छोटी या बड़ी कक्षा में जोड़ी में कार्य करना एक सरल कार्यनीति है। यह कार्यनीति विद्यार्थियों को पाठ में भाग लेने में सक्षम बनाती है। विद्यार्थियों को विषय पर बातचीत करने और अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने से उनमें सोचने की क्रिया प्रेरित होती है और उनके द्वारा किए जा रहे कार्य में उनकी रुचि बनी रहती है। जोड़ी में कार्य का उपयोग बहुत से उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और इसकी व्यवस्था करना भी आसान है।
जोड़ी में कार्य का उपयोग करने का एक मुख्य उद्देश्य है विद्यार्थियो, जो कर रहे हैं तथा सीखने की कोशिश कर रहे हैं उसके बारे में साथ मिल कर बातचीत करने में सक्षम बनाना। किसी समस्या के बारे में बातचीत करने से आपको मुद्दों को स्पष्ट करने में मदद मिलती है और समाधान खोजने के लिए आपमें सोचने की क्रिया प्रेरित होती है (मर्सर एवं लिटलटन, 2007)। जीवन प्रक्रम जैसे विषय पर, विद्यार्थियों के लिए एक दूसरे से बातचीत करते हुए अपने विचार साझा करना आसान होता है जबकि पूरी कक्षा के सामने बोलने में वे परेशान होते हैं या घबरा जाते हैं। साथ मिल कर वे, ‘गलत’ उत्तर देने पर पूरी कक्षा के सामने लज्जित हुए बिना ही अपनी समझ को विकसित कर सकते हैं। अकसर विद्यार्थियों के पास एसे विचार होते हैं, जो पूरी तरह विकसित नहीं हुए होते हैं। विद्यार्थियों, उनके विचारों के बारे में बात करने देने से, वे सुरक्षित ढंग से उस ग़लतफहमी की छानबीन कर सकते हैं जो संभवतः किसी विषय के बारे में हो सकती है।
यह इकाई इसकी छानबीन करती है कि अधिक प्रभावी ढंग से एक दूसरे से बातचीत करने की विद्यार्थियों हेतु योग्यताओं में वर्धन करने के लिए जोड़ी में कार्य का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
जोड़ी में कार्य का उपयोग करने के लिए कौशल को विकसित करना।
बातचीत करना और बातचीत करने में सक्षम होना कक्षाओं में सीखने की क्रिया का एक मुख्य आयाम है। भाषा का विकास और अवधारणा की समझ, के बीच एक गहरा संबंध होता है। विचार को भाषा चाहिए और भाषा को विचार, पर कई शिक्षक विद्यार्थियों को बोलने ही नहीं देते। यदि वे बोलने देते हैं, तो उनके विद्यार्थियों के सीखने के परिणामों में काफ़ी सुधार होता है (वाइगोटस्की, 1978)।
विद्यार्थी, वैज्ञानिक अवधारणाओं की अपनी समझ की छानबीन करें (ऐसा करने के द्वारा वैज्ञानिक पारिभाषिक शब्दों का उपयोग उपयुक्त ढंग से करें) इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें अपने विचारों और वैज्ञानिक अवधारणाओं की समझ के बारे में बोलने का अवसर मिलें। ऐसा करने के लिए, विद्यार्थियों को इस संबंध में सहायता की आवश्यकता होती है कि उनसे प्रभावी ढंग से बोला जाए और एक-दूसरे को सुना कैसे जाए। इसे प्राप्त करने के लिए जोड़ी में कार्य का उपयोग करना, छोटी आयु के विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी शुरूआत है, क्योंकि इससे उन्हें सीखने के लिए सुरक्षित और सहायक सन्दर्भ मिलते हैं।
विचार के लिए रुकें
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यह मान लेना बहुत आसान है कि विद्यार्थी जानते हैं कि एक-दूसरे से बातचीत कैसे करनी है? परन्तु ऐसा हमेशा सच नहीं होता है, और कई मामलों में तो अधिक आयु वाले विद्यार्थियों को भी इस बारे में मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ेगी कि साथ मिलकर अच्छी तरह कार्य कैसे किया जाता है? उन्हें पूरा करने के लिए एक कार्य दिया जाना होगा और उनसे क्या अपेक्षित है, इस पर मार्गदर्शन दिया जाना होगा।
किसी साथी के साथ कार्य करना आपके लिए तभी एक उपयोगी तकनीक हो सकती है, जब आप ऐसे विषयओं पर पाठों की योजना बना रहे हों, जिन्हें पढ़ाना आपको कठिन मालूम देता है। हर किसी के कुछ पसंदीदा क्षेत्र होते हैं, जिन्हें पढ़ना उन्हें अन्य से अधिक पसंद होता है। किसी विषय – विशेष के रूप में आपके कम पसंदीदा विषय को कैसे पढ़ाएं इस पर विचार और सुझाव साझा करने से आपमें सोचने की क्रिया प्रेरित होगी तथा आपको विषय के प्रति अपनी समझ को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी। आपको विषय पढ़ाने का एक स्पष्ट मार्ग भी दिखेगा।
श्रीमती रितेश भोपाल के पास के एक बड़े विद्यालय में प्राथमिक विज्ञान की शिक्षिका हैं। उन्होंने अन्य कक्षाओं में समान विषय पढ़ाने वाली एक सहकर्मी शिक्षिका से कहा कि वे योजना उनके साथ मिल कर बनाएं। श्रीमती रितेश ने एक स्थानीय डायट (DIET) कार्यशाला में भाग लिया था, जो विज्ञान के शिक्षण को बेहतर बनाने की विभिन्न शिक्षण तकनीकों की छानबीन पर केंद्रित था। इस कार्यशाला में भाग लेने के बाद वे चाहती थीं कि उन्होंने जो तकनीकें और विचार सीखे थे उनमें से कुछ को साझा किया जाए। एक विचार यह था कि सहकर्मियों के साथ योजना बनाएं, और इस दौरान, प्रयुक्त होने वाली ऐसी पद्धतियों जो विद्यार्थियों की सीखने में मदद करें के बारे में विचार साझा करें तथा समस्याओं को साथ मिलकर सुलझाएं। वे नीचे बताती हैं कि किस प्रकार उन्होंने जीवन प्रक्रमों से सम्बन्धित सत्रों की योजना बनाई।
मैंने मीना से पूछा कि क्या वह अगले तीन विज्ञान सत्रों की योजना साथ मिल कर बनाएगी, इस पर वह राजी हो गई। वह शिक्षण के क्षेत्र में अभी नई हैं, फिर भी उन्होंने साथ मिल कर कार्य करने के प्रस्ताव का स्वागत किया। हम जीवन प्रक्रमों पर थोड़ा कार्य करने वाले थे, हमने उन कुछ मुख्य चीजों की पहचान की जो विद्यार्थियों को सिखाना चाहते थे। हम, विद्यार्थियों के अनुभव को अधिक संवादात्मक (इटंरेक्टिव) बनाना चाहते थे। जीवन प्रक्रमों में जीवित प्राणियों के समस्त अभिलक्षण शामिल होते हैं और यह बात शामिल होती है कि विभिन्न जंतु ये सात प्रक्रम किस प्रकार संचालित करते हैं। प्रयोगात्मक कार्य की मात्रा के बारे में सोचना कठिन हो सकता है। तो मैंने सोचा कि साथ मिल कर योजना बनाने हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित करने वाली कुछ उपयोगी और रोचक गतिविधियां तैयार करने में मदद मिलेगी। हम इस पर सहमत थे चूंकि हमें जोड़ी के रूप में कार्य करते हुए आनन्द मिल रहा था, विद्यार्थियों के लिए भी जोड़ी में कार्य करना अच्छा रहेगा।
चूंकि हमारी कक्षाएँ काफ़ी बड़ी थीं। हमने तय किया कि हम कुछ बेहद सरल गतिविधियों का उपयोग करेंगे। जैसे अपनी बाँह मोड़ना, खड़े होना बैठ जाना, या लेट जाना। हम इन सरल क्रियाओं को ब्लैकबोर्ड पर एक सूची के रूप में लिखने पर सहमत हुए। प्रत्येक क्रियाकलाप के लिए प्रश्न कुछ इस प्रकार थे–
विद्यार्थियों को ये क्रियाएं करके देखनी थीं और (यदि उनके साथी खुशी-खुशी करने को तैयार हों तो) वे यह महसूस कर सकते थे कि उनके साथी द्वारा अपनी भुजा मोड़ने पर क्या होता है? इसके बाद उन्हें साथ मिलकर इस बारे में बात करनी थी कि क्या हो रहा था? इस पर अपने विचार लिखने थे।
मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने विचारों का बाकी कक्षा के साथ साझा करें और उन्हें जो एक जैसे विचार मिलें उनकी सूची बना लें। मैंने देखा कि कुछ विद्यार्थियों को यह समझ नहीं आया था कि पेशियां और हड्डियां साथ मिल कर कैसे कार्य करती हैं, तो मैंने कहा कि हम इस तरह के विचारों की अगले पाठ में और अधिक छानबीन करेंगे।
मैंने अपना अनुभव मीना को बताया और उसे भी अपनी कक्षा में इसी प्रकार की समस्या मिली। हमने तय किया कि हड्डियों के जोड़ कैसे कार्य करते हैं, इसके कुछ सरल मॉडल बनाएंगे [देखें संसाधन 1], जिनसे हम अगले पाठ में पेशियों को जोड़ियों में कार्य करते हुए दिखाएंगे। जब हम कक्षा से निकल रहे थे तब भी विद्यार्थी अपने शरीर तथा वह गति कैसे करता है, इस बारे में काफ़ी रुचि दिखा रहे थे तथा बातचीत कर रहे थे। यह देख कर हमें बहुत खुशी हुई। हमने तय किया कि हम साथ मिलकर योजना बनाना जारी रखेंगे, क्योंकि इससे हमें विद्यार्थियों की रुचि जागृत करने तथा उन्हें उत्साहित करने के तरीकों के बारे में विचार साझा करने के द्वारा अधिक रचनाशील ढंग से सोचने में मदद मिली थी।
विचार के लिए रुकें
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जहां दोनों साथी एक-दूसरे के विचार साझा करते हों, उनका सम्मान करते हों और आगे बढ़ते हुए थोड़ी गुंजाइश रखने के लिए सहमत हों। ऐसे मामलों में जोड़ी में कार्य करना बेहद उपयोगी और सहयोगी तरीका है। श्रीमती रितेश और मीना ने शिक्षण की अपनी कार्यनीतियों को विस्तार देने के दौरान विचार साझा करने और एक दूसरे को सहयोग देने के द्वारा लाभ उठाया। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो गया था जब वैसा नहीं हुआ जैसी उन्होंने योजना बनाई थी। वे एक-दूसरे पर दोषारोपण किए बिना यह खोज करने में समर्थ रहीं कि हुआ क्या था? इस भरोसे को कायम होने में वक्त लगा परन्तु उन दोनों को अपने कार्य के बारे में बात करना पसंद था, इससे भरोसा बढ़ता गया।
यदि आपका कोई ऐसा सहकर्मी है जो वही विषय पढ़ाता है, जो कि आप तो उनसे पूछें कि क्या आपके साथ मिल कर किसी ऐसे पाठ की योजना बना सकते हैं, जिसमें आप अपनी कक्षा में जोड़ी में कार्य का उपयोग करते हैं। आप दोनों को ही शुरुआत करने से पहले संसाधन 2, ‘पाठों की योजना बनाना’ पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे आपको अपने कार्य में मदद मिलेगी। यदि यह करने के लिए आपके पास ऐसा कोई सहकर्मी नहीं हो, तो आप चाहें तो स्कूल के किसी अन्य शिक्षक से अपने विचारों के बारे में बातचीत कर सकते हैं। आप यह बातचीत अपनी योजना बनाने से पहले कर सकते हैं या योजना बनाने के दौरान कोई समस्या सामने आ जाने पर कर सकते हैं।
किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत करने से आपमें इस बारे में स्वयं की सोचने की क्रिया प्रेरित होगी कि क्या किया जाए? कि जिस पाठ की योजना आप बना रहे हैं, उसके बारे में अधिक गहराई से सोचने में आपको मदद मिलेगी।
विचार के लिए रुकें योजना बना लेने के बाद, सोचें कि आपकी योजना बनाने की क्रिया की गहराई और विस्तार के लिए साझा करने की क्रिया का कैसा असर हुआ है?
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इस प्रकार का भरोसा बनाने तथा अधिक व्यापक संभावनाओं की खोज करने में सक्षम होने से आप विद्यार्थियों के लिए एक अधिक परस्पर संवादात्मक और रोचक शिक्षक बनने की ओर अग्रसर हो जाएंगे। इसी पद्धति को अपनी कक्षा में इस्तेमाल करने से आपके विद्यार्थियों को अधिक सीखने करने में मदद मिलेगी।
अब केस स्टडी 2 को पढ़ें।
श्रीमती रोशनी यह जानना चाहती थीं कि उनकी कक्षा को श्वसन के बारे में क्या पता है? इसलिए उन्होंने सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने के बारे में उनके विचारों की खोज करने से शुरुआत करने का निर्णय लिया। वे बताती हैं कि उन्होंने क्या किया? और क्यों?
मुझे विज्ञान सच में बहुत पसंद है और मैं चाहती हूँ कि मेरी कक्षा को भी इसमें आनन्द मिले। जब मैंने शिक्षक के तौर पर प्रशिक्षण लिया था तो मुझे ऐसे विज्ञान प्रशिक्षक मिले थे जिन्होंने इस कार्य को बहुत आनन्ददायी बना दिया था। तब से मैं भी अपने विद्यार्थियों के लिए ऐसा ही करना चाहती थी। ऐसा हमेशा आसान नहीं होता क्योंकि जिस स्कूल में मैं पढ़ाती हूँ वह ग्रामीण इलाके में है और उसमें विज्ञान के लिए अधिक उपकरण व संसाधन नहीं हैं। पर मेरे प्रशिक्षक ने कहा कि विज्ञान को रोमांचक बनाने के लिए आस पास पर्याप्त संसाधन होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को विज्ञान के बारे में बातचीत करने में और प्रायोगिक कार्य करने में सक्षम बनाने की आवश्यकता है। मैंने इसकी शुरुआत अपनी छठवीं कक्षा को जोड़ियों में कार्य करवाने का निर्णय लिया ताकि हर किसी को गतिविधि करने का और अपने अनुभवों के बारे में बातचीत करने का मौका मिले।
हम सजीवों के लक्षणों को देख रहे थे क्योंकि उनकी पाठ्यपुस्तकों में अगला विषय बिंदु यही था मैं विद्यार्थियों को यह अध्याय तुरन्त पढ़ना नहीं चाहती थी। मुझे अपने मन में अपने प्रशिक्षक की आवाज सुनाई पड़ी कि, चीजों की जाचं -पड़ताल करने की आवश्यकता है और मैं यह जानना चाहती थी कि उन्हें श्वसन के बारे में क्या पता है? मैंने सांस लेने व छोड़ने से शुरुआत की।
मैंने उनसे पहले स्वयं कार्य करने के लिए कहा। कहा कि वे अपने हाथ अपनी पसलियों पर रखें और धीरे-धीरे सांस लें और फिर छोड़ें। जब वे सांस अंदर-बाहर कर रहे थे तो मैंने उनसे कहा कि वे इस बारे में सोचें और महसूस करें कि उनके पसली-पिंजर, मुख और नाक के साथ क्या हो रहा है? और ऐसा क्यों हो रहा है? इसके बाद, मैंने उनसे यही कार्य अपने पड़ोसी के साथ करने के लिए कहा। मैंने कहा कि उनके साथी द्वारा सांस लिए जाने और छोड़े जाने के दौरान वे अपने हाथ अपने साथी की पसलियों पर रखें। इससे विद्यार्थियों में काफ़ी अधिक चर्चा हुई, ठहाके छूटे और उनमें रुचि जागी, क्योंकि उन सभी ने इसे कई-कई बार करके देखा।
जब वे यह कार्य कर रहे थे, तो मैं कक्षा में घूमती रही और उनकी बात–चीत को ध्यान से सुना। मैंने उन्हें इस बारे में सोचने का समय दिया कि उनके विचार में क्या हो रहा है? इसके बाद मैंने कुछ जोड़ियों से इस पर उनकी टिप्पणियां मांगीं। मैंने वे जोड़ियां चुनीं, जिनके बारे में मुझे पता था कि उनके पास कुछ रोचक विचार हैं।
उनके उत्तरों में से कुछ उत्तर इस प्रकार के थे–
छाती फूल जाती है
इसके बाद उन्होंने जोड़ियों में इस बात पर चर्चा की कि ऐसा क्यों हुआ? फिर मैंने कुछ अन्य जोड़ियों से उनके विचार बताने को कहा। यह साफ़ था कि अधिकतर जोड़ियां यह बताने में समर्थ थीं कि ऐसा अंदर हवा लेने के कारण था। परन्तु विद्यार्थी यह नहीं समझा सके कि छाती के फैलने से हवा के अंदर प्रवेश करने में मदद क्यों मिलती है?
छाती और फेफड़ों के आयतन में विस्तार देने से वायुदाब घटता है, जिसके कारण से वायु अदंर प्रवेश करती है और बलों को बराबर कर देती है। यह विचार मेरा कोई भी विद्यार्थी समझ नहीं सका। तो मैंने बाकी के पाठ में उन्हें दिखाया कि ऐसा कैसे होता है? तथा वायुदाब संतुलित करने वाले बलों के बारे में बताया।
अगला चरण होगा सांस लेने व छोड़ने की क्रिया के विषय में और खोज करना जिसमें वास्तविक उदाहरण जोड़ने के लिए हम देखेंगे कि अन्य जानवर कैसे सांस लेते हैं? इससे पाठ्यपुस्तक के साथ एक कड़ी बन जाएगी तथा उन्हें यह याद रखने और बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
वीडियो: सीखने के लिए बातचीत |
विचार के लिए रुकें श्रीमती रोशनी ने अपने विद्यार्थियों के सांस लेने तथा श्वसन के विचारों को अनुभव से जोडऩे का अवसर देने के लिए उन्हें सक्रिय जोड़ी में कार्य कराया। क्या, आप अपनी कक्षा के साथ ऐसी सरल गतिविधियाँ नियमित रूप से करते हैं? यदि नहीं, तो आप यह कैसे कर सकते हैं? |
अब जोड़ी में कार्य करते हुए अपना नियोजित पाठ पढ़ाएं, तो अपने विद्यार्थियों को बतायें कि हम कैसे सांस लेते हैं? भोजन को निगलने पर उसके साथ क्या होता है? हम मल का उत्सर्जन कैसे करते हैं या विज्ञान में आप जो भी अन्य विषय पढ़ा रहे हों उसके बारे में बातचीत करने में सक्षम बनाएं।
इस बारे में सोचें कि उनके बातचीत के दौरान आप क्या करेंगे? और इस बारे में सोचें कि आप निम्नांकित कैसे करेंगे?
एक-दूसरे के विचारों को कैसे सुनें एवं सम्मान दें इस बारे में अपने विद्यार्थियों को सलाह देना महत्वपूर्ण है, ताकि साथ मिल कर वे ऐसी समझ बना सकें जिस पर वे दोनों सहमत हों। आपको जिन भी संसाधनों की आवश्यकता हो, साथ मिल कर एकत्र करें और फिर अपना पाठ पढ़ाएं।
विचार के लिए रुकें पाठ कैसा रहा? क्या विद्यार्थियों ने रुचि ली? आप यह कैसे जानते हैं? विद्यार्थियों ने क्या किया अथवा उन्होंने क्या नहीं किया? क्या आप इस बारे में अधिक जान सके कि सांस लेने या पाचन के लिए, जोड़ियों में कार्य करने में से आपके द्वारा चुने गए विषय के बारे में वे क्या जानते हैं? अगली बार आप जोड़ी में कार्य करने के लिए सुधार कैसे ला सकते हैं? |
कक्षा में जोड़ी में काम करने से कुछ स्पष्ट लाभ होते हैं (चित्र 1) –
यह आवश्यक नहीं है कि जोड़ी में कार्य पाठ की किसी एक अवस्था तक सीमित रहे। विद्यार्थियों को विविध प्रकार के कार्यों के लिए जोड़ियों में रखा जा सकता है, जैसे –
आप अभ्यास करने और सीख को सुदृढ़ बनाने के लिए साथ मिल कर खेल भी सकते हैं।
कुछ शिक्षकों का तर्क है कि सहयोगात्मक कार्य से वैयक्तिक विचार घट जाते हैं। पर कईयों का सुझाव यह है कि इससे ठीक उल्टा होता है विद्यार्थियों के बीच परस्पर संवाद उनके वयैक्तिक विचारों को बढ़ावा देने के लिए अत्यतं महत्वपूर्ण है। वायगटस्की (1978) कहते हैं कि ज्ञान का सृजन कोई पृथक से वयैक्तिक कार्य नहीं है, बल्कि सीखने की क्रिया तो एक सामाजिक प्रक्रिया है। किसी विचार या अवधारणा को समझना सबसे पहले किसी सामाजिक परिस्थिति में होता है। जब विद्यार्थी विचार से सहमत हो जाता है तो वह विचार विद्यार्थी की वैयक्तिक समझ में उतर जाता है। सीखने और सभी विद्यार्थियों के लिए सोचने की क्रिया को अलग-अलग ढंग से प्रेरित करने के लिए साथ मिलकर विचार बनाने की सामाजिक प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए ऐसे अवसर प्रदान करना अत्यावश्यक हैं। अपने पाठों में सभी विद्यार्थियों का सहयोग करने के इन विचारों की योजना बनाने और उन्हें उपयोग करने में मदद देने सम्बन्धी अधिक विवरण के लिए मुख्य संसाधन ‘सभी को शामिल करना ’ पढ़ें।
सोचें कि अपने द्वारा पढ़ाई जाने वाली अन्य कक्षाओं में जोड़ी में कार्य का उपयोग कैसे कर सकते हैं साथ ही यह सोचें कि अपने विद्यार्थियों की सीखने से संबंधित विविध आवश्यकताओं को सहारा देने के लिए आप इसका उपयोग किन-किन विभिन्न विधियों से कर सकते हैं? अपने कुछ विचार लिख लें और कक्षा में इस कार्यनीति में अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अगले कुछ हफतों में इनका उपयोग करें।
वीडियो: सभी को शामिल करना |
अपनी कक्षा में जोड़ी में कार्य का उपयोग करने का एक और तरीका यह है कि आप अपने विद्यार्थियों को उनके खुद के कार्य का मूल्यांकन – मात्र उसकी प्रस्तुति के लिए बल्कि उसकी विषय-वस्तु के लिए भी – की योग्यता विकसित करें। आपके, अधिकांश विद्यार्थी अपने कार्य और सहभागिता पर दिए गए फ़ीडबकै पर अच्छी प्रतिक्रिया देगें। शोध से पता चलता है कि विद्यार्थियों की उपलब्धियों में सुधार लाने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक तरीका यह है कि उनके उस कार्य को, जो मात्र साफ़-सुथरा होने पर रचनात्मक फ़ीडबैक दें (हारलेन और अन्य, 2003)। विद्यार्थियों को ऐसे फ़ीडबैक चाहिए जो उन्हें उनकी शक्ति तथा वे क्षेत्र जिन पर उन्हें अपनी समझ को विकसित करने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है उसको दिखाते हुए उन्हें सक्षम शिक्षार्थी के रूप में विकसित होने में मदद करे। जो भी फ़ीडबैक दिया जाए यह जरूरी है कि आपके विद्यार्थी उसे उपयोग करने के रूप में देखें अन्यथा वे उस पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे।
साथ ही साथ अपने विद्यार्थियों को उनके स्वयं के कार्य का मूल्याकं न करने के लिए प्रोत्साहित करने से, आपके विद्यार्थियों की एक-दूसरे के कार्य का मूल्यांकन करने की तथा अपने समकक्ष को फ़ीडबैक देने की योग्यता को विकसित करना संभव होगा। दोनों ही पद्धतियां – को शिक्षण का मूल्यांकन कहा जाता है (ब्लैक एवं विलियम, 1998) – आपके विद्यार्थियों की उपलब्धियों तथा प्रभावी शिक्षार्थी के रूप में स्वयं के बारे में उनकी समझ पर उल्लेखनीय प्रभाव डालेंगी। मूल्याकंन, शिक्षण और सीखने के चक्र का हिस्सा है परन्तु यह उपयोगी हो इसके लिए इसे कक्षा में विज्ञान के दैनिक कार्य का नियमित भाग होना चाहिए। फ़ीडबैक जो भी हो, उसे रचनात्मक होना चाहिए और उसे विद्यार्थियों को उनकी स्वयं की सीखने की क्रिया के लिए अधिक ज़िम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए (होग्सन, 2010)।
साथियों द्वारा किया गया मूल्यांकन प्रभावी हो इसके लिए आपको विद्यार्थियों की उनके मूल्यांकन कौशलों को विकसित करने में मदद करनी होगी। किसी भी फ़ीडबैक की उपयोगिता के मामले में भाषा मुख्य भूमिका निभाएगी। भाषा और मूल्यांकन कौशलों को विकसित करने के लिए उन्हें अभ्यास करना होगा और इसमें समय लगेगा परन्तु इससे मिलने वाले परिणाम के प्रयास सर्वथा योग्य होगें। विद्यार्थियों द्वारा उनके कार्य और भूमिका का मूल्यांकन किए जाने में मदद करने के लिए आपको कुछ मुख्य नियम बता देने चाहिए। इन नियमों में यह शामिल होना चाहिए कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी फ़ीडबैक की शुरुआत हमेशा सकारात्मक होगी और आगे उसमें उन क्षेत्रों के बारे में कहा जाएगा, जहां सुधार या विकास आवश्यक है, इसे रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। फ़ीडबैक से इस बारे में मार्गदर्शन मिलना चाहिए कि वे अपने कार्य में सुधार कैसे ला सकते हैं। इसके लिए कुछ ऐसे वाक्यों का उपयोग करना होगा ‘हम सासं कैसे लेते हैं यह समझाते समय आपको चरणों का वर्णन अधिक स्पष्टता से एवं सही क्रम में करना चाहिए था’।
श्रीमती पायल ने कक्षा सात के साथ कार्य किया। वे बताती हैं कि उन्होंने क्या किया?
मैं अपनी कक्षा के साथ पाचन पर कुछ कार्य कर रही थी। मैं यह पता करना चाहती थी कि प्रत्येक विद्यार्थी ने क्या समझा है? और कहां-कहां अभी भी गलतफहमियां मौजूद हैं। चूकिं मेरी कक्षा बड़ी है और मैं यह कार्य तेजी से करना चाहती थी, इसलिए मैनें तय किया कि मैं विद्यार्थियों को एक-दूसरे के ज्ञान का मूल्यांकन करने में संलग्न करूंगी। मैंने उन्हें अकेले-अकेले करने के लिए एक कार्य दिया और फिर उनसे कहा कि वे अपने उत्तर अपने साथी से बदल लें। इसके बाद प्रत्येक विद्यार्थी ने अपने साथी द्वारा लिखे उत्तरों की जांच की और अपने विचार बताए।
मैंने कुछ नियम तय कर दिए थे, ताकि रचनात्मक और सहयोग बने रहने में उन्हें मदद मिले:
हमने इस बात पर चर्चा की कि यह सुनने में कैसा लग सकता है? उदाहरण के लिए, मैंने उन्हें बताया कि वे कह सकते हैं कि– ‘मुझे लगता है कि आपने लेबल सही क्रम में रखे हैं परन्तु आपको यह बात अधिक स्पष्टता से समझाने की आवश्यकता है कि पाचन तंत्र में भोजन आगे किस प्रकार बढ़ता है?’
विद्यार्थियों ने अकेले मुख से लेकर गुदा तक के, अंगों के लेबलों को क्रम से लगाने का कार्य किया। उसके बाद उन्हें यह वर्णन करना था कि पाचन तंत्र में भोजन आगे किस प्रकार बढ़ता है। पाँच मिनट के बाद मैंने उनसे कहा कि वे अपने उत्तर अपने साथी से बदल लें। उन्हें अपने साथी के उत्तरों को ध्यान से देखते हुए सबसे पहले सही उत्तर देखने थे उसके बाद, जो उन्हें समझ न आया हो उसके बारे में पूछना था, तथा अंत में साथी को सुझाना था कि वह अपनी समझ में सुधार कैसे कर सकता है? इस कार्य के लिए मैंने उन्हें पाँच मिनट दिए और उसके बाद उनसे कहा कि फ़ीडबैक देने के लिए बारी-बारी से वे एक-दूसरे से बातचीत करें। जब वे यह कर रहे थे तो मैं कक्षा में घूमी और यह सुना कि वे एक-दूसरे से किस प्रकार बात कर रहे थे? और वे क्या कह रहे थे? मैंने केवल तब ही उनसे बात किया जब उन्हें मेरे द्वारा सुधार किए बगैर कार्य को स्वयं करने में कोई समस्या हुई।
मैंने विद्यार्थियों से कहा कि जो कुछ कहा गया था उसे लिखें और इस बारे में सोचें कि उनके लिए फ़ीडबैक कितनी सहायक मालमू हुई। मैंने विद्यार्थियों से कहा कि जिन्हें फ़ीडबैक उपयोगी लगी हो और जिन्हें अपना कार्य बेहतर बनाने की कोई सहयोगी सलाह मिली हो वे हाथ उठाएं। अधिकतर विद्यार्थियों ने अपने हाथ उठाए, जिसे देख कर मुझे महसूस हुआ कि मैं विद्यार्थियों से स्वयं के और दूसरों के कार्यों का मूल्याकंन करवाने के इसी तरीके को विकसित करना चाहती थी।
जीवन प्रक्रमों के बारे आप अपनी कक्षा के साथ क्या करेगें? इस बारे में सोचें। यह विद्यार्थियों की आयु के अनुसार, अलग-अलग होगा।
अपने पाठ की योजना बनाएं और आवश्यक संसाधन एकत्र करें। सोचें कि आप विद्यार्थियों का परिचय उनकी चर्चा में एक-दूसरे को फ़ीडबकै देने के विचार से कैसे कराएंगे? विद्यार्थियों के लिए इस कार्य को करने की व्यवस्था करें। जब वे कार्य कर रहे हों तो कक्षा में घूमें और उनकी बातचीत सुनें। उनके साथ बातचीत केवल तब ही करें, जब उन्हें विज्ञान के संबंध में या एक-दूसरे को सुनने और प्रतिक्रिया देने के संबंध में मदद की आवश्यकता चाहिए।
विचार के लिए रुकें विद्यार्थियों ने अपने कार्य पर एक-दूसरे को फ़ीडबैक देने पर कैसी प्रतिक्रिया दी? क्या आपके विचार में उन्होंने शिक्षार्थी के तौर पर स्वयं के बारे में और फ़ीडबकै कैसे दें इस बारे में अधिक जाना? आप यह कैसे जानते हैं? |
फ़ीडबकै देने में अपनी विशेषज्ञता विकसित करने तथा विद्यार्थियों की और स्वयं की मदद करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए, मुख्य संसाधन ‘निगरानी करना एवं फ़ीडबैक देना’ देखें।
नई चीजें करने के तरीकों को आज़माने के लिए सुरक्षित संदर्भ प्रदान करना हम में से अधिकांश के लिए महत्वपूर्ण है। अपने विद्यार्थियों को सहयोगी वातावरण में एक-दूसरे के कार्य पर नज़र डालने और उसके बारे में बातचीत करने का अवसर देने तथा उन्हें अच्छा मूल्यांकन कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी। विद्यार्थियों को सकारात्मक फ़ीडबैक प्रदान करने के लिए आवश्यक संवेदनशीलता की समझ भी विकसित करेंगे। इस इकाई को करने से आपने जो सीखा है, स्वयं को उसकी याद दिलाने के लिए संसाधन 3, ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग करना’ पढ़ें। जोड़ी में कार्य से, स्वयं के तथा एक-दूसरे के कार्य का मूल्याकंन करते समय आवश्यक कौशल व भाषा सीखने के लिए एक सहयोगी परिस्थिति बनती होती है।
यदि, आप बड़ी कक्षाओं में सीमित उपकरणों व संसाधनों के साथ कार्य कर रहे हैं तो ऐसी कार्यनीतियों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है जो विद्यार्थियों को विज्ञान के पाठों में अधिक संलग्न करती हों। जोड़ी में कार्य ऐसा आसानी से कर सकता है। विज्ञान की कक्षा में बातचीत की अनुमति देने से–
जोड़ियों को बातचीत करने का अवसर प्रदान करने से, अपनी कक्षा को जानने के लिए एक आसान चरण है विशेष रूप से यदि आपकी कक्षा बड़ी हो यह विद्यार्थियों में रुचि और प्रेरणा जागृत करता है। समहू कार्य की दिशा में पहला कदम भी हो सकता है जहां समझ तक पहुँचने से कहीं अधिक आवाजें और विचार साझे किए जाते हैं।
पेशियां आकार घटाने द्वारा कार्य करती हैं जिसे हम कहते हैं कि वे सिकुड़ती हैं, तथा इस प्रक्रम को संकुचन कहा जाता है।
पेशियां हड्डियों से मजबूत रष्मि द्वारा जुड़ी होती हैं। जब कोई पेशी सिकुड़ती है तो वह हड्डी को खींचती है, और यदि वह हड्डी किसी संधि (जोड) का भाग हुई, तो वह गति कर सकती है।
पेशियां केवल खींच सकती हैं, धकेल नहीं सकतीं। ‘‘यदि सिंध को केवल एक पेशी से नियिंत्रत किया जाता’’, तो यह बात समस्या पैदा करने वाली हो सकती थी: पेशी द्वारा संकुचित हड्डी को खींच लेने के बाद, वह हड्डी को फिर से वापस धकेल नहीं पाती, इस समस्या का हल है पेशियों की जोड़ियां, करती हैं जिन्हें प्रतिभावी पेशियां कहते हैं।
कुहनी की संधि (चित्र R1.1) पर से हमारी अग्रबाहु ऊपर या नीचे की ओर गति कर सकती है। इसका नियंत्रण ऊपरिबाहु पर दो पेशियों द्वारा किया जाता है: आगे से द्विशिरस्क (बाइसेप्स) और पीछे से त्रिशिरस्क (ट्राइसेप्स)। द्विशिरस्क और त्रिशिरस्क प्रतिभावी पेशियां हैं।
जब द्विशिरस्क पेशी संकुचित होती है तो अग्रबाहु ऊपर उठती है।
जब त्रिशिरस्क पेशी संकुचित होती है तो अग्रबाहु नीचे जाती है।
अच्छे पाठों की योजना बनाना ज़रूरी होता है। योजना बनाने से आपके पाठों को अधिक स्पष्ट और सुनियोजित करने में मदद मिलती है जिसका अर्थ यह है कि विद्यार्थी सक्रिय होते हैं और इसमें रुचि लेते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है जिससे अध्यापक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। पाठों की श्रृंखला के लिए योजना पर काम करने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व-शिक्षण को जानना, पाठ्यचर्या के माध्यम से प्रगति के क्या अर्थ है? जिसमें विद्यार्थियों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है।
नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग-अलग पाठों और साथ ही एक के बाद एक विकसित हो रहे पाठों की श्रृंखला दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। पाठ योजना के चरण ये हैं–
जब आप किसी पाठ्यचर्या का पालन करते हैं, तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस प्रकार सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय? आपको विद्यार्थियों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ चर्चा से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार पाठ लगेंगे, लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत रहना चाहिए कि आप भविष्य में जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा। उसे सीखने के लिए अलग–अलग समय पर अलग तरीकों पर कार्य कर सकते हैं।
सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्न बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगा:
आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेगें ताकि विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रृंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा ताकि आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रृंखला में से प्रगति करेगें तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेगें? यदि कुछ भागों को समझने में अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें।
पाठों की श्रृंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा जो विद्यार्थियों ने उस पाठ तक की है। आप यह जानते हैं कि पाठों की श्रृंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा? लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए हर पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें जिसमें सफल तथा सम्मिलित हुआ महसूस करें।
पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और सभी संसाधन तैयार हैं जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड सकती है।
जब आप नए विषय पढ़ाते हैं आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिएसमय की जरूरत पड़ सकती है।
तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।
पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे और करेंगे? जिससे हर एक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है? विद्यार्थी जो पहले से ही जो जानते हैं उन्हें उसे करायें तथा जो करने वाले हों उसमें उनकी दिलचस्पी पैदा करें।
विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समहूकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। अपनी कक्षा में आप जिन संसाधनों और तरीकों का उपयोग करेंगे उनकी पहचान करें। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न पद्धतियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँचेंगे क्योंकि वे भिन्न तरीकों से सीखेंगे।
हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा से ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए – जैसे नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते हुए देखना लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए।
पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई अपनी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है?
हर पाठ का पुनरावलोकन करें और यह बात रिकार्ड करें कि आपने क्या किया ? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा ? किन संसाधनों का उपयोग किया गया और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ जिससे आप अगले पाठों के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए , आप निम्नलिखित का निर्णय कर सकते हैं :
जिन विद्यार्थियों को अतिरिक्त सहायता चाहिए उनके साथ अनुवर्ती सत्र आयोजित करना।
सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे? या अधिक बेहतर कर सकते थे?
जब आप हर पाठ में से गुजरेंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप हर होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ है कि आप यह जानते हैं कि आप शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं? इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने को तैयार रहेंगे।
रोज़ाना की स्थितियों में लोग काम करते हैं, तथा साथ-साथ दूसरो से बोलते हैं और उनकी बात सुनते हैं। एवं देखते हैं कि वे क्या करते हैं? या कैसे करते हैं? लोग इसी तरह से सीखते हैं। जब हम दूसरों से बात करते हैं, तो हमें नए विचारों और जानकारियों का पता चलता है। कक्षाओं में अगर सब कुछ शिक्षक पर केंद्रित होता है, तो अधिकतर विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई को प्रदर्शित करने के लिए या प्रश्न पूछने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। कुछ विद्यार्थी केवल संक्षिप्त उत्तर दे सकते हैं और कुछ बिल्कुल भी नहीं बोल सकते। बड़ी कक्षाओं में, स्थिति और भी बदतर है, जहां बहुत कम विद्यार्थी ही कुछ बोलते हैं।
जोड़े में कार्य विद्यार्थियों के लिए ज्यादा बात करने और सीखने का एक स्वाभाविक तरीका है। यह उन्हें विचार करने और नए विचारों तथा भाषा को कार्यान्वित करने का अवसर देता है। यह विद्यार्थियों को नए कौशलों और संकल्पनाओं के माध्यम से काम करने और बड़ी कक्षाओं में भी अच्छा काम करने को सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है।
जोड़े में कार्य करना सभी आयु वर्गों और लोगों के लिए उपयुक्त होता है। यह विशेष तौर पर बहुभाषी, बहुस्तरीय कक्षाओं में उपयोगी होता है, क्योंकि एक दूसरे की सहायता करने के लिए जोड़ों को बनाया जा सकता है। यह सर्वश्रेष्ठ तब काम करता है जब आप विशिष्ट कार्यों की योजना बनाते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट प्रक्रियाओं की स्थापना करते हैं कि आपके सभी विद्यार्थी शिक्षण में शामिल हैं और प्रगति कर रहे हैं। एक बार इन विशिष्ट प्रक्रियाओं को स्थापित कर लिए जाने के बाद आपको पता लगेगा कि विद्यार्थी तुरंत जोड़ों में काम करने के अभ्यस्त हो जाते हैं और इस तरह व सीखने में आनंद लेते हैं।
आप शिक्षण के अभीष्ट परिणाम के आधार पर विभिन्न प्रकार के कामों को जोड़े में कार्य करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। जोड़े में कार्य को अवश्य ही स्पष्ट और उपयुक्त होना चाहिए ताकि सीखने में अकेले काम करने के मुकाबले साथ मिलकर काम करने में अधिक मदद मिले। अपने विचारों के बारे में बात करके, आपके विद्यार्थी स्वचालित रूप से खुद को और विकसित करने के बारे में विचार करेगें।
जोड़े में कार्य करने में शामिल हो सकते हैं:
निम्नलिखित निर्देश: एक विद्यार्थी कार्य पूरा करने के लिए दूसरे विद्यार्थी हेतु निर्देश पढ़ सकता है।
जोड़े में कार्य करने का अर्थ सभी को काम में शामिल करना है। चूंकि विद्यार्थी भिन्न होते हैं, इसलिए जोड़ों का प्रबंधन इस तरह से करना चाहिए। जानकारी हो कि उन्हें क्या करना है वे क्या सीख रहे हैं? और आपकी अपेक्षाएं क्या हैं? अपनी कक्षा में जोड़े में कार्य को विशिष्ट बनाने के लिए, आपको निम्नलिखित काम करने होंगे –
जोड़े में कार्य के दौरान, विद्यार्थियों को बताएं कि उनके पास प्रत्येक काम के लिए कितना समय है और उनकी नियमित जांच करते रहें। उन जोड़ों की प्रशंसा करें जो एक दूसरे की मदद करते हैं और काम पर बने रहते हैं। जोड़ों को आराम से बैठने और अपने खुद के हल ढूंढने का समय दें – विद्यार्थियों को विचार करने और अपनी योग्यता दिखाने से पूर्व ही जल्दी से उनके साथ शामिल होने का प्रलोभन हो सकता है। अधिकांश विद्यार्थी प्रत्येक से के बात करने और काम करने के वातावरण का आनंद लेते हैं। जब आप कक्षा में देखते हुए और सुनते हुए घूम रहे हों तो नोट बनाएं कि कौन से विद्यार्थी एक साथ आराम में हैं। हर उस विद्यार्थी के प्रति सचेत रहें जिसे शामिल नहीं किया गया है, और किसी भी सामान्य गलतियों, अच्छे विचारों या सारांश के बिंदुओं को नोट करें।
कार्य के समाप्त होने पर आपकी भूमिका उनके बीच की कड़ियां जोड़ने की है जिनको विद्यार्थियों ने बनाया है। आप कुछ जोड़ों का चुनाव उनका काम दिखाने के लिए कर सकते हैं, या आप उनके लिए इसका सार प्रस्तुत कर सकते हैं। विद्यार्थियों को एक साथ काम करने पर उपलब्धि की भावना का एहसास करना पसंद आता है। आपको हर जोड़े से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं है। इसमें काफी समय लगेगा। लेकिन आप उन विद्यार्थियों का चयन करें जिनके बारे में आपको अपने अवलोकन से पता है कि वे कुछ सकारात्मक योगदान करने में सक्षम होंगे और जिससे दूसरों को सीखने को मिलेगा। यह उन विद्यार्थियों के लिए एक अवसर हो सकता है जो आमतौर पर अपना विश्वास कायम करने हेतु योगदान करने में संकोच करते हैं।
यदि आपने विद्यार्थियों को हल करने के लिए समस्या दी है तो आप कोई नमूना उत्तर भी दे सकते हैं और फिर उनसे जोड़ों में उत्तर में सुधार करने के संबंध में चर्चा करने के लिए कह सकते हैं। इससे अपने खुद के शिक्षण के बारे में विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने में उनकी सहायता होगी।
यदि आप जोड़े में कार्य करने के लिए नए हैं, तो उन बदलावों के संबंध में नोट बनाना महत्वपूर्ण है जिन्हें आप कार्य, समयावधि या जोड़ों के संयोजनों में करना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप इसी तरह सीखेगें और इसी तरह अपने शिक्षण प्रक्रिया में सुधार करेगें। जोड़े में कार्य का सफल आयोजन करना स्पष्ट निर्देशों और उत्तम समय प्रबंधन के साथ-साथ संक्षिप्त सार संक्षेपण से जुड़ा है यह सब अभ्यास से आता है।
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ित्र 1: tsu Mso: (Figure 1: Jane Devereux)A
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