जब आप आस-पास देखते हैं, तो आपको चारों ओर कोण दिखाई देंगे। बिना कोणों के जीवन संभव नहीं लगता। वस्तुओं, इमारतों, पहाड़ों, पेड़ों, समुद्र की लहरों - यहाँ तक कि लोगों में भी, हमारे हाथों व पैरों के चलने में कोण हैं (चित्र 1)।
इस यूनिट में, आप सीखेंगे कि आपके विद्यार्थियों के साथ ज्यामिती में निर्माण पर काम करते समय प्रायोगिक शिक्षण व मूर्त रूप का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस यूनिट में बाहर की जगहों को गणितीय क्षेत्र के रूप में उपयोग करने के बारे में सुझाव हैं। इस तरह काम करने से आपके विद्यार्थी आत्मनिर्भर प्रशिक्षु बन जाएँगे, कक्षा में पढ़े विचारों को पूरी तरह समझ सकेंगे व उन्हें बाहर लागू कर सकेंगे। आपके विद्यार्थियों की और अधिक मदद करने के लिए, यह यूनिट उन्हें उनके गणित के शिक्षण के दौरान ‘फँसने से बचने’ के लिए भी तरीके बताता है।
इस इकाई का संबंध संसाधन 1 में दी गई एनसीएफ (2005) और एनसीएफटीई (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।
जीवन में कोणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। फिर भी, विद्यार्थी अक्सर उनके आस-पास इन कोणों को नहीं देख पाते या उन्हें उन कोणों से नहीं जोड़ पाते, जिनपर वे गणित की कक्षा में काम करते हैं। जब विद्यार्थी कोणों के बारे में सोचते हैं, तो वे अक्सर अपने विचारों को कागज़ पर बनी प्रतिच्छेदी रेखाओं तक सीमित रखते हैं, जिन्हें केवल चाँदे और कम्पास की सहायता से मापा और बनाया जा सकता है।
गतिविधि 1 का उद्देश्य विद्यार्थियों को यह बताना है कि वे किस प्रकार केवल एक आयताकार कागज़ का टुकड़ा लेकर, उसे मोड़कर कोणों का ‘निर्माण’ कर सकते हैं। कोणों में परिवर्तन करने का यह प्रायोगिक अनुभव विद्यार्थियों को चिह्नों के पीछे के अर्थ, निरूपण व संकल्पनाएँ समझाने में मदद कर सकता है। ये उन कोणों का एक त्वरित दोहराव है, जो उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में पढ़े होंगे।
इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो परोक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि कोई भी सीधा किनारा 180° के ऋजु कोण का प्रतिनिधनत्व करता है. जब आप किसी कागज को इस प्रकार मोड़ते हैं कि आरंभिक किरण अंतिम किरण पर पड़े, तो इससे कोण का समद्विभाजन होता है।
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे इस ज्ञान का उपयोग कर 180°, 90°, 77.5°, 50°, 45°, 30°, 22.5° व 11.25° माप वाले कोण बनाने का प्रयास करें।
उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर देना होगा:
यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।.
विद्यार्थियों ने पहले कागज़ मोड़ने की कोई गतिविधि नहीं की थी (या कम से कम बहुत लंबे समय से नहीं की थी) और वे आरंभ में थोड़े चकराए हुए थे। उन्हें यह संकल्पना अजीब लगी कि आप कोणों को आधा कर सकते हैं। मैंने यह जानने के लिए प्रश्न पूछे कि वे क्या सोच रहे थे और पता लगा कि वे कोण को स्थिर, अचल मानते थे, न कि जगह से हिल सकने वाला। अत: मैंने पहले उन्हें उठकर दोनों हाथ सामने फैलाकर 180°, 360°, 720°, 90°, 45°, 360° का आधा, 45° से दुगना, 360° से आधा, उसके बाद 45° आदि पर दक्षिणावर्त/वामावर्त घूमने को कहा, जिसमें एक बाँह स्थिर रहे व दूसरी कोण का आकार इंगित करने के लिए हिले, जिससे वे कोण को मापने को वर्तन या घूर्णन को मापने जैसा समझने लगे।
इसके बाद वे कागज़ को मोड़ने का काम खुशी से करने लगे। उन्हें लगा कि कोण को सही रखना बहुत बड़ी समस्या बन गई, विशेषकर तब जब छोटे कोण बनाए जाने थे।
जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसी कोई गतिविधि करें, तो बाद में सोचे कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ हुई। ऐसे सवालों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग कुछ छोटी–छोटी चीजें नोट करते हुए करें, जिनसे काफ़ी फ़र्क पड़ता है, जैसा श्रीमती मनीषा ने किया।
विचार के लिए रुकें ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:
|
प्रत्येक चित्र को शक्लन घटक (scaling factor) के आधार पर बढ़ाया या कम किया जा सकता है। यह हम वास्तविक जीवन में लगातार करते रहते हैं। मूल चित्र व छोटे या बड़े किये गये चित्र एक दूसरे के ‘समान’ होते हैं। कक्षा X में पढ़ाई गई ‘त्रिभुजों की समानता’ अक्सर विदयार्थियों को परेशान करती है, यदि उन्होंने कभी चित्रों का शल्कन (scaling) न किया हो या शल्कित (scalid) व मूल चित्र के बीच संबंध पर ध्यान न दिया हो।
अगली गतिविधि में, एक त्रिभुज का शल्कन (scaling) करके आप विद्यार्थियों की उनकी अपनी तकनीक का पता लगाने में मदद करेंगे। फिर वे बढ़ाए गए त्रिभुज के आकार को परिभाषित करके बढ़ाने या घटाने के शल्कन (scaling factor) घटक को निर्धारित करेंगे। यदि विद्यार्थी गणित की कक्षा के बाहर काम करें और कागज़ पर काम करते समय उन्हें जिस स्केल पर काम करने की आदत है, उससे बड़े आकार पर काम करें, तो इसका लाभ अधिक होता है। ‘वास्तविक-आकार’ के मापों पर काम करने में आने वाली समस्याएँ और उन्हें मिलने वाली गणितीय समझ इस कार्य के बाद की केस स्टडी में बताए गए हैं और गतिविधि 3 में इनका अन्वेषण किया जाएगा।
यह गतिविधि तब बेहतर लाभ देती है, जब विद्यार्थी तीन या चार के समूहों में सहयोग करते हैं। योजना बनाएँ कि कौन किस समूह में रहेगा और क्यों - आप अधिक आत्मविश्वास वाले विद्यार्थियों को कम आत्मविश्वासी विद्यार्थियों के साथ मिला सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि यह गतिविधि बाहर की जाए, उदाहरण के लिए किसी मैदान में, जहाँ विद्यार्थी ज़मीन पर चॉक से लिख सकें या मिट्टी पर आकृतियाँ बना सकें। पुस्तिका के कागज़ के स्थान पर अख़बार बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि वह बड़ा होता है। विद्यार्थियों को समूहों में काम करने को कहते समय, यह महत्वपूर्ण है कि संसाधन, जैसे लिखने का कागज़ पर्याप्त बड़े हों, जिससे सभी उन्हें एक साथ देखे सकें। इसका अर्थ है बड़े कागज़ और बड़े अक्षरों में लिखना।
अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:
आपको कागज़ का टुकड़ा दिया गया है। इसे मोड़कर एक त्रिभुज बनाएँ। त्रिभुज का आकार महत्वपूर्ण नहीं है।
अब सोचें कि इन तीन त्रिभुजों में क्या समान है और क्या भिन्न है।
और जानने के लिए संसाधन 2, ‘समूह में काम करना’ देखें।
समूहों ने [गतिविधि पर] चर्चा आरंभ की लेकिन ऐसे कई विद्यार्थी थे, जो बिल्कुल योगदान नहीं कर रहे थे। मैंने समझ लिया कि उन्हें यह आसान नहीं लग रहा लेकिन मुझे यह ठीक से नहीं पता था कि वे कहाँ अटके थे। प्रश्न के पहले भाग में उन्हें कागज़ का एक त्रिभुज बनाना था - मेरी समझ से तो निश्चित ही यह इतना मुश्किल नहीं था। मैं सोचने लगा कि शायद वे भूल गए थे कि उन्हें त्रिभुजों के बारे में पहले से क्या पता होना चाहिए था और शायद मुझे उन्हें पाठ्य-पुस्तक में देखकर अपनी याददाश्त को ताज़ा करने के लिए कहना चाहिए।
लेकिन, हम मैदान में थे और पुस्तकें कक्षा में, इसलिए इसमें तो बहुत समय लग जाता। अत: मैंने सोचा, ‘मुझे नहीं पता वे कहाँ फँसे हैं, तो मुझे सीधे पूछ ही लेना चाहिए!’ उसी समय मैंने सोचा, ‘मुझे अच्छा नहीं लगता जब वे फँस जाते हैं।’ लगता है जैसे वे हमेशा इस बात की प्रतीक्षा करते हैं कि मैं उन्हें यह बताकर उबरने में मदद करूँ कि उन्हें क्या करना चाहिए। वे मुझसे प्रश्नों को और छोटे चरणों में तोड़ने की अपेक्षा रखते हैं। मुझे लगता है यह उन्हें स्वतंत्र प्रशिक्षु या अच्छे समस्या सुलझाने वाला बनाता है, जो हम चाहते हैं कि उन्हें विद्यालय के बाहर के जीवन में होना चाहिए। अत: मैंने वह कहा जो मैं सोच रहा था:
आप सब फँस गए लगते हैं। कहीं फँस जाना जीवन का ही भाग है। महत्वपूर्ण यह है कि आप उबरें और आप जानें कि कैसे उबरते हैं। तो आप लोग पहले अपने समूहों में इस पर चर्चा करें कि आप किस जगह फँसे हैं और कैसे उबर सकते हैं। फिर हम आपके कुछ विचारों पर पूरी कक्षा के साथ चर्चा करेंगे।
हमें पाँच मिनट से भी कम समय लगा व उनके पास उबरने के कुछ अच्छे आइडिया आ गए। इस चर्चा ने वास्तव में हमें पूरे समूह के साथ होने का भाव दिया - एक दूसरे को सीखने और उबरने में मदद करने के सामूहिक उत्तरदायित्व का अहसास, और यह अनुभव कि हम सब यह कर सकते हैं। बाकी के पाठ में सभी प्रसन्न रहे। परिणामस्वरूप, बाद में हम समानता और सर्वांगसमता, शल्कन घटक (scaling factor) व सभी त्रिभुजों के गुणों पर चर्चा कर पाए। अत: गणित का केवल एक पहलू सीखने के बजाय, वे विभिन्न पहलुओं को जोड़ने लगे थे।
दस गुना परिमाप वाला समान त्रिभुज बनाने के प्रश्न पर उन्हें थोड़ा सोचना पड़ा - लेकिन कोई कुंठा देखने में नहीं आई। मैंने विद्यार्थियों को ‘हम फँस गए हैं’ और ‘अब हमें उबरना है’ कहते सुना। एक समूह ने उबरने के लिए एक रस्सी की माँग की। मैंने यह नहीं सोचा था, अत: मैं वह नहीं लाया था। किस्मत से मेरी कक्षा में सिलाई के मजबूत धागे का एक बॉबिन था, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी उपयोग किया।
यह प्रश्न कि क्या समान था व क्या बदल गया था, रोचक था। मैंने विद्यार्थियों को अपने त्रिभुजों के आसपास घूमते, उन्हें विभिन्न कोणों से देखते हुए देखा। उन्होंने सभी प्रकार के अनुमान लगाए, दुबारा सोचा और फिर अपने अनुमानों के शब्दों में फेरबदल किया। इससे स्वचालित रूप से एक विधि परिभाषित हुई। मैंने सोचा कि यह अच्छा था कि उन्होंने अपने विचार तुरन्त ही नहीं लिख लिए, क्योंकि वे भिन्न विवरण देने के लिए उत्सुक थे और तेज़ गति से काम कर सकते थे - लिखना हमेशा चीज़ों को धीमा कर देता है। उन्हें गणितीय भाषा के उपयोग में भी अधिक सटीक होना चाहिए। क्योंकि किसी विद्यार्थी के ‘वह कोण’ कहने पर दूसरे किसी और स्थान पर खड़े होकर त्रिभुजों को देखते हुए हैरान रहेंगे।
पहले उन्होंने एक बड़े कागज़ पर आरेख खींचा और फिर अपनी अभ्यास-पुस्तिकाओं में विधि लिखी। सब होने के बाद मुझे यह समझ नहीं आया कि उन बड़े कागज़ों का क्या करना चाहिए! अंत में, हमने उन्हें कक्षा की दीवारों पर चिपका दिया। वे बहुत अच्छे तो नहीं दिख रहे थे; लेकिन दृश्य रोमांचक था और वह उनके गणितीकरण का उदाहरण था। हमने उसे ‘सोचने के काम की दीवार’ नाम दिया। मैंने देखा कि अगले कुछ दिन और सप्ताहों तक विद्यार्थी और शिक्षक उसे देखते और उस पर चर्चा करते रहे। मुझे वाकई अच्छा लगा कि अब तक किसी पाठ के बारे में बातें हो रही थीं और वह शिक्षण भी, जो पाठ के पूरा होने के बहुत बाद तक जारी था! यही मैदान में चॉक के आरेखों के साथ हुआ: लोग अचरज में थे और उसके बारे में बातें करते थे। दीवार पर प्रदर्शन तब तक रहा जब कुछ सप्ताह बाद हमने उसे विद्यार्थियों के एक और ‘सोचने के काम’ से बदला।
इस गतिविधि ने मुझे उस प्रभाव के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, जो गणितीय रचना के कक्षा से बाहर होने से पड़ा था। बाहर, वे अपनी अभ्यास-पुस्तिकाओं से बड़े पैमाने पर काम करते हैं, लेकिन मैं अपने विद्यार्थियों के साथ यह करने की चिन्ता क्यों करूँ? मैं अब भी पूरी तरह समझ नहीं पाया हूँ कि
यह इतना उपयोगी क्यों लगता है, और मुझे लगता है मैं समझ भी नहीं पाऊँगा, लेकिन मेरे विचार निम्नलिखित है :
उनकी गणित की दुनिया वाकई बड़ी हो गई। विद्यार्थी कक्षा में पाठ्य-पुस्तक लेकर बैठने की जगह मैदान की अपनी ‘बाहरी’, ‘वास्तविक’ उस दुनिया में गए, जहाँ वे अपने विद्यालय के मित्रों के साथ घूमते हैं।
जिस बात ने मुझे आंदोलित किया वह यह थी कि यह पाठ कितना खुशियों भरा व रोमांचक रहा, गहरी सोच व गणितीय विचार-विमर्श के साथ: मुस्कुराहटें और चमकती आँखें जब उन्होंने कोई अंदाज लगाया और फिर यह पता लगना कि वास्तव में उनका अनुमान सही निकला (चाहे कुछ समय के लिए ही सही!)। वे गर्व और उपलब्धि के भाव से चमक रही थीं, जैसे कि मैं!
विचार के लिए रुकें
|
‘शरीर गणित’ एक ऐसी तकनीक है जिसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी उस गणित को भौतिक रूप से अनुभव करे, जिसे वह सीख रहा है। इसे ‘मूर्तरूप बनाना’, या किसी भावात्मक संकल्पना को साकार स्वरूप देना भी कहते हैं। मूर्तमान अनुभूति की संकल्पना में मस्तिष्क की विचारधारा को आकार देने के लिए वस्तु का उपयोग करते है (Dreyfus, 1996; Gibbs, 2006)। गणित को मूर्तरूप बनाने से:
गतिविधि 2 में, आपने अपने विद्यार्थियों के साथ बड़े मापों पर कार्य किया। अगली गतिविधि इसे और आगे ले जाती है: फिर से बाहर जाकर बड़े मापों पर काम करना, लेकिन इसमें विद्यार्थियों को गणित का अंग बनना होगा - गणित को मूर्त रूप में निरूपित करने के लिए। विद्यार्थियों को वृत्त की गोलाई पर एक बिंदु बनकर उसका केंद्र सटीक ढंग से बनाने को कहा जाएगा। परिणामस्वरूप प्रत्येक विद्यार्थी/बिंदु को संतुष्ट होना चाहिए कि वह केंद्र से उतनी ही दूरी पर है जितनी पर अन्य हैं। इस गतिविधि में विदयार्थियों को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना पड़ेगा और जब उन्हें लगे कि उन्हें केंद्र से गोलाई के अन्य बिंदुओं के समान दूरी पर न रखकर उनसे भेदभाव किया जा रहा है, तो उन्हें अपने अधिकार के लिए खड़ा होना व अपना मत सबको बताना होगा। इस प्रकार की गतिविधि का प्रबंधन पहली बार करते समय आसान नहीं है, लेकिन यदि आप प्रयास करते रहेंगे, तो आपके विद्यार्थियों को गणितीय गुणों का अधिक ज्ञान मिलेगा।
इस कार्य के लिए आपको सभी विद्यार्थियों के हाथ पकड़ने व एक वृत्त में खड़े होने के लिए पर्याप्त स्थान चाहिए, जहाँ वृत्त के बाहर और स्थान हो, जिससे उसके केंद्र का निर्माण अभिनीत किया जा सके। यह कार्य कक्षा IX की पाठ्य-पुस्तकों में दिए ‘वृत्त में किसी जीवा का लम्ब समद्विभाजक उसके केन्द्र से होकर जाता है।“ को मूर्त रूप देने का है। यदि आपको लगता है कि इस कार्य में उनके करने के लिए दी गई चर्चा को पूरा करने के लिए समूह बहुत बड़ा है, तो बेहतर होगा कि पूरी कक्षा से साझा करने से पहले उन्हें अपने विचारों पर तीन-तीन के समूह में बात करने को कहा जाए। आपको रस्सी या सुतली, एक गेंद और एक सीटी की आवश्यकता हो सकती है।
उन्हें दो और तीन के समूहों में इस पर चर्चा करने को कहें; फिर कुछ समूहों को अपने विचार पूरी कक्षा के साथ बाँटने को कहें। हर एक समूह के अपना विचार बताने के बाद, कक्षा से पूछें कि क्या वे सहमत हैं कि यह एक अच्छा तरीका है। दो या तीन समूहों द्वारा कक्षा को अपने विचार बताने के बाद सभी समूहों को अपने विचार बताने को कहने की आवश्यकता नहीं है;
बोल लेने के बाद, यह पूछें कि क्या किसी के पास दिए जा चुके सुझावों से बहुत अलग कोई विचार है। यदि कोई भी जीवा व लंब समद्विभाजक का उपयोग करके निर्माण करने की बात नहीं करता, तो उन्हें (बिना पूरी बात बताए) संकेत देना अच्छा होगा। जैसे: ‘समद्विभाजक नामक एक जादुई निर्माण उपकरण भी है…’
उनसे पूछें कि वे उस निर्माण को कैसे करेंगे और उन्हें क्या मान कर काम करना होगा क्योंकि वे इसे अपने शरीर का उपयोग करते हुए, बाहर एक बड़े पैमाने पर कर रहे हैं, जितना वे सामान्यत: नहीं करते।
ओह, उन्हें कार्य का प्रतिस्पर्धी भाग बहुत पसंद आया! उससे वे सोचने और नए विचार लाने के लिए आतुर हो गए। उन्हें लग रहा था कि वृत्त का केंद्र खोजना बहुत आसान व सरल होगा।
यह वास्तविक समस्या हल करना था - हल खोजने के लिए सोचने और निर्माण को अभिनीत करने/मूर्तमान करने के विचार देने, दोनों के लिए समस्याएँ थीं। बहुत बार फँसे भी, और उबरने पर भी बहुत विचार किया गया। कई बार गेंद को केंद्र में रखने का प्रयास करने के बाद जब उन्हें अहसास हुआ कि ऐसा करना मुश्किल था, तो वे एक तरह से सन्न रह गए। उन्हें एकदम सटीक तरीका खोजने में मुश्किल हुई, और फिर मेरी इच्छा हुई कि मैं उन्हें वृत्तों से संबंधित पाठ फिर से पढ़ाऊँ।
लेकिन समद्विभाजक के इशारे ने काम कर दिया - यद्यपि जीवा या लंब के रेखा खंड के रूप में उपयोग का विचार आने में समय लगा। लेकिन उन्होंने सब अपने आप किया, और उपलब्धि, प्रसन्नता व गर्व का भाव, कि उन्होंने स्वयं यह सब सोचा, प्रतीक्षा का मीठा फल था। मुझे लगता है कि स्वयं की खोज और वहाँ तक पहुँचने का ‘संघर्ष’ भी उन्हें बहुत बेहतर याद रखने में मदद करेगा - शायद परीक्षा तक भी।
वास्तव में, कौन सा तरीका काम करेगा यह सोचने की प्रक्रिया में उन्होंने वृत्त से संबंधित लगभग सभी गुणों व प्रमेयों को याद किया। अत: यह साथ में अच्छा पुनरीक्षण भी था, इस बोध के साथ कि ये प्रमेय व गुण उन्हें मैदान में सामने आई वास्तविक समस्या को सुलझाने में मदद करेंगे।
विचार के लिए रुकें
|
गतिविधि 2 व 3 में आपने विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर गणितीय रचना के सुदृढ़ अनुभव दिए। यह कक्षा में काम करने या पाठ्य-पुस्तक का उपयोग करने से अलग अनुभव देता है। लेकिन किसी स्तर पर आपके विद्यार्थियों का गणितीय शिक्षण कागज़-कलम के तौर-तरीके पर, और परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर देने पर लाना होगा। विख्यात शिक्षाविद् ब्रूनर (1966) ने इन भिन्न दुनियाओं को ‘अभिनयशील-प्रतिष्ठित-प्रतीकात्मक’ के नाम से परिभाषित किया था।
अगली गतिविधि उस परिवर्तन को पूरा करने और कक्षा के बाहर गणित शिक्षण (ब्रूनर का ‘अभिनयशील’ चरण) को अभिनयशील शिक्षण को दर्शाने वाले रेखांकन (ब्रूनर का ‘रेखांकनात्मक’ चरण) और अंत में गणितीय प्रतीकात्मक अंकन का उपयोग व इस अंकन का अर्थ लगाने (ब्रूनर का प्रतीकात्मक चरण) पर केंद्रित है। ऐसा गणितीय प्रतीकात्मक अंकन पाठ्य-पुस्तकों व परीक्षा के प्रश्न-पत्रों में पाया जाता है।
अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 3 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने मैदान में एक गेंद को वृत्त के मध्य रखकर वृत्त का केंद्र खोजने की कोशिश की और फिर देखा कि क्या वे यही कागज़ पर भी कर सकते हैं। अब आप उन्हें वह वृत्त छोटे रूप में फिर से बनाने को कहेंगे जो उन्होंने मैदान में बनाया था और जो उनकी अभ्यास-पुस्तिका में आ सके। वे उस वृत्त को किसी चूड़ी, कम्पास या किसी भी वृत्ताकार वस्तु की मदद से बना सकते हैं। यदि समय हो, तो वे अपने वृत्त को रंगोली में बदल सकते हैं (चित्र 2)।
अपने विद्यार्थियों को निम्न प्रश्नों के उत्तर देने को कहें:
अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 2 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने त्रिभुजों के बड़े संस्करण बनाए थे। वे उसे कक्षा में की जाने वाली गतिविधि में कैसे बदल सकते हैं, जिसे वे अपनी अभ्यास-पुस्तकिओं में कर सकें?
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि वे:
इन गतिविधियों को करने के बाद मेरे विद्यार्थियों में आया परिवर्तन बहुत गहरा था। यद्यपि उन्हें ये कार्य आसान नहीं लगते और वे इन्हें जल्दी नहीं कर पाए फिर भी उनका अपनी गणित करने की क्षमता के बारे में आत्मविश्वास बहुत बढ़ा हुआ नज़र आया। वे अपनी सीखने की क्षमता पर अधिक अधिकार होना दिखा सके।
वे कार्य के पहले भाग से खुशी-खुशी जुड़े रहे, और उन्हें किसी वृत्त का केंद्र क्यों खोजना पड़ सकता है, इस बारे में बेहद अविश्वसनीय कहानियाँ सुनाईं। लगभग सभी कहानियों में कोई प्रारूप बनाने के लिए अपनी अभ्यास-पुस्तिका में शल्कन (scaling) के लिए बनाने का तर्क शामिल था, जो यह बताता है कि वे अपनी अभ्यास-पुस्तिका के गणित से आगे भी देख पाते हैं।
गतिविधि के भाग 2 के लिए, मैंने विद्यार्थियों से जोड़ियों में काम करने को कहा, क्योंकि बातचीत से उबरने में मदद मिल सकती है और कुछ विचार आ सकते हैं।
हमने पाठ्य-पुस्तक के पाठों को देखकर यह चर्चा आरंभ की कि इनमें वास्तव में क्या था। उन्होंने इस पर फिर से जोड़ियों में आगे काम किया। नए प्रश्न बनाने के बारे में उनका एक प्रश्न यह था:
अन्य प्रश्न था:
चर्चा करें कि आप कोई ऐसा त्रिभुज किस प्रकार बना सकते हैं, जो मूल त्रिभुज का 500/3 हो।
विचार के लिए रुकें
|
इस यूनिट में, आपने सीखा कि ज्यामिती में निर्माण पर काम करते समय प्रायोगिक शिक्षण व मूर्त रूप का उपयोग कैसे किया जा सकता है। आपने देखा कि आप बाहरी जगह को गणितीय क्षेत्र के रूप में कैसे उपयोग कर सकते हैं - जहाँ विचारों का अन्वेषण हो सकता हो और गणित की कड़ियाँ और संबंध बनाए जा सकते हैं। इस तरह काम करने से आपके विद्यार्थी आत्मनिर्भर प्रशिक्षु बन जाएँगे, जो कक्षा में पढ़े विचारों को पूरी तरह समझ सकेंगे व उन्हें बाहर लागू कर सकेंगे। जैसा कि आपने देखा, यह उन्हें तब मदद करेगा जब वे परीक्षा देने जाते हैं - लेकिन इससे महत्वपूर्ण यह, कि इससे उन्हें वयस्क होने पर जीवन व करयिर में गणित का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
विचार के लिए रुकें इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उदाहरण के लिए, आप गतिविधि 4 से विचार लेकर, गणित को मूर्त रूप में दिखाने से लेकर चिह्नों व प्रतीकों तक जा सकते हैं। उन दो विषयों पर अब एक नोट तैयार करें, जिन्हें आप जल्द ही पढ़ाने वाले हैं, जहाँ थोड़े-बहुत समायोजन के साथ उन अवधारणाओं का उपयोग किया जा सकता है। |
यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:
समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक आम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं।
समूहकार्य विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करके सीखने हेतु उन्हें प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा सकते हैं और उनसे सीख भी सकते हैं: यह शिक्षण का शक्तिशाली और सक्रिय स्वरूप है।
समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना ही काफी नहीं होता है; इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने के साझा कार्य पर काम करना और उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आप पढ़ाई के लिए सामूहिक कार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं और जानना होगा कि यह भाषण देने, जोड़े में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं से कार्य करने पर तरजीह देने योग्य क्यों है। इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और उद्देश्यपूर्ण होना आवश्यक है।
आप समूहकार्य का उपयोग कब और कैसे करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पाठ के अंत में आप कौन सा शिक्षण पूरा करना चाहते हैं। आप समूहकार्य को पाठ के आरंभ में, अंत में या बीच में शामिल कर सकते हैं, लेकिन आपको पर्याप्त समय का प्रावधान करना होगा। आपको उस कार्य के बारे में जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं और समूहों को नियोजित करने के सर्वोत्तम ढंग के बारे में सोचना होगा।
एक अध्यापक के रूप में, आप समूहकार्य की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं यदि आप निम्न की योजना अग्रिम रूप से बनाते हैं:
सामूहिक गतिविधि के लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम
किसी भी फीडबैक या सारांश कार्य सहित, गतिविधि को आबंटित समय
वह काम जो आप अपने विद्यार्थियों को पूरा करने को कहते हैं वह इस पर निर्भर होता है कि आप उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं। समूहकार्य में भाग लेकर, वे एक-दूसरे को सुनने, अपने विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करने जैसे कौशल सीखेंगे। तथापि, उनके लिए मुख्य लक्ष्य है जो विषय आप पढ़ा रहे हैं उसके बारे में कुछ सीखना। कार्यों के कुछ उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
क्या प्रस्तुतिकरण स्पष्ट था?
समस्या को हल करना: विद्यार्थी किसी समस्या या समस्याओं की एक श्रृंखला को हल करने के लिए समूहों में काम करते हैं। इसमें शामिल हो सकता है, विज्ञान का कोई प्रयोग करना, गणित की समस्याएं हल करना, अंग्रेजी कहानी या कविता का विश्लेषण करना, या इतिहास के सबूत का विश्लेषण करना।
चर्चा: विद्यार्थी किसी मुद्दे पर विचार करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। इसके लिए आपको अपनी ओर से काफी तैयारी करनी होगी ताकि सुनिश्चित हो सके कि विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिए विद्यार्थियों के पास पर्याप्त ज्ञान है, लेकिन चर्चा या विवाद का आयोजन आप और उनके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
चार से आठ के समूह आदर्श होते हैं किंतु यह आपकी कक्षा, भौतिक पर्यावरण और फर्नीचर, तथा आपकी कक्षा की दक्षता और उम्र के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में हर एक के लिए एक दूसरे से मिलना, बिना चिल्लाए बात करना और समूह के परिणाम में योगदान करना आवश्यक होगा।
आप अच्छे समूहकार्य के प्रबंधन के लिए दिनचर्याएं और नियम तय कर सकते हैं। जब आप नियमित रूप से समूहकार्य का उपयोग करते हैं, तो विद्यार्थियों को पता चल जाएगा कि आप क्या अपेक्षा करते हैं और वे इसे आनंददायक पाएंगे। टीमों और समूहों में काम करने के लाभों की पहचान करने के लिए आरंभ में कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार है। आपको चर्चा करनी चाहिए कि समूहकार्य में अच्छा व्यवहार क्या होता है और संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बनाएं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है; उदाहरण के लिए, ‘एक दूसरे के लिए सम्मान’, ‘सुनना’, ‘एक दूसरे की सहायता करना’, ‘एक से अधिक विचार को आजमाना’, आदि।
समूहकार्य के बारे में स्पष्ट मौखिक अनुदेश देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैकबोर्ड पर संदर्भ के लिए लिखा भी जा सकता है। आपको:
पाठ के दौरान, यह देखने और जाँच करने के लिए घूमें कि समूह किस तरह से काम कर रहे हैं। यदि वे कार्य से विचलित हो रहे हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।
आप कार्य के दौरान समूहों को बदलना चाह सकते हैं। जब आप समूहकार्य के बारे में आत्मविश्वास महसूस करने लगें तब दो तकनीकें आजमाई जा सकती हैं – वे बड़ी कक्षा का प्रबंधन करते समय खास तौर पर उपयोगी होती हैं:
‘दूत’: यदि कार्य में कोई चीज बनाना या किसी समस्या को हल करना शामिल है, तो कुछ समय बाद, प्रत्येक समूह से किसी अन्य समूह में एक दूत भेजने को कहें। वे विचारों या समस्या के हलों की तुलना और फिर वापस अपने स्वयं के समूह को सूचित कर सकते हैं। इस प्रकार, समूह एक दूसरे से सीख सकते हैं।
कार्य के अंत में, जो कुछ सीखा गया है उसका सारांश बनाएं और आपको नज़र आई किसी भी गलतफहमी को सुधारें। आप चाहें तो प्रत्येक समूह का फीडबैक सुन सकते हैं, या केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि कुछ अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर फीडबैक देने को प्रोत्साहित करें जिसमें वे पहचान सकते हैं कि क्या अच्छा किया गया था, क्या बात दिलचस्प थी और किस बात को और विकसित किया जा सकता था।
यदि आप अपनी कक्षा में समूहकार्य को अपनाना चाहते हैं तो भी आपको कभी-कभी इसका नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी:
सीखने के परिणाम कहाँ तक प्राप्त हुए और आपके विद्यार्थियों ने कितनी अच्छी तरह से अनुक्रिया की (क्या वे सभी लाभान्वित हुए) इस पर विचार करने के अलावा, समूहकार्य के प्रबंधन में प्रभावी बनने के लिए उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। सामूहिक कार्य, संसाधनों, समयों या समूहों की रचना में आप द्वारा किए जा सकने वाले समायोजनों पर सावधानी से विचार करें और उनकी योजना बनाएं।
शोध से पता चला है कि विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए समूहों में सीखने का हर समय उपयोग करना आवश्यक नहीं है, इसलिए आपको हर पाठ में उसका उपयोग करने के लिए बाध्य महसूस नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं, उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच अंतराल या कक्षा में चर्चा को अकस्मात शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। इसका उपयोग विवाद को हल करने या कक्षा में अनुभवजन्य शिक्षण गतिविधियाँ और समस्या का हल करने के अभ्यास शुरू करने या विषयों की समीक्षा करने के लिए भी किया जा सकता है।
अभिस्वीकृतियाँ
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
चित्र1: रॉब टोनर के सौजन्य से। [Figure 1: courtesy of Rob Towner.]
चित्र 2: http://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Kolam/ TamilWedding.jpg – यह फ़ाइल Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported लायसेंस के तहत लायसेंस प्राप्त है। [Figure 2: http://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Kolam/ TamilWedding.jpg – this file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported licence.]
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत-भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन युनिवर्सिटी के साथ काम किया।