल्पना से विद्यालय में कोई अंतर आता नहीं दिखा था और कुछ सप्ताह के बाद, श्रीमती चड्ढा ने महसूस किया कि उसे शिक्षकों, अभिभावकों या छात्रों ने नहीं अपनाया था और उससे कुछ तनाव पैदा हुए थे।
अपने सीखने की डायरी में इन प्रश्नों के लिए अपने उत्तर लिखें:
चर्चा
श्रीमती चड्ढा का वक्तव्य NCF- 2005 के मूल्यों से सुसंगत है। बहुत ही अलग अलग लोगों के साथ बैठकें करने के बारे में वे सही थीं, लेकिन बातचीत की कमी का अर्थ है कि माता-पिता और शिक्षकों के पास स्वयं की उचित परिकल्पना की कमी है। सिर्फ परिकल्पना ही अपने आप में पर्याप्त नहीं होती है। परिकल्पना को बांटकर कर्मों में ढालना पड़ता है, उसे व्यावहारिक रूप देना पड़ता है।
श्री सिंह ने नेतृत्व विकास कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अपने विद्यालय के लिए परिकल्पना को तैयार करने में उन्होंने विद्यालय प्रमुख की भूमिका को तय करने में पूरा दिन बिताया। उन्होंने अन्य विद्यालय प्रमुखों/प्रधानाध्यापकों से उनके विद्यालय की परिकल्पना के बारे में उनके विचार जानने के लिए बात की। जब उन्होंने अपने विद्यालय में प्रवेश किया तभी उन्हें उस दिन के संदेश के बारे में पता चला।
आमतौर पर, श्री सिंह अपने प्रशासनिक कर्तव्यों को निर्वाह करने के लिए सीधे अपने कार्यालय में चले जाते हैं। उस दिन उन्होंने अपना बैग रखकर और आवश्यक संदेश पढ़कर विद्यालय का चक्कर लगाने से थोड़ा कुछ अलग किया। वे अक्सर कक्षा में जाते थे, लेकिन आमतौर पर शिक्षकों के साथ बात करते थे या किसी छात्र को अनुशासित करते थे। आज, वे एक उद्देश्य से, सवालों के जवाब देने के लिए चहलकदमी कर रहे थे: ‘मैं पिछले 11 महीनों से किस प्रकार का विद्यालय चला रहा हूँ और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा को विकसित करने के लिए हम कितने प्रभावी है?’ उस दिन और सप्ताह के बाकी दिन वे कम बार ही अपने कार्यालय में गए। बीच की छुट्टी के दौरान वे विद्यार्थियों के साथ बैठकर बातें करते। दिन के अंत में वे विद्यालय के गेट पर खड़े होकर अभिभावकों से बातें करते।
उनके लौटने के बाद दूसरे दिन उन्होंने अपने स्टाफ को एकसाथ बुलाया। उन्होंने विद्यालय के लिए परिकल्पना की आवश्यकता होने के बारे में स्पष्ट रूप से बात नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने सबको बताया कि अब वे निश्चित तौर पर जान चुके हैं कि अगर विद्यालय को सुधारना है तो पहला कदम यह होगा कि सबको यह पता होना चाहिए कि विद्यालय की शक्तियों और कमज़ोरियों के मद्देनज़र और विशेषरूप से ‘सीखने के लिए शिक्षा के इस विद्यालय के मुख्य उद्देश्य पर आधारित क्या करने की आवश्यकता है।
वे जहां भी जाते उनकी मौजूदगी का असर तुरंत दिखाई देता। लेकिन उनका लगातार यही सवाल था – ‘आपको किस बात पर गर्व है और हम क्या और अच्छा कर सकते हैं ?’ - यह ऐसे किसी ताले में चाबी घुमाने जैसा था जिसे कभी खोला ही न गया हो।
SMC के अध्यक्ष उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में पूछने के लिए विद्यालय में आए। एक घंटे के बाद, उन्होंने श्री सिंह को अपने गांव आमंत्रित किया ताकि कुछ स्थानीय समुदायों से वे विद्यालय के बारे में क्या सोचते हैं और उनकी विद्यालय से क्या अपेक्षाएं है इसके बारे में बात की जा सके।
उस हफ्ते के अंत में, श्री सिंह को लगा कि उन्होंने अपने निरीक्षणों और चर्चाओं से अपने विद्यालय के बारे में पिछले 11 महीनों में प्राप्त हुई जानकारी से अधिक जानकारी हासिल की है।
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