‘भाषा अनुवाद’ तुलनात्मक रूप से पुराने अभ्यास के लिए एक नया शब्द है – जिसमें ऐसी भाषाओं को, जिनके बारे में किसी को जानकारी हो, दूसरी भाषा में बदला जाता है, ताकि संचार की क्षमता को बढ़ाया जा सके। भाषा अनुवाद एक लचीला बहुभाषावाद है। एक ही उच्चारण में चाहे इसमें भिन्न-भिन्न भाषाओं के संयोजन तत्व शामिल हों या नहीं (‘कोड-स्विचिंग’) अथवा किसी कार्य के भिन्न-भिन्न हिस्सों में भाषाओं के बीच अदला-बदली करना, यह किसी व्यक्ति के भाषायी संसाधनों को उनके सर्वोत्तम प्रभाव के साथ नियोजित करने का एक प्राकृतिक माध्यम है। यह इसलिए उत्पन्न होता है, क्योंकि व्यक्ति किसी कथित भाषा को किसी विशिष्ट कार्य, विषय या परिस्थिति से संबद्ध कर देते हैं या क्योंकि कुछ अवधारणाएँ (जैसे कि ’इंटरनेट’) सामान्यतः किसी भाषा विशेष में अधिक व्यक्त की जाने वाली समझी जाती हैं क्योंकि यह मनोरंजक और मजाकिया हो सकता है। भाषा अनुवाद ऐसी चीज़ है जिसका उपयोग अधिकांश लोग, इसके बारे में कुछ सोचे बिना, अपने मित्रों, परिवार और समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ हर समय करते रहते हैं।
कक्षा में, भाषा अनुवाद में निम्न शामिल हो सकते हैं:
इस प्रकार, विद्यार्थी जानकारी को एक भाषा में सुन सकते हैं और उसके भावार्थ को दूसरी भाषा में मौखिक रूप से समझा सकते हैं या उसके लिखित नोट बना सकते हैं। इसी प्रकार वे एक भाषा में कोई पाठ्य पढ़ सकते हैं और दूसरी भाषा में उसके बारे में बात कर सकते हैं या लिखित रूप में उसका सारांश कर सकते हैं।
शिक्षकों और विद्यार्थियों, दोनों के लिए एक संसाधन के रूप में भाषा अनुवाद के कई शैक्षणिक लाभ हैं, क्योंकि यहः
श्रीमती इंद्रा , हरदोई से बाहर के एक ग्रामीण स्कूल की कक्षा IV की अध्यापिका , यह बताती हैं कि उन्होंने अपनी भाषा के अध्यायों में भाषा अनुवाद को शामिल करने की शुरुआत कैसे की है।
मेरे अधिकांश विद्यार्थियों की पहली भाषा हिंदी नहीं है। चूँकि मैंने तीन महीने पहले उनकी भाषा के अध्यायों में भाषा अनुवाद अभ्यासों को सम्मिलित करने की शुरुआत की, इसलिए अब वे अपने शिक्षण में और भी अधिक बहुभाषी हो गए हैं और जुड़ चुके हैं। हिंदी भाषा में भी उनका आत्मविश्वास काफ़ी हद तक बेहतर हुआ है। मैंने यह देखा है कि मेरी कक्षा के एकभाषी हिंदी वक्ताओं ने अपने सहपाठियों के शब्दों और वाक्यों को भी अपनाना शुरू कर दिया है।
अगर मेरे विद्यार्थी अपनी हिंदी पाठ्यपुस्तिका के किसी अनुभाग या पृष्ठ को पढ़ने जा रहे हों, तो मैं उस विषय के परिचय के साथ शुरुआत करती हूँ, अपने उन विद्यार्थियों को आमंत्रित करती हूँ, जिसे उस विषय के बारे में कुछ भी पता हो खुद से बताए और उन्हें प्रोत्साहित करती हूँ कि वे मुख्य हिंदी शब्द संग्रह को अपनी मातृभाषा में अनुवादित करें। अगर मुझे उनकी बातें समझ नहीं आती हैं, तो मैं उनसे अपनी सहायता करने के लिए कहती हूँ।
उसके बाद मैं, अपने विद्यार्थियों से जोड़ों में या छोटे-छोटे समूहों में अपनी हिंदी पाठ्यपुस्तिका के किसी अनुभाग या पृष्ठ को ज़ोर से, धीरे-धीरे या मुक्त रूप से पढ़ने के लिए कहती हूँ। किसी भी स्थिति में, मैं प्रत्येक पृष्ठ या अनुभाग की समाप्ति पर रुकने के लिए कहती हूँ और उन लोगों ने जो पढ़ा है, उसमें से सभी अपरिचित शब्दों का मतलब निकालते हुए और उनका अर्थ समझाते हुए, उसे अपने साथी या अन्य समूह के सदस्यों के साथ चर्चा करने के लिए कहती हूँ। मैं उन्हें सुझाव देती हूँ कि वे इसके लिए अपनी मातृभाषा का उपयोग करें। मैं उन्हें उनके द्वारा निर्मित शब्दकोश में सभी नए शब्दों या अभिव्यक्तियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ।
अगर मैं यह चाहूँ कि विद्यार्थियों के जोड़े या समूह बाकी कक्षा के सामने स्कूल की भाषा में कुछ प्रस्तुत करें, तो मैं उन्हें सबसे पहले यह चर्चा करने के लिए अपनी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ, कि वे अपने विचारों को कैसे व्यक्त करेंगे। अगर मैं उनसे स्कूल की भाषा में कोई सारांश या रिपोर्ट लिखवाना चाहूँ, तो मैं ऐसा ही करती हूँ।
अपने सभी विद्यार्थियों की रूचि को कायम रखने के लिए, मैं यह सुनिश्चित करते हुए, जोड़ों और समूहों की व्यवस्था में अंतर करने का प्रयास करती हूँ, कि वे हर बार समान मातृभाषा के कम से कम दो विद्यार्थियों को शामिल करें। कभी-कभी मैं स्कूल की भाषा में समान क्षमता वाले विद्यार्थियों को एक साथ रखती हूँ। बाकी समय मैं आत्मविश्वास से भरे विद्यार्थी को कम आत्मविश्वासी विद्यार्थी के साथ रखती हूँ, ताकि साझा मातृभाषा में पुराना विद्यार्थी, नए विद्यार्थी की मदद कर सके। अगर उस समूह में कोई ऐसा विद्यार्थी है, जो साझा मातृभाषा नहीं बोलता है, तो मैं यह सुनिश्चित करती हूँ, कि मेरे विद्यार्थी जो भी चर्चा कर रहे हों, उसे स्कूल की भाषा में अनुवादित कर लें।
हाल ही में मैंने एक ऐसी पारंपरिक लघु कहानी प्रस्तुत की, जो हिंदी और मेरे विद्यार्थियों की मातृभाषा में उपलब्ध थी। मैंने इसका उपयोग अपनी कक्षा VII के विद्यार्थियों के साथ किया। मैंने हर भाषा में इन कहानियों की प्रतिलिपियाँ तैयार की और विद्यार्थियों के छोटे-छोटे समूहों द्वारा उन्हें एक साथ पढ़वाया। उसके बाद मैंने उन्हें दो कहानियों के भिन्न-भिन्न संस्करणों की तुलना करने के लिए, प्रत्येक में प्रयुक्त मुख्य शब्दों सहित, अपनी मातृभाषा का उपयोग करने के लिए कहा।
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यहाँ कुछ संभावनाएँ दी गई हैं:
(सिंपसन, 2014 से लिया गया)
किसी ऐसे आगामी भाषा अध्याय का पता लगाएँ, जिसमें आप अपने कक्षा अभ्यास में भाषा अनुवाद को प्रस्तुत कर सकते हैं। उस प्रत्येक गतिविधि को नोट कर लें, जिसमें स्कूल की भाषा का या विद्यार्थी की मातृभाषा का उपयोग सबसे उचित रहेगा। अपने विद्यार्थियों के जोड़े या समूह कैसे बनाएँ। इस पर विचार करें पाठ योजना बनाना, निर्देशात्मक वाक्यों की समीक्षा करना और उनका अभ्यास करना (ऊपर देखें)। अगर संभव हो तो अपने सहकर्मी के साथ अपनी योजना साझा करें।
जब आप तैयार हो जाएँ, तो अध्याय को लागू करें। शुरूआत अपने विद्यार्थियों को यह समझाते हुए करें, कि भाषा अनुवाद के क्या-क्या लाभ हैं और आप उन्हें ऐसा करने के लिए क्यों प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इस गतिविधि के प्रत्येक चरण के लिए, उन्हें स्पष्ट निर्देश दें। उन्हें उनकी मातृभाषा के प्रयोग के लिए, मददगार के रूप में जवाब दें।
हो सकता है आपको मुख्य संसाधन ‘अध्याय नियोजन’ पढ़ना मददगार लगे।
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जब आप अपने शिक्षण अभ्यास में भाषा अनुवाद का परिचय कराते हैं तो इसे अपने पाठों में लगातार शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि आपके विद्यार्थी नियमित रूप से अपने अधिगम में मातृभाषा के उपयोग की स्वीकार्यता के लिए विश्वास हासिल कर सकें।
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