एक समय की बात है, एक गाँव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। दोनों बच्चे न होने के कारण दुःखी थे। हर दिन, वे इसी उम्मीद में प्रार्थना करते थे कि एक न एक दिन उनके घर बच्चा जन्म लेगा। अंततः उनको संतान का सुख प्राप्त हुआ। ब्राह्मण की पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन बच्चा साँप में परिवर्तित हो गया। हर कोई भयभीत था और लोगों ने उन्हें जितनी जल्दी हो सके, साँप से छुटकारा पाने की सलाह दी।
ब्राह्मण की पत्नी अटल रही और उसने किसी की बात नहीं मानी। वह बेटे के रूप में साँप को प्यार करती थी और इस बात की परवाह नहीं की कि उसका शिशु एक साँप है। उसने बड़े प्यार से साँप का पालन-पोषण किया। उसने यथा संभव उसे सबसे अच्छा भोजन खिलाया। उसने साँप के सोने के लिए एक डिब्बे में आरामदायक बिस्तर तैयार किया। साँप बड़ा हुआ और उसकी माँ उसे और भी ज़्यादा चाहने लगी। एक अवसर पर, उनके पड़ोस में एक विवाह समारोह संपन्न हो रहा था। ब्राह्मण की पत्नी ने अपने बेटे के विवाह के बारे में सोचना शुरू कर दिया। लेकिन एक साँप से कौन-सी लड़की शादी करना चाहेगी?
एक दिन, जब ब्राह्मण घर लौटा, तो उसने अपनी पत्नी को रोते हुए पाया। उसने पत्नी से पूछा, ‘क्या हुआ? तुम क्यों रो रही हो?’ उसने जवाब नहीं दिया और रोना जारी रखा। ब्राह्मण ने फिर से पूछा ‘बताओ, तुम्हारे दुःख का क्या कारण है?’ आख़िरकार उसने कहा, ‘मैं जानती हूँ आप मेरे बेटे को नहीं चाहते हैं। आप हमारे बेटे में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। वह बड़ा हो गया है। आप उसके लिए दुल्हन लाने की बात भी नहीं सोचते हैं।’ ब्राह्मण ऐसे शब्द सुन कर चौंक गया। उसने जवाब में कहा, ‘हमारे बेटे के लिए दुल्हन? क्या तुम्हें लगता है कि कोई लड़की एक साँप से शादी करेगी?’
ब्राह्मण की पत्नी ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसने अपना रोना जारी रखा। पत्नी को इस तरह रोते हुए देखकर ब्राह्मण ने अपने बेटे के लिए दुल्हन की तलाश में बाहर जाने का फ़ैसला किया। उसने कई जगह की यात्रा की, लेकिन ऐसी कोई लड़की नहीं मिली, जो साँप से शादी के लिए तैयार हो जाए। अंत में, वह एक ऐसे बड़े शहर में पहुँचा, जहाँ उसका एक दोस्त रहता था। चूँकि लंबे समय से ब्राह्मण की उससे मुलाक़ात नहीं हुई थी, उन्होंने एक दूसरे से मिलने का फ़ैसला किया।
दोनों दोस्त एक दूसरे से मिल कर बेहद ख़ुश हुए और साथ में अच्छा समय बिताया। बातचीत के दौरान, मित्र ने ब्राह्मण से पूछा कि वह देश भर की यात्रा क्यों कर रहा है। ब्राह्मण ने कहा, ‘मैं अपने बेटे के लिए दुल्हन की तलाश कर रहा हूँ।’ मित्र ने उन्हें और आगे जाने से मना किया और शादी के लिए अपनी बेटी का हाथ देने का वादा किया। ब्राह्मण चिंतित हुआ और कहा, ‘मेरे विचार में यह बेहतर होगा कि इस मामले में कोई निर्णय लेने से पहले तुम मेरे बेटे को देख लो।’
उनके मित्र ने यह कहते हुए मना किया कि वे उसे और उसके परिवार को जानते हैं, इसलिए ज़रूरी नहीं कि वे लड़के को देखे। उसने अपनी बेटी को ब्राह्मण के साथ भेजा ताकि वह उनके बेटे से विवाह कर सके। ब्राह्मण की पत्नी यह जान कर ख़ुश हुई और उसने तेज़ी से विवाह की तैयारी करना शुरू कर दिया। जब गाँव वालों को इस बात का पता चला, तो वे युवती के पास गए और उसे साँप से शादी न करने की चेतावनी दी। युवती ने उनकी बात सुनने से इनकार किया और ज़ोर देकर कहा कि वह अपने पिता के वचन को निभाना चाहती है।
तदनुसार, साँप और युवती की शादी संपन्न हुई। युवती ने अपने पति, साँप के साथ रहना शुरू कर दिया। वह एक समर्पित पत्नी थी और वह एक अच्छी पत्नी की तरह साँप की देखभाल करने लगी। रात को साँप अपने डिब्बे में सोता था। एक रात, जब लड़की सोने जा रही थी, तो उसने अपने कमरे में एक ख़ूबसूरत नौजवान को देखा। वह डर गई और मदद के लिए दौड़ने ही वाली थी। नौजवान युवक ने उसे रोका और कहा, ‘डरो मत। क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं? मैं तुम्हारा पति हूँ।’
युवती ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। युवक ने साँप की त्वचा में प्रवेश करके ख़ुद की सच्चाई साबित की और फिर दुबारा नौजवान का रूप धारण किया। युवती मानव रूप में अपने पति को पाकर बेहद ख़ुश हुई और उसके चरणों पर गिर पड़ी। उस रात के बाद से, हर रात वह नौजवान साँप की त्वचा से बाहर निकलने लगा। वह भोर तक अपनी पत्नी के साथ रहता और सुबह होते ही वापस साँप की त्वचा धारण कर लेता था।
एक रात, ब्राह्मण ने अपनी बहू के कमरे से आवाज़ें सुनीं। उसने उन पर नज़र रखी और साँप को एक नौजवान में बदलते हुए देखा। वह कमरे में पहुँचा और साँप की त्वचा को आग में झोंक दिया। नौजवान ने कहा, ‘प्रिय पिताजी, बहुत-बहुत धन्यवाद। एक श्राप के कारण मुझे तब तक साँप बने रहना था, जब तक कि मुझसे पूछे बिना कोई साँप के शरीर को नष्ट नहीं कर देता। आज आपने यह काम कर दिया। अब मैं उस श्राप से मुक्त हो गया हूँ।’ इस प्रकार, वह युवक दुबारा साँप नहीं बना और अपनी पत्नी के साथ सुखी जीवन व्यतीत करने लगा।
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