यदि छात्र अपने आप लिखने के आदी नहीं हैं तो उनसे ऐसा करने को कहना काफी बड़ा कदम हो सकता है। लेकिन छोटे समूहों में काम करके, छात्र पाठ को समझने, अपने विचारों को विकसित करने और भाषा का अभ्यास करने में एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं जिसका उपयोग वे फिर अपने लिखित उत्तरों में कर सकते हैं।
NCERT की पाठ्यपुस्तक Honey dew से लिए गए पाठ ‘The Summit Within’ के गद्यांश में छात्रों से कई बोध संबंधी प्रश्नों के उत्तर अंग्रेजी में देने की अपेक्षा की जाती है।
अगली बार जब आप इस तरह की गतिविधि वाला कोई अध्याय पढ़ाएं, तब अपने छात्रों से अध्याय के अंत में बोध संबंधी प्रश्नों का उत्तर समूहों में देने को कहें। इससे उन्हें एक दूसरे के साथ विचारों को विकसित करने और प्रश्नों का मिलकर उत्तर देने के लिए भाषा खोजने का अवसर मिलेगा।
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पाठ्यपुस्तक के गद्यांशों के बारे में प्रश्नों का उत्तर देने के लिए छात्रों से मिलकर काम कराने से उन्हें इन प्रश्नों के लिए उत्तर लिखने के कौशलों और आत्मविश्वास का निर्माण करने में मदद मिल सकती है। छात्रों की समझ को आगे बढ़ाने का एक तरीका है उनसे पाठ के बारे में स्वयं अपने बोध संबंधी प्रश्नों की रचना करने को कहना।
आप इस गतिविधि को किसी भी अध्याय या गद्यांश, और किसी भी कक्षा के साथ आजमा सकते हैं।
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ऐसे तरीके उपलब्ध हैं जिनसे आप अपने छात्रों को उनके उत्तर लिखने के लिए आवश्यक कुछ भाषा उन्हें देकर उनकी मदद कर सकते हैं। आप निम्नलिखित केस स्टडी में इसके बारे में अधिक जानेंगे।
श्री सिंह कक्षा 8 को अंग्रेजी पढ़ाते हैं। हाल ही में उन्होंने अध्याय से नकल किए बिना बोध संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने में अपने छात्रों की मदद करने की तकनीक आजमाई , और इसमें उनके छात्रों से समूहों में काम करवाना शामिल था। वह अध्याय ‘The Summit Within’ जो कि NCERT की कक्षा 8 की पाठ्य पुस्तक Honeydew से लिया गया था।
एक पठन-पूर्व अभ्यास करने के बाद, हमने गद्यांश ‘The Summit Within’ मिलकर पढ़ा। जब हमने काम समाप्त किया, मैंने पहले छात्रों से पूछा कि पाठ किस बारे में था ताकि इस बात की सामान्य जानकारी हो सके कि उन्होंने पाठ समझा था या नहीं। फिर मैं पठनोपरान्त गतिविधि की ओर बढ़ा, जिसमें अध्याय के अंत के बोध संबंधी प्रश्नों का उत्तर देना शामिल था। मैंने तय किया कि पहले प्रश्न का उत्तर हम सब मिलकर एक कक्षा के रूप में देंगे।
मैंने अपने छात्रों से पहला बोध संबंधी प्रश्न पढ़ने को कहा: ‘What are the three qualities that played a major role in the author’s climb?’ मैंने उनसे प्रश्न का अनुवाद करने को कहकर सुनिश्चित किया कि वे उसे समझ सकते थे। फिर मैंने अपने छात्रों को उत्तर शुरू करने के लिए उपयोगी वाक्यांशों की एक सूची दी, जैसे: ‘The three qualities that played a major role are …’.
मैंने उनसे पहला अनुच्छेद पढ़ने और उन वाक्यों को रेखांकित करने को कहा जिनमें उत्तर मौजूद था। छात्रों ने निम्नलिखित को रेखांकित किया:
The simplest answer would be, as others have said, ‘Because it is there.’ It presents great difficulties. Man takes delight in overcoming obstacles. The obstacles in climbing a mountain are physical. A climb to a summit means endurance, persistence and will power.
मैंने उनसे ठीक उन्हीं शब्दों को ढूंढने को कहा जो उन तीन गुणों का वर्णन करते थे। अधिकांश छात्रों ने उत्तर दिया ‘endurance’, ‘persistence’ और ‘will power’, लेकिन कुछ ने मुझसे पूछा कि क्या ‘overcoming obstacles’ एक और महत्वपूर्ण बिंदु नहीं था।
मैं खुश था कि छात्र अपनी खोज को उन सबसे उपयुक्त शब्दों तक सीमित कर सके जो प्रश्न का उत्तर दे सकते थे। तब मैंने उनसे तीन गुणों की उनकी सूची में ‘overcoming obstacles’ को शामिल करने का तरीका खोज निकालने को कहा।
मैंने उन्हें दिखाया कि बिंदुओं को संगठित करके एक सही आरंभ और अंत वाला उपयुक्त उत्तर कैसे प्राप्त करना चाहिए। मैंने यह भी सुनिश्चित किया कि वे उत्तर लिखते समय क्रिया के काल में परिवर्तन को भी नोट करें: ‘are’ बदल कर ‘were’ हो जाएगा, इत्यादि। वाक्यों में आवश्यक परिवर्तन करने के बाद, उन्हें जो प्राप्त हुआ वह यह है:
The three qualities that played a major role in the author’s climb were endurance, persistence and will power for overcoming obstacles.
मैंने उन्हें उसी उत्तर को लिखने के अन्य तरीके दिखाए, जैसे:
Endurance, persistence and will power for overcoming obstacles were the three qualities that played a major role in the author’s climb.
मैं चाहता था कि कक्षा शेष प्रश्नों के उत्तर समूहों में दे। मैंने कक्षा से चार के समूहों में काम करने, और मिलकर काम करके शेष प्रश्नों के उत्तरों की रचना करने को कहा। मैंने उनके उत्तरों में उपयोग करने के लिए उन्हें अध्याय से कुछ शब्द और वाक्यांश दिए। लेकिन मैंने उन्हें याद दिलाया कि उन्हें उनके अपने शब्दों का उपयोग करना चाहिए, और सीधे अध्याय से वाक्यों की नकल नहीं करनी चाहिए। मैंने उन्हें अपने उत्तर लिखने के लिए कुछ समय दिया, और कमरे में घूमते हुए यदि किसी छात्र को जरूरत हुई तो उसकी मदद की।
जब समय समाप्त हो गया, तो मैंने किसी अलग समूह से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने को कहा। समूह ने जो उत्तर दिया मैंने उसे ब्लैकबोर्ड पर लिखा और हमने चर्चा की कि वह प्रश्न का उत्तर है या नहीं, और क्या समूह ने अपने उत्तरों को पूरा करने के लिए पाठ से लिए गए अपने लिए जरूरी महत्वपूर्ण शब्दों और वाक्यांशों के अलावा स्वयं अपने शब्दों का उपयोग किया था या नहीं। समूह द्वारा की गई किसी भी गलती को भी मैंने सुधारा।
कक्षा के समाप्त होने तक, मेरे छात्र प्रश्नों का उत्तर देने का काम बेहतर ढंग से करने लगे थे। मैंने वास्तव में देखा कि चर्चा और उत्तरों के साथ जरा सी मदद से, छात्र गतिविधि को करने में काफी अधिक सक्षम हो गए थे, और उन्हें अपने आप पर भी विश्वास होने लगा था।
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