आप एक ऐसी शिक्षिका की केस स्टडी पढ़कर शुरुआत करेंगे, जो अन्तरिक्ष विज्ञान व भाषा और साक्षरता का विकास एक साथ पढ़ाती हैं।
श्रीमती मीना वाराणसी के एक सरकारी विद्यालय में कक्षा तीन के छात्रों को सभी विषय पढ़ाती हैं। यहाँ वे अपनी कक्षा में विषय के ऐसे शिक्षण के प्रति समग्र दृष्टिकोण का वर्णन करती हैं।
मेरे छात्र सूर्य, चन्द्रमा और सितारों के प्रति जानने के लिए उत्सुक हैं व अक्सर उनके बारे में बात करते हैं। उनमें से कई स्पेससूट में खुद अपने या विभिन्न ग्रहों के काल्पनिक लोगों के चित्र बनाना पसंद करते हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, मैंने इस रुचि को बढ़ाने के लिए पाठों की एक श्रंखला की योजना बनाई। मैंने विषय व उसकी भाषा के बारे में ठीक से अध्ययन किया।
मैंने एक खेल से शुरुआत की जिससे छात्रों को सूर्य से दूरी के क्रम में ग्रहों के नाम याद रखने में मदद मिले। अगले पाठ में, मैंने अपनी कक्षा को 11 समूहों में विभाजित किया और उन्हें ये नाम दिए: ‘सूर्य’, ‘पृथ्वी’, ‘शुक्र’, ‘मंगल’, ‘गुरु’, ‘बुध’, ‘शनि’, ‘वरुण’, ‘प्लूटो’, ‘अरुण’। मैंने प्रत्येक समूह को विज्ञान की एक पुस्तक दी और छात्रों से क्रमश: अपने ग्रह का चित्र खोजने और उसके बारे में वे जो भी जानकारी खोज सकते थे, खोजने को कहा। मैंने ब्लैकबोर्ड पर सुझावों के तौर पर कुछ प्रश्न लिखे, जैसे:
मैंने समझाया कि जब वे अपनी बात पूरी कर लें, तो उन्हें बाकी छात्रों के साथ स्वयं को मिले ग्रह या चन्द्रमा के बारे में एक तथ्य साझा करना पड़ेगा। ऐसा वे अपनी याददाश्त से, पुस्तक से या अपने नोट्स से पढ़कर कर सकते हैं।
मेरे छात्रों के काम करते समय, मैं कमरे में घूमकर उनकी बातें सुनती रही और उनके भाषा व साक्षरता कौशल के साथ उनकी अन्तरिक्ष विज्ञान की बढ़ती समझ को देखती रही। मैंने प्रत्येक समूह के बेहतर पाठकों को उन लोगों की मदद करने को कहा, जो कम आत्मविश्वासी थे और जिस सहयोगात्मक रवैये से उन्होंने यह किया उससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।
एक और पाठ में, मैंने कक्षा को किसी एक ग्रह या चन्द्रमा के बारे में ‘बीस प्रश्न’ खेलने के लिए आमंत्रित किया। पहले मैंने खेल का प्रदर्शन किया और फिर अपने छात्रों से आठ के समूह में उसे खेलते रहने को कहा। अंत में, मैंने अपने छात्रों से उनकी अभ्यास पुस्तिकाओं में स्वयं को एक ग्रह के रूप में वर्णित करते हुए एक परिच्छेद लिखने और उसे एक चित्र के माध्यम से समझाने को कहा। ऐसा लगा कि मेरे छात्रों को विषय आधारित गतिविधियों की इस श्रंखला में आनन्द आया, शायद इसलिए कि इनमें बहुत सारा काम समूह में करना था और कई प्रकार के तत्व और कौशलों का मेल था।
जब भी मैं कर सकूँ, मैं ऐसे पाठ की योजना बनाती हूँ, जो भाषा या साक्षरता कौशल के अलावा भूगोल या इतिहास जैसे किसी विषय विशेष के बारे में मेरे छात्रों की समझ को बढ़ाए। मैं सामान्यत: छात्रों के समूह को उनके द्वारा कक्षा को कोई जानकारी देने से पहले पढ़ने के लिए कुछ जानकारी देती हूँ। यदि मैं उनके ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए कुछ खेल सोच सकूँ, तो मैं उनका भी उपयोग करती हूँ। सामान्यत: अंत में मैं उनके सीखने को सुदृढ़ बनाने के लिए एक लिखने वाला काम देती हूँ। साधारणतया मैं इन एकीकृत गतिविधियों को दो या तीन पाठों तक खींचती हूँ।
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छात्रों को सहयोगी सामूहिक कार्य के लिए नियोजित करने के बारे में फिर जानने के लिए संसाधन 1, ‘समूह कार्य का उपयोग करना’ पढ़ें।
संसाधन 2 ऐसे दो पाठों को रेखांकित करता है, जो विषय के अधिगम को भाषा व साक्षरता के विकास से जोड़ते हैं। एक पाठ गणितीय भाषा को समेकित करता है, जैसे आकृतियों के गुण, समूह कार्य, स्थान परिवर्तन व लेखन; जबकि दूसरा कला, विज्ञान, कविता की भाषा, समूह में काम व लेखन को। गतिविधियों के दोनों समुच्चय छोटी और बड़ी उम्र के छात्रों के लिए अनुकरणीय हैं। दोनों के लिए बहुत कम संसाधनों की आवश्यकता है।
यदि संभव हो, तो एक सहयोगी के साथ ‘पाठ 1: गणित, आकृति, स्थान परिवर्तन व भाषा’ पढ़ने से शुरुआत करें। फिर, निम्नलिखित प्रश्नों पर चर्चा करें:
अब ‘पाठ 2: ग्रह, रंग व कविता की भाषा’ पढ़ें। कृपया निम्न प्रश्नों पर ध्यान दें।
लेखन?
अपनी पाठ्यपुस्तक में किसी विषय के किसी पाठ को देखें, जो आप पढ़ाने वाले हैं। विषय की सामग्री के साथ भाषा व साक्षरता के काम को जोड़ने के अवसरों को पहचानें। विचार करें कि कौन सी गतिविधियाँ सामूहिक कार्य के लिए सबसे उपयुक्त होंगी। अपने विचारों पर किसी सहयोगी के साथ चर्चा करें।
यदि आपने ऐसा कोई समेकित तरीका पहले नहीं अपनाया है, तो आपके अनुसार आपके लिए कौन सी चीज़ सबसे चुनौतीपूर्ण होगी? आप इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे?
जब आप पाठ को पूरा कर चुकें, तो विचार करें कि पढ़ाने के इस तरीके से आपने क्या सीखा। आपके छात्रों ने क्या सीखा? आप कैसे कह सकते हैं?
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