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मूर्त रूप, मैनिपुलाटिव (हस्तकौशल)और वास्तविक जीवन के उदाहरणों का उपयोग करना - कोणों के बारे में पढ़ाना

यह इकाई किस बारे में है

कोणों के बिना हमारे लिए अपने जीवन को समझना कठिन हो जाएगा। हम जहाँ भी देखते हैं कोण हमारे चारों तरफ हैं। घरों, छतों, कुर्सियों, मेज़ों और बिस्तरों तथा पहाड़ों व तरंगों में कोण हैं। चाहे कार्य हो या खेल, प्राचीन काल से कोणों के बारे में चर्चा चली आ रही है।

विद्यालयी गणित में विद्यार्थी प्राथमिक कक्षा से ही औपचारिक संदर्भ में कोण के बारे में सीखने लग जाते हैं। यह त्रिकोणमिति का एक मूल सिद्धांत है, जिसके बारे में विद्यार्थियों को आने वाले वर्षों में पता चलेगा।

विद्यार्थियों को कोण के बारे में पढ़ाने से उनके मौजूदा और अंतर ज्ञान को विकसित करने का अवसर मिलता है और साथ ही इस बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है कि गणित की कक्षा में क्या होता है और उसे वास्तविक जीवन में दुनिया कैसे देखती है।

दुर्भाग्य से, विद्यार्थी अक्सर कोण के गुण महत्व, जुड़ाव और रचनात्मकता के अनुभव से वंचित रह जाते हैं। इसकी बजाय, वे अक्सर उसे स्मृति अभ्यास के तौर पर लेते हैं, जिसमें वे शब्दावली याद करते और भूल जाते हैं।

यह अंक आपको दिखाता है कि किस प्रकार सभी विद्यार्थियों में मौजूद उनके अंतर ज्ञान और मानसिक विचार शक्तियों का उपयोग करके, उनको मज़ेदार और रचनात्मक तरीके से कोण के बारे में समझाया जाए। इन गतिविधियों के लिए आपको अपने विद्यार्थियों को बाहर ले जाकर अंतर्मन में बनने वाले चित्रों को विकसित करने के लिए मैनिपुलेटिव्ज़ और अभिव्यक्ति की तकनीकों का उपयोग करना होगा।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • कोणों को समझने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए मैनिपुलेटिव्ज़ का उपयोग कैसे करें।
  • स्कूल के गणित को कक्षा के भीतर और बाहर की वास्तविक ज़िंदगी से जोड़ने के लिए कुछ उपाय।
  • कोणों को समझने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए मूर्त रूप का उपयोग कैसे करें।

इस इकाई का संबंध NCF (2005) और NCFTE (2009) की दर्शाई गई शिक्षण आवश्यकताओं से है। संसाधन 1।

1 कोणों के बारे में सीखने और उसे सार्थक बनाने के लिए कोणों के मूर्त रूप का उपयोग करना

विचार के लिए रुकें

आप अपने आसपास जिधर भी नज़र डालते हैं, हर तरफ आपको कोण दिखाई देते हैं। अभी अपने आसपास नज़र डालें और दिखाई दे सकने वाले दस कोणों की सूची बनाएँ। क्या आपको उनके बीच किसी गणितीय संबंध का पता चलता है?

गणित को प्रायः उस चीज़ के रूप में माना जाता है जिन्हें आप गणित की कक्षा में करते हैं, संभवतः कुछ प्रयोगों के साथ : विनिर्माण और स्थापत्य आदि वास्तविक जीवन के क्षेत्रों में लेकिन इससे भी मज़ेदार बात यह है कि गणित एक मानव के रूप में हमसे और हमारे जीवन से भी जुड़ा हुआ है – और हमारे शरीर के कोण इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं। हम अपनी बाँहों और पैरों को एक कोण पर मोड़ते हैं, हम अपने सिर को एक कोण पर घुमाते हैं, हम अपनी उंगलियों को अलग-अलग कोणों पर मोड़ते हैं। शारीरिक आकार में गणित को निरूपति करने के लिए, विद्यार्थियों के साथ इस तरह की गतिविधियों को करने के लिए उन्हें गणितीय आकृति जैसा ‘बनने’ या ‘करने’ की आवश्यकता होती है।

शोध (ड्रेफ़स, 1996; गिब्स, 2006) के अनुसार, ‘शारीरिक गणित’ के पीछे निहित उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मूर्त रूप – किसी अमूर्त अवधारणा को ठोस रूप प्रदान करना
  • सन्निहित अनुभूति – मस्तिष्क के विचारों को आकार देने के लिए शरीर का उपयोग करना।

इस तरह, शारीरिक गणितʼ के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • विद्यार्थियों के जीवन अनुभवों से उन्हें दूर कर, गणित को सैद्धांतिक विषय के रूप में देखी जाने वाली बाधा से निज़ात पाना
  • गणितीय अवधारणाओं के लिए बिंब विधान (Imagery) का निर्माण करना
  • गणितीय गुणों के साथ एक भावनात्मक और मनोरंजक संबंध स्थापित करना।

आपका शरीर कोणों से परिपूर्ण है और कोण आपका एक महत्वपूर्ण भाग हैं! इसलिए, पहली गतिविधि में आप अपने विद्यार्थियों से उनके शरीर के भागों का उपयोग कर कोणों का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए कहेंगे।

इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको किसी सीखने वाले व्यक्ति के अनुभव का ज्ञान होगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।

एक गणितीय विषय जैसे कि कोण, पर पाठों की शृंखला शुरू करने से पहले, विद्यार्थियों को निर्देश देने और उनसे साझा करने से पहले यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी पहले से क्या जानते हैं और वे क्या कर सकते हैं, ताकि आप यह निर्धारित कर सकें कि पाठों की शृंखला से आप उनके द्वारा क्या सीखने की उम्मीद करते हैं। इस इकाई में गतिविधियों के दौरान अपने विद्यार्थियों की प्रगति और प्रदर्शन का आकलन करने के लिए अपनी योजना बनाने में मदद करने के लिए आप संसाधन 2 का उपयोग कर सकते हैं।

गतिविधि 1: कोणों को मूर्त रूप देना

भाग 1: हाथों का उपयोग करना

अपने विद्यार्थियों को कलाई से दोनों हाथ जोड़कर निम्नलिखित कोण बनाने के लिए कहें:

  • 90 डिग्री वाला कोण
  • 0 डिग्री वाला कोण
  • 180 डिग्री वाला कोण
  • 45 डिग्री वाला कोण
  • 135 डिग्री वाला कोण
  • ऋजु कोण
  • अधिक कोण
  • समकोण
  • न्यून कोण।

अधिक कोण और न्यून कोण के लिए अलग-अलग उदाहरण संभव हैं। इन अलग अलग उदाहरणों की वैधता पर चर्चा करने से परिभाषाओं एवं इन परिभाषाओं के अंतर्गत संभावित रूपांतरों पर बात करने का अच्छा अवसर मिलता है।

यह डिग्री संकेतों के आशुलिपि संकेतन से परिचित कराने (या सुदृढ़ बनाने) के लिए भी उपयुक्त अवसर है – उदाहरण के लिए, समकोण के लिए 90°।

चित्र 1 इस गतिविधि के भाग 1 का प्रयास करते विद्यार्थी।

भाग 2: एक बाँह का उपयोग करना

  • भाग 1 से प्रश्नों को दोहराएँ, अब विद्यार्थियों से एक हाथ का उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है जहाँ उनकी कांख (armpi) कोण के घूर्णन केंद्र के रूप में कार्य करती है। 0° का कोण चित्रित करने के लिए, हाथ नीचे लटका हुआ होगा और यह शरीर के बगल वाले हिस्से से सटा होगा।

  • बताएँ कि कोण का अर्थ स्थैतिक स्थिति नहीं है बल्कि ▪ कोण ▪ शब्द घुमाव/मोड़ की मात्रा को वर्णित करता है – अर्थात एक कोण घुमाव या घूर्णन का माप होता है।
चित्र 2 इस गतिविधि के भाग 2 का प्रदर्शन करते हुए एक शिक्षिका।

भाग 3: कोणों को चित्रित करने के लिए शरीर के अन्य भागों का उपयोग करना

  • चार या पांच के समूह में विद्यार्थियों को व्यवस्थित करें। विद्यार्थियों से अपने शरीर के अन्य भागों का उपयोग कर कोण चित्रित करने के अन्य तरीकों के बारे में और भाग 1 और 2 में दर्शाए गए समान कोण बनाने के लिए कहें। इसे बनाने के लिए उन्हें कुछ मिनट का समय दें।
  • विद्यार्थियों से अपने समूहों में संपूर्ण कक्षा के समक्ष अपने द्वारा बनाई गई चीज़ का प्रदर्शन करने के लिए कहें।
  • कक्षा के साथ चर्चा करें कि क्या ये उदाहरण गणितीय रूप से वैध हैं या उन्हें उन उदाहरणों की कमियाँ दिखाएँ।

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 का उपयोग कर श्रीमती अल्का बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

जब मैं कोण की अवधारणा से परिचित हुई थी तब मैंने कोण दिखाने के लिए अतीत में हाथों का उपयोग किया था। हालाँकि, शायद ही कभी मैंने विद्यार्थियों से यह करने के लिए कहा हो – मैंने बस उनके सामने इसका प्रदर्शन किया। इस गतिविधि को पढ़ने पर मुझे लगा कि यह कुछ ज्यादा भिन्न नहीं होगा, लेकिन मुझे इसे आजमाना होगा। यह मेरे लिए उसे ही आगे बढ़ाने जैसा था जिसे मैं पहले कर चुकी थी और, सच कहूं तो, इसके प्रयोग से मेरे अध्यापन में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ।

लेकिन यह बहुत अलग था। विद्यार्थी इतने अधिक जुड़े हुए थे, इतनी दिलचस्पी ले रहे थे जितना मैंने उन्हें पहले कभी कोण बनाने में इतना जुड़ा हुआ कभी नहीं देखा! जब मैंने एक अधिक कोण चित्रित करने के लिए कहा तो मेरे समक्ष कई उदाहरण प्रदर्शित हुए। इसलिए, मैंने विद्यार्थियों से अपने हाथ उठाए रहने और अपने आसपास अन्य विद्यार्थियों की ओर देखने के लिए कहा ताकि वे जान सकें कि दूसरों ने क्या बनाया है।

फिर, हमने एक अधिक कोण, उसकी सीमाओं एवं उसके संभावित रूपांतरों के बारे में मज़ेदार गणितीय चर्चा की। फिर, हमने स्वचालित रूप से न्यून कोण, समकोण और साथ ही वृहत कोण के बारे में भी इसी प्रकार की चर्चा की।

विद्यार्थियों को तीसरा भाग बहुत पसंद आया और वे कई सारे विचार सामने लेकर आए जैसे कि दोनों बाँहों को सामने रखना, आँखों को खोलना-बंद करना, उंगलियों को मोड़ना, सिर घुमाना और वृहत कोण बनाने का प्रयास करते समय आई समस्याएँ आदि।

गतिविधि के प्रतिक्रिया भाग में विद्यार्थियों ने स्वयं और दूसरों के बारे में अपनी समालोचनात्मक लेकिन सहायक दृष्टि से मुझे आश्चर्यचकित कर दिया – उदाहरण के लिए, यदि तुम अपनी पीठ को थोड़ा और सीधा रखो तो सही समकोण बनेगा, क्योंकि कोण बनाने वाली रेखाएं सीधी होनी चाहिएʼ जैसा कि मेरे एक विद्यार्थी ने कहा ‘सही दिशा में समालोचक होना’। एक शिक्षिका के रूप में, मैंने अपने विद्यार्थियों के चिंतन और सीखने के बारे में बहुत कुछ जाना।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ (लिपि) मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग हर समय करें। जैसे श्रीमती अल्का ने कुछ छोटी-छोटी चीज़ें की, जिनसे काफी फर्क पड़ा।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से कैसी प्रतिक्रियाएँ अनपेक्षित थीं? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या आपके सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

2 कोणों के बारे में जानने के लिए हस्तकौशलों (मेनुपुलेटिव) के रूप में पेपर फ़ोल्डिंग का उपयोग करना

गणित के शिक्षण में ब्लॉक, प्लेट, रॉड या काउंटर जैसे मैनिपुलेटिव्ज़ का उपयोग करने के लिए विद्यार्थियों को कतिपय गणितीय समस्याएँ हल करने के लिए अपने हाथ का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। इसके पीछे का विचार यह है कि इस शारीरिक भागीदारी से विद्यार्थियों को अवधारणाओं की मानसिक छवियां विकसित करने में मदद मिलती है। शारीरिक गतिविधियाँ विद्यार्थियों को सन्निहित गणितीय प्रक्रियाओं के बारे में अधिक सक्रिय रूप से विचार करने और गणित को एक सैद्धांतिक विषय की बजाय अधिक ठोस एवं व्यावहारिक बनाने में मदद करती हैं।

गणित सीखने के लिए मैनिपुलेटिव्ज़ के उपयोग से संबंधित चुनैतियों में से एक है मैनिपुलेटिव्ज़ के उपयोग द्वारा विकसित चित्रों को खोए बिना मैनिपुलेटिव्ज़ से कलम और कागज विधि में कैसे प्रवृत्त हुआ जा सकता है। फलतः विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों में प्रदर्शित होने वाले गणितीय सांकेतिक निरूपणों के साथ-साथ आगे बढ़ना चाहिए।

एक प्रख्यात शिक्षाविद, ब्रूनर (1966) ने इन अलग संसारोंʼ को अभिनीत, प्रतीकात्मक और सांकेतिक के रूप में अंकित किया था। गतिविधि 2 का उद्देश्य इस संक्रमण को क्रियान्वित करना और शिक्षण को शारीरिक विधि द्वारा गणित के ‘क्रियान्वयन’ तक लेकर जाना है (ब्रूनर का इनेक्टिव चरण), वे चित्र बनाना जो अभिनीत शिक्षण को निरूपित करते हैं (ब्रूनर का प्रतीकात्मक चरण), गणितीय सांकेतिक चिह्नों का उपयोग करना एवं उन्हें अर्थ प्रदान करना (ब्रूनर का सांकेतिक चरण) है, जैसा कि हमारी पाठ्यपुस्तकों एवं परीक्षा पत्रों में पाया जाता है।

इस गतिविधि का दूसरा भाग इस चुनौती से निपटता है। विद्यार्थी अपने फ़ोल्ड किए गए कोणों को ब्लैकबोर्ड के समक्ष रखते हैं और उनकी नकल बनाते हैं। विद्यार्थियों से चिह्नों जैसे कि कोण प्रतीक, समकोण प्रतीक एवं कोण आकार के साथ बनाए गए इस आकार के बारे में व्याख्या करने के लिए कहने से वे आगे गणित के सांकेतिक निरूपण के लिए बढ़ने में सक्षम होंगे।

गतिविधि 2: अलग - अलग कोणों के बारे में सीखने के लिए कागज मोड़ना

बड़ी मात्रा में पुराने समाचार पत्रों को हासिल करना अपेक्षाकृत आसान होता है। यदि आपके पास समाचार पत्र नहीं हैं तो कोई और कागज ले लें। अगली गतिविधि के पहले भाग में कागज मोड़ने के लिए संसाधन के रूप में समाचार पत्र का उपयोग किया जाता है। विद्यार्थियों को गतिविधि 1 के समान माप के अनुसार कोणों के निर्माण के लिए अपने कागज मोड़ने के लिए कहा जाता है।

भाग 1: कागज मोड़ने के द्वारा अलग-अलग माप के कोणों का निर्माण करना

विद्यार्थियों को कागज मोड़ना दिखाएँ ताकि वे 180° का कोण बना सकें।

अपनी उंगलियों का उपयोग कर दिखाएँ जहाँ ऋजु कोण एक सरल रेखा पर वास्तव में स्थित होगा (अन्यथा कभी–कभी विद्यार्थी एक सरल रेखा एवं 180° के ऋजु कोण के बीच के संबंध का निर्माण करने में असमर्थ हो सकते हैं)।

विद्यार्थियों से अपने कागज को एक समय में एक बार मोड़ने के लिए कहें ताकि उसे सभी देख सकें, इस प्रकार वे निम्नलिखित माप के कोणों का निर्माण करते हैं:

  • 90° वाला कोण
  • 0° वाला कोण
  • 180° वाला कोण
  • 45° वाला कोण
  • 135° वाला कोण
  • ऋजु कोण
  • अधिक कोण
  • समकोण
  • न्यून कोण
  • (विद्यार्थियों के समूहों में या जोड़ों में) कई सारे विभिन्न समकोण।

जैसा कि गतिविधि 1 में दर्शाया गया है, न्यून एवं अधिक कोणों के भिन्न-भिन्न उदाहरण संभव हैं। इन अलग अलग उदाहरणों की वैधता पर चर्चा करने से परिभाषाओं एवं इन परिभाषाओं के अंतर्गत संभावित रूपांतरों पर बात करने का अच्छा अवसर मिलता है। इसे पुनः करने से विद्यार्थियों को अपनी समझ परिष्कृत करने में, उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली गणितीय भाषा को परिष्कृत बनाने में मदद मिलेगी, इसके अलावा उन्हें अपने विचारों को याद करने में भी मदद मिलेगी। विद्यार्थियों के लिए अंतिम बिंदु का उद्देश्य यह अनुभूत कराना है कि समकोण समान होते हैं भले ही आकार कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए।

भाग 2: कोणों के प्रतीकात्मक एवं सांकेतिक निरूपण की ओर जाना

कागज मोड़ने का उपयोग कर, विद्यार्थियों से पुनः त्वरित रूप से एक समय में एक बार मोड़ कर निम्नलिखित मापों का कोण बनाने के लिए कहें:

  • 90° वाला कोण
  • 0° वाला कोण
  • 180° वाला कोण
  • 45° वाला कोण
  • 135° वाला कोण
  • ऋजु कोण
  • अधिक कोण
  • समकोण
  • न्यून कोण।

प्रत्येक निर्मित कोण के बाद, एक विद्यार्थी को ब्लैकबोर्ड पर अपना निर्मित कोण बनाने के लिए कहें। विद्यार्थियों से चिह्न जैसे कि कोण संकेत, समकोण संकेत एवं कोण आकार (उदाहरण के लिए, 90°) के साथ बनाए गए इस आकार के बारे में व्याख्या करने के लिए कहें।

वीडियो: सभी को शामिल करना

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 का उपयोग कर श्रीमती अल्का बताती हैं

विद्यार्थियों ने पहले कभी या कम से कम काफ़ी समय से कागज मोड़ने का अभ्यास नहीं किया है, अतः वे शुरुआत में थोड़ी उलझन में दिख सकते हैं। किसी तरह वे असामान्य रूप से अर्घ कोण की अवधारण का पता लगाते हुए प्रतीत हो सकते हैं।

मैंने प्रत्येक से अपना स्वयं का कोण बनाने के लिए कहा, लेकिन उन्हें अपने पास के विद्यार्थी से इस पर बात करने की अनुमति दी गई। मुझे लगता है कि इससे उन्हें मेरे द्वारा उनको बताए या प्रदर्शित किए बिना त्वरित रूप से यह समझने में मदद मिली कि उन्हें क्या करना है। सुझाव के रूप में, मैंने उनसे वही सवाल पूछे जैसा मैंने गतिविधि 1 में पूछा था और जानबूझकर मैंने उन विद्यार्थियों से पूछा जिन्होंने खुद उठकर सामान्यतः कभी भी उत्तर नहीं दिए थे। उन्होंने इसका ठीक जवाब दिया, और इसने आश्वस्त किया कि वे ‘गणित के बारे में बात’ कर सकते हैं।

मुझे अभिनीत तरीके से लेकर प्रतीकात्मक से लेकर सांकेतिक तक के चरण बेहद पसंद आए और मैं इसकी संभावना देख सकती हूँ। उम्मीद है कि जब विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक में एक कोण के प्रतीकात्मक निरूपण को देखेंगे तो इस बात पर विचार करेंगे कि उनके द्वारा कागज का उपयोग कर बनाए गए कोण से यह कितना समान है और यह उस कोण से समान है जिसे वे अपने शरीर का उपयोग कर चित्रित करते हैं। संभवतः वे इसे पहली बार नहीं करेंगे लेकिन मैं उन्हें समय-समय पर याद दिलाने का प्रयास करती रहूँगी।

गतिविधि के भाग के रूप में जो चीज़ मुझे भी पसंद आई वह प्रयुक्त संकेतों पर दिया गया ध्यान, उन्हें सही तरीके से लिखना और उन्हें ‘उच्चारित करना’ शामिल है। मुझे लगता है कि मैं भी अक्सर उन संकेतों के अर्थ के बारे में भूल जाती हूँ, अतः उन्हें याद रखने, जानने की आवश्यकता रहती है।

विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • आपने इस गतिविधि के लिए कोणों की उनकी समझ का आकलन कैसे किया? अपने अगले आपने इस गतिविधि के लिए कोणों की उनकी समझ का आकलन कैसे किया? अपने अगले

3 अपने आसपास कोणों का पता लगाना

जीवन में कोणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यद्यपि, विद्यार्थी अपने आसपास इन कोणों को प्रायः नहीं देखते हैं या कक्षा में प्रस्तुत इन कोणों के साथ संबंध नहीं बना पाते हैं। जब विद्यार्थी अपने आसपास इन कोणों को नहीं देख पाते हैं, तो उनके द्वारा कोणों के महत्व को समझने या दो कोणों के संबंध को निर्धारित करने की संभावना कम होती है।

अगली गतिविधि में आप अपने विद्यार्थियों से विभिन्न कोणों को पहचानने के बारे में पूछेंगे, पहले कक्षा में, फिर स्कूल के मैदान में। फिर, उनसे कोणों के माप के महत्व और यदि उनमें परिवर्तन हो जाए तो क्या होगा के बारे में पूछने की गतिविधि करती हैं।

गतिविधि 3: कक्षा में और बाहर कोणों का पता लगाना

भाग 1: कक्षा में कोणों का पता लगाना

चार या पाँच के समूह में विद्यार्थियों को व्यवस्थित करें। विद्यार्थियों से निम्न करने के लिए कहें:

  • कक्षा में विभिन्न कोणों का पता लगाना और उनके नोट बनाना
  • इन कोणों के आकार का अनुमान लगाना और उनके नोट बनाना
  • न्यून, अधिक कोण आदि में इन कोणों को वर्गीकृत करना और नोट बनाना।

भाग 2: कक्षा से बाहर कोणों का पता लगाना

स्कूल के मैदान में काम करने के लिए विद्यार्थियों से कहते समय आपको हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके विद्यार्थी आती-जाती हुई गाड़ियों या निर्माण कार्य जैसे सामना किए जा सकने वाले सुरक्षा खतरों के प्रति जागरूक हैं और वे मौसम में होने वाले बदलावों के लिए भी तैयार हैं।

चार या पाँच के समूह में विद्यार्थियों को व्यवस्थित करें। विद्यार्थियों को स्कूल के मैदान में जाने से पहले उन्हें निर्देश दें। प्रत्येक समूह को कोणों के प्रत्येक अलग-अलग प्रकार जैसे कि न्यून, अधिक एवं ऋजु कोण के लिए कम से कम तीन उदाहरण का पता लगाने के लिए कहें। फिर उनसे निम्नलिखित कहें:

  • स्कूल के मैदान में विभिन्न कोणों का पता लगाना और उनके नोट एवं चित्र बनाना
  • इन कोणों के आकार का अनुमान लगाना एवं नोट बनाना
  • न्यून, अधिक कोण आदि में इन कोणों को वर्गीकृत करना और उनके नोट बनाना।

यदि आपके विद्यार्थियों के पास डिजिटल कैमरा या कैमरा युक्त मोबाइल फ़ोन है तो इनका उपयोग उस समय कोणों की तस्वीर लेने के किया जा सकता है जब वे कक्षा से बाहर इनका पता लगा रहे हों। यह उनके अन्वेषणों को दर्ज करने के लिए एक रोमांचक विकल्प हो सकता है। यदि आपके पास कंप्यूटर और प्रिंटर तक की पहुँच है तो आप कुछ विद्यार्थियों द्वारा लिए गए चित्रों को प्रिंट कर सकते हैं और कक्षा की दीवार पर उनकी एक मनोरंजक प्रदर्शनी लगा सकते हैं।

भाग 3: पूरी कक्षा के लिए फ़ीडबैक

कक्षा में वापस आने पर समूह से पूरी कक्षा के समक्ष कुछ अन्वेषणों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहें – सभी अन्वेषणों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में अधिक समय लग सकता है।

विद्यार्थियों से निम्नलिखित प्रश्न पूछें:

  • यदि आपके द्वारा अन्वेषित कोण को छोटे कोण से बदल दिया जाए तो क्या होगा?
  • यदि आपके द्वारा अन्वेषित कोण को बड़े कोण से बदल दिया जाए तो क्या होगा?

वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए

विचार के लिए रुकें

  • आपकी कक्षा के साथ गतिविधि 3 कितने अच्छे ढंग से निष्पादित हुई?
  • विद्यार्थियों से कैसी प्रतिक्रियाएँ अनपेक्षित थीं? क्यों?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

4 सारांश

यह इकाई कोण की अवधारणा के विकास और आपके शिक्षण के माध्यम से वास्तविक जीवन में उनकी उपस्थिति को पहचानने पर केंद्रित है।

आपने देखा है कि आप गणितीय क्षेत्र के रूप में किस तरह बाहरी स्थानों का उपयोग कर सकते हैं जहाँ विचारों को अन्वेषण के लिए खुली छूट दी जा सकती है और गणित के साथ उनके संबंध स्थापित किए जा सकते हैं।

आपने यह भी पता लगाया होगा कि अपने विद्यार्थियों को मूर्त रूप से दृश्यात्मक छवियाँ विकसित करने में कैसे समर्थ बनाया जाए, कागज मोड़ने जैसे मैनिपुलेटिव्ज़ (हस्तकौशलों) के साथ कैसे काम किया जाए और गणित में अभिनीत, प्रतीकात्मक और सांकेतिक निरूपणों के बीच (ब्रूनर का सिद्धांत) किस तरह संबंध स्थापित किया जाए। ऐसा करने में आपने इस बात पर विचार किया होगा कि हमारे आस–पास चारों ओर फैले कोणों को समझने में विद्यार्थियों की मदद कैसे करें और यह भी कि कोणों की माप करना हर दिन का एक महत्वपूर्ण कौशल है।

इस तरीके से काम करने में विद्यार्थियों की मदद करने से वे बिना किसी की मदद के सीखने वाले विद्यार्थी बनते हैं, वे कक्षा में सीखे उपायों के माध्यम से सोचने और उन्हें बाहरी जीवन में लागू करने में समर्थ होते हैं।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में सीखी गई उन तीन तकनीकों अथवा रणनीतियों को पहचानें जिनका उपयोग आप अपनी खुद की कक्षाओं में कर सकते हैं।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

यह इकाई एनसीएफ (2005) और एनसीएफटीई (2009) की निम्नलिखित शिक्षण आवश्यकताओं के साथ संबंध स्थापित करती है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगी:

  • शिक्षार्थियों को उनके शिक्षण में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को कैसे प्रोत्साहित करें; रटने वाली पद्धतियों से शिक्षण को दूर कैसे ले जाएँ।
  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिस पर साथ मिलकर कार्य करें।
  • कक्षा के भीतर और बाहरी परिवेश में एक शिक्षण माध्यम के रूप में व्यावहारिक अनुभव में निहित संभावना; और काम के शिक्षा प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होने के बारे में आकलन करें।

संसाधन 2: प्रगति और प्रदर्शन का आकलन

विद्यार्थियों के शिक्षण का आकलन करने के पीछे दो उद्देश्य हैं :

  • योगात्मक आकलन पीछे अतीत को देखता और पहले से सीखी गई बातों को परखकर उन पर निर्णय लेता है। इसे अक्सर श्रेणीबद्ध परीक्षाओं के रूप में किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को उस परीक्षा के सवालों पर अपनी दक्षता का पता चलता है। इससे परिणामों की सूचना देने में भी मदद मिलती है।
  • निर्माणात्मक आकलन (या सीखने के लिए आकलन) स्वभाव से अधिक अनौपचारिक और नैदानिक होने के चलते काफी अलग होता है। अध्यापक इसका इस्तेमाल सीखने की प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में करते हैं, जैसे, इस बात की जाँच करने के लिए सवाल पूछना कि विद्यार्थी कुछ समझे हैं या नहीं। उसके बाद इस आकलन के परिणामों का इस्तेमाल अगले सीखने के अनुभव को बदलने के लिए किया जाता है। निगरानी और प्रतिक्रिया निर्माणात्मक आकलन का हिस्सा हैं।

निर्माणात्मक आकलन पठन-पाठन में वृद्धि करता है क्योंकि सीखने के लिए अधिकांश विद्यार्थियों को:

  • समझना चाहिए कि उनसे क्या सीखने की उम्मीद की जाती है
  • पता होना चाहिए कि उस सीखने के साथ इस समय वे कहाँ पर हैं
  • समझना चाहिए कि वे कैसे प्रगति कर सकते हैं (यानी, क्या पढ़ना है और कैसे पढ़ना है)
  • पता होना चाहिए कि अब वे लक्ष्यों और प्रत्याशित परिणामों तक पहुँच चुके हैं।

एक अध्यापक के रूप में, यदि आप प्रत्येक पाठ की उपरोक्त चारों बातों पर अमल करते हैं तो आपको अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे। इस प्रकार आकलन का कार्य निर्देश से पहले, निर्देश के दौरान और उसके बाद किया जा सकता है:

  • पहले: अध्यापन शुरू होने से पहले आकलन करने से आपको निर्देश से पहले यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि आपके विद्यार्थी क्या जानते हैं और क्या कर सकते हैं। यह आपके अध्यापन के आधार का निर्धारण करता है और आपको उसकी योजना बनाने की शुरुआत करने का माध्यम प्रदान करता है। आपके विद्यार्थियों को जो पता है उसके बारे में अपनी समझ को बढ़ाने से विद्यार्थियों को वह सब फिर से पढ़ाने की संभावना कम हो जाती है जिसमें वे पहले ही माहिर हो गए हैं या कुछ ऐसा छूटने की संभावना कम हो जाती है जिसके बारे में उन्हें संभवतः जानना या समझना (लेकिन अभी तक नहीं है) चाहिए।
  • के दौरान: कक्षा अध्यापन के दौरान आकलन करते समय इस बात की जाँच की जाती है कि विद्यार्थी सीख रहे हैं और बेहतर कर रहे हैं या नहीं। इससे आपको अपनी अध्यापन पद्धति, संसाधनों और क्रियाकलापों का समायोजन करने में मदद मिलेगी। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि विद्यार्थी वांछित उद्देश्य की दिशा में कैसे आगे बढ़ रहे हैं और आपका अध्यापन कितना सफल है।
  • के बाद में: अध्यापन के बाद होने वाले आकलन से विद्यार्थियों द्वारा सीखी गई बातों की पुष्टि होती है और इससे आपको यह भी पता चलता है कि किसने सीखा है और किसे अभी भी सहायता की जरूरत है। इससे आपको अपने अध्यापन लक्ष्य की प्रभावकारिता का आकलन करने का मौका मिलेगा।

पहले: स्पष्ट रूप से जानना कि आपके विद्यार्थी क्या सीखेंगे

जब आप यह तय करते हैं कि विद्यार्थियों को एक पाठ में या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना चाहिए तो आपको उन्हें इसके बारे में बताने की जरूरत होती है। विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जाती है और आप उन्हें क्या करने के लिए कह रहे हैं, इन दोनों के बीच के अंतर को ध्यान से समझाएँ। एक ऐसा खुला सवाल पूछें जिससे आपको आकलन करने का मौका मिल सके कि उन्होंने वाकई समझा है या नहीं। उदाहरण के लिए:

विद्यार्थियों को अपना जवाब देने से पहले कुछ सेकंड सोचने का मौका दें, या विद्यार्थियों को पहले जोड़ियों में या छोटे-छोटे समूहों में अपने जवाबों पर चर्चा करने के लिए भी कहा जा सकता है। जब वे आपको अपना जवाब बताएंगे, आपको पता चल जाएगा कि वे समझते हैं या नहीं कि उन्हें क्या सीखना है।

पहले: जानना कि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में कहाँ तक पहुंचे हैं

अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए, आपको और उनको दोनों को उनके ज्ञान और समझ की मौजूदा स्थिति के बारे में जानने की जरूरत है। सीखने के अपेक्षित परिणामों या लक्ष्यों के बारे में बताने के बाद, आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

  • विद्यार्थियों को जोड़ियों में काम करते हुए उस विषय के बारे में पहले से मालूम बातों का खाका या सूची तैयार करने के लिए कहें, इसे पूरा करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय दें लेकिन कम विचार वालों को ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं है। उसके बाद आपको उन खाकों या सूचियों की समीक्षा करनी चाहिए।
  • बोर्ड पर महत्वपूर्ण शब्दावली लिखें और विद्यार्थियों से स्वेच्छा से बताने के लिए कहें कि वे प्रत्येक शब्द के बारे में क्या जानते हैं। उसके बाद कक्षा के बाकी विद्यार्थी यदि शब्द को समझते हैं, तो अंगूठों को उठाने के लिए कहें, यदि बहुत कम या कुछ नहीं जानते तो अंगूठों को नीचे करने के लिए कहें और यदि उन्हें कुछ-कुछ पता है तो अंगूठों को क्षैतिज स्थिति में रखने के लिए कहें।

कहाँ शुरू करना है, इसकी जानकारी होने का मतलब यही होगा कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक पाठों की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी इस बात का आकलन करने में सक्षम हों कि वे कितने अच्छे तरीके से सीख रहे हैं ताकि आपको और उनको पता चल सके कि उन्हें आगे क्या सीखने की जरूरत है। विद्यार्थियों को खुद अपने सीखने की कमान संभालने के अवसर प्रदान करने से उन्हें जीवन भर सीखने के लिए तत्पर इंसान बनाने में मदद मिलेगी।

के दौरान: पढ़ाई में विद्यार्थियों की प्रगति को सुनिश्चित करना

विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते समय सुनिश्चित करें कि उन्हें आपकी प्रतिक्रिया उपयोगी और रचनात्मक दोनों लगे। इसे निम्नलिखित तरीके से करें:

  • विद्यार्थियों की अपनी खूबियों के बारे में और वे आगे और बेहतर कैसे कर सकते हैं, यह जानने में मदद करके
  • आगे के विकास के लिए क्या जरूरी है उसके बारे में स्पष्ट बताकर
  • वे अपनी पढ़ाई कैसे विकसित कर सकते हैं उसके बारे में सकारात्मक बनकर, इस बात की जाँच करके कि वे आपकी सलाह को समझते हैं और उसका इस्तेमाल करने में सक्षम महसूस करते हैं।

आपको विद्यार्थियों के लिए अपनी पढ़ाई को बेहतर बनाने के अवसर प्रदान करने की भी जरूरत होगी। इसका अर्थ यह हुआ कि अपनी पढ़ाई में विद्यार्थी इस समय जहां पर हैं और जहां पर आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को पाटने के लिए आपको अपनी पाठ योजनाओं को रूपांतरित भी करना पड़ सकता है। इसे करने के लिए आपको निम्नलिखित काम करने पड़ सकते हैं:

  • लौटकर किसी पुराने कार्य पर जाना पड़ सकता है जिसके बारे में आपको लगता था कि उन्हें पहले से ही पता है
  • जरूरत के मुताबिक विद्यार्थियों को समूहीकृत करके उन्हें अलग-अलग काम सौंपने पड़ सकते हैं

  • विद्यार्थियों को खुद यह तय करने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ सकता है कि उन्हें किन-किन संसाधनों का अध्ययन करने की जरूरत है ताकि वे ‘स्वयं अपने अंतराल को भर’ सकें
  • निम्न प्रविष्टि, उच्च सीमा’ कार्यों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है ताकि सभी विद्यार्थी प्रगति कर सकें - इन्हें इस तरह बनाया गया है कि सभी विद्यार्थी काम को शुरू कर सकें लेकिन ज्यादा सक्षम विद्यार्थी यहीं तक सीमित नहीं रहें और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर सकें।

पढ़ाने की रफ्तार को धीमा करके, बहुधा आप असल में सीखने की रफ्तार को बढ़ा सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से विद्यार्थियों को यह सोचने-समझने का समय और आत्मविश्वास मिलता है कि आगे सुधार के लिए उन्हें क्या करने की जरूरत है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का, और अपनी खामियों को पहचानने और उन खामियों को दूर करने के बारे में विचार करने का मौका देकर, आप उन्हें अपना खुद का आकलन करने के रास्ते बता रहे हैं।

बाद: सबूत इकट्ठा करना और उसकी व्याख्या करना, और आगे की योजना बनाना

पढ़ाने के दौरान सीखने का काम भी चलता रहता है और एक कक्षा कार्य या गृह कार्य देकर, निम्नलिखित काम करना जरूरी है:

  • पता लगाना कि आपके विद्यार्थी कितना अच्छा कर रहे हैं
  • अगले पाठ की योजना बनाने में इस जानकारी का इस्तेमाल करना
  • विद्यार्थियों को वापस इसके बारे में बताना।

आकलन की चार प्रमुख अवस्थाओं के बारे में नीचे बताया गया है।

जानकारी या सबूत इकट्ठा करना

प्रत्येक विद्यार्थी, स्कूल के अन्दर और बाहर दोनों जगह, अपनी खुद की रफ़्तार और शैली में, अलग-अलग ढंग से सीखता है। इसलिए, आपको विद्यार्थियों का आकलन करते समय दो काम करने की जरूरत है:

  • तरह-तरह के स्रोतों (अपने खुद के अनुभव, विद्यार्थी, अन्य विद्यार्थी, अन्य अध्यापक, माता-पिता और सामुदायिक सदस्यों से) से जानकारी इकट्ठा करना।
  • जोड़ों में और समूहों में, विद्यार्थियों का अलग-अलग आकलन करना, और आत्म-आकलन को बढ़ावा देना। अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करना जरूरी है, क्योंकि किसी एक तरीके से आपको सारी आवश्यक जानकारियाँ नहीं मिल सकती हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के अलग अलग तरीकों में शामिल है अवलोकन करना, सुनना, विषयों और विषय-वस्तुओं पर चर्चा करना, और लिखित कक्षा और गृहकार्य की समीक्षा करना।

रिकॉर्ड करना

पूरे भारत में सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम तरीका रिपोर्ट कार्ड का इस्तेमाल करना है, लेकिन इससे आपको एक विद्यार्थी की पढ़ाई या व्यवहारों के सभी पहलुओं को दर्ज करने का मौका नहीं मिल सकता है। इसे करने के कुछ आसान तरीके हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं, जैसे:

  • पढ़ने-पढ़ाने के दौरान दिखाई देने वाली बातों को एक डायरी/नोटबुक/रजिस्टर में नोट करना
  • विद्यार्थियों के काम (लेख, कला, शिल्प, परियोजना, कविताएँ, इत्यादि) के नमूनों को एक पोर्टफोलियो में सुरक्षित रखना
  • प्रत्येक विद्यार्थी का प्रोफाइल तैयार करना
  • किसी असामान्य घटना, परिवर्तन, समस्या, विद्यार्थियों की खूबियों और पढ़ने के सबूतों को नोट करना।

सबूत की व्याख्या करना

जानकारी और सबूत इकट्ठा और रिकॉर्ड हो जाने के बाद, उनकी व्याख्या करना जरूरी है ताकि यह समझ में आ सके कि प्रत्येक विद्यार्थी कैसे पढ़ाई और प्रगति कर रहा है। इसके लिए ध्यानपूर्वक चिंतन और विश्लेषण करने की जरूरत पड़ती है। उसके बाद आपको पढ़ाई में सुधार लाने के लिए अपने निष्कर्षों पर काम करने की जरूरत पड़ती है, जिसे आप संभवतः विद्यार्थियों को प्रतिक्रिया देकर या नए संसाधन ढूँढकर, समूहों को फिर से व्यवस्थित करके, एक पठन विषय को दोहराकर कर सकते हैं।

सुधार के लिए योजना तैयार करना

आकलन के माध्यम से आपको विशिष्ट और अलग किस्म के सीखने के क्रियाकलापों की स्थापना करके, जिन विद्यार्थियों को ज्यादा मदद की जरूरत है उन पर ध्यान देकर, और जो विद्यार्थी ज्यादा आगे हैं उन्हें चुनौती देकर, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अर्थपूर्ण ढंग से सीखने के अवसर प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

अतिरिक्त संसाधन

References

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Gibbs, R.W. (2006) Embodiment and Cognitive Science . Cambridge, UK: Cambridge University Press.
National Council for Teacher Education (2009) National Curriculum Framework for Teacher Education (online). New Delhi: NCTE. Available from: http://www.ncte-india.org/ publicnotice/ NCFTE_2010.pdf (accessed 4 February 2014).
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Van Hiele, P. (1986) Structure and Insight: A Theory of Mathematics Education . Orlando, FL: Academic Press.
Watson, A., Jones, K. and Pratt, D. (2013) Key Ideas in Teaching Mathematics . Oxford: Oxford University Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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