हालांकि, पीएलडी को प्रायः बनाया तथा उसका प्रबंध किया जाता है, यह औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से किया जा सकता है। इसे व्यक्तिगत रूप से, छोटे समूहों में या बड़े पैमाने पर किया जा सकता है, और इसमें क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च परिपाटी पर चिंतन-मनन, मार्गदर्शन और समकक्ष प्रशिक्षण जैसे तरीके शामिल हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि अनौपचारिक सीखने की प्रक्रिया को आपके विद्यालय में सुसंरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के रूप में महत्व और मान्यता दी जाए ताकि सुनिश्चित हो कि विकास के अवसरों की पूरी शृंखला का उपयोग हो सके।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) – टीवी, रेडियो और इंटरनेट सहित – ज्ञान सुलभ कराने, या महत्वपूर्ण और नई जानकारी के वृहत्प्रसार के लिए उपयोगी है। आईसीटी संबंधित विशेषज्ञों के साथ संपर्क करने और जानकारी प्राप्त करने में भी आपके शिक्षकों की मदद करेगी। इंटरनेट आप और आपके स्टाफ को मुफ्त संसाधनों (जिनमें से कई, TESS INDIA सहित, ओईआर के रूप में ऑनलाइन वितरित किए जाते हैं) और नेशनल कौंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में सेंट्रल इनस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी (CIET) द्वारा समन्वयित मुक्त शैक्षिक संसाधन के राष्ट्रीय भंडार (एनआरओईआर) का उपयोग करके आपके विद्यालय में व्यावसायिक विकास में लगाने का अवसर प्रदान करता है। इन ऑनलाइन संसाधनों के लिए लिंक इस इकाई के अंत में पाए जा सकते हैं।
कक्षाओं में पीएलडी गतिविधियों को अध्यापन और सीखने की प्रक्रिया को सुधारने का प्राथमिक साधन होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों को अपनी कक्षा की परिपाटी पर चिंतन करने और उसे सुधारने के लिए समय और जगह दी जाय। सभी शिक्षक, चाहे वे कितने ही प्रभावी क्यों न हों, दूसरों की अच्छी परिपाटी को देखकर बहुत कुछ सीखेंगे। यह प्रायः विद्यालय में ही उपलब्ध लेकिन ‘अदृश्य’ हो सकता है यानी हो सकता है स्टाफ को पता न हो कि किसे देखना चाहिए या किसकी परिपाटी से वे लाभान्वित हो सकते हैं। इस तरह नेतृत्व की प्रायः ‘अदृश्य’ उत्तम परिपाटी को स्टाफ के लिए अधिक दृश्य बनाने और इस प्रकार अन्य लोगों के लिए उसे मूल्यवान बनाने में मदद करने का वाहक बनना शामिल हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि आप समझें कि विद्यालय में उत्तम परिपाटी कहाँ विद्यमान है और आप इसका उपयोग सारे शिक्षक समुदाय के लाभ के लिए करने में सक्षम हों। इस प्रक्रिया में पहला कदम है हर एक शिक्षक की अपनी परिपाटी के बारे में प्रभावशाली सीखने वाला बनने में मदद करना और उसे सुधारने के लिए कदम उठाने में सशक्त महसूस करना।
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे शिक्षक कक्षा में सीख सकते हैं, जिनमें से सभी स्थिति अनुसारन अधिगम प्रक्रिया (सिचुएटेड लर्निंग) पर आधारित हैं – जहाँ शिक्षक या तो कुछ नई चीज आजमाता है या किसी ऐसी चीज को अनुकूलित करता है जो वह पहले से करता आया है। शिक्षकों को स्वयं के लिए नई अवधारणाओं को आजमाने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास की जरूरत होती है, और स्वीकार करना होता है कि वह कभी-कभी गलत हो सकती है; फिर उन्हें यह सोचने के लिए अवसर की आवश्यकता होती है कि क्या हुआ था और वह गलत क्यों हुआ, ताकि वे अपने काम को आगे संशोधित कर सकें। स्थिति अनुसारन अधिगम (सिचुएटेड लर्निंग) को कई तरीकों से आयोजित और समर्थित किया जा सकता है; ये तरीके नीचे सूचीबद्ध हैं।
क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च, जहाँ शिक्षक दिलचस्पी या चिंतन के किसी विशिष्ट क्षेत्र को जानने का निश्चय करता है, अपने काम को विकसित करने के लिए कक्षा में नया तरीका आजमाता है, तथा छात्रों के व सीखने पर उसके प्रभाव पर विचार करता है, और फिर समीक्षा करता है कि आगे क्या किया जाना है। क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च चक्रीय होता है, क्योंकि अगले कदमों को पहचानने का अंतिम चरण अगली नई अवधारणा का अन्वेषण करने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है (देखें संसाधन 3)।
TESS- INDIA विषय इकाइयाँ अध्यापकों को अपने अध्यापन और छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के अलग अलग पहलुओं पर मिलकर या वैयक्तिक रूप से काम करने के कई अवसर प्रदान करती हैं। TESS-INDIA मुख्य संसाधन निम्नलिखित विषयों पर विकास गतिविधियों के लिए बढ़िया संर्दभ बिंदु भी प्रदान करते हैं:
आप देखेंगे कि सीखने के इन सभी उदाहरणों में, शिक्षक (अकेले या सहकर्मियों के साथ मिलकर) विकास के क्षेत्र की पहचान करता है और फिर सीखने के नियोजन और संलग्नता में शामिल होता है। दूसरे शब्दों में, यह ऐसा कुछ नहीं है जो उन पर किया जाता है, बल्कि ऐसा कुछ है जो उन्हें स्वयं में सुधार करने के लिए सशक्त करता है। इसका यह मतलब नहीं है कि एक नेता के रूप में आपके पास विकास से संबंधित जरूरतों को दिखाने या सुझाने का अवसर नहीं है, लेकिन यह काम मिलकर सीखने में सहभागिता और आपसी सहयोग करने की भावना के साथ किया जाना चाहिए। एक विद्यालय प्रमुख होने के नाते आप शिक्षकों और छात्रों, दोनों के सीखने में सक्षमकारक के रूप में काम करते हैं।
गतिविधि 2 में श्रीमती गुप्ता के बारे में अपने विचार से उपरोक्त पाँच प्रकार की पीएलडी अधिगम प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए उन पीएलडी गतिविधियों का चुनाव करें जो श्रीमती गुप्ता कर सकती है। आप चाहें तो उनके लिए सक्रिय शिक्षण, परिपाटी पर चिंतन, वैयक्तिक शिक्षा, सामूहिक शिक्षण के भाग के रूप में शिक्षा, और/या किसी समकक्ष या विद्यालय प्रमुख द्वारा प्रशिक्षण के विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। केस स्टडी के लिए आपके पास उपलब्ध जानकारी की सीमित मात्रा से लाचार न महसूस करें: जब आप उनके विकास के तरीके सुझाएं तब आप उसे विस्तृत कर सकते हैं, या वे आपको किसी सहकर्मी की याद दिला सकती हैं, इसलिए आप यह गतिविधि उस व्यक्ति और अपने विद्यालय को ध्यान में रखते हुए कर सकते हैं।
अपनी अधिगम की डायरी में किसी उपयुक्त गतिविधि के बारे में कुछ नोट्स बनाएं।
चर्चा
आपने संभवतः श्रीमती गुप्ता द्वारा विद्यालय में अपने कौशलों को विकसित करने के लिए कई अवसरों के बारे में सोचा है। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आपने सुझाया हो कि वे किसी अधिक आश्वस्त शिक्षक का अवलोकन करें, विज्ञान के वे कठिन पाठ पढ़ाएं, या कि ज्ञान के अंतरों को भरने के लिए किसी विज्ञान के शिक्षक द्वारा प्रशिक्षित की जाए। संभव है आपने यह भी सुझाव दिया हो कि अगले सत्र में विद्यालय में एक नृत्य सप्ताह आयोजित होना चाहिए जिसमें पाठों को इस विषय के इर्दगिर्द तैयार किए जाए (शरीर रचना शास्त्र, साहित्य, ज्यामिति, संगीत आदि) और इसका नेतृत्व करने के लिए श्रीमती गुप्ता से कहा जाय। साथ ही, आप श्रीमती गुप्ता के किसी पाठ को देखने और फिर उन्हें कक्षा में सामने और पीछे बैठने वाले छात्रों की संलग्नता के विभिन्न स्तरों की रिपोर्ट देना तय कर सकते हैं।
बहुस्तरीय कक्षाओं की चुनौतियों और समाधानों के बारे में वार्तालाप को विस्तृत करके सारे स्टाफ को समूह के रूप में उसमें शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यह सभी के लिए विकास का अवसर हो सकता है। श्रीमती गुप्ता अपने आस-पास के सहकर्मियों का उपयोग करते हुए, चाहे काम करके या अपने खुद के समाधानों की खोज कर अपने विद्यालय के दिन के हिस्से के रूप में अपनी अध्यापन परिपाटी को ताज़ा और सशक्त बना सकती हैं तथा अपने छात्रों की अधिगम प्रक्रिया को समृद्ध कर सकती हैं। आपने यह भी नोट किया होगा कि श्रीमती गुप्ता प्रदर्शन की वस्तुएं बनाने में माहिर हैं और कि वे इन कौशलों को विकासित करने में अन्य शिक्षकों की मदद करने की भूमिका भी निभा सकती हैं। मुख्य बात है प्रेरणा और यही कारण है कि जरूरतों की पहचान करने और उन्हें पूरा करने के लिए योजना बनाने के लिए श्रीमती गुप्ता के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है – वे अधिक उत्साह से संलग्न होंगी यदि उन्हें उनकी क्षमताओं और जरूरतों के बारे में चर्चाओं में शामिल किया जाय और वे प्राथमिकताओं और अवसरों पर सहमत हों।
श्रीमती गुप्ता ऐसी शिक्षक हैं जिनके साथ काम करना खास तौर पर चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि वे विद्यालय में सुस्थापित हैं और इसलिए उनके लिए अपने पीएलडी में दिलचस्पी लेना आवश्यक नहीं है। लेकिन वे विश्वसनीय क्षमताओं से युक्त हैं जो विद्यालय के लिए उपयोगी हैं और जिनका सम्मान करना जरूरी है। उनके पीएलडी के बारे में वार्तालाप को क्षमताओं और जरूरतों को संबोधित करने के बीच संतुलित करना होगा – सभी जरूरतों को एक ही बार में संबोधित करना आवश्यक नहीं है।
आपके पास कई ऐसे शिक्षक होंगे जो सीखने और सुधार करने के अवसर का लाभ उठाते हैं और वे अपने पीएलडी में आपकी दिलचस्पी का स्वागत करेंगे।
एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आपने श्रीमती गुप्ता के लिए जरूरतों और अवसरों की पहचान करने के लिए काम किया है। अब आपको अपने खुद के स्टाफ और विद्यालय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसे एक या दो शिक्षकों के साथ काम करें जो अपने पीएलडी के बारे में उत्साही हो और सम्भावना है कि वे उनकी मदद करने में आपकी दिलचस्पी लेने से से प्रेरित होगें। प्रत्येक शिक्षक के लिए, गतिविधि 2 (संसाधन 1 के टेम्प्लेट का उपयोग करते हुए) और गतिविधि 3 (अवसरों की पहचान करना) में पहचानी गई प्रक्रिया में से गुजरें, और फिर योजना बनाने के लिए उनमें से प्रत्येक के साथ काम करें। संसाधन 4 में एक टेम्प्लेट है जिसका उपयोग आप योजना बनाने के लिए कर सकते हैं।
बहुत अधिक कार्यों का निर्धारण न करें; अधिकतम चार या पाँच ठीक रहेंगे। उन्हें बहुत अधिक जटिल न बनाएं क्योंकि आपको इसे अपने अन्य दायित्वों से साथ-साथ संयोजित करना होगा। याद रखें कि पीएलडी एक सतत प्रक्रिया है और इसलिए आपके शिक्षक साल दर साल विकास कर सकते हैं।
आप चाहें तो स्टाफ की बैठक में एक सत्र आयोजित कर सकते हैं जिसमें इस विचार का परिचय दे सकते हैं और पहली पीएलडी चर्चाओं के लिए स्वैच्छिक व्यक्तियो से पूछ सकते हैं, या आप चाहें तो इसे अनौपचारिक ढंग से कर सकते हैं। लेकिन किसी भी तरीके से, आपको एक योजना बनानी होगी कि आपके विद्यालय के समस्त स्टाफ के लिए पीएलडी की प्रणाली आप कैसे शुरू करेंगे। आप इसे आगे ले जाने में मदद करने के लिए दो स्वैच्छिक व्यक्तियो चुन सकते हैं। आपके द्वारा बनाई गई योजना में चुनौती का तत्व होना चाहिए, ताकि वह शिक्षक को अपनी क्षमता से अधिक करने को प्रोत्साहित करे और इस तरह नई दिशा प्रदान करे। लेकिन योजना को वास्तविक समय के ढांचे में साध्य और व्यवहार्य भी होना चाहिए। यह आवश्यक है कि हर लक्ष्य सभी छात्रों के लिए सीखने के परिणामों को सुधारने के उद्देश्य पर आधारित हो।
चर्चा
ऐसी विधि के विद्यालय की आम परिपाटी में शामिल हो जाने के बाद, पीएलडी का समग्र विचार स्थापित हो जाएगा, और तब विद्यालय में हर व्यक्ति अपने आप को सह-विद्यार्थी के रूप में देखने लगेगा। अपने विद्यालय में पीएलडी की सामान्य समझ से, आप अवसरों की तलाश करने के लिए जोड़ियों या समूहों के लिए चर्चाएं प्रत्यायोजित कर सकेंगे, ताकि विशेषज्ञता को साझा करने और सह-विकास की संस्कृति का विकास हो सके। यदि न केवल शिक्षक, बल्कि स्टाफ के हर सदस्य को अपने खुद के विकास में शामिल किया जा सकता हो, तो छात्र भी समझेंगे कि सारे जीवन भर सीखना कितना महत्वपूर्ण होता है। यह विद्यालय के चरित्र में परिवर्तन करता है।
OpenLearn - सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का परिवर्तन: शिक्षकों के व्यावसायिक विकास का नेतृत्व करना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.