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प्रायोगिक शिक्षण और मूर्त रूप : ज्यामितीय संरचनाए

यह इकाई किस बारे में है

जब आप आस-पास देखते हैं, तो आपको चारों ओर कोण दिखाई देंगे। बिना कोणों के जीवन संभव नहीं लगता। वस्तुओं, इमारतों, पहाड़ों, पेड़ों, समुद्र की लहरों - यहाँ तक कि लोगों में भी, हमारे हाथों व पैरों के चलने में कोण हैं (चित्र 1)।

चित्र 1 कोण सभी जगह हैं

इस यूनिट में, आप सीखेंगे कि आपके विद्यार्थियों के साथ ज्यामिती में निर्माण पर काम करते समय प्रायोगिक शिक्षण व मूर्त रूप का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस यूनिट में बाहर की जगहों को गणितीय क्षेत्र के रूप में उपयोग करने के बारे में सुझाव हैं। इस तरह काम करने से आपके विद्यार्थी आत्मनिर्भर प्रशिक्षु बन जाएँगे, कक्षा में पढ़े विचारों को पूरी तरह समझ सकेंगे व उन्हें बाहर लागू कर सकेंगे। आपके विद्यार्थियों की और अधिक मदद करने के लिए, यह यूनिट उन्हें उनके गणित के शिक्षण के दौरान ‘फँसने से बचने’ के लिए भी तरीके बताता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • गणित सीखने और उसका आनंद लेने को बढ़ावा देने के लिए मूर्त रूप और बड़े पैमाने के रचना कार्यों का उपयोग कैसे करें।
  • आपके विद्यार्थियों को अकेले फँस जाने पर उससे निबटने में मदद करने के लिए कुछ विचार, ताकि वे शिक्षण में आगे बढ़ने के लिए व्यक्तिगत रणनीतियाँ विकसित कर सकें।
  • ज्यामितीय रचना सिखाने के लिए कुछ प्रायोगिक तरीकों का उपयोग करने के बारे में कुछ विचार।

इस इकाई का संबंध संसाधन 1 में दी गई एनसीएफ (2005) और एनसीएफटीई (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।

1 कागज़ मोडकर कोण बनाना

जीवन में कोणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। फिर भी, विद्यार्थी अक्सर उनके आस-पास इन कोणों को नहीं देख पाते या उन्हें उन कोणों से नहीं जोड़ पाते, जिनपर वे गणित की कक्षा में काम करते हैं। जब विद्यार्थी कोणों के बारे में सोचते हैं, तो वे अक्सर अपने विचारों को कागज़ पर बनी प्रतिच्छेदी रेखाओं तक सीमित रखते हैं, जिन्हें केवल चाँदे और कम्पास की सहायता से मापा और बनाया जा सकता है।

गतिविधि 1 का उद्देश्य विद्यार्थियों को यह बताना है कि वे किस प्रकार केवल एक आयताकार कागज़ का टुकड़ा लेकर, उसे मोड़कर कोणों का ‘निर्माण’ कर सकते हैं। कोणों में परिवर्तन करने का यह प्रायोगिक अनुभव विद्यार्थियों को चिह्नों के पीछे के अर्थ, निरूपण व संकल्पनाएँ समझाने में मदद कर सकता है। ये उन कोणों का एक त्वरित दोहराव है, जो उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में पढ़े होंगे।

इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो परोक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: कागज़ मोडकर कोण बनाना

अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि कोई भी सीधा किनारा 180° के ऋजु कोण का प्रतिनिधनत्व करता है. जब आप किसी कागज को इस प्रकार मोड़ते हैं कि आरंभिक किरण अंतिम किरण पर पड़े, तो इससे कोण का समद्विभाजन होता है।

अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे इस ज्ञान का उपयोग कर 180°, 90°, 77.5°, 50°, 45°, 30°, 22.5° व 11.25° माप वाले कोण बनाने का प्रयास करें।

उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर देना होगा:

  • कौन से कोण मोड़कर बनाने में आसान थे?
  • कौन से बनाने में मुश्किल या असंभव थे?
  • ये सभी कोण 180° से कम क्यों हैं? क्या इस मान से बड़े कोणों को समद्विभाजित करना संभव है?

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती मनीषा बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।.

विद्यार्थियों ने पहले कागज़ मोड़ने की कोई गतिविधि नहीं की थी (या कम से कम बहुत लंबे समय से नहीं की थी) और वे आरंभ में थोड़े चकराए हुए थे। उन्हें यह संकल्पना अजीब लगी कि आप कोणों को आधा कर सकते हैं। मैंने यह जानने के लिए प्रश्न पूछे कि वे क्या सोच रहे थे और पता लगा कि वे कोण को स्थिर, अचल मानते थे, न कि जगह से हिल सकने वाला। अत: मैंने पहले उन्हें उठकर दोनों हाथ सामने फैलाकर 180°, 360°, 720°, 90°, 45°, 360° का आधा, 45° से दुगना, 360° से आधा, उसके बाद 45° आदि पर दक्षिणावर्त/वामावर्त घूमने को कहा, जिसमें एक बाँह स्थिर रहे व दूसरी कोण का आकार इंगित करने के लिए हिले, जिससे वे कोण को मापने को वर्तन या घूर्णन को मापने जैसा समझने लगे।

इसके बाद वे कागज़ को मोड़ने का काम खुशी से करने लगे। उन्हें लगा कि कोण को सही रखना बहुत बड़ी समस्या बन गई, विशेषकर तब जब छोटे कोण बनाए जाने थे।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसी कोई गतिविधि करें, तो बाद में सोचे कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ हुई। ऐसे सवालों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग कुछ छोटी–छोटी चीजें नोट करते हुए करें, जिनसे काफ़ी फ़र्क पड़ता है, जैसा श्रीमती मनीषा ने किया।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:

  • आपकी कक्षा कैसी रही? क्या विद्यार्थियों ने इस गतिविधि का आनन्द लिया? क्या वे इन विचारों से परिचित थे?

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

2 बढ़ाना व घटाना

प्रत्येक चित्र को शक्लन घटक (scaling factor) के आधार पर बढ़ाया या कम किया जा सकता है। यह हम वास्तविक जीवन में लगातार करते रहते हैं। मूल चित्र व छोटे या बड़े किये गये चित्र एक दूसरे के ‘समान’ होते हैं। कक्षा X में पढ़ाई गई ‘त्रिभुजों की समानता’ अक्सर विदयार्थियों को परेशान करती है, यदि उन्होंने कभी चित्रों का शल्कन (scaling) न किया हो या शल्कित (scalid) व मूल चित्र के बीच संबंध पर ध्यान न दिया हो।

अगली गतिविधि में, एक त्रिभुज का शल्कन (scaling) करके आप विद्यार्थियों की उनकी अपनी तकनीक का पता लगाने में मदद करेंगे। फिर वे बढ़ाए गए त्रिभुज के आकार को परिभाषित करके बढ़ाने या घटाने के शल्कन (scaling factor) घटक को निर्धारित करेंगे। यदि विद्यार्थी गणित की कक्षा के बाहर काम करें और कागज़ पर काम करते समय उन्हें जिस स्केल पर काम करने की आदत है, उससे बड़े आकार पर काम करें, तो इसका लाभ अधिक होता है। ‘वास्तविक-आकार’ के मापों पर काम करने में आने वाली समस्याएँ और उन्हें मिलने वाली गणितीय समझ इस कार्य के बाद की केस स्टडी में बताए गए हैं और गतिविधि 3 में इनका अन्वेषण किया जाएगा।

गतिविधि 2: बढ़ाना व घटाना

तैयारी

यह गतिविधि तब बेहतर लाभ देती है, जब विद्यार्थी तीन या चार के समूहों में सहयोग करते हैं। योजना बनाएँ कि कौन किस समूह में रहेगा और क्यों - आप अधिक आत्मविश्वास वाले विद्यार्थियों को कम आत्मविश्वासी विद्यार्थियों के साथ मिला सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि यह गतिविधि बाहर की जाए, उदाहरण के लिए किसी मैदान में, जहाँ विद्यार्थी ज़मीन पर चॉक से लिख सकें या मिट्टी पर आकृतियाँ बना सकें। पुस्तिका के कागज़ के स्थान पर अख़बार बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि वह बड़ा होता है। विद्यार्थियों को समूहों में काम करने को कहते समय, यह महत्वपूर्ण है कि संसाधन, जैसे लिखने का कागज़ पर्याप्त बड़े हों, जिससे सभी उन्हें एक साथ देखे सकें। इसका अर्थ है बड़े कागज़ और बड़े अक्षरों में लिखना।

गतिविधि

अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:

  • आपको कागज़ का टुकड़ा दिया गया है। इसे मोड़कर एक त्रिभुज बनाएँ। त्रिभुज का आकार महत्वपूर्ण नहीं है।

  • त्रिभुज को मापें (कोण व भुजाएँ) व उसका परिमाप निकालें।
  • ज़मीन पर उसी आकार का एक त्रिभुज बनाएँ जिसका परिमाप आपके कागज़ के त्रिभुज से दस गुना हो। क्या एक से अधिक समाधान हैं?
  • बड़े त्रिभुज को मापें।
  • उसी तकनीक का उपयोग करके, जो आपने पहले उपयोग की, अपने कागज़ के त्रिभुज के भीतर एक त्रिभुज बनाएँ, जिसकी भुजाएँ मूल त्रिभुज के संगत भुजाओं से आधी हों।
  • मूल त्रिभुज की किसी एक त्रिभुज (छोटे या बड़े किए गए) से तुलना करें।
  • अब सोचें कि इन तीन त्रिभुजों में क्या समान है और क्या भिन्न है।

  • अपने समूहों में, क्या आप लिखे बिना ऐसे एक या अधिक तरीके सोच सकते हैं, या वर्णन कर सकते हैं कि, एक त्रिभुज से दूसरा कैसे बनाएं? देखें कि क्या ये विधियाँ अन्य त्रिभुजों में से किसी से शुरू करने पर भी काम कर सकती हैं।
  • अब अपनी विधि लिखें।

और जानने के लिए संसाधन 2, ‘समूह में काम करना’ देखें।

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 के उपयोग का अनुभव श्रीमती मोहंती बताती हैं

समूहों ने [गतिविधि पर] चर्चा आरंभ की लेकिन ऐसे कई विद्यार्थी थे, जो बिल्कुल योगदान नहीं कर रहे थे। मैंने समझ लिया कि उन्हें यह आसान नहीं लग रहा लेकिन मुझे यह ठीक से नहीं पता था कि वे कहाँ अटके थे। प्रश्न के पहले भाग में उन्हें कागज़ का एक त्रिभुज बनाना था - मेरी समझ से तो निश्चित ही यह इतना मुश्किल नहीं था। मैं सोचने लगा कि शायद वे भूल गए थे कि उन्हें त्रिभुजों के बारे में पहले से क्या पता होना चाहिए था और शायद मुझे उन्हें पाठ्य-पुस्तक में देखकर अपनी याददाश्त को ताज़ा करने के लिए कहना चाहिए।

लेकिन, हम मैदान में थे और पुस्तकें कक्षा में, इसलिए इसमें तो बहुत समय लग जाता। अत: मैंने सोचा, ‘मुझे नहीं पता वे कहाँ फँसे हैं, तो मुझे सीधे पूछ ही लेना चाहिए!’ उसी समय मैंने सोचा, ‘मुझे अच्छा नहीं लगता जब वे फँस जाते हैं।’ लगता है जैसे वे हमेशा इस बात की प्रतीक्षा करते हैं कि मैं उन्हें यह बताकर उबरने में मदद करूँ कि उन्हें क्या करना चाहिए। वे मुझसे प्रश्नों को और छोटे चरणों में तोड़ने की अपेक्षा रखते हैं। मुझे लगता है यह उन्हें स्वतंत्र प्रशिक्षु या अच्छे समस्या सुलझाने वाला बनाता है, जो हम चाहते हैं कि उन्हें विद्यालय के बाहर के जीवन में होना चाहिए। अत: मैंने वह कहा जो मैं सोच रहा था:

आप सब फँस गए लगते हैं। कहीं फँस जाना जीवन का ही भाग है। महत्वपूर्ण यह है कि आप उबरें और आप जानें कि कैसे उबरते हैं। तो आप लोग पहले अपने समूहों में इस पर चर्चा करें कि आप किस जगह फँसे हैं और कैसे उबर सकते हैं। फिर हम आपके कुछ विचारों पर पूरी कक्षा के साथ चर्चा करेंगे।

हमें पाँच मिनट से भी कम समय लगा व उनके पास उबरने के कुछ अच्छे आइडिया आ गए। इस चर्चा ने वास्तव में हमें पूरे समूह के साथ होने का भाव दिया - एक दूसरे को सीखने और उबरने में मदद करने के सामूहिक उत्तरदायित्व का अहसास, और यह अनुभव कि हम सब यह कर सकते हैं। बाकी के पाठ में सभी प्रसन्न रहे। परिणामस्वरूप, बाद में हम समानता और सर्वांगसमता, शल्कन घटक (scaling factor) व सभी त्रिभुजों के गुणों पर चर्चा कर पाए। अत: गणित का केवल एक पहलू सीखने के बजाय, वे विभिन्न पहलुओं को जोड़ने लगे थे।

दस गुना परिमाप वाला समान त्रिभुज बनाने के प्रश्न पर उन्हें थोड़ा सोचना पड़ा - लेकिन कोई कुंठा देखने में नहीं आई। मैंने विद्यार्थियों को ‘हम फँस गए हैं’ और ‘अब हमें उबरना है’ कहते सुना। एक समूह ने उबरने के लिए एक रस्सी की माँग की। मैंने यह नहीं सोचा था, अत: मैं वह नहीं लाया था। किस्मत से मेरी कक्षा में सिलाई के मजबूत धागे का एक बॉबिन था, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी उपयोग किया।

यह प्रश्न कि क्या समान था व क्या बदल गया था, रोचक था। मैंने विद्यार्थियों को अपने त्रिभुजों के आसपास घूमते, उन्हें विभिन्न कोणों से देखते हुए देखा। उन्होंने सभी प्रकार के अनुमान लगाए, दुबारा सोचा और फिर अपने अनुमानों के शब्दों में फेरबदल किया। इससे स्वचालित रूप से एक विधि परिभाषित हुई। मैंने सोचा कि यह अच्छा था कि उन्होंने अपने विचार तुरन्त ही नहीं लिख लिए, क्योंकि वे भिन्न विवरण देने के लिए उत्सुक थे और तेज़ गति से काम कर सकते थे - लिखना हमेशा चीज़ों को धीमा कर देता है। उन्हें गणितीय भाषा के उपयोग में भी अधिक सटीक होना चाहिए। क्योंकि किसी विद्यार्थी के ‘वह कोण’ कहने पर दूसरे किसी और स्थान पर खड़े होकर त्रिभुजों को देखते हुए हैरान रहेंगे।

पहले उन्होंने एक बड़े कागज़ पर आरेख खींचा और फिर अपनी अभ्यास-पुस्तिकाओं में विधि लिखी। सब होने के बाद मुझे यह समझ नहीं आया कि उन बड़े कागज़ों का क्या करना चाहिए! अंत में, हमने उन्हें कक्षा की दीवारों पर चिपका दिया। वे बहुत अच्छे तो नहीं दिख रहे थे; लेकिन दृश्य रोमांचक था और वह उनके गणितीकरण का उदाहरण था। हमने उसे ‘सोचने के काम की दीवार’ नाम दिया। मैंने देखा कि अगले कुछ दिन और सप्ताहों तक विद्यार्थी और शिक्षक उसे देखते और उस पर चर्चा करते रहे। मुझे वाकई अच्छा लगा कि अब तक किसी पाठ के बारे में बातें हो रही थीं और वह शिक्षण भी, जो पाठ के पूरा होने के बहुत बाद तक जारी था! यही मैदान में चॉक के आरेखों के साथ हुआ: लोग अचरज में थे और उसके बारे में बातें करते थे। दीवार पर प्रदर्शन तब तक रहा जब कुछ सप्ताह बाद हमने उसे विद्यार्थियों के एक और ‘सोचने के काम’ से बदला।

इस गतिविधि ने मुझे उस प्रभाव के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, जो गणितीय रचना के कक्षा से बाहर होने से पड़ा था। बाहर, वे अपनी अभ्यास-पुस्तिकाओं से बड़े पैमाने पर काम करते हैं, लेकिन मैं अपने विद्यार्थियों के साथ यह करने की चिन्ता क्यों करूँ? मैं अब भी पूरी तरह समझ नहीं पाया हूँ कि

यह इतना उपयोगी क्यों लगता है, और मुझे लगता है मैं समझ भी नहीं पाऊँगा, लेकिन मेरे विचार निम्नलिखित है :

  • यह बहुत बड़े आकार में था, जिससे वे सब एक साथ यह देख सकते थे कि क्या हो रहा है और चर्चा में भाग ले सकते थे, जो वाकई सहभागिता थी।
  • उन्हें त्रिभुज बनाने में साथ काम करना पड़ा। वे अकेले यह नहीं कर सकते थे, क्योंकि यह बहुत बड़ा था और करने के लिए कई काम थे। इस कारण, उन्हें गणित के बारे में बातचीत करनी पड़ी। सहशिक्षण के बारे में संयुक्त उत्तरदायित्व का बोध था।
  • सबकुछ शुरू से ही सटीक हो यह आवश्यक नहीं था, और इससे विद्यार्थियों को अधिक अन्वेषण करने व अधिक विचारों को आजमाने का मौका मिला।
  • उनकी गणित की दुनिया वाकई बड़ी हो गई। विद्यार्थी कक्षा में पाठ्य-पुस्तक लेकर बैठने की जगह मैदान की अपनी ‘बाहरी’, ‘वास्तविक’ उस दुनिया में गए, जहाँ वे अपने विद्यालय के मित्रों के साथ घूमते हैं।

जिस बात ने मुझे आंदोलित किया वह यह थी कि यह पाठ कितना खुशियों भरा व रोमांचक रहा, गहरी सोच व गणितीय विचार-विमर्श के साथ: मुस्कुराहटें और चमकती आँखें जब उन्होंने कोई अंदाज लगाया और फिर यह पता लगना कि वास्तव में उनका अनुमान सही निकला (चाहे कुछ समय के लिए ही सही!)। वे गर्व और उपलब्धि के भाव से चमक रही थीं, जैसे कि मैं!

विचार के लिए रुकें

  • जब आपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधि की, तो उनसे किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या प्रश्न पूछे? आपने उनकी समझ के बारे में क्या जाना?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

3 गणित को मूर्तरूप बनाना

‘शरीर गणित’ एक ऐसी तकनीक है जिसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी उस गणित को भौतिक रूप से अनुभव करे, जिसे वह सीख रहा है। इसे ‘मूर्तरूप बनाना’, या किसी भावात्मक संकल्पना को साकार स्वरूप देना भी कहते हैं। मूर्तमान अनुभूति की संकल्पना में मस्तिष्क की विचारधारा को आकार देने के लिए वस्तु का उपयोग करते है (Dreyfus, 1996; Gibbs, 2006)। गणित को मूर्तरूप बनाने से:

  • गणित को एक सैद्धांतिक विषय के रूप में देखने का अवरोध हट जाएगा, जो विद्यार्थी के जीवन के अनुभवों से बहुत अलग भी है
  • गणितीय संकल्पनाओं के लिए अधिक कल्पना करना संभव होगा
  • गणितीय गुणों के साथ एक भावनात्मक व आनंदपूर्ण संबंध बन सकेगा।

गतिविधि 2 में, आपने अपने विद्यार्थियों के साथ बड़े मापों पर कार्य किया। अगली गतिविधि इसे और आगे ले जाती है: फिर से बाहर जाकर बड़े मापों पर काम करना, लेकिन इसमें विद्यार्थियों को गणित का अंग बनना होगा - गणित को मूर्त रूप में निरूपित करने के लिए। विद्यार्थियों को वृत्त की गोलाई पर एक बिंदु बनकर उसका केंद्र सटीक ढंग से बनाने को कहा जाएगा। परिणामस्वरूप प्रत्येक विद्यार्थी/बिंदु को संतुष्ट होना चाहिए कि वह केंद्र से उतनी ही दूरी पर है जितनी पर अन्य हैं। इस गतिविधि में विदयार्थियों को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना पड़ेगा और जब उन्हें लगे कि उन्हें केंद्र से गोलाई के अन्य बिंदुओं के समान दूरी पर न रखकर उनसे भेदभाव किया जा रहा है, तो उन्हें अपने अधिकार के लिए खड़ा होना व अपना मत सबको बताना होगा। इस प्रकार की गतिविधि का प्रबंधन पहली बार करते समय आसान नहीं है, लेकिन यदि आप प्रयास करते रहेंगे, तो आपके विद्यार्थियों को गणितीय गुणों का अधिक ज्ञान मिलेगा।

गतिविधि 3: गणित बनना

तैयारी

इस कार्य के लिए आपको सभी विद्यार्थियों के हाथ पकड़ने व एक वृत्त में खड़े होने के लिए पर्याप्त स्थान चाहिए, जहाँ वृत्त के बाहर और स्थान हो, जिससे उसके केंद्र का निर्माण अभिनीत किया जा सके। यह कार्य कक्षा IX की पाठ्य-पुस्तकों में दिए ‘वृत्त में किसी जीवा का लम्ब समद्विभाजक उसके केन्द्र से होकर जाता है।“ को मूर्त रूप देने का है। यदि आपको लगता है कि इस कार्य में उनके करने के लिए दी गई चर्चा को पूरा करने के लिए समूह बहुत बड़ा है, तो बेहतर होगा कि पूरी कक्षा से साझा करने से पहले उन्हें अपने विचारों पर तीन-तीन के समूह में बात करने को कहा जाए। आपको रस्सी या सुतली, एक गेंद और एक सीटी की आवश्यकता हो सकती है।

गतिविधि

  • अपने विद्यार्थियों से कहें: ‘इस गतिविधि का उद्देश्य यह पता लगाना है कि कौन सा विद्यार्थी कक्षा में सबसे तेज़ दौड़ता है।’ अपने सभी विद्यार्थियों को हाथ पकड़कर जितना संभव हो दूरी बनाने को कहें, जिससे अधिकतम बड़ा वृत्त बन जाए।
  • एक बार विद्यार्थियों के वृत्ताकार खड़े हो जाने के बाद, किसी भी एक विद्यार्थी को चुन कर कहें: ‘क्या तुम वृत्त के बीच में एक गेंद को इस प्रकार रख सकते हो कि वह प्रत्येक विद्यार्थी से, जितना हो सके, बराबर दूरी पर हो? यदि तुम गेंद को ग़लत स्थान पर रखते हो, तो तुम इस गतिविधि में इसके आगे भाग नहीं ले सकोगे।’ (लेकिन फिर भी वे निर्णायकों का काम कर सकते हैं।)
  • जैसे ही गेंद रखी जाए, अन्य विद्यार्थियों से कहें: ‘अगर तुम जीतना चाहते हो, तो प्रतिस्पर्धा कम करना तुम्हारे हित में है। क्यो तुम हमें यकीन दिला सकते हो कि गेंद गोलाई में खड़े प्रत्येक विद्यार्थी से समान दूरी पर नहीं है, जिससे गेंद रखने वाले विद्यार्थी को प्रतिस्पर्धा से हटाया जा सके?’
  • कुछ विद्यार्थियों के हटने के बाद यह प्रश्न पूछें: ‘आपने जो वृत्त बनाया है, उसके केंद्र को आप अधिक शुद्धता व निश्चितता के साथ कैसे खोज सकते हैं? क्या आप मिलकर गेंद को ठीक केंद्र में रखने का कोई तरीका खोज सकते हैं?’
  • उन्हें दो और तीन के समूहों में इस पर चर्चा करने को कहें; फिर कुछ समूहों को अपने विचार पूरी कक्षा के साथ बाँटने को कहें। हर एक समूह के अपना विचार बताने के बाद, कक्षा से पूछें कि क्या वे सहमत हैं कि यह एक अच्छा तरीका है। दो या तीन समूहों द्वारा कक्षा को अपने विचार बताने के बाद सभी समूहों को अपने विचार बताने को कहने की आवश्यकता नहीं है;

    बोल लेने के बाद, यह पूछें कि क्या किसी के पास दिए जा चुके सुझावों से बहुत अलग कोई विचार है। यदि कोई भी जीवा व लंब समद्विभाजक का उपयोग करके निर्माण करने की बात नहीं करता, तो उन्हें (बिना पूरी बात बताए) संकेत देना अच्छा होगा। जैसे: ‘समद्विभाजक नामक एक जादुई निर्माण उपकरण भी है…’

  • उनसे पूछें कि वे उस निर्माण को कैसे करेंगे और उन्हें क्या मान कर काम करना होगा क्योंकि वे इसे अपने शरीर का उपयोग करते हुए, बाहर एक बड़े पैमाने पर कर रहे हैं, जितना वे सामान्यत: नहीं करते।

  • जब गेंद वृत्त के केंद्र में सही जगह रख दी जाए, तो यह संकेत करने के लिए सीटी बजाएँ कि बाकी विद्यार्थी उस तरफ दौड़कर उसे किक लगाएँ। सबसे पहले गेंद तक पहुँचने वाला जीत जाएगा।

केस स्टडी 3: गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव श्रीमती भाटिया बताती हैं

ओह, उन्हें कार्य का प्रतिस्पर्धी भाग बहुत पसंद आया! उससे वे सोचने और नए विचार लाने के लिए आतुर हो गए। उन्हें लग रहा था कि वृत्त का केंद्र खोजना बहुत आसान व सरल होगा।

यह वास्तविक समस्या हल करना था - हल खोजने के लिए सोचने और निर्माण को अभिनीत करने/मूर्तमान करने के विचार देने, दोनों के लिए समस्याएँ थीं। बहुत बार फँसे भी, और उबरने पर भी बहुत विचार किया गया। कई बार गेंद को केंद्र में रखने का प्रयास करने के बाद जब उन्हें अहसास हुआ कि ऐसा करना मुश्किल था, तो वे एक तरह से सन्न रह गए। उन्हें एकदम सटीक तरीका खोजने में मुश्किल हुई, और फिर मेरी इच्छा हुई कि मैं उन्हें वृत्तों से संबंधित पाठ फिर से पढ़ाऊँ।

लेकिन समद्विभाजक के इशारे ने काम कर दिया - यद्यपि जीवा या लंब के रेखा खंड के रूप में उपयोग का विचार आने में समय लगा। लेकिन उन्होंने सब अपने आप किया, और उपलब्धि, प्रसन्नता व गर्व का भाव, कि उन्होंने स्वयं यह सब सोचा, प्रतीक्षा का मीठा फल था। मुझे लगता है कि स्वयं की खोज और वहाँ तक पहुँचने का ‘संघर्ष’ भी उन्हें बहुत बेहतर याद रखने में मदद करेगा - शायद परीक्षा तक भी।

वास्तव में, कौन सा तरीका काम करेगा यह सोचने की प्रक्रिया में उन्होंने वृत्त से संबंधित लगभग सभी गुणों व प्रमेयों को याद किया। अत: यह साथ में अच्छा पुनरीक्षण भी था, इस बोध के साथ कि ये प्रमेय व गुण उन्हें मैदान में सामने आई वास्तविक समस्या को सुलझाने में मदद करेंगे।

विचार के लिए रुकें

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या प्रश्न पूछे? इससे आपने क्या सीखा?

4 मूर्त रूप में गणित से कागज़ पर निरूपण तक

गतिविधि 2 व 3 में आपने विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर गणितीय रचना के सुदृढ़ अनुभव दिए। यह कक्षा में काम करने या पाठ्य-पुस्तक का उपयोग करने से अलग अनुभव देता है। लेकिन किसी स्तर पर आपके विद्यार्थियों का गणितीय शिक्षण कागज़-कलम के तौर-तरीके पर, और परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर देने पर लाना होगा। विख्यात शिक्षाविद् ब्रूनर (1966) ने इन भिन्न दुनियाओं को ‘अभिनयशील-प्रतिष्ठित-प्रतीकात्मक’ के नाम से परिभाषित किया था।

अगली गतिविधि उस परिवर्तन को पूरा करने और कक्षा के बाहर गणित शिक्षण (ब्रूनर का ‘अभिनयशील’ चरण) को अभिनयशील शिक्षण को दर्शाने वाले रेखांकन (ब्रूनर का ‘रेखांकनात्मक’ चरण) और अंत में गणितीय प्रतीकात्मक अंकन का उपयोग व इस अंकन का अर्थ लगाने (ब्रूनर का प्रतीकात्मक चरण) पर केंद्रित है। ऐसा गणितीय प्रतीकात्मक अंकन पाठ्य-पुस्तकों व परीक्षा के प्रश्न-पत्रों में पाया जाता है।

गतिविधि 4: मूर्त रूप गणित से परीक्षा के प्रश्नों तक

भाग 1

अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 3 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने मैदान में एक गेंद को वृत्त के मध्य रखकर वृत्त का केंद्र खोजने की कोशिश की और फिर देखा कि क्या वे यही कागज़ पर भी कर सकते हैं। अब आप उन्हें वह वृत्त छोटे रूप में फिर से बनाने को कहेंगे जो उन्होंने मैदान में बनाया था और जो उनकी अभ्यास-पुस्तिका में आ सके। वे उस वृत्त को किसी चूड़ी, कम्पास या किसी भी वृत्ताकार वस्तु की मदद से बना सकते हैं। यदि समय हो, तो वे अपने वृत्त को रंगोली में बदल सकते हैं (चित्र 2)।

चित्र 2 रंगोली का एक उदाहरण

अपने विद्यार्थियों को निम्न प्रश्नों के उत्तर देने को कहें:

  • आप उसका सटीक व निर्विवाद केंद्र कैसे खोज सकते हैं?
  • आपको क्या लगता है, विद्यालय के बाहर, आपको कहाँ और कब वृत्त का केंद्र खोजने की आवश्यकता पड़ सकती है? अपनी कल्पनाशीलता का उपयोग करें!

भाग 2

अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 2 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने त्रिभुजों के बड़े संस्करण बनाए थे। वे उसे कक्षा में की जाने वाली गतिविधि में कैसे बदल सकते हैं, जिसे वे अपनी अभ्यास-पुस्तकिओं में कर सकें?

भाग 3

अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि वे:

  • अपनी पाठ्य-पुस्तकें, और यदि उपलब्ध हों, तो परीक्षा के प्रश्न-पत्र लें।
  • वे पाठ व प्रश्न खोजें जो आपको लगता है कि उस गणित से जुड़े हैं, जो आपने गतिविधि 2 व 3 और इस गतिविधि के भाग 1 और 2 में सीखा है।
  • वे प्रश्न किस तरह समान या भिन्न हैं?
  • क्या आप उन्हीं मुद्दों पर फँस जाते हैं?
  • आप अपने आप कैसे उबरते हैं?
  • ऐसा जताएँ जैसे आप कोई पाठ्य-पुस्तक लेखक या परीक्षा प्रश्न-पत्रों के लेखक हैं। क्या आप इस विषय पर तीन नए प्रश्न बता सकते हैं, जिन्हें पाठ्य-पुस्तक या परीक्षा में उपयोग किया जा सके - एक आसान, एक मध्यम व एक कठिन? (याद रखें कि आपको इन प्रश्नों का सही उत्तर स्वयं देना होगा!)

केस स्टडी 4: गतिविधि 4 पर श्रीमती मेहता का अनुभव

इन गतिविधियों को करने के बाद मेरे विद्यार्थियों में आया परिवर्तन बहुत गहरा था। यद्यपि उन्हें ये कार्य आसान नहीं लगते और वे इन्हें जल्दी नहीं कर पाए फिर भी उनका अपनी गणित करने की क्षमता के बारे में आत्मविश्वास बहुत बढ़ा हुआ नज़र आया। वे अपनी सीखने की क्षमता पर अधिक अधिकार होना दिखा सके।

वे कार्य के पहले भाग से खुशी-खुशी जुड़े रहे, और उन्हें किसी वृत्त का केंद्र क्यों खोजना पड़ सकता है, इस बारे में बेहद अविश्वसनीय कहानियाँ सुनाईं। लगभग सभी कहानियों में कोई प्रारूप बनाने के लिए अपनी अभ्यास-पुस्तिका में शल्कन (scaling) के लिए बनाने का तर्क शामिल था, जो यह बताता है कि वे अपनी अभ्यास-पुस्तिका के गणित से आगे भी देख पाते हैं।

गतिविधि के भाग 2 के लिए, मैंने विद्यार्थियों से जोड़ियों में काम करने को कहा, क्योंकि बातचीत से उबरने में मदद मिल सकती है और कुछ विचार आ सकते हैं।

हमने पाठ्य-पुस्तक के पाठों को देखकर यह चर्चा आरंभ की कि इनमें वास्तव में क्या था। उन्होंने इस पर फिर से जोड़ियों में आगे काम किया। नए प्रश्न बनाने के बारे में उनका एक प्रश्न यह था:

  • दो त्रिभुजों, ABC और PQR, का अनुपात निम्नानुसार है: equation sequence cap a times cap b divided by cap p times cap q equals cap b times cap c divided by cap q times cap r equals cap a times cap c divided by cap p times cap r equals one
  • दोनों के परिमाप का अनुपात खोजो।
  • बड़े त्रिभुज की भुजाओं का संभावित आकार खोजने के लिए अपनी खोजी हुई जानकारी का उपयोग करें।

अन्य प्रश्न था:

  • कोई त्रिभुज बनाओ जो दूसरे, मूल त्रिभुज का 2/3 हो।
  • कोई त्रिभुज बनाओ जो उस दूसरे, मूल त्रिभुज का 5/3 हो।
  • चर्चा करें कि आप कोई ऐसा त्रिभुज किस प्रकार बना सकते हैं, जो मूल त्रिभुज का 500/3 हो।

विचार के लिए रुकें

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?

  • क्या आपके सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया?
  • इन गतिविधियों के माध्यम से अपने शिक्षण में उन्होंने क्या तरक्की की है?

5 सारांश

इस यूनिट में, आपने सीखा कि ज्यामिती में निर्माण पर काम करते समय प्रायोगिक शिक्षण व मूर्त रूप का उपयोग कैसे किया जा सकता है। आपने देखा कि आप बाहरी जगह को गणितीय क्षेत्र के रूप में कैसे उपयोग कर सकते हैं - जहाँ विचारों का अन्वेषण हो सकता हो और गणित की कड़ियाँ और संबंध बनाए जा सकते हैं। इस तरह काम करने से आपके विद्यार्थी आत्मनिर्भर प्रशिक्षु बन जाएँगे, जो कक्षा में पढ़े विचारों को पूरी तरह समझ सकेंगे व उन्हें बाहर लागू कर सकेंगे। जैसा कि आपने देखा, यह उन्हें तब मदद करेगा जब वे परीक्षा देने जाते हैं - लेकिन इससे महत्वपूर्ण यह, कि इससे उन्हें वयस्क होने पर जीवन व करयिर में गणित का उपयोग करने में मदद मिलेगी।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उदाहरण के लिए, आप गतिविधि 4 से विचार लेकर, गणित को मूर्त रूप में दिखाने से लेकर चिह्नों व प्रतीकों तक जा सकते हैं। उन दो विषयों पर अब एक नोट तैयार करें, जिन्हें आप जल्द ही पढ़ाने वाले हैं, जहाँ थोड़े-बहुत समायोजन के साथ उन अवधारणाओं का उपयोग किया जा सकता है।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:

  • पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का गंभीर रूप से परीक्षण करते हुए उनसे जुड़ें, न कि बिना कोई सवाल किए ‘दिए’ गए रूप में उन्हें स्वीकार करें।
  • कक्षा के भीतर व बाहर प्रायोगिक अनुभव की शैक्षणिक माध्यम के रूप में संभाव्यता; और शिक्षा की प्रक्रिया के लिए अनिवार्य होने के रूप में समझें
  • विद्यार्थियों को गणित से डरने के बजाय उसका आनंद उठाना सिखाने के लिए समर्थन।
  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिसपर साथ मिलकर कार्य करें।

संसाधन 2: समूहकार्य का उपयोग करना

समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक आम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं।

समूहकार्य के लाभ

समूहकार्य विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करके सीखने हेतु उन्हें प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा सकते हैं और उनसे सीख भी सकते हैं: यह शिक्षण का शक्तिशाली और सक्रिय स्वरूप है।

समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना ही काफी नहीं होता है; इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने के साझा कार्य पर काम करना और उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आप पढ़ाई के लिए सामूहिक कार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं और जानना होगा कि यह भाषण देने, जोड़े में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं से कार्य करने पर तरजीह देने योग्य क्यों है। इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और उद्देश्यपूर्ण होना आवश्यक है।

समूहकार्य का नियोजन करना

आप समूहकार्य का उपयोग कब और कैसे करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पाठ के अंत में आप कौन सा शिक्षण पूरा करना चाहते हैं। आप समूहकार्य को पाठ के आरंभ में, अंत में या बीच में शामिल कर सकते हैं, लेकिन आपको पर्याप्त समय का प्रावधान करना होगा। आपको उस कार्य के बारे में जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं और समूहों को नियोजित करने के सर्वोत्तम ढंग के बारे में सोचना होगा।

एक अध्यापक के रूप में, आप समूहकार्य की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं यदि आप निम्न की योजना अग्रिम रूप से बनाते हैं:

  • सामूहिक गतिविधि के लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम

  • किसी भी फीडबैक या सारांश कार्य सहित, गतिविधि को आबंटित समय

  • समूहों को कैसे विभाजित करना है (कितने समूह, प्रत्येक समूह में कितने विद्यार्थी, समूहों के लिए मापदंड)
  • समूहों को कैसे नियोजित करना है (समूह के विभिन्न सदस्यों की भूमिका, आवश्यक समय, सामग्रियाँ, रिकार्ड करना और रिपोर्ट करना)
  • कोई भी आकलन कैसे किया और रिकार्ड किया जाएगा (व्यक्तिगत आकलनों को सामूहिक आकलनों से अलग पहचानने का ध्यान रखें)
  • समूहों की गतिविधियों पर आप कैसे निगरानी रखेंगे।

समूहकार्य के काम

वह काम जो आप अपने विद्यार्थियों को पूरा करने को कहते हैं वह इस पर निर्भर होता है कि आप उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं। समूहकार्य में भाग लेकर, वे एक-दूसरे को सुनने, अपने विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करने जैसे कौशल सीखेंगे। तथापि, उनके लिए मुख्य लक्ष्य है जो विषय आप पढ़ा रहे हैं उसके बारे में कुछ सीखना। कार्यों के कुछ उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • प्रस्तुतिकरण: विद्यार्थी समूहों में काम करके शेष कक्षा के लिए प्रस्तुतिकरण बनाते हैं। यह सबसे बढ़िया उपयोगी तब होता है जब प्रत्येक समूह के पास विषय का भिन्न पहलू होता है, जिससे वे एक ही विषय को कई बार सुनने की बजाय एक दूसरे को सुनने के लिए प्रेरित होते हैं। प्रत्येक समूह को प्रस्तुत करने के लिए दिए गए समय के विषय में काफी सख्ती बरतें और अच्छे प्रस्तुतिकरण के लिए मापदंडों का एक सेट निश्चित करें। इन्हें पाठ से पहले बोर्ड पर लिखें। विद्यार्थी मापदंडों का उपयोग अपने प्रस्तुतिकरण की योजना बनाने और एक दूसरे के काम का आकलन करने के लिए कर सकते हैं। इन मापदंडों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
    • क्या प्रस्तुतिकरण स्पष्ट था?

    • क्या प्रस्तुतिकरण सुसंरचित था?
    • क्या मैंने प्रस्तुतिकरण से कुछ सीखा?
    • क्या प्रस्तुतिकरण ने मुझे सोचने पर मजबूर किया?
  • समस्या को हल करना: विद्यार्थी किसी समस्या या समस्याओं की एक श्रृंखला को हल करने के लिए समूहों में काम करते हैं। इसमें शामिल हो सकता है, विज्ञान का कोई प्रयोग करना, गणित की समस्याएं हल करना, अंग्रेजी कहानी या कविता का विश्लेषण करना, या इतिहास के सबूत का विश्लेषण करना।

  • कोई कलाकृति या उत्पाद बनाना: विद्यार्थी समूहों में काम करके किसी कहानी, नाटक के भाग, संगीत के अंश, किसी अवधारणा को समझाने के लिए मॉडल, किसी मुद्दे पर समाचार रिपोर्ट या जानकारी को सारांशित करने या अवधारणा को समझाने के लिए पोस्टर का विकास कर सकते हैं। समूहों को किसी नए विषय के आरंभ में मंथन करने या मस्तिष्क में रूपरेखा बनाने के लिए पाँच मिनट देने से आपको इस बारे में बहुत कुछ जानकारी मिलेगी कि उन्हें क्या पहले से पता है, और आपको पाठ को उपयुक्त स्तर पर स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
  • विभेदित कार्य: समूहकार्य विभिन्न उम्रों या दक्षता स्तरों के विद्यार्थियों को किसी उपयुकत काम पर मिलकर काम करने देने का अवसर है। अधिक दक्षता प्राप्त करने वाले काम को समझाने के अवसर से लाभ उठा सकते हैं, जबकि कम दक्षता प्राप्त करने वालों के लिए कक्षा की बनिस्बत समूह में प्रश्न पूछना अधिक आसान हो सकता है, और वे अपने सहपाठियों से सीखेंगे।
  • चर्चा: विद्यार्थी किसी मुद्दे पर विचार करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। इसके लिए आपको अपनी ओर से काफी तैयारी करनी होगी ताकि सुनिश्चित हो सके कि विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिए विद्यार्थियों के पास पर्याप्त ज्ञान है, लेकिन चर्चा या विवाद का आयोजन आप और उनके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।

समूहों का नियोजन करना

चार से आठ के समूह आदर्श होते हैं किंतु यह आपकी कक्षा, भौतिक पर्यावरण और फर्नीचर, तथा आपकी कक्षा की दक्षता और उम्र के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में हर एक के लिए एक दूसरे से मिलना, बिना चिल्लाए बात करना और समूह के परिणाम में योगदान करना आवश्यक होगा।

  • तय करें कि आप विद्यार्थियों को समूहों में कैसे और क्यों विभाजित करेंगे; उदाहरण के लिए, आप समूहों को मित्रता, रुचि या समान अथवा मिश्रित दक्षता के अनुसार बाँट सकते हैं। भिन्न तरीकों से प्रयोग करें और समीक्षा करें कि प्रत्येक कक्षा के लिए क्या सर्वोत्तम है।
  • योजना बनाएं कि आप समूह के सदस्यों को कौन सी भूमिकाएं देंगे (उदाहरण के लिए, नोट लेने वाला, प्रवक्ता, टाइम कीपर या उपकरणों का संग्रहकर्ता) और आप इसे कैसे स्पष्ट करेंगे।

समूहकार्य का प्रबंधन करना

आप अच्छे समूहकार्य के प्रबंधन के लिए दिनचर्याएं और नियम तय कर सकते हैं। जब आप नियमित रूप से समूहकार्य का उपयोग करते हैं, तो विद्यार्थियों को पता चल जाएगा कि आप क्या अपेक्षा करते हैं और वे इसे आनंददायक पाएंगे। टीमों और समूहों में काम करने के लाभों की पहचान करने के लिए आरंभ में कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार है। आपको चर्चा करनी चाहिए कि समूहकार्य में अच्छा व्यवहार क्या होता है और संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बनाएं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है; उदाहरण के लिए, ‘एक दूसरे के लिए सम्मान’, ‘सुनना’, ‘एक दूसरे की सहायता करना’, ‘एक से अधिक विचार को आजमाना’, आदि।

समूहकार्य के बारे में स्पष्ट मौखिक अनुदेश देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैकबोर्ड पर संदर्भ के लिए लिखा भी जा सकता है। आपको:

  • अपनी योजना के अनुसार अपने विद्यार्थियों को उन समूहों की ओर निर्देशित करना होगा जिनमें वे काम करेंगे। ऐसा आप शायद कक्षा में ऐसे स्थानों को निर्दिष्ट करके कर सकते हैं जहाँ वे काम करेंगे या किसी फर्नीचर या स्कूल के बैगों को हटाने के बारे में अनुदेश देकर कर सकते हैं।
  • कार्य के बारे में बहुत स्पष्ट होना और उसे बोर्ड पर लघु अनुदेशों या चित्रों के रूप में लिखना चाहिए। अपने शुरू करने से पहले विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान करें।

पाठ के दौरान, यह देखने और जाँच करने के लिए घूमें कि समूह किस तरह से काम कर रहे हैं। यदि वे कार्य से विचलित हो रहे हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।

आप कार्य के दौरान समूहों को बदलना चाह सकते हैं। जब आप समूहकार्य के बारे में आत्मविश्वास महसूस करने लगें तब दो तकनीकें आजमाई जा सकती हैं – वे बड़ी कक्षा का प्रबंधन करते समय खास तौर पर उपयोगी होती हैं:

  • ‘विशेषज्ञ समूह’: प्रत्येक समूह को एक अलग कार्य दें, जैसे विद्युत उत्पन्न करने के एक तरीके पर शोध करना या किसी नाटक के लिए किरदार विकसित करना। एक उपयुक्त समय के बाद, समूहों को पुनर्गठित करें ताकि प्रत्येक नया समूह सभी मूल समूहों से एक ‘विशेषज्ञ’ से युक्त हो। फिर उन्हें एक कार्य दें जिसमें सभी विशेषज्ञों के ज्ञान को एकत्र करना होता है, जैसे निश्चय करना कि किस प्रकार का पॉवर स्टेशन बनाना या नाटक का अंश तैयार करना चाहिए।
  • दूत’: यदि कार्य में कोई चीज बनाना या किसी समस्या को हल करना शामिल है, तो कुछ समय बाद, प्रत्येक समूह से किसी अन्य समूह में एक दूत भेजने को कहें। वे विचारों या समस्या के हलों की तुलना और फिर वापस अपने स्वयं के समूह को सूचित कर सकते हैं। इस प्रकार, समूह एक दूसरे से सीख सकते हैं।

कार्य के अंत में, जो कुछ सीखा गया है उसका सारांश बनाएं और आपको नज़र आई किसी भी गलतफहमी को सुधारें। आप चाहें तो प्रत्येक समूह का फीडबैक सुन सकते हैं, या केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि कुछ अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर फीडबैक देने को प्रोत्साहित करें जिसमें वे पहचान सकते हैं कि क्या अच्छा किया गया था, क्या बात दिलचस्प थी और किस बात को और विकसित किया जा सकता था।

यदि आप अपनी कक्षा में समूहकार्य को अपनाना चाहते हैं तो भी आपको कभी-कभी इसका नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी:

  • सक्रिय शिक्षण का प्रतिरोध करते हैं और उसमें शामिल नहीं होते
  • हावी होने वाली प्रकृति के होते हैं
  • अंतर्व्यैयक्तिक कौशलों की कमी या आत्मविश्वास के अभाव के कारण भाग नहीं लेते।

सीखने के परिणाम कहाँ तक प्राप्त हुए और आपके विद्यार्थियों ने कितनी अच्छी तरह से अनुक्रिया की (क्या वे सभी लाभान्वित हुए) इस पर विचार करने के अलावा, समूहकार्य के प्रबंधन में प्रभावी बनने के लिए उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। सामूहिक कार्य, संसाधनों, समयों या समूहों की रचना में आप द्वारा किए जा सकने वाले समायोजनों पर सावधानी से विचार करें और उनकी योजना बनाएं।

शोध से पता चला है कि विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए समूहों में सीखने का हर समय उपयोग करना आवश्यक नहीं है, इसलिए आपको हर पाठ में उसका उपयोग करने के लिए बाध्य महसूस नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं, उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच अंतराल या कक्षा में चर्चा को अकस्मात शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। इसका उपयोग विवाद को हल करने या कक्षा में अनुभवजन्य शिक्षण गतिविधियाँ और समस्या का हल करने के अभ्यास शुरू करने या विषयों की समीक्षा करने के लिए भी किया जा सकता है।

अतिरिक्त संसाधन

References

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Mason, J., Burton, L. and Stacey, K. (2010) Thinking Mathematically, 2nd edn. Harlow: Pearson Education.
National Council of Educational Research and Training (2005) National Curriculum Framework (NCF). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2009) National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE). New Delhi: NCERT.
Watson, A., Jones, K. and Pratt, D. (2013) Key Ideas in Teaching Mathematics. Oxford: Oxford University Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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