विद्यालय के गणित में और वास्तविक जीवन में भी संयुक्त आकृतियों और ठोस पदार्थों पर काम करने में सहज महसूस करना महत्वपूर्ण होता है। इमारतों, कुर्सियों, रंगोली के पैटर्न, मस्जिदों और मंदिरों सभी में केवल एक आकृति या ठोस वस्तु नहीं, बल्कि इनमें से कई आकृतियाँ एक साथ जुड़ी होती हैं। लोग आकृतियों, ठोस पदार्थों और आयतन के संयोजनों से परिचित होते हैं, लेकिन विद्यार्थी अक्सर विद्यालय में गणित को एक कठिन विषय महसूस करते हैं।
इसका एक कारण यह हो सकता है कि आयतन और सतह क्षेत्र के अध्यायों को विद्यार्थी शायद पालन की जाने वाली कार्यविधियों और याद किए जाने वाले सूत्रों की श्रृंखला के रूप में समझते हैं। यह विद्यार्थियों को निष्क्रिय विद्यार्थी बनने का प्रोत्साहित करता है और वे अनुभव कर सकते हैं कि गणित ‘उनकी समझ के बाहर’ का विषय है। इसमें उनकी विचार क्षमता को विकसित करने तथा रचनात्मक बन पाने की कोई संभावना नहीं है। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी गणित सीखने के मामले में मजबूर, बेकार और हताश महसूस कर सकते हैं।
इस इकाई में आप इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि ठोस पदार्थों के संघटन और विघटन तथा आकृतियों के बारे में किस प्रकार सिखाया जाए, और इस प्रक्रिया में शामिल गणितीय चिंतन क्या है। गतिविधियों के द्वारा आप इस बारे में भी सोचेंगे कि विद्यार्थियों की चयन करने की क्षमता को किस प्रकार विकसित किया जाए और उनके स्वयं की सीखने की प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भूमिका कैसे निभाई जाए।
इस यूनिट की शिक्षा का संबंध संसाधन 1 में दर्शाई गई NCF (2005) और NCFTE (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।
‘गणितीय सदमा’ कुछ नाटकीय लगता है। हालांकि, शोध से पता चला है कि कुछ विद्यार्थी गणित का अध्ययन करते समय सचमुच तनाव महसूस करते हैं (लैंग और मीनी, 2011)। ये विद्यार्थी ऐसा महसूस करते और मानते हैं कि वे गणित सीखते समय स्वयं के लिए कुछ करने या सोचने में असमर्थ हैं। इस विचार को खारिज या अनदेखा करना और यह कहना आसान लग सकता है कि ‘शायद ये विद्यार्थी इसे समझ ही नहीं पाते हैं’, या ‘उन्हें ज्यादा कड़ी मेहनत और अभ्यास करना चाहिए’। लेकिन इस बात पर विश्वास करने के वास्तविक कारण हैं कि इस सदमे के कारण ही कुछ विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में गणित को समझ पाने और फिर उपयोग कर पाने में विफल रहते हैं, जिसका स्वयं उन पर और पूरे समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रभावित विद्यार्थियों पर गणितीय सदमे के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वे यह मानकर गणित को अपनाने से इंकार कर सकते हैं कि वे इसे कर पाने में सक्षम नहीं हैं और कभी भी सक्षम नहीं हो सकेंगे। विद्यार्थी खुद को तसल्ली देने वाली धारणाओं के चक्रव्यूह में उलझ सकते हैं, क्योंकि जब भी वे गणित के किसी क्षेत्र को नहीं समझ पाते हैं, तो वे तुरंत यह मान लेते हैं कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वे इस विषय को नहीं समझ सकते और कभी नहीं समझ सकेंगे। इसके कारण उनका खुद के प्रति विश्वास भी प्रभावित हो सकता है कि वे गणित के दूसरे क्षेत्रों में भी कुछ कर पाने में सक्षम हैं। वे ऐसा महसूस करने लगते हैं कि उनके पास कोई विकल्प या कोई नियंत्रण नहीं है।
गणित के जो पहलू गणितीय सदमे का कारण बन सकते हैं, उनमें से एक तो स्वयं गणित की भाषा ही है। सांकेतिक प्रदर्शन और गणितीय शब्दावली, दोनों को मौजूदा भाषा ज्ञान और संरचना से जोड़ना बहुत असंबद्ध और कठिन महसूस हो सकता है।
गतिविधि 1 का मकसद इस बारे में आपकी समस्या को हल करना है कि आपके विद्यार्थियों को गणितीय शब्दावली का अर्थ किस प्रकार समझाया जाए। इसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी अपना स्वयं का गणितीय शब्दकोश तैयार करें, जिसमें हो:
हालांकि इस मामले में यह पृष्ठ और आयतन के अध्याय में आने वाली शब्दावली से संबंधित है, लेकिन इस पद्धति का उपयोग गणित के पाठ्यक्रम के सभी विषयों के लिए किया जा सकता है।
गतिविधि 1 के भाग 2 में, विद्यार्थियों से भाग 1 की उनकी शिक्षा का प्रदर्शन करने को कहा जाता है। यह इस इकाई की अधिकांश गतिविधियों में दोहराया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी इस बारे में अधिक जागरुक बनें कि वे क्यों सीखते हैं और वे अपनी शिक्षा के प्रति अधिक सक्रिय बनें। इससे उन्हें अपनी शिक्षा में चयन और नियंत्रण का अहसास होगा।
इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। गतिविधियों को स्वयं करके देखने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।
जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ इन गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित करने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
विद्यार्थी ये गतिविधियाँ अकेले या जोड़ियों में कर सकते हैं। यह एक ऐसी गतिविधि भी हो सकती है, जिसे नए विषयों के साथ दोहराया जाता है और जो समय के साथ विकसित होती है। इसका उपयोग एक रिवीजन गतिविधि के रूप में भी किया जा सकता है। विद्यार्थी एक पृथक कॉपी में अपने खुद के शब्दकोश भी विकसित कर सकते हैं, या आप कक्षा का एक शब्दकोश विकसित कर सकते हैं। जिसमें विद्यार्थियों द्वारा प्रविष्टियाँ लिखने के बाद प्रदर्शित किया जाता है और समय के साथ उन पर पुनः काम किया जा सकता है।
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे निम्नलिखित कार्य करने से पहले अपनी पाठ्यपुस्तक में क्षेत्रफल, आयतन और पृष्ठ वाला अध्याय देखें:
एक सारणी बनाएँ, जिसमें कम से कम चार स्तंभ हों। (सुनिश्चित कर लें कि विद्यार्थी अपनी सारणी का स्वरूप तय करने से पहले सभी निर्देश पढ़ लें।)
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि गतिविधि के इस भाग में उनसे अपनी शिक्षा के बारे में सोचने को कहा जाता है, ताकि वे गणित की शिक्षा में बेहतर बन सकें और इसके बारे में बेहतर महसूस करें।
यह एक शिक्षिका की कहानी है , जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
गणितीय सदमे के बारे में पढ़ने पर मेरे मन तुरंत ही उन बहुत सारे विद्यार्थियों का विचार आया, जो इसका अनुभव करते होंगे। मुझे यह भी स्वीकार करना है कि अभी तक मेरी भूमिका यही रही है कि कुछ विद्यार्थियों में यह ‘होता है’ और बाकियों में नहीं। शायद ऐसा इसलिए है, क्योंकि मुझे कभी गणित के मामले में इतना ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा - यही कारण है कि मैं गणितज्ञ और गणित शिक्षिका बनी। इसलिए यह गतिविधि शुरू करने से पहले, मैंने खुद से यह वादा किया कि मैं सचमुच इस बात की कोशिश करूँगी कि मैं विद्यार्थियों की उनके चयन में सहायता कर सकूं।
मुझे उम्मीद थी कि इस गतिविधि में विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए मुझे उन्हें आगे बढ़ाने में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन वे सभी अपनी किताबों में व्यस्त हो गए और शब्द ढूँढने लगे। ऐसा लग रहा था कि वे जानते थे कि ठीक-ठीक कहाँ ढूँढना है!
कुछ ही मिनटों बाद, मीना ने पूछा कि क्या उन्हें केवल वे ही पहचानने हैं, जिन्हें वे अच्छी तरह नहीं समझते। चूंकि मैं चाहती थी कि वे अपने लिए खुद चयन करें, इसलिए मैंने सुझाव दिया कि उन्हें जो सबसे सही लगे, वे लोग वैसा कर सकते हैं उन्होंने जिन शब्दों का चयन किया है, यदि वे लोग उसके बारे में विचार, धारणाएँ और वर्णन साझा करें, तो बहुत अच्छा होगा। विचारों को साझा करने के कारण रोचक गणितीय चर्चा भी हुई। इससे विद्यार्थियों की कुछ गलत धारणाओं का भी पता चला और उन पर एक अनौपचारिक तरीके से चर्चा करना संभव हुआ।
उदाहरण के लिए, हमने ‘आयतन’ शब्द के बारे में बहुत अच्छी बातचीत की: रोहित ने आयतन का वर्णन इस तरह किया कि इसे किसी आकृति के भीतर रखा जा सकता है; सोहन ने कहा कि आयतन वह होता है, जिससे मिलकर ठोस पदार्थ बने होते हैं; रीना ने कहा कि आयतन द्रव की वह मात्रा है, जो रखी जा सकती है। इसके बाद विद्यार्थियों के साथ उत्साहपूर्ण चर्चा हुई और वे अपने विचारों को साझा करने के इच्छुक थे तथा मैंने देखा कि उनके विचारों पर दूसरों के द्वारा की जाने वाली टिप्पणियों या अन्य वर्णनों के सुझावों से विद्यार्थी निराश नहीं लग रहे थे। इस प्रक्रिया में कई अवधारणाओं पर बात की गई और उन्हें स्पष्ट किया गया।
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने पर बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे सवालों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं तथा जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करें, तब इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें। ध्यान दें कि जैसे श्रीमती चढढा ने कुछ बहुत छोटी–छोटी चीज़ें कीं, जिनसे काफी फर्क पड़ा।
विचार के लिए रुकें पाठ के बाद इन प्रश्नों पर विचार करें:
|
संयोजित आकृतियों और ठोस पदार्थों के साथ काम करना विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच के उपयोग का एक अच्छा अनुप्रयोग है - जो कि अपने आप में एक गणितीय गतिविधि है। संयोजित ठोस पदार्थों और आकृतियों को संघटित और विघटित करना विद्यार्थियों के योगदान और सोच की प्रशंसा करने के लिए भी बहुत बढ़िया है, क्योंकि आमतौर पर उत्तर प्राप्त करने के कई तरीके होते हैं! इसका अर्थ यह है कि:
गतिविधि 2 में आपके विद्यार्थियों से कहा जाता है कि वे घर से अपने स्वयं के उदाहरण लेकर आएं और इसमें शामिल गणित पर कार्य करने के अलग-अलग तरीकों के बारे में सोचें। इसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थियों के साथ अपने विचार साझा करें। वे जोड़ियों में या छोटे समूहों में कार्य कर सकते हैं।
प्रत्येक विद्यार्थी से कक्षा में एक बर्तन लाने को कहें (उदाहरण के लिए, एक चम्मच, गिलास, बाउल (कटोरी), पात्र (किसी भी आकृति का), बोतल, परोसने का चम्मच (कढछी), कड़ाही, पैन आदि)। यह एक अच्छा विचार है कि आप स्वयं भी कुछ उदाहरण लाएँ, ताकि हर किसी के लिए पर्याप्त बर्तन हों।
अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि गतिविधि के इस भाग में उनसे अपनी शिक्षा के बारे में सोचने को कहा जाता है, ताकि वे गणित की शिक्षा में बेहतर बन सकें, और गणित के बारे में, बेहतर महसूस करें।
शायद आप प्रमुख संसाधन ‘स्थानीय साधनों का उपयोग करना’ को भी देखना चाहेंगे।
इस गतिविधि के कारण मुझे यह अहसास हुआ कि विद्यार्थी जब अपने द्वारा विद्यालय में लायी गई किसी चीज़ का उपयोग करते हैं, तो वे अपनी शिक्षा के साथ कितना अधिक जुड़ जाते हैं। ऐसा लगता है कि इससे उन्हें अपने आप ही अपनी शिक्षा पर अधिकार प्राप्त हो जाता है! जब विद्यार्थी अपने साथ लाई गई वस्तुओं को दिखाते हुए कक्षा में प्रवेश कर रहे थे तो उनके मन में जिज्ञासा थी कि आखिर उन्हें उन वस्तुओं के द्वारा करना क्या है। उस समय सचमुच बहुत रोमांचक माहौल था।
जब यह गतिविधि दी गई, तो उन्हें चार-चार के समूहों में बाँटा गया था, ताकि उनके पास पड़ताल करने के लिए विभिन्न तरह की वस्तुएँ हों। मैंने उन्हें बताया कि उन्हें अपनी वस्तुओं को एक साथ रखना है, लेकिन उससे पहले मैं चाहता था कि वे प्रश्नों पर अकेले-अकेले भी विचार करें। उनसे कहा गया था कि उनमें से हर कोई अपनी टिप्पणियाँ तैयार करे और बाद में सामूहिक चर्चा के दौरान सभी को बताए। मैंने इस व्यक्तिगत कार्य का आग्रह किया क्योंकि मैं चाहता था कि वे अपनी स्वयं की गणितीय विचार शक्ति के बारे में जागरुक बनें और अपने स्वयं के विचारों को विकसित करें और महत्व दें। मैं चाहता था कि वे अपनी सोच पर अपना नियंत्रण महसूस करें। यदि वे एक वस्तु के बारे में विचार करते समय फँस जाते, तो वे कोई अन्य वस्तु चुन सकते थे।
लगभग दस मिनट बाद मैंने उनसे कहा कि वे अपने-अपने जवाबों के बारे में एक-दूसरे से बात करें। मैंने उन्हें बताया कि इस समय उन्हें वास्तविक क्षेत्रफल या आयतन नहीं निकालने हैं - उन्हें केवल इस बारे में बात करनी है कि वे किन आकृतियों को पहचान सके, अथवा क्षेत्रफल या आयतन निकालने के लिए अपनी वस्तुओं को विघटित कर सके। मैं नहीं चाहता था कि वे गणनाओं में उलझ जाएँ और सूत्र याद न कर पाने के कारण तनाव में आ जाएँ। मैं चाहती थी कि वे संयोजित ठोस पदार्थों के साथ काम करने में शामिल विचार-प्रक्रिया के बारे में सोचें।
इडली मेकर के बारे में काफी गहन चर्चा हुई। क्योंकि कुछ विद्यार्थियों का निर्णय था कि वे गोलार्ध थे, जबकि कुछ का कहना था कि वे पूरी तरह गोलार्ध नहीं थे - उनकी राय थी कि वे गोलों के भाग थे। मैंने ध्यान दिया कि कुछ विद्यार्थी आकृतियों, ठोस पदार्थों, आयतनों और क्षेत्र के बारे में उनकी दृढ़ समझ के बीच अंतर को पूरा करने के लिए बर्तनों को महसूस करते और छूते हुए अपनी सोच को स्पष्ट कर रहे थे।
मुझे यह सुनकर ख़ास तौर पर ख़ुशी महसूस हुई कि विद्यार्थी किस तरह एक-दूसरे की बातें सुन रहे थे। कुछ वस्तुओं के मामले में, यह कार्य ज्यादा कठिन था। एक विद्यार्थी, जो आमतौर पर बहुत शांत और चुपचाप रहती थी, उसने अपने समूह में एक मददगार विचार प्रस्तुत किया कि वास्तव में दो अर्द्ध-गोले मिलकर एक पूरा गोल बनाते हैं, और जब अन्य विद्यार्थियों ने उसके योगदान की प्रशंसा की, तो मैं उसकी ख़ुशी को देख सकता था - शायद इससे उसके मन में यह विश्वास जागने में मदद मिलेगी कि वह गणित को हल कर सकती है।
विचार के लिए रुकें
|
जब विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक में हल किए गए गणितीय प्रश्नों के उदाहरण देखते हैं, तो वे डरावने लग सकते हैं। विद्यार्थियों को वे अज्ञात चिह्नों की श्रृंखला जैसे लग सकते हैं, जिनका कुछ अर्थ है, जिसे वे समझ नहीं पाते। यह भावना बहुत डरावनी हो सकती है। यह केवल संयोजित ठोस पदार्थों और आकृतियों के क्षेत्र, आयतन और पृष्ठ के परिकलन वाले अध्यायों तक सीमित नहीं है! जब आप गणितीय चिह्नों के लेखन और अर्थ को समझना शुरू करते हैं, तब ये उदाहरण अर्थपूर्ण लगने लगते हैं।
गणित की सांकेतिक भाषा के प्रति किसी भी तरह के डर की भावना से बाहर निकलने में विद्यार्थियों की मदद करने में इससे मदद मिल सकती है, यदि वे पहचान सकें कि कोई उदाहरण किस कारण सरल या कठिन बनता है और फिर वे अपने स्वयं के सरल और कठिन उदाहरण बनाएँ। ऐसा करने से चिह्नों के गणितीय लेखन रहस्य उजागर हो सकता है और वे सरल तरीके से गणितीय चिह्नों का अर्थ समझ सकेंगे। अपने स्वयं के उदाहरण बनाने से विद्यार्थी खुद गणित की रचना कर सकते हैं, जिससे उन्हें उनकी शिक्षा पर कुछ नियंत्रण हासिल हो जाता है। इस कारण उनमें स्वामित्व की भावना का विकास होता है, जिससे उनकी रुचि और सहभागिता बढ़ सकती है। इसका एक और अतिरिक्त लाभ यह है कि, एक शिक्षक के रूप में, आपको हल करने और कक्षा में देने के लिए ढेर सारे उदहारण मिल जाते हैं!
गतिविधियों 3, 4 और 5 में विद्यार्थियों से सरल और कठिन उदाहरणों को पहचानने, उनकी विशेषताएँ बताने और उन पर विचार करने को कहा जाता है। यह पद्धति गणितीय शिक्षा के किसी भी क्षेत्र में कारगर होती है। संयोजित आकृतियों और ठोस पदार्थों के विषय की अपनी एक विशिष्ट चुनौती यह है कि इसके लिए विशिष्ट आकृतियों और ठोस पदार्थों के क्षेत्रफल और आयतन गणना के लिए अपेक्षाकृत जटिल सूत्रों का उपयोग करना पड़ता है।
इसकी विशिष्ट चिह्न लेखन आवश्यकताओं के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने और इसमें उनकी सहायता करने के लिए गतिविधि 3 में पहले उनसे उदाहरणों के साथ अपनी स्वयं की सूत्र-पुस्तिका लिखने को कहा जाता है। विद्यार्थी अपनी गणित शिक्षा के दौरान जो अन्य सूत्र पढ़ते हैं, वे उनमें से कोई सूत्र भी इस पुस्तिका में जोड़ सकते हैं, और ऐसी स्थिति में कागज़ की खुली शीट पर काम करना अच्छा रहेगा जिसे उपयुक्तता के अनुसार जोड़ा जा सकता है या क्रम बदला जा सकता है। सूत्र यदि तुरंत उपलब्ध हों, तो इससे विद्यार्थी सूत्रों को याद करने में महसूस होने वाले तनाव से भी बच सकते हैं और अपनी गणनाओं के लिए आवश्यक विचार-प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों को समझाएँ कि यह गतिविधि भी गतिविधि 1 के समान ही है, लेकिन अब उनसे शब्दों के बजाय गणितीय सूत्रों पर ध्यान देने को कहा गया है। उन्हें प्रत्येक सूत्र को एक अलग पृष्ठ पर लिखना चाहिए क्योंकि वे नए पृष्ठ जोड़ते रहेंगे और समय बीतने पर इन सूत्रों को व्यवस्थित भी करना चाहेंगे ताकि इनका क्रम अर्थपूर्ण हो।
अपने विद्यार्थियों से कहें:
अपनी कक्षा को तीन-तीन विद्यार्थियों के समूहों में व्यवस्थित करें, जिनमें से प्रत्येक विद्यार्थी एक उदाहरण पर काम करता है, लेकिन वे तीनों आपस में इस बात पर चर्चा करते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने समूहों में उनकी पाठ्यपुस्तक में संयोजित ठोस पदार्थों के आयतन और पृष्ठ के बारे में हल किए हुए उदाहरणों व प्रश्नों को देखें और निम्नलिखित काम करें:
कक्षा के सभी विद्यार्थियों को अब पुनः एक साथ रखें और अंतिम दो बिंदुओं पर चर्चा करके यह जानें कि विद्यार्थी किस हद तक यह समझ पाने में सक्षम हुए हैं कि कौन-से कारक किसी उदाहरण को सरल या कठिन बनाते हैं। किसी उदाहरण को और भी कठिन बनाने के बारे में उनके पास क्या नए विचार हैं। आप कक्षा के विद्यार्थियों से इस बात पर मतदान करवा सकते हैं कि कौन-सा उदाहरण सबसे कठिन है और फिर उसे गृहकार्य के रूप में दे सकते हैं!
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि गतिविधि के इस भाग में उनसे अपनी अधिगम के बारे में सोचने को कहा जाता है, ताकि वे गणित की शिक्षा में बेहतर बन सकें, और गणित के बारे में, बेहतर महसूस करें।
आपने क्या सीखा कि गणित को आपने कैसे सीखा (सीख सकते हैं)?
अधिक जानकारी के लिए आप संसाधन 2, ‘सभी को शामिल करना’ भी देख सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों से यह कल्पना करने को कहें कि वे गणित की परीक्षा के लिए प्रश्न लेखक हैं और उनसे संयोजित ठोस पदार्थों के पृष्ठ, क्षेत्र व आयतन के विषय पर तीन प्रश्न तैयार करने को कहा गया है: एक सरल, एक औसत और एक कठिन प्रश्न। उन्हें निम्नलिखित निर्देश दें:
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि गतिविधि के इस भाग में उनसे अपनी शिक्षा के बारे में सोचने को कहा जाता है, ताकि वे गणित की शिक्षा में बेहतर बन सकें, और गणित के बारे में, बेहतर महसूस करें।
विद्यार्थियों को एक स्वतंत्र अभ्यास के रूप में गतिविधि 3 दी गई थी और मैं कक्षा में घूमकर यह देख रही थी कि वे इसे हल करने में किस प्रकार सक्षम थे। उन्होंने लगभग सभी सूत्रों की अच्छी तरह पहचान कर ली और उनसे संबंधित आकृतियों को भी लिख लिया, लेकिन जब चित्र बनाने और अपनी समझ के अनुसार अपने शब्दों में लिखने की बात आई, तो उन्हें कुछ कठिनाई महसूस हुई। अपनी शिक्षा के बारे में अधिक जागरुक बनने में उनकी मदद करने, और वे किस जगह पर फंस गए हैं, यह समझने में सक्षम होने के लिए, मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे जिस भी चरण में फंस गए हैं, उसकी समस्याओं के बारे में वे अपने विचार नोट करें, ताकि वे चर्चा में योगदान कर सकें। यह पता चला कि त्रि-आयामी ठोस पदार्थों के चित्र बनाना ही प्रमुख समस्या थी। चूँकि मैं चाहती थी कि विद्यार्थी यह जानें कि इसका केवल कोई एक ही सही तरीका नहीं है, मैंने उन छात्रों को बुलाया, जो चित्र बना सके थे और उनसे ब्लैकबोर्ड पर चित्र बनाने को कहा।
जब विद्यार्थी इस बारे में कुछ विचार करने योग्य हो गए कि एक त्रि-आयामी ठोस पदार्थ का चित्र किस तरह बनाया जाए, तो उसके बाद हमने दिए गए अर्थों पर चर्चा की। जिन विद्यार्थियों ने किसी विशिष्ट सूत्र के बारे में अलग अलग व्याख्या की थी, मैंने उनसे कहा कि वे अपनी धारणा और विचार साझा करें, ताकि सभी विद्यार्थी उनके विचारों को सुन सकें और यह सोच सकें कि कोई प्रश्न सरल या कठिन क्यों बनता है।
हमने गतिविधि 4 दो पीरियड तक की, क्योंकि वे इस गतिविधि से बहुत अधिक जुड़ गए थे। वे अकेले-अकेले ही काम कर रहे थे, लेकिन अपने चुनावों के बारे में अपने सहपाठी से बात भी कर रहे थे। उन्होंने स्वयं ही अपने शब्दकोश और सूत्र पुस्तिका का उपयोग किया और मैंने ध्यान दिया कि विद्यार्थी अपनी उँगलियों से संकेत करके इस बात की निगरानी कर रहे थे कि उदाहरण का कौन-सा भाग किस सूत्र से जुड़ता है। मैंने यह भी देखा कि विद्यार्थी चित्रों के कुछ भागों को छिपा भी रहे थे, ताकि जिन हिस्सों पर वे काम नहीं कर रहे थे, वे हिस्से छिप जाएँ और परिकलन (calculations) जिन हिस्सों पर हो रहे थे, उन पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
मोना ने कहा कि काश उन्हें परीक्षा में भी ऐसा शब्दकोश और सूत्र पुस्तिका ले जाने की अनुमति होती! इसके बाद हमने इस बारे में चर्चा की कि तार्किक सोच का उपयोग करके किस तरह इन सूत्रों को याद रखने की कोशिश की जा सकती है। सुशांत ने यह भी सुझाव दिया कि एक बेलनाकार आकृति पर विचार करना सहायक होगा, जिसमें पार्श्व सतह क्षेत्र परिधि (अर्थात एक वृत्त का परिमाप) और ऊँचाई के गुणनफल से प्राप्त होगा और इसका आयतन आधार क्षेत्र और ऊंचाई के गुणनफल से प्राप्त होगा। इसके बाद सुशांत ने कहा कि इस बात पर विचार किया जा सकता है कि हम जिन ठोस पदार्थों पर काम कर रहे हैं, वे एक बेलनाकार आकृति से किस प्रकार अलग हैं और इसके अनुसार सूत्र अपनाया जा सकता है। हमने इस बारे में भी चर्चा की कि यह दो आयामों से तीन आयामों में जाते समय इसका संबंध किस प्रकार जोड़ा जा सकता है और क्यों कुछ प्रश्न कुछ लोगों को कठिन लगते हैं, जबकि दूसरों को सरल लगते हैं। रमोना ने बताया कि उसे सभी प्रश्न सरल लगे, इसलिए मैंने उसे कहा कि वह अंतिम प्रश्न में कुछ बदलाव करके उसे और कठिन बनाने की कोशिश करे।
मैंने गृहकार्य के लिए उन्हें गतिविधि 5 का पहला भाग करने को कहा और उन्हें बताया कि उन्हें अपने सहपाठियों के लिए परीक्षा प्रश्न तैयार करने हैं, हालांकि यह एक रहस्य रहेगा कि कौन-सा विद्यार्थी किसका प्रश्न हल करने वाला है। अगले दिन में उत्साहपूर्वक अपने प्रश्न लेकर आए, और वे इस बात से खुश थे कि वे स्वयं परीक्षा के प्रश्न निर्धारित कर रहे थे - न कि मैं या परीक्षा मंडल। अगले दिन मैंने यादृच्छिक क्रम (randomly) में उनके प्रश्नों का वितरण किया, हालांकि मैंने प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता के साथ प्रश्नों के कठिनता-स्तर का मिलान करने की भी कोशिश की। अंत में मुझे दो प्रश्नपत्र बदलने पड़े, क्योंकि मुझे पता चला कि मैंने मोना को उसका स्वयं का प्रश्न ही वापस दे दिया था, और दो विद्यार्थियों को एक साथ बैठना पड़ा, क्योंकि उस दिन कक्षा में ज्यादा विद्यार्थी आए थे। वे शान्ति से अपने-अपने प्रश्न हल करने लगे। कक्षा को यह बात खास तौर पर अच्छी लगी कि परीक्षा का मूल्यांकन प्रश्न बनाने वाले विद्यार्थी ने ही किया और उन्हें प्रश्नपत्र जाँचने में बहुत मज़ा आया।
इस गतिविधि से उन्हें यह बताने में मदद मिली कि कोई प्रश्न क्यों कठिन हो जाता है। पूरे विषय को ही कठिन कहने के बजाय उन्होंने यह स्वीकार किया कि केवल छिन्नक को शामिल करने वाले प्रश्न ही कठिन थे - और ऐसा उसकी आकृति के कारण नहीं, बल्कि जटिल सूत्र के कारण था, जिसे याद रख पाना लगभग असंभव था! हमने इस बात पर चर्चा की कि हम किस तरह सूत्र को याद करने की आवश्यकता से बच सकते थे, खासतौर पर इसलिए, क्योंकि उन्हें याद करके लिखते समय बहुत गलतियाँ होती हैं। हमने इस बारे में बात की कि किस तरह वह सूत्र अन्य सरल सूत्रों से बना था, और उस तार्किक प्रक्रिया के अनुसार काम करने का अर्थ यह है कि आपको ऐसे सूत्र को रटना नहीं पड़ता, जिसे याद-रखना-असंभव है। मुझे लगता है कि इससे कुछ विद्यार्थियों को मदद मिली, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे विद्यार्थी थे, जिन्होंने सूत्र याद करने पर ही ज़ोर दिया।
हालांकि इन सभी गतिविधियों में काफी समय लगा, लेकिन मुझे लगता है कि इसका परिणाम बहुत अच्छा रहा। विद्यार्थियों ने गणित की कई बातें सीख लीं, ऐसा लग रहा था कि वे ज्यादा राहत व अपनी शिक्षा पर नियंत्रण की भावना महसूस कर रहे हैं और इन कामों में सक्रियता से जुड़े हुए हैं। सभी विद्यार्थी, भले ही उनके ज्ञान का स्तर जो भी हो, काम पूरा कर सके और अपनी गति और स्तर के अनुसार सीख सके। उन्हें सोचना पड़ा, रचनात्मक बनना पड़ा और अपने खुद के निर्णय लेने पड़े। उन्हें गणित के इन प्रश्नों को हल करने में बहुत मज़ा आ रहा था और कक्षा में कई मुस्कुराते हुए चेहरे और यहाँ तक कि हंसी-मज़ाक भी हुआ - जो मुझे बेहद अच्छा लगा। मुझे लगता है कि उन्होंने जो गणित सीखा है, वह उन्हें अब ज्यादा अच्छी तरह याद रहेगा, जिससे मुझे दीर्घकालिक लाभ होगा क्योंकि मुझे अब बार-बार एक ही विषय पर वापस नहीं जाना पड़ेगा!
विचार के लिए रुकें
|
इस इकाई में आपसे यह पता लगाने को कहा गया कि आपके विद्यार्थी संयोजित ठोस पदार्थों का आयतन कैसे ज्ञात करते हैं। इसमें आपके लिए ऐसे तरीकों की चर्चा की गई, जिनका उपयोग करके आप विद्यार्थियों को गणित सीखने की प्रक्रिया से ज्यादा अच्छी तरह जोड़ सकते हैं, और वे किस तरह समझ सकते हैं कि गणित केवल पाठ्यपुस्तक के सूत्र नहीं है, बल्कि यह वास्तविक जीवन के विचारों के बारे में है। आपने सीखा है कि गणित में ऐसे चयन करने में विद्यार्थियों की मदद किस तरह की जाए, जिससे वे अपनी अधिगम पर नियंत्रण को महसूस करें : और प्रश्नों को हल करने के विकल्पों और विचारों को अपने शब्दों में कैसे समझायें। चयन करने का अर्थ है कि उन्हें इन विचारों के बारे में सोचना पड़ता है, जिससे वे अधिक प्रभावी ढंग से सीखते हैं और उस शिक्षा से जुड़ाव महसूस करते हैं। अब उन्हें ऐसा महसूस नहीं होता कि वे कुछ ऐसा काम कर रहे हैं, जिसका उनसे कोई संबंध ही नहीं है।
ये तरीके महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कई विद्यार्थियों को गणित सीखना इतने बड़े सदमे जैसा लगता है कि वे उस बारे में सोचना भी नहीं चाहते। वे एक सही उत्तर पाने के लिए एक सही प्रक्रिया का उपयोग करने के बारे में इतने अधिक चिंतित रहते हैं कि वे गणित के बारे में सोचने में सक्षम ही नहीं हो पाते। उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि यदि उनका उत्तर गलत हो गया, तो लोग उन्हें मूर्ख समझेंगे, इसलिए बेहतर है कि हल करने की कोशिश ही न की जाए। व्यापक रूप से फैली हुई इन धारणाओं से बाहर निकलने में बहुत समय और दृढ़ता की आवश्यकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके विद्यार्थी इस इकाई में वर्णित तरीकों का उपयोग करके अपने पाठों से जुड़ें, क्योंकि इससे उन्हें यह मानने में मदद मिलेगी कि वे गणित को हल कर सकते हैं।
विचार के लिए रुकें इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उन दो विषयों पर अब एक नोट तैयार करें, जिन्हें आप जल्द ही पढ़ाने वाले हैं, जहाँ थोड़े-बहुत समायोजन के साथ उन अवधारणाओं का उपयोग किया जा सकता है। |
यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:
संस्कृति और समाज की विविधता कक्षा में प्रतिबिंबित होती है। विद्यार्थियों की भाषाएं, रुचियां और योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आते हैं। हम इन विभिन्नताओं को अनदेखा नहीं कर सकते हैं; वास्तव में हमें उन्हें सकारात्मक रूप से देखना चाहिए क्योंकि हमारे लिए ये एक दूसरे के बारे में तथा हमारे अनुभव से भिन्न संसार को जानने और समझने के लिए माध्यम का काम कर सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने एवं अपनी स्थिति, योग्यता और पृष्ठभूमि से इतर जाकर सीखने का अवसर हासिल करने का अधिकार है, और इस बात को भारतीय कानून में एवं अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों में मान्यता प्राप्त है। 2014 में राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सभी नागरिकों के मूल्यों, मान्यताओं को महत्व दिए जाने पर बल दिया भले ही किसी नागरिक की जाति, लिंग या आय कुछ भी क्यों न हो। इस संबंध में विद्यालयों और अध्यापकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
हम सभी के पास उन दूसरे लोगों को लेकर पूर्वाग्रह और विचार होते हैं जिनसे हमारा परिचय या साक्षात्कार नहीं हुआ हो सकता है। एक अध्यापक के रूप में, आपके पास प्रत्येक विद्यार्थी के शैक्षिक अनुभव को सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने की शक्ति होती है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, आपके निहित पूर्वाग्रहों और विचारों का इस बात पर अवश्य प्रभाव होगा कि आपके विद्यार्थी कितनी बराबरी के साथ सीख रहे हैं। आप अपने विद्यार्थियों को असमान व्यवहार से सुरक्षित करने के लिए कदम उठा सकते हैं।
लचीलापन: यदि कोई विधि या गतिविधि आपकी कक्षा में किसी विशिष्ट विद्यार्थी, समूह या व्यक्ति के लिए काम नहीं कर रही है तो अपनी योजनाओं में बदलाव करने या गतिविधि को रोकने के लिए तैयार रहें। लचीली दृष्टि रखने से आप समायोजन करने में सक्षम होंगे जिससे आप अधिक प्रभावी ढंग से सभी विद्यार्थियों को सहभागी बना सकते हैं।
ऐसे कई विशिष्ट दृष्टिकोण हैं जिनसे आपको सभी विद्यार्थियों को शामिल करने में मदद मिलेगी। इन्हें अन्य प्रमुख संसाधनों में और अधिक विस्तार से वर्णित किया गया है लेकिन यहां संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है:
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़करए यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन–शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
चित्र 1: ताज महल [Figure 1: Taj Mahal] © Andrew Gray/Flickr: http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 2.0/ deed.en.
चित्र 2: चित्र एडम जोन्स द्वारा [Figure 2: Photo by Adam Jones], adamjones.freeservers.com: http://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Seller_of_Pots_and_Pans_-_Tiruvannamalai_-_India.JPG. यह फ़ाइल क्रिएटिव कॉमन्स एट्रीब्यूशन-शेयर अलाइक 3.0 अनपोर्टेड लाइसेंस के अधीन लाइसेंसीकृत है। [This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported licence.]
चित्र 4: © सहारासाव [Figure 4: © Saharasav], http://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Keiryo_spoons.jpg. यह फ़ाइल क्रिएटिव कॉमन्स एट्रीब्यूशन-शेयर अलाइक 3.0 अनपोर्टेड लाइसेंस के अधीन लाइसेंसीकृत है। [This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported licence.]
चित्र 5: भास्करनायडू [Figure 5: Bhaskaranaidu], http://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Idli_coocker.JPG. यह फ़ाइल क्रिएटिव कॉमन्स एट्रीब्यूशन-शेयर अलाइक 3.0 अनपोर्टेड लाइसेंस के अधीन लाइसेंसीकृत है। [This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported licence.]
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहितद्धरू भारत–भर के उन अध्यापक शिक्षकोंए मुख्याध्यापकोंए अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन युनिवर्सिटी के साथ काम किया।