छोटी आयु से ही विद्यार्थी अपने आसपास की दुनिया और वह किस प्रकार से काम करती है, इसकी व्याख्या करने के लिए विचारों और व्यक्तिगत सिद्धांतों को विकसित करते हैं। अपनी भविष्यवाणियों और क्रिया के लिए नियमों के आधार पर बच्चों के विचार उदाहरण के लिए, विद्यार्थी तेजी से इन बात को सीख लेते हैं कि आग गर्म होती है और उसे छूना नहीं चाहिए। वे जान लेते हैं कि पत्थर डूब जाते हैं और लकड़ी तैरती रहती है। जिस समय तक विद्यार्थी स्कलू जाते हैं, उस समय तक वे पहले ही विज्ञान की उस परिघटना के बारे में स्वयं के सिद्धांतों को निर्मित कर चुके होते हैं, जिसको आप पढ़ा रहे होते हैं। ज्यादातर, उनके विचार स्वीकृत वैज्ञानिक समझ से भिन्न होते हैं।
यह इकाई ऊष्मा और तापमान के विषय से जुड़ी वैकल्पिक संकल्पनाओं (इन्हें कई बार लघु संकल्पनाएं कहा जाता है) का परीक्षण करती है। यह इस बात पर गौर करने करने के लिए आगे बढ़ती है कि किस प्रकार से आप अपने शिक्षण के जरिये विज्ञान के स्वीकृत विचारों को अपनाने के लिए अपने विद्यार्थियों की वैकल्पिक संकल्पनाओं को विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों के विचारों से अवगत होना और इस बात को जानना कि किस प्रकार से उनके विचार को विकसित किया जाए जो महत्वपूर्ण है। क्योंकि–
विचार के लिए रुकें
|
शिक्षक के रूप में आपको उस विषय की अच्छी समझ होनी चाहिए, जिसे कि आप पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा आपको इस बात से भी अवगत होना चाहिए कि आपके विद्यार्थियों को अवधारणात्मक रूप से कौन सी चीज़ कठिन लग सकती है और गलतफहमियों के संभावित क्षेत्र कौन से हैं। आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपके विद्यार्थी आकलन की विभिन्न तकनीक, जैसे कि अवधारणा का पता लगाने (इकाई पर्यवेक्षण के नमूने–छाया और रात व दिन) को देखें, किन विचारों को संजोये रहते हैं। पूर्वानुमान लगाना, पर्यवेक्षण करना, व्याख्या करना (इकाई को देखें प्रदर्शन विधि–भोजन), चित्र और सही/गलत प्रश्नोत्तरियों को देखें।
ऊष्मा और तापमान के बारे में संसाधन 1 सही/गलत प्रश्नोत्तरी है। इस प्रश्नोत्तरी को स्वयं बिना उत्तर देखे हल करें। जब आप इसे पूरा कर लें तो ऐसे किन्हीं भी प्रश्नों, जिनके बारे में आप आश्वस्त नहीं हों, अपने उत्तर की जाचं करने के लिए संदर्भ सामग्री का उपयोग करें।
संसाधन 2 और 3, ‘प्रगति और कार्य-प्रदर्शन का आकलन करना’ तथा ‘अनुश्रवण और फीडबैक देना’ इस बात का पता लगाने के बारे में उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराता है कि आपके विद्यार्थी क्या जानते हैं? और जब उनकी सोच गलतफहमी पैदा करने वाली हो तो उसे चुनौती देना। सहयोग और उपयोगी फीडबैक प्रदान करने से आपके विद्यार्थी अपनी अवधारणाओं पर और अधिक प्रश्न करने के लिए प्रेरित होंगे तथा अपने विचारों की और अधिक जांच-पड़ताल करेंगे।
विचार के लिए रुकें
|
शुरू-शुरू में ये प्रश्न अपेक्षाकृत आसान लगते हैं, लेकिन कुछ उत्तरों को लेकर अनिश्चित रहना असामान्य नहीं है। हालांकि इसे कम चुनौतिपूर्ण बनाने के लिए ‘परीक्षण’ की बजाय ‘प्रश्नोत्तरी’ कहा गया है। फिर भी हो सकता है कि आपने अपनी समझ की परख किये जाने के बारे में थोड़ी-बहुत चिंता महसूस की हो। आपके विद्यार्थियों को भी इसी तरह की अनुभूतियाँ होंगी। अतः जब आप किसी विषय की अपने विद्यार्थियों की समझ की जांच कर रहे होते हैं, तो यह जरूरी है कि उन्हें सहज बनाये रखें। उन्हें इस बात का भरोसा दिलाये जाने की ज़रूरत होती है कि उनका परीक्षण नहीं किया जा रहा है। उन्हें यह जानने की ज़रूरत होती है कि उनके विचारों में आपकी दिलचस्पी है, जिससे आप उन्हें ज्यादा प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें।
वीडियो: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना |
श्री मिश्रा जी ने इस बात का पता लगाने के लिए पूर्वानुमान का उपयोग किया कि जब तरल पदार्थों को मिलाया जाता है, तो ऊष्मा और तापमान के बारे में उनके कक्षा सात के विद्यार्थी क्या समझते? और मानते हैं? यहां वे यह बताते हैं कि उन्होंने क्या किया? और किस चीज़ का पता लगाया
मैंने विद्यार्थियों से इस बारे में पूर्वानुमान लगाने के लिए कहा कि जब मैं विभिन्न तापमान पर पानी की विभिन्न मात्राओं को मिलाता हूं तो क्या होगा? मैंने विद्यार्थियों से यह पूछकर शुरुआत की कि थर्मामीटर क्या करता है? अधिकतर विद्यार्थी यह जानते थे कि इसका उपयोग तापमान मापने के लिए किया गया था, लेकिन कुछ का विचार था कि यह ऊष्मा को भी मापता था। मैंने उन्हें उत्तर बताने की बजाय बस वही बात कही जो कि रोचक थी, क्योंकि मैं चाहता था कि वे अपने विचारों को प्रकट करने में सहज महसूस करें।
इसके बाद, मैंने समान आयतन और तापमान के पानी के दो टोंटीदार पात्रों को लिया जिसमें पानी ठंडा था। मैंने एक विद्यार्थी से प्रत्येक टोंटीदार पात्र का तापमान मापने के लिए कहा, जिससे कि इस बात को देखा जा सके कि वे समान हैं। मैंने इस बारे में विद्यार्थियों से उनके पूर्वानुमानों को लिखने के लिए कहा कि उस समय पानी के तापमानों का क्या होगा? यदि पानी के दोनों टोंटीदार पात्रों को एक अन्य पात्र में मिश्रित कर दिया जाए। क्या तापमान कम होगा? बढ़ेगा? या वही बना रहेगा? इसके अलावा मैंने अंतिम तापमान का पूर्वानुमान लगाने के लिए भी कहा। अधिकतर विद्यार्थियों ने सोचा कि यह वही होगा लेकिन कुछ ने सोचा कि तापमान कम हो जाएगा क्योंकि यह पानी का बड़ा आयतन था, जिसकी कि मैंने अपेक्षा नहीं की थी।
मैंने पानी के विभिन्न आयतनों और तापमानों के लिए समान कार्य-विधियों का अनुसरण किया। मैंने उपयोग किया–
एक लीटर गर्म पानी और आधा लीटर ठंडा पानी
इस गतिविधि को करने में अधिक समय नहीं लगा और विद्यार्थियों ने जिस बात का पूर्वानुमान लगाया और उनके पूर्वानुमानों के पीछे के जो कारण थे, उनसे मुझे उनके वर्तमान चिंतन को समझने में मदद मिली। उदाहरण के लिए, दो विद्यार्थियों ने सोचा कि ‘गर्म’ ‘ठडें’ के मुकाबले ज्यादा सशक्त था। यद्यपि अधिकतर ने इस बारे में सही-सही पूर्वानुमान व्यक्त किया कि क्या तापमान बढ़ेगा? अथवा घटेगा? या वही बना रहेगा? परन्तु वे मिश्रणों के तापमान का पूर्वानुमान लगाते समय उतने अधिक आश्वस्त नहीं थे। कुछ विद्यार्थियों ने बस एक तापमान को दूसरे से घटा दिया। कुछ ने उन्हें जोड़ दिया।
विचार के लिए रुकें
|
आपने गतिविधि 1 में जो सही/गलत प्रश्नोत्तरी के लिए है। वह अनुसंधानकर्ताओं द्वारा ऊष्मा और तापमान के बारे में पायी गयीं कुछ वैकल्पिक संकल्पनाओं पर आधारित है (जिन्हें कई बार गलत धारणाएं कहा जाता है)। विद्यार्थियों के दिमाग में बैठीं कुछ वैकल्पिक धारणाओं में से कुछ इस प्रकार से हैं–
तापमान और ऊष्मा एक ही चीज़ हैं।
विचार के लिए रुकें विद्यार्थियों को स्कूल के बाहर अपने जीवन में ऊष्मा और तापमान के बारे में होने वाले संभावित अनुभवों के बारे में आपने जो सूची बनाई थी वापस उस सूची को देखें।
|
विज्ञान का विषय विद्यार्थियों को मुश्किल लगता है। ये कठिनाइयां आंशिक रूप से उस तरीके के कारण हैं, जिस तरीके से ‘ऊष्मा’ शब्द का उपयोग रोजमर्रा की भाषा में किया जाता है। मिलर (2000) ने इस बात का उल्लेख किया है कि ‘ऊष्मा’ का उपयोग संज्ञा (उदाहरण के लिए वस्तु में ऊष्मा) और क्रिया के रूप में (उदाहरण के लिए किसी वस्तु को ऊष्मा देना) किया जाता है। इस प्रकार से ‘ऊष्मा’ शब्द का प्रयोग गर्म वस्तु में ऊर्जा के वर्णन करने के साथ-साथ तापमान में अंतर के कारण दो वस्तुओं के बीच में ऊर्जा के हस्तांतरण की प्रक्रिया के लिए भी किया जाता है (2,000, पी. 9)। यह शिक्षक के रूप में आपके लिए भाषा के अपने उपयोग के साथ सजग रहने और अपने विद्यार्थियों को उपयोग में लायी गयी शब्दावलियों के पीछे के अर्थों को खोजने का अवसर देने की ज़रूरत को चिह्नांकित करता है।
विचार के लिए रुकें क्या आप विज्ञान के किसी ऐसे दूसरे विषय के बारे में सोच सकते हैं, जहां पर वैज्ञानिक व्याख्या को इस कारण से आत्मसात करना मुश्किल हो कि वह हमारे रोजमर्रा के अनुभव के विपरीत जान पड़ती है? |
अब आप इस बात का पता लगाने जा रहे हैं कि आपके विद्यार्थियों का ऊष्मा और तापमान के बारे में क्या विचार हैं।
आप या तो श्री मिश्रा की तरह का दृष्टिकोण अपना सकते हैं या सही / गलत की प्रश्नोत्तरी का उपयोग कर सकते हैं। आप चाहे जिस दृष्टिकोण का उपयोग करें , आपको यह तय करने की ज़रूरत पड़ेगी कि आपके विर्द्याथियों की आयु के लिए क्या उपयुक्त ह? उदाहरण के लिए, इस बात का पता लगाना अनुपयुक्त होगा कि बहुत छोटे विद्यार्थी थर्मामीटर के बारे में क्या जानते हैं।
एक सही या गलत प्रश्नोत्तरी में ऐसे प्रश्न होने चाहिए, जो कि समझे जाएं और प्रश्नों की संख्या छोटे विद्यार्थियों के लिए कम की जानी चाहिए। आप कथनों को ब्लैकबोर्ड पर लिख सकते हैं और विद्यार्थियों को अपनी पुस्तकों में अपने उत्तरों को लिखने दे सकते हैं या विद्यार्थियों को अपने विचारों को आपको बताने के लिए कह सकते हैं।
इसके पहले कि आप शुरुआत करें, विद्यार्थियों को यह बताएं कि–
विचार के लिए रुकें
|
आपके द्वारा यह पता लगा लिये जाने के बाद कि आपके विद्यार्थियों के क्या विचार हैं? विज्ञान के शिक्षक के रूप में आप उनकी वैकल्पिक संकल्पनाओं को बदलने और ज्यादा वैज्ञानिक समझ बनाने में उनकी मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं? अगले केस स्टडी में आप इस बात का पता लगाएंगे कि एक शिक्षक अपने पाठ को लेकर क्या दृष्टिकोण अपनाता है?
श्रीमती मनीषा के विद्यार्थियों ने इस बात को सीखा कि थर्मामीटर का उपयोग किस प्रकार से किया जाए? और उन्होंने एक सही या गलत की प्रश्नोत्तरी आयोजित की। इस केस स्टडी में उस चीज़ की बात करती हैं, जिसको उन्होंने देखा होता है और उस पाठ की जिसे उन्होंने विद्यार्थियों के विचारों को बदलने के लिए पढ़ाया होता है।
मैं कक्षा छह के 66 विद्यार्थियों की एक बड़ी कक्षा को पढ़ाती हूं। मैंने पाया था कि उनमें से बहुत से यह मानते थे कि किसी वस्तु का तापमान इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस पदार्थ से बनी है। मैं उन्हें तापमान के बारे में और इस बारे में पढ़ाना चाहती थी कि किस प्रकार से समस्त वस्तुओं का तापमान अपने परिवेश के समान होगा। इसके अलावा, मैं उन्हें यह समझाना चाहती थी कि तापमान क्यों बदलता है?
मैंने निर्णय किया कि विद्यार्थियों को विभिन्न पदार्थों का तापमान मापने के लिए कहा जाए। मेरे पास कपड़े, फर, टाइल, धातु के चम्मच, फल, कुछ मिट्टी, लकड़ी के ब्लॉक जिसमें कि थर्मामीटर के लिए छेद हो, गर्म चाय के प्याले, कमरे के तापमान वाला कुछ पानी और बहुत अधिक ठंडा पानी समेत ढेर सारे उदाहरण थे।
मैंने विद्यार्थियों से छहः के समूहों में काम करने के लिए कहा। मेरे पास प्रत्येक समूह को पूरा सेट देने के लिए पर्याप्त उपकरण नहीं थे। इसके अलावा मैं गर्म तरल पदार्थ को गिरा देने को लेकर भी चिंतित थी। इसलिए मैंने थर्मामीटर के साथ कक्षा के इर्द-गिर्द पदार्थों को रखने का निर्णय लिया। मैंने विद्यार्थियों को बताया कि उन्हें वस्तु का तापमान मापने के लिए समूह से दो लोगों को भेजना है। दोनों को ही तापमान लेना था, जिससे कि उनके पास दो रीडिंग्स हों। इस तरह से, विद्यार्थियों का थर्मामीटर को उपयोग में लाने के साथ-साथ इस बात का भी अभ्यास हो गया कि उन्होंने उसे ठीक प्रकार से पढ़ा है। मैंने उनके लिए कॉपी करने और पूरा करने के लिए ब्लैकबोर्ड पर एक तालिका बनायी (तालिका 1)।
पदार्थ | तापमान 1 | तापमान 2 |
---|---|---|
मैंने उन्हें दर्शाया कि रीडिंग को कैसे करें? और उन्हें इस बात की याद दिलायी कि थर्मामीटर पर पैमाने को कैसे पढ़ें? प्रत्येक जोड़ियों ने दो या तीन पदार्थों का तापमान रिकार्ड किया।
उनके काम संपन्न कर लेने पर हमने कक्षा के रूप में उनके परिणामों को जांचा। उन सभी ने अधिकतर पदार्थों के लिए वही तापमान पाया था। मैंने पूछा कि क्या किसी परिणाम ने उन्हें चौंकाया है? कुछ विद्यार्थियों ने सोचा था कि फर और कपड़े का तापमान टाइल और धातु के चम्मच के मुकाबले अधिक होगा, जिसे कि उन्होंने ज्यादा ठंडा पाया।
एकमात्र अंतर गर्म पानी और ठंडे पानी के बीच था। समूहों ने विभिन्न तापमानों को रिकार्ड किया था। मैंने पूछा ऐसा क्यों है? क्या थर्मामीटर टूट गया है? वे ऐसा नहीं सोचते थे और उनका विचार था कि ऐसा इसलिए था कि गर्म पानी ऊष्मा खो रहा है और ठंडा पानी गर्म होता जा रहा है। मैंने पूछा कि अगर हम उन्हें पर्याप्त समय तक छोड़ दें, तो दोनों के तापमान में क्या होगा? उनके उत्तर दिलचस्प और विविध प्रकार के थे। वहां से, मैंने इस बात को समझाया कि किस प्रकार से तापमान किसी वस्तु में ऊष्मा की तीव्रता को मापता है और यह किस प्रकार से उस समय तक स्थानान्तरित होता है, जब तक कि यह अपने परिवेश के बराबर के तापमान तक नहीं पहुंच जाता है।
विचार के लिए रुकें
|
एक बार जब आप अपने विद्यार्थियों के विचारों को विकसित करने की कोशिश कर लेते हैं तो आपको उनकी समझ का आकलन करने की ज़रूरत होती है। आप उसी प्रविधि का उपयोग कर सकते हैं, जिसका कि आपने उनकी गलत धारणाओं का पता लगाने के लिए किया था या उन्हें नयी परिस्थितियां प्रदान कर सकते हैं, जिसमें कि वे अपनी नयी समझ को लागू कर सकते हैं।
अब केस स्टडी 3 को पढ़ें और संसाधन 2, ‘प्रगति और कार्य-क्षमता का आकलन करना’ को पढ़ें, विशेष रूप से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में कहां हैं? इसका आकलन करने और पता लगाने से संबंधित खंडों को।
इस केस स्टडी में, श्री मिश्रा जी उस पाठ के बारे में बात करते हैं, जिसे कि उन्होंने ऊष्मा और तापमान के बारे में अपने विद्यार्थियों के विचारों से अवगत होने के बाद पढ़ाया था, जैसा कि केस स्टडी 1 में वर्णित किया गया है।
जब विभिन्न तापमानों पर पानी को विभिन्न आयतनों में मिलाया जाता है, तो तापमान में परिवर्तनों की खोज करने से यह पाठ विद्यार्थियों को जोड़ता है। मैंने उन्हें ऐसा करने के लिए कुछ आयतन प्रदान किये, लेकिन कहा कि वे अन्य कामों को भी कर सकते हैं, अगर उनके पास समय हो। मैंने ब्लैकबोर्ड पर निर्देशों को लिख दिया। विद्यार्थियों को परिणामों की तालिका पूरी करनी थी। उन्होंने पानी के आयतनों और शुरुआती तापमान को रिकार्ड किया। उन्हें परिणामी तापमान का पूर्वानुमान लगाना था और फिर वास्तविक तापमान को रिकार्ड करना था।
उनके इस काम को खत्म कर लेने पर क्या होता है? इसे समझाने के लिए एक प्रदर्शन किया। मैंने अपनी व्याख्या में सहायता के लिए एक मॉडल का उपयोग किया। मैंने ऊष्मा का प्रतिनिधित्व करने के लिए डाई (रंग) का उपयोग किया। रंग की सघनता ने तापमान का प्रतिनिधित्व किया। मेरे पास विभिन्न तापमानों पर पानी का प्रतिनिधित्व करने के लिए डाई की विभिन्न मात्राओं से पहले से ही तैयार अनेक खाली डिब्बे थे। मैंने विद्यार्थियों से यह बताने के लिए कहकर कि सबसे ठंडे से सबसे गर्म में रखने के लिए डिब्बों को किस क्रम में रखा जाए? इस बात की जांच की कि वे मॉडल को समझते हैं। यहां तक कि ‘ठंडे’ टोंटीदार पात्र में भी कुछ डाई थी, हालांकि वह काफी फीका था। इसके बाद मैंने यह दर्शाने के लिए विभिन्न सांद्रता की विभिन्न मात्राओं को मिश्रित किया कि उस समय क्या होता है? जब पानी के विभिन्न आयतन विभिन्न तापमानों पर मिश्रित किये जाते हैं। प्रत्येक बार मैंने विद्यार्थियों से उनका पूर्वानुमान बताने के लिए कहा और अपने पास बैठे विद्यार्थी के साथ बात करने के लिए उन्हें समय दिया।
विद्यार्थियों ने इसे पसंद किया और इस बारे में पूर्वानुमान लगाने का आनंद लिया कि रंग का क्या होगा? ऐसा जान पड़ा मानो पूर्वानुमान लगाना उनके लिए आसान था और वही गलतियाँ नहीं कीं, जो कि उन्होंने पहले की थीं।
एक बार उनके प्रदर्शन को देखने के बाद मैंने उनसे उनकी व्यावहारिक खोज के परिणामों पर चर्चा करने और उसकी व्याख्या करने और इस बात का पूर्वानुमान लगाने के लिए कहा कि मेरे द्वारा उन्हें दी गयी अन्य स्थितियों में क्या होगा? मैं इस बात को देख सकता था कि ऊष्मा और तापमान के बारे में बेहतर समझ हासिल करने में इस गतिविधि ने उनकी मदद की थी। इसने ऊष्मा और तापमान के बारे में उनके विचारों को बदल दिया था।
श्री मिश्रा का मॉडल उनके विद्यार्थियों की ऊष्मा और तापमान को समझने में मदद करता जान पड़ा। उन्होनें तापमान की जगह पर रंग की सघनता को रखकर उसकी अमूर्त अवधारणा को ज्यादा ठोस बना दिया। विद्यार्थी परिणामी ‘तापमान’ को देख सकते थे। इसने उनकी मात्रात्मक समझ को विकसित करने के लिए आगे बढ़ने से पहले गुणात्मक समझ को हासिल करने में मदद की।
विचार के लिए रुकें
|
उपमाओं और मॉडलों का उपयोग करते समय आपको अवश्य ही उनकी सीमाओं और वैकल्पिक संकल्पनाओं को बल प्रदान करने की संभावना के प्रति सजग रहना होगा। श्री मिश्रा द्वारा उपयोग में लाया गया डाई मॉडल इस विचार को बल प्रदान कर सकता है कि ऊष्मा एक ऐसा पदार्थ है, जो कि प्रवाहित होता है। यह स्थिर निरूपण होने के द्वारा भी सीमित है। गर्म तरल पदार्थ ठंडा हो जाएगा, लेकिन डाई मॉडल में इसे दर्शाया नहीं गया है। इन सीमाओं से निपटने का सर्वश्रेष्ठ तरीका विद्यार्थियों से यह पूछना है कि यह मॉडल अच्छा मॉडल क्यों नहीं है? और यह किस चीज़ को दर्शाता है। इस बात को भी ध्यान में रखें कि श्री मिश्रा ने विद्यार्थियों के सामने पानी में डाई नहीं मिलाई, इससे इस विचार को बल मिला होता कि ऊष्मा एक पदार्थ है।
अब आप ऊष्मा और तापमान के बीच अंतर को अपने विद्यार्थियों की समझ को विकसित करने के क्रम में उन्हें पढ़ाने जा रहे हैं। अपनी योजना की शुरुआत करने से पहले आपको संसाधन 4 को पढ़ना चाहिए। इससे आपको इस बात का निर्णय लेने में मदद मिलेगी कि क्या करना है? आपको इन कदमों के बाद गतिविधि के लिए योजना बनाने की ज़रूरत है, लेकिन शुरुआत करने से पूर्व प्रमुख संसाधन ‘पाठ योजना बनाना’, को पढ़ें, जो कि योजना बनाने में प्रमुख चरणों को सार रूप में व्यक्त करता है और नियोजन के महत्व की समझ प्रदान करता है। आपको इन कदमों के बाद गतिविधि के लिए योजना बनाने की ज़रूरत है–
आप जिन विचारों को पढ़ाना चाहते हैं उन्हें किस प्रकार स्पष्ट करेंगे, की योजना बनाएं। क्या आपकी व्याख्या मॉडल या उपमा का उपयोग करेगी? उदाहरण के लिए, आप यह दर्शाने के लिए डाई मॉडल का उपयोग कर सकते हैं कि ठंडी वस्तुओं में भी तापीय ऊर्जा होती है।
आपके द्वारा पढ़ाये जाने वाले विज्ञान के बहुत से पाठ में अधिकतर विद्यार्थियों के पास स्वयं की वैकल्पिक संकल्पनाएं, मान्यताएं या सिद्धांत होंगे। इसलिए आपको उन विचारों को सुनने की ज़रूरत पड़ेगी, जो कि आपके विद्यार्थियों में विज्ञान के बारे में पहले से बना रखी है। आप उनके विचारों को प्रकट करने और उन पर चर्चा करने के अवसर प्रदान कर सकते हैं। जब आप अपने पाठ की योजना बनाते हैं, तो इन विचारों के लिए सही समाधान हो।
इस इकाई के द्वारा आपको वैकल्पिक संकल्पनाओं के बारे में जानकारी है और उन संकल्पनाओं के उदाहरणों का परीक्षण किया है, जो कि ऊष्मा और तामपान के बारे में पूर्व निर्धारित विचार हैं। ये वैकल्पिक संकल्पनाएं केवल विद्यार्थियों तक सीमित नहीं होती हैं। आप पाएंगे कि ऐसे बहुत से वयस्क लोग हैं, जिनके विचार वैज्ञानिक रूप से स्वीकृत विचारों से भिन्न होते हैं। ऐसे बहुत से तरीके होते हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपके विर्द्याथियों के क्या विचार हैं? क्योंकि परीक्षा के परंपरागत प्रश्न अक्सर विद्यार्थियों की अवधारणात्मक समझ को प्रकट नहीं करते हैं।
अपने विद्यार्थियों की वैकल्पिक संकल्पनाओं को बदलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उन्हें छोड़ना और बदलना विद्यार्थियों के लिए कठिन हो सकता है। एक दृष्टिकोण यह हो सकता है कि विज्ञान की गहराई में जाएं और दिखाएं की किस तरह वैज्ञानिक ज्ञान और सिद्धांत समय के साथ विकसित हुए हैं। यह प्रमाण हासिल करने और विभिन्न अवलोकनों के लिए विभिन्न व्याख्याओं के द्वारा होता है। इसलिए, इस प्रकार से विज्ञान को पढ़ाने से युवा विज्ञानी बनने में आपके विद्यार्थियों को मदद मिलने के साथ-साथ उनकी वैज्ञानिक समझ भी विकसित होती है।
तालिका आर 1.1 के प्रत्येक कथन को पढ़ें और इस बात का निर्णय करें कि आपको यह सही लगता है या गलत। अगर आप विश्वास से कुछ नहीं कह सकते, तो ‘पता नहीं’ खाने पर सही का निशान लगाएं।
कथन | सही | गलत | पता नहीं | |
---|---|---|---|---|
1 | ऊष्मा वस्तु में ऊर्जा की कुल मात्रा है। | |||
2 | समस्त वस्तुओं में ऊष्मा होती है। | |||
3 | तापीय ऊर्जा का वही अर्थ होता है, जो ऊष्मा का होता है। | |||
4 | ऊष्मा ऊर्जा का एक रूप है। | |||
5 | तापमान ऊष्मा को मापता है। | |||
6 | तापमान और गर्मी एक ही शब्द हैं। | |||
7 | बर्फ के टुकड़े में गर्म चाय के प्याले के मुकाबले अधिक ऊष्मा होती है। | |||
8 | ऊष्मा वह ऊर्जा होती है, जो कि वस्तुओं के बीच तापमान में अंतर के कारण उनके बीच हस्तांतरित होती है। | |||
9 | ‘गर्म’ और ‘ठंडा’ वे शब्द हैं, जो कि वस्तु के तामपान को बताते हैं। | |||
10 | ‘गर्म’ और ‘ठंडा’ वे शब्द हैं, जो कि ऊष्मीय ऊर्जा की उस मात्रा का वर्णन करते हैं, जो कि पदार्थ में होती है। | |||
11 | पानी और हवा की तरह ऊष्मा एक पदार्थ है, जो कि वस्तुओं के अंदर होती है और बाहर निकलता है। | |||
12 | गर्म का विलोम ठंडा है। | |||
13 | केवल गर्म वस्तुओं में ऊष्मा होती है। | |||
14 | ऊष्मा के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि प्राकृतिक ऊष्मा और सामान्य ऊष्मा। | |||
15 | कुछ पदार्थ दूसरों के मुकाबले ज्यादा ठंडे होते हैं और इसकी वजह उनके निर्मित होने में लगी वस्तुएं होती हैं, उदाहरण के लिए फर्श की टाइलें और धातु। | |||
16 | जब समान तापमान के दो कप में ठंडे पानी को मिश्रित किया जाता है तो पानी दोगुना ठंडा हो जाएगा। | |||
17 | थर्मामीटर का उपयोग ऊष्मा को मापने के लिए किया जाता है। | |||
18 | 0°C पर बर्फीले पानी का तापमान उस समय नीचे चला जाएगा जब और अधिक बर्फ मिलायी जाएगी। |
विद्यार्थियों के सीखने का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं–
निर्माणात्मक मूल्यांकन शिक्षा-प्राप्ति को बढ़ाता है, क्योंकि सीखने के लिए, अधिकांश विद्यार्थियों को:
शिक्षक के रूप में, अगर आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे, तो आप अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है:
जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना चाहिए, तो आपको उसे उनके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं, और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है? ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वास्तव में समझा है या नहीं। उदाहरण के लिए–
विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ समय दें, विद्यार्थियों को पहलेया छोटे समूहों में अपने जवाब पर बात–चीत करने के लिए कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं? कि उन्हें क्या सीखना है
आपके विद्यार्थियों में सुधार के लिए मदद करने के क्रम में आपको उनके ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें, आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं–
कहाँ से शुरुआत करनी है, यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक रूप से पाठ की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं, ताकि आप और वे, दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है। आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी।
जब आप विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक, दोनों लगे। निम्नांकित के द्वारा इस काम को करें–
इस बारे में सकारात्मक रहना कि विद्यार्थी किस प्रकार सीखने की क्षमता का विकास कर सकते हैं, इसका ध्यान रखना कि आपकी सलाह का उपयोग करने में सहज महसूस करते हैं।
आपको विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए अवसर उपलब्ध कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को भरने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नलिखित कार्य करना होगा–
पाठों की रफ्तार को धीमा करके, अक्सर आप शिक्षण को तेज़ करते हैं, क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय और आत्मविश्वास देते हैं, जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है? और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं? आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े उपलब्ध करा रहे हैं।
जब शिक्षण–अधिगम (सीखना) चल रहा हो और कक्षा-कार्य और गृह-कार्य निर्धारित करने के बाद, ज़रूरी है कि:
मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है।
प्रत्येक विद्यार्थी, स्वयं अपनी गति और शैली में, स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको दो चीज़ें करनी होंगी–
भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है, लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं, जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं, जैसे कि–
जैसे ही सूचना और प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए, उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है, जिससे यह समझ सकें कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है? और प्रगति कर रहा है। इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको शिक्षण में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फ़ीडबैक देकर या नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, या शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
मूल्यांकन, विशिष्ट और विभेदक शिक्षण गतिविधियों की स्थापना द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को सार्थक रूप से सीखने के अवसर प्रदान करने, ज़रूरतमंद विद्यार्थियों पर ध्यान देने और अधिक उन्नत विद्यार्थियों को चुनौती देते हुए सार्थक शिक्षण अवसर उपलब्ध कराने में आपकी मदद कर सकते हैं।
विद्यार्थियों के कार्यप्रदर्शन में सुधार करने में लगातार निगरानी करना और उन्हें फीडबैक देना शामिल होता है, जिससे उन्हें पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है? और उन्हें कार्यों को पूरा करने पर फीडबैक प्राप्त हो। आपकी रचनात्मक फीडबैक के माध्यम से विद्यार्थी अपने कार्य प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं।
प्रभावी शिक्षक अधिकांश समय अपने विद्यार्थियों की निगरानी करते हैं। सामान्य तौर पर, अधिकांश शिक्षक अपने विद्यार्थियों के काम की निगरानी वे कक्षा में जो कुछ करते हैं उसे सुनकर और देखकर करते हैं। विद्यार्थियों की प्रगति की निगरानी करना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे उन्हें निम्नलिखित में मदद मिलती है–
इससे आपको एक शिक्षक के रूप में निम्नलिखित तैयारी करने में भी मदद मिलती है–
विद्यार्थी सबसे अधिक सुधार तब करते हैं जब उन्हें उनकी प्रगति के बारे में स्पष्ट और शीघ्र फीडबैक दी जाती है। निगरानी करने से आपको विद्यार्थियों को बताने में सुविधा होगी कि वे कैसे काम कर रहे हैं? और उनके सीखने की प्रकिया को सुधार करने में उन्हें किस अन्य चीज की जरूरत है इस बारे में समय–समय पर फीडबैक देना ठीक होगा।
आपके सामने आने वाली चुनौतियों में से एक चुनौती यह भी आप विद्यार्थियों को स्वयं के सीखने के लक्ष्य को तय करने में मदद करना, जिसे स्व-निगरानी भी कहा जाता है। विद्यार्थी, विशेष तौर पर, कठिनाई अनुभव करने वाले विद्यार्थी, अपनी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया का बोझ उठाने के आदी नहीं होते हैं। लेकिन आप किसी परियोजना के लिए अपने स्वयं के लक्ष्य या उद्देश्य तय करने, अपने काम की योजना बनाने और समय सीमाएं तय करने और अपनी प्रगति की स्व-निगरानी करने में किसी भी विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं। स्व-निगरानी के कौशल की प्रक्रिया का अभ्यास और उसमें विशिष्टता प्राप्त करना उनके स्कूल और उनके सारे जीवन में उपयोगी साबित होगा।
अधिकांश समय, शिक्षक स्वाभाविक रूप से विद्यार्थियों की बात सुनते और उनका अवलोकन करते हैं। यह निगरानी करने का एक सरल साधन है। उदाहरण के लिए, आप:
समूहों को काम करते समय उनकी शारीरिक भाषा का अवलोकन कर सकते हैं।
यह सुनिश्चित करें कि आप जो विचार एकत्रित करते हैं वे विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया या प्रगति का सच्चा प्रमाण हो। सिर्फ वही बात रिकार्ड करें जो आप देख सकते हैं, सुन सकते हैं, सिद्ध कर सकते हैं या जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं।
जब विद्यार्थी काम करें, तब कमरे में घूमें और संक्षिप्त प्रेक्षण रिकार्ड बनाएं। आप कक्षा सूची का उपयोग करके रिकार्ड कर सकते हैं कि किन विद्यार्थियों को अधिक मदद की जरूरत है, और किसी भी उभरती गलतफहमी को भी रिकार्ड कर सकते हैं। इन प्रेक्षणों और रिकार्ड का उपयोग आप सारी कक्षा को फीडबैक देने या समूहों अथवा व्यक्ति विशेष को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं।
फीडबैक वह जानकारी होती है जो आप किसी विद्यार्थी को यह बताने के लिए देते हैं कि उन्होंने किसी घोषित लक्ष्य या अपेक्षित परिणाम के संबंध में कैसा कार्य किया है? प्रभावी फीडबैक विद्यार्थी को:
जब आप प्रत्येक विद्यार्थी को फीडबैक देते हैं, तब उसे यह जानने में उनकी मदद करनी चाहिए कि–
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभावी फीडबैक विद्यार्थियों की मदद करती है। आप नहीं चाहते कि आपकी फीडबैक के अस्पष्ट या अन्यायपूर्ण होने के कारण सीखने की प्रक्रिया में कोई रूकावट आए। प्रभावी फीडबैक–
फीडबैक चाहे बोला जाए या विद्यार्थियों की कार्य–पुस्तिका में लिखा जाए, वह तभी अधिक प्रभावी होती है यदि वह नीचे दिए गए दिशा–निर्देशों का पालन करती है।
जब हमारी प्रशंसा की जाती है और हमें प्रोत्साहित किया जाता है तो आमतौर पर हम उस समय के मुकाबले काफी बेहतर महसूस करते हैं, जबकि हमारी आलोचना की जाती है या हमारी गलती सुधारी जाती है। सुदृढ़ीकरण और सकारात्मक भाषा पूरी कक्षा और सभी आयु के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक होती है। याद रखें कि प्रशंसा को विशिष्ट और विद्यार्थी की बजाय किए गए काम पर लक्षित होना चाहिए, अन्यथा वह विद्यार्थी की प्रगति में मदद नहीं करेगी। ‘शाबाश’ अविशिष्ट शब्द है, इसलिए निम्नलिखित में से कोई बात कहना बेहतर होगा–
अपने विद्यार्थियों के साथ आप जो बातचीत करते हैं वह उनके सीखने की प्रक्रिया में मदद करती है। यदि आप उन्हें बताते हैं कि उनका उत्तर गलत है और संवाद को वहीं समाप्त कर देते हैं, तो आप सोचने और स्वयं प्रयास करने में उनकी मदद करने का अवसर खो देते हैं। यदि आप विद्यार्थियों को संकेत देते हैं या आगे कोई प्रश्न पूछते हैं, तो आप उन्हें अधिक गहराई से सोचने को प्रेरित करते हैं और उत्तर खोजने तथा अपने स्वयं के सीखने का दायित्व लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, आप बेहतर उत्तर के लिए प्रोत्साहित या किसी समस्या पर किसी अलग दृष्टिकोण को प्रेरित करने के लिए निम्नलिखित बातें कह सकते हैं–
दूसरे विद्यार्थियों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना उपयुक्त हो सकता है। आप यह काम निम्नलिखित जैसी टिप्पणियों के साथ शेष कक्षा के लिए अपने प्रश्नों को प्रस्तुत करके कर सकते हैं:
विद्यार्थियों को हां या नहीं के साथ सुधारना स्पेलिंग या संख्या के अभ्यास की तरह के कामों के लिए उपयुक्त हो सकता है, लेकिन यहां पर भी आप विद्यार्थियों को उभरते प्रतिमानों पर नजर डालने या समान उत्तरों से संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं या बात–चीत शुरू कर सकते हैं कि कोई उत्तर गलत क्यों है।
स्वयं सुधार करना और अपने साथियों से सुधार करवाना प्रभावी होता है। एक समय में एक पहलू को सही करने पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा होता है जिससे गलतफहमियों में डालने वाली ढेर सारी जानकारी न हो।
वैकल्पिक गलतफहमी धारणाओं को बदलना कठिन हो सकता है और वे विज्ञान की सार्थक पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए आपको जो काम करने की ज़रूरत है, वह यह है कि इस तरह से पढ़ाया जाए जिससे कि आपके विद्यार्थियों को अपने ‘त्रुटिपूर्ण’ विचारों को पुनर्निमित करने और अपनी अवधारणात्मक समझ को बदलने में मदद मिले। सांगेर और ग्रीनबोव (2000) ने ‘नये विचारों को समायोजित करने के क्रम में मौजूदा गलतफहमियों धारणाओं’ को फिर से बनाने, पुनर्गठित करने और पुनःस्थापित करने के लिए अवधारणात्मक परिवर्तन को वर्णित किया (2000, पी. 522)।
पढ़ाई बस आवश्यक रूप से मौजूदा विचारों और सिद्धांतों में नयी जानकारी को जोड़ने का ही मामला नहीं होता है। मौजूदा विचारों के विखंडन और उनकी जगह लेने के लिए नये विचारों को बनाने की आवश्यकता पड़ सकती है। खासकर विज्ञान में ऐसा होता है। Vosniadou et al। (2001) ने इस बात का उल्लेख किया कि भौतिक परिघटना की वैज्ञानिक व्याख्या प्रायः सहज नहीं होती और हमारे रोजमर्रा के अनुभव के विपरीत होती है।
शिक्षक किस प्रकार से विद्यार्थियों की वैज्ञानिक समझ को विकसित कर सकते हैं और उनकी वैकल्पिक संकल्पनाओं को बदल सकते हैं इस बारे में ढेर सारा अनुसंधान साहित्य उपलब्ध है। उन्हें इसके बारे में बस जानकारी प्रदान करना बहुत से मामलों में असफल रहा है। विद्यार्थियों की वैकल्पिक संकल्पनाएं नये विचारों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न करती हैं और वे दूसरी ओर ले जा सकती हैं। ऐसे कुछ प्रमुख दृष्टिकोण जिनका कि आप उपयोग कर सकते हैं, नीचे सूचीबद्ध हैं।
यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है, जब तक कि अन्यथा निर्धारित न किया गया हो। यह लाइसेंस TESS-India, OU और UKAID लोगो के उपयोग को वर्जित करता है, जिनका उपयोग केवल TESS-India परियोजना के भीतर अपरिवर्तित रूप से किया जा सकता है।
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।