स्व-समीक्षा के कई साधन हैं; इस अनुभाग में आपका परिचय ऐसे पाचँ साधनों से कराया जाएगा जिनसे आपको आँकड़ों के संग्रहण में तथा आपके विद्यालय में जो कुछ हो रहा है उसकी समीक्षा करने में अन्य लोगों को सफलतापूर्वक जोड़ने में मदद मिल सकती है।
चित्र 5 एक विद्यालय प्रमुख अधिगम चहलकदमी करते हुए।
अधिगम चहलकदमी में विद्यालय प्रमुख या प्रधानाध्यापक क्या चल रहा है यह जानने के लिए विद्यालय दिवस के दौरान विद्यालय में टहलते हैं। अच्छे विद्यालय प्रमुख हमेशा से यह करते आए हैं। यह स्व-समीक्षा का एक आवश्यक घटक है क्योंकि इससे निम्नांकित को करने का मौका मिलता है:
अधिगम चहलकदमी रोज़ाना एक ही समय पर न करें, क्योंकि ऐसा करने से आपको मिलने वाली जानकारी सीमित हो जाएगी।
अधिगम चहलकदमी के कई लाभ हैं और कक्षाओं में जो हो रहा है – जो कि विद्यालय जीवन का केंद्र है – उससे प्रधानाध्यापक संपर्क में रहता है। इसमें ज़रूरी नहीं कि बहुत समय लगे। जिन विद्यालयों में स्व-समीक्षा सुस्थापित है वहां अधिगम चहलकदमी लोगों के दल द्वारा की जा सकती है और उसमें संभवतः कार्याभ्यास के किसी एक विशिष्ट पहलू पर नज़र डाली जाएगी, जैसे अध्यापक किस प्रकार के प्रश्नों का उपयोग कर रहे हैं, पाठों का आरंभ और अंत, कठिनाई का सामना कर रहे विद्यार्थियों का सीखना आदि।
पुस्तक अवलोकन एक औपचारिक गतिविधि है जिसमें आप निगरानी और मूल्यांकन के उद्देश्य से विद्यार्थियों के विशिष्ट समूहों से पुस्तकें एकत्र करते हैं। इससे कई कार्य पूर्ण करने में आपको मदद मिलती है, जैसे
सभी पुस्तकों पर नज़र डालने में तो बहुत समय लगेगा, इसलिए आपको प्रतिचयन (सैंपलिंग/नमूने लेने) का तरीका विकसित करना होगा। उदाहरण के लिए, आप:
तथ्यों एवं प्रमाणों को एकत्र करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बेहद अच्छे विद्यालयों में यह नित्य गतिविधि होती है। आपको जो सबसे बड़ी चीज करनी है वह है इस बात पर फैसला लेना कि आप किस चीज पर फोकस करेंगे और उससे विद्यालय का प्रदर्शन सुधारने में आपको कैसे मदद मिलेगी। विद्यालय प्रमुख होने के नाते, आपको स्व-समीक्षा को सीखने, उसके परिणामों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
अपने वर्षान्त-परीक्षणों के बाद, परिणाम के आँकड़ों का अध्ययन करके वे प्रमाण निकालें जिनसे आपको कुछ सुधार करने में मदद मिल सकती हो। आपको जो आँकड़े चाहिए, यदि वे आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि आपको अगले वर्ष से वे आँकड़े अलग ढंग से एकत्र व रिकॉर्ड करने हैं ताकि यह कार्य अगली बार आसान हो जाए।
किसी कक्षा के विषयानुसार परीक्षणों पर नज़र डालें, और अगर वे मौजूद न हों तो एक मेट्रिक्स बनाएं ताकि आप प्रत्येक प्रतिशत के अनुसार (10 प्रतिशत – देखें संसाधन 3) परिणाम पाने वाले विद्यार्थियों को गिन कर प्रदर्शन जांच सकें। जब आप इस आँकड़े को आलेखित कर चुके हों, तो आपको उसका विश्लेषण करना होगा, ताकि वह उपयोगी जानकारी का रूप ले ले और आपको इस बारे में बता सके कि आपको और क्या-क्या पता लगाने की जरूरत हो सकती है। अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें।
क्या इस तरह से एकत्र आँकड़ों से आप चकित हुए? क्या इसने आपको इस बारे में जानकारी दी कि आपको और क्या-क्या जांच-पड़ताल करने की आवश्यकता है? अपने आँकड़ों से तत्काल निष्कर्ष निकालने में थोड़ा सावधान रहें – हो सकता है कि सीखने के परिणामों पर प्रभाव डालने वाले ऐसे अन्य कारण भी हों जिनके बारे में आपने सोचा भी न हो (जैसे उपस्थिति या कक्षा का आकार)। आपको प्रेक्षणों और बातचीत के जरिए और प्रमाण एकत्र करने की जरूरत पड़ सकती है।
इस तरह से आँकड़ों का विश्लेषण शुरू करने पर, आप आँकड़ों को एकत्र करने और उनका उपयोग करने के और बेहतर तरीके सोचेंगे – जैसे कि अलग-अलग विद्यार्थियों या विद्यार्थी समूहों पर नज़र रखना, ताकि आप उनकी कठिनाइयों की पहचान कर सकें।
विद्यालय से जुड़े विभिन्न लोगों जैसे–अध्यापक, विद्यार्थी, अभिभावक, विद्यालय कार्मिक आदि जिन्हे ‘हितधारकों की संज्ञा दी जा सकती है। दृष्टिकोण, रवैये और अनुभव जांचने होंगे। जरूरी नहीं कि यह कार्य कोई रोब गाँठने वाली ड्यूटी हो। यदि आप अपने अधिगम (सीखने) भ्रमण कर रहे हैं तो आप हफ्ते में कम से कम एक बार, विद्यालय दिवस की शुरूआत और समाप्ति पर अभिभावकों से बात कर पाएंगे। मध्यावकाशों के दौरान आप व्यक्तियों या छोटे समूहों के साथ उन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं जिन्हें लेकर आप चिंतित हैं या जिनमें आपकी रुचि है। आप अपनी स्टाफ बैठकों के लिए नियमित कार्यसूची बिंदु रख सकते हैं जो विद्यालय सुधार लक्ष्यों और उनकी धारणाओं से संबंधित हों।
अपने प्राथमिक हितधारकों, यानी विद्यार्थियों के मामले में, स्व-समीक्षा एक दो-तरफा प्रक्रिया है। आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव करें कि आपके विद्यालय में विद्यार्थी का जीवन वास्तव में कैसा है और उन्हें किस स्तर का सहयोग मिलता है और उनके सामने किस स्तर की चुनौतियाँ आती हैं। विद्यार्थियों के पास स्व-समीक्षा प्रक्रिया में देने को बहुत कुछ है, पर यदि उन्हें समालोचनात्मक विचार सामने रखने में आत्मविश्वासी बनना है तो उन्हें ‘प्रशिक्षण’ और सहयोग दिया जाना होगा। यदि आप विद्यार्थियों के उन विचारों को भरोसेमंद मानते हैं, जो स्टाफ़ से विरोधाभास रखते हैं, तो हो सकता है कि स्टाफ आरंभ में शक्की व्यवहार दिखाए। एक बार फिर, यह सकारात्मक और खुला माहौल बनाने के बारे में है। कुछ विद्यालयों में, विद्यार्थियों की नियमित परिषदें या संसद होती हैं, और वे विद्यालय समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों के संबंध में निर्णय लेने में सहभागी हो सकते हैं।
अभिभावक भी वे मुख्य हितधारक हैं जो विद्यालय समीक्षा में मदद कर सकते हैं। आपको उनके साथ बात करने के लिए समय निकालना होगा और उन्हें अपने विचार सुनाने का मौका देना होगा।
विद्यालय नेतृत्व आँकड़ा संग्रहण के जो भी अभ्यास कर सकता है, उनमें से सबसे जल्दी दृष्टि देने वाला अभ्यास है किसी विद्यार्थी का साया बनना। पूरे दिन किसी एक विद्यार्थी का प्रेक्षण करने से, आपको निम्नांकित के बारे में अच्छी-खासी जानकारी मिल सकती है:
आदर्श रूप से, आप साया बनने का यह कार्य कर सकते हैं – पर आपके शक्तिसम्पन्न पद के कारण, विद्यार्थी के लिए यह बहुत भयभीत करने वाला हो सकता है। सोचें कि क्या आप यह कार्य विद्यालय प्रबन्ध समिति (एसएमसी) के किसी सदस्य या किसी विश्वासपात्र अध्यापक को सौंप सकते हैं। आपको विद्यार्थी के चयन के बारे में सावधान रहना होगा – यदि आप जानबूझकर सबसे योग्य विद्यार्थी को चुनेंगे, तो संभव है कि आपको सीखने की अधिक जटिल जरूरतों वाले विद्यार्थी का प्रेक्षण करने से जो तस्वीर मिलती उससे अलग तस्वीर मिले। आपको बाद में, विद्यार्थी के साथ अनुभव की चर्चा करने का समय भी निकालना होगा, क्योंकि दिनभर के इस अभ्यास के बारे में उसके विचार भी महत्वपूर्ण हैं।
साया बनने के कार्य के बाद, आपने जो देखा उसका विश्लेषण करना होगा और मुख्य सीखने के बिंदुओं को स्टाफ के साथ और शायद विद्यालय प्रबन्ध समिति (एसएमसी) के साथ भी साझा करना होगा।
आपको इस कार्य के लिए अबाधित समय समर्पित करना होगा और अध्यापकों के सामने इस बात पर जोर देना होगा कि आप सीखने का अवलोकन कर रहे हैं, अध्यापन का नहीं। अपने विद्यालय में ‘अदृश्य’ रह कर कार्य करना बहुत कठिन है और हो सकता है कि विद्यार्थी आपको अपने पीछे लगा देख कर भयभीत या हतोत्साहित हो जाएं। आपको ध्यान से यह सोचना होगा कि इस भूमिका में किस प्रकार हस्तक्षेपी और बाधक होने से बचा जाए – आप जो कर रहे हैं उसके बारे में विद्यार्थियों और स्टाफ को पहले से बता देना आवश्यक है, पर जिस विद्यार्थी का साया आप बन रहे हैं उसका नाम दिन पूरा हो जाने तक गुप्त रखना ही सबसे अच्छा है।
कक्षा प्रेक्षण, प्रारम्भिक भयभीत न करने वाले तरीके से कर पाना कठिन होता है, विशेष रूप से इसलिए कि आप प्रधानाध्यापक हैं और इसलिए अगर आप कक्षा में हों तो लोग अलग तरह से व्यवहार करेंगे। हो सकता है कि आप इस बात के आदी हों कि जब आप कक्षा में प्रवेश करते हैं तो विद्यार्थी सतर्क हो जाते हैं, पर आदर्श रूप में आप चाहेंगे कि आप शांति से कक्षा में प्रवेश कर जाएं और वहां खड़े हों या बैठें जहां से आप पूरी कक्षा का प्रेक्षण कर सकें – यदि आप पीछे विद्यार्थियों के साथ बैठते हैं तो आप कक्षा के उनके अनुभव के सबसे निकट होंगे। अगर विद्यार्थी समूहों में कार्य कर रहे हों या अलग-अलग कार्य कर रहे हों तो उनके सीखने का नमूना पाने के लिए आप कक्षा में चहलकदमी कर सकते हैं।
यदि विद्यालय में प्रेक्षण करने की संस्कृति न हो, तो आपको धीमी शुरूआत करनी होगी। इस स्थिति तक पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है कि आप पाठों का प्रेक्षण करें और कक्षा में बेचैनी उत्पन्न न हो। एक संभावित पद्धति यहां दी गई है:
OpenLearn - नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य: विद्यालय की स्व-समीक्षा का नेतृत्व करना Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.