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सहयोगी-अधिगम और गणितीय चर्चा: त्रिभुज

यह इकाई किस बारे में है

त्रिभुज पर अक्सर ज्यामिति के बुनियादी आकार के रूप में विचार किया जाता है, क्योंकि अन्य सभी बहुभुजों को त्रिभुजों में विभाजित किया जा सकता है। इसलिए, ’एक गणितज्ञ की तरह बोलें’ और सिर्फ़ एक विषय के रूप में याद करने के बजाय गणित को समझें, यह सीखने के लिए आपके विद्यार्थियों को पारंपरिक शब्दावली का प्रयोग करते हुए त्रिभुज और उसके गुणों के बारे में जानने, उपयोग करने और परस्पर संवाद करने के लिए प्रेरित करना एक महत्वपूर्ण क़दम है।

इस इकाई इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगी कि आपके विद्यार्थियों को गणित सीखने के लिए बातचीत का उपयोग करने में कैसे मदद करें। इसमें यह भी चर्चा की जाएगी और विचारों की पेशकश होगी कि किस प्रकार विद्यार्थी अपने शिक्षण में एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं और एक दूसरे को प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इस तरह के सहयोगी शिक्षण से विद्यार्थियों को और अधिक प्रेरित महसूस करने में मदद मिलती है। यह बड़ी कक्षाओं में कार्य करते समय भी विशेष रूप से उपयोगी है।

चित्र 1 त्रिभुज के साथ काम कर रहे विद्यार्थियों का एक समूह।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • गणित सीखने में आपके विद्यार्थी एक दूसरे की मदद कर सकें, इस दृष्टि से किस प्रकार सहकारी शिक्षण का उपयोग किया जाए।
  • औपचारिक गणितीय भाषा का उपयोग करते हुए बातचीत के माध्यम से आपके विद्यार्थियों की मदद के लिए कुछ विचार।
  • आपके विद्यार्थियों को प्रभावी फ़ीडबैक का उपयोग करने में मदद के लिए कुछ विचार।

इस इकाई का संबंध संसाधन 1 में दी गई एनसीएफ में दी गई एनसीएफ मेकक में (2005) और एनसीएफटीई (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।

1 गणित में बातचीत करना और सीखना

गणित के बारे में बात करने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना और ऐसा करने के लिए उपयुक्त शब्दावली विकसित करने में उनकी मदद करना शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोच और संप्रेषण घनिष्ट रूप से परस्पर जुड़े हैं (Sfard, 2010)– यदि आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी गणित के बारे में सोचे, समझें और इस प्रकार प्रभावी रूप से गणित सीखें, तो उन्हें अपने गणितीय विचारों को संप्रेषित करने की विधि भी सीखने की ज़रूरत होगी।

यदि आप गणितीय शब्दावली और पदावली का प्रयोग करते हुए संवाद करने के लिए अपने विद्यार्थियों की मदद करते हैं, तो आप उनके काम के दौरान प्रस्तुतिकरण और बात करते हुए उन्हें सुनने में सक्षम होंगे। सुन कर आप पता लगा सकते हैं कि उन्होंने गणितीय विचारों को समझा है या नहीं। इससे आपको उनके शिक्षण का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी।

विद्यार्थियों को एक दूसरे के साथ उस बारे में बात करना सीखने की ज़रूरत है जो वे सोच रहे हैं। दूसरों को संप्रेषित करने के लिए विचारों को क्रमबद्ध करने की कार्रवाई से उन्हें धारणाओं को सीखने में मदद मिलेगी (Lee, 2006) और कभी–कभी ग़लतफ़हमियों को सुधारने में भी सक्षम होंगे।

विचार के लिए रुकें

अपनी कक्षा के बारे में विचार करें। आपकी कक्षा में विद्यार्थियों और आपके बीच, या सिर्फ़ विद्यार्थियों के बीच कितना संप्रेषण होता है? विद्यार्थी गणितीय शब्दावली का उपयोग करना कितना आसान पाते हैं? आपको ऐसा क्यों लगता है?

आपने गणितीय अवधारणाओं को संप्रेषित करना किस प्रकार सीखा? आपने गणित के बारे में किससे बात की थी? क्या बातचीत से आपको अपने विचारों को सुलझाने में मदद मिली?

विद्यार्थियों से प्रमुख शब्दों का उपयोग करने की अपेक्षा करना और उन्हें ऐसी स्थिति में डालना, जहाँ उनके लिए ऐसा करना ज़रूरी हो, अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे प्रभावी रूप से हासिल करने के लिए, नई शब्दावली का उपयोग करने वाले कार्य परिणाम के लिए महत्वपूर्ण हैं। गतिविधि 1 विद्यार्थियों को त्रिभुज बनाते हुए और उसका वर्णन करते ऐसा करने के लिए कहती है।

इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको अधिक विद्यार्थी–केन्द्रित शैक्षिक वातावरण विकसित करने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: त्रिभुज के बारे में गणितीय रूप से बात करना

तैयारी

इस गतिविधि के लिए, आपको विभिन्न लंबाई वाली छड़ियों के ढेर की ज़रूरत होगी। आप बाँस से उपयुक्त छड़ियाँ काट सकते हैं। छड़ियों की लंबाई की सीमा पर्याप्त रूप से बड़ी होना चाहिए – मान लें, 2 इंच से 18 इंच तक।

आदर्श रूप से प्रत्येक विद्यार्थी के लिए कम से कम तीन छड़ियाँ होनी चाहिए। यदि यह संभव नहीं है, तो विद्यार्थियों की प्रत्येक जोड़ी के लिए या तीन विद्यार्थियों के समूहों के लिए तीन छड़ियों का उपयोग करें। प्रत्येक विद्यार्थी (या विद्यार्थियों की जोड़ी) यादृच्छिक रूप से तीन छड़ियाँ उठाता है। सुनिश्चित करें कि उन्हें अपनी छड़ियों की लंबाई का चयन करने का मौक़ा न मिले। विद्यार्थियों को बाहर ले जाना मददगार होगा जहाँ उन्हें चलने–फिरने के लिए पर्याप्त जगह मिले।

बोर्ड पर या दीवार पर काग़ज के एक बड़े टुकड़े पर शब्द लिखें।

गतिवधि

विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने द्वारा चुनी गई तीन छड़ियों का उपयोग करते हुए एक त्रिभुज बनाएँ।

अपने विद्यार्थियों से निम्नलिखित पूछें:

  • क्या आप में से कुछ लोग त्रिभुज नहीं बना पा रहे हैं? यदि हाँ, तो आप चर्चा करें कि इसका क्या कारण है।
  • यदि आपको केवल एक छड़ी बदलने की अनुमति दी जाती है, तो वह छड़ी कौन–सी होगी और क्यों?
  • इन शब्दों में से जितने चाहे उतने शब्दों का उपयोग करते हुए अपने त्रिभुज का वर्णन करें (आवश्यकतानुसार इस सूची को बढ़ाएँ या घटाएँ):

    न्यून, अधिक, सम, लम्ब, विषम, समद्विबाहु, समबाहु, कोण, भुजा, लंबाई, अंश, बड़ा, छोटा, लंबा, लघु, क्षेत्रफल, वर्ग, विपरीत, संलग्न।

अब विद्यार्थियों को एक और छड़ी दें, ताकि उनके पास कुल मिलाकर चार छड़ियाँ हो जाएँ।

अपने विद्यार्थियों से कहें:

  • कि वे चार अलग त्रिभुज बनाएँ
  • पुनः उपर्युक्त सूची से यथा संभव जितने चाहे उतने शब्दों का उपयोग करते हुए, उनके सहपाठी को बताएँ कि चार त्रिभुज में क्या समता है और क्या भिन्नता।

केस स्टडी 1: श्रीमती चड्ढ़ा़ गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव बताती हैं

यह एक शिक्षिका की कहानी है, जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

मैंने यह सुनिश्चित किया कि शुरुआत में ही कक्षा को मैं बता दूँ कि वे क्यों यह गतिविधि कर रहे हैं। मैंने उन्हें बताया कि यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि वे त्रिभुज के सभी विभिन्न भागों को पहचानें और उनके बारे में बात करें। इससे वे अपने पाठ्यपुस्तक में या परीक्षा में हल करने के लिए पूछे जाने वाले सवालों को बेहतर रूप से समझने में सक्षम होंगे। मैंने उनसे यह भी कहा कि पाठ के अंत में, मैं उनसे यह जाँचने के लिए कहूँगी कि वे त्रिभुज के हर हिस्से के लिए पारंपरिक शब्दावली का प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि उनके लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उन्होंने समझा है और सही तरह नामों का उपयोग कर सकते हैं।

चूँकि मेरी कक्षा में बहुत विद्यार्थी हैं, इसलिए यह अभ्यास करने के लिए मैंने उन्हें तीन के समूह में काम करने के लिए कहा। प्रत्येक समूह से एक विद्यार्थी आगे आया और तीन छड़ियाँ उठाई; मैंने उन्हें थाम रखा था, ताकि उन्हें पता न चले कि वे छोटी छड़ियाँ उठा रहे हैं या बड़ी ।

फिर मैंने उनसे कहा कि वे तीन छड़ियों के सिरे मिलाते हुए त्रिभुज बनाएँ और जब यह कार्य संपन्न हो जाए, तो अपने हाथ ऊपर उठाएँ। कुछ समूहों ने बहुत जल्दी अपने हाथ ऊपर उठा दिए, लेकिन ऐसा करने के लिए बहुत ही कोशिश की जा रही थी, और विशेष रूप से दो समूहों में। मैंने प्रत्येक से रुकने को कहा और जो समूह त्रिभुज बना चुके थे उन्हें बैठने के लिए कहा।

फिर मैंने उन दो समूहों से कारण पूछा जो अभी भी खड़े थे। ‘हम त्रिभुज नहीं बना सकते, मिस,’ उन्होंने कहा। ‘क्यों नहीं?’ मैंने पूछा। पहले उन्होंने इस प्रकार कहना शुरू किया ‘छड़ियाँ मिलाई नहीं जा सकती’ या ‘हम नोक नहीं बना पा रहे हैं’। मैंने उन्होंने रोका और कक्षा से पूछा कि जब त्रिभुज में हों तो छड़ियों और नोक को क्या कहा जाता है। अंततः डैना ने कहा ‘वे भुजा और शीर्ष हैं,’ इस पर सही शब्दावली का उपयोग करने के लिए मैंने उसे बधाई दी – और उन्हें पाठ के प्रयोजन का स्मरण कराया। बहुत चर्चा और दूसरों से मदद लेने के बाद, दो समूह यह कहने में सक्षम हुए कि ‘त्रिभुज बनाने के लिए, दो छोटी भुजाओं की लंबाइयों का योग लंबी भुजा की लंबाई से अधिक होनी चाहिए’। यह असली वर्ग प्रयास था, इसलिए मुझे यकी़ न हो गया कि उन सबने योगदान दिया था और इस बिंदु को समझा था। इसके बाद उन्हें दूसरे समूह के साथ अपनी छड़ियों की अदला–बदली करने की अनुमति दी गई और हम दूसरे भाग की ओर बढ़े।

मैंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें पारंपरिक गणितीय भाषा का प्रयोग करते हुए बाक़ी कक्षा को अपने त्रिभुज का परिचय करवाना होगा। मैंने उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्दों को ब्लैकबोर्ड पर लिखा, और पाठ्यपुस्तक का उपयोग करते हुए जाँचा कि उनके लिए ज़रूरी सभी चीज़ें मैंने समझा दी हैं। मैंने उन्हें अपने त्रिभुज को नाम देने और यथा संभव ब्लैकबोर्ड पर मौजूद अनेक शब्दों का उपयोग करते हुए परिचय पर विचार करने के लिए दस मिनट दिए।

क्योंकि मैंने शब्दों की सूची लिख दी थी, इसलिए विद्यार्थी गणितीय रूप से बोल सकते थे; इसके अलावा, मैंने हर विद्यार्थी को उनके द्वारा बनाए गए त्रिभुज के बारे में कुछ कहना आवश्यक बनाया ताकि चर्चा में हर कोई कुछ योगदान दे।

यह दिलचस्प रहा क्योंकि कुछ विद्यार्थियों ने अपने त्रिभुज के लिए बहुत ही असामान्य विवरण प्रस्तुत किए। सोना ने कहा कि उसने ‘एक बूढ़ा त्रिभुज’ बनाया है। जब मैंने इस प्रकार कहने का मतलब उससे जानना चाहा, तो उसने कहा कि वह झुक रहा है। मैंने उसे गणितीय शब्द का उपयोग करने को कहा, लेकिन वह उसके लिए शब्द सोच नहीं पाई, तब मैंने उसे ब्लैकबोर्ड पर चित्रित करने को कहा और दूसरों से पूछा कि वे उसे क्या कहेंगे। रवि ने फौ़ रन कहा कि वह ‘अधिक कोणीय’ है। हमने इन त्रिभुजों पर चर्चा की और, परिणामस्वरूप, हमने कई चीज़ों पर चर्चा की। जैसे–जैसे प्रत्येक समूह ने अपने त्रिभुज का परिचय दिया मैंने ब्लैकबोर्ड पर ‘कर्ण’, ‘विपरीत’, ‘न्यून’, ‘अधिक’, आदि को टिक किया, और उन्हें बताया कि वे कितने सफल रहे। किसी ने सभी शब्दों का उपयोग नहीं किया, लेकिन वे इसके क़रीब पहुँच गए।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसी कोई गतिविधि करें, तो बाद में सोचे कि क्या ठीक रहा और कहाँ ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे प्रश्नों पर विचार करें जिसमें विद्यार्थियों ने दिलचस्पी दिखाई और वे प्रश्न, जहाँ आपको स्पष्ट करने की ज़रूरत हुई। ऐसे चिंतन से वह ’स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। यदि विद्यार्थी समझ नहीं पाते हैं और कुछ कर नहीं पाते हैं तो उनके सम्मिलित होने की सम्भावना कम रहेगी। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें, कुछ छोटी–छोटी ऐसी चीज़ों को नोट करते हुए जिनसे काफ़ी फ़र्क पड़ा, जैसा कि श्रीमती चड्ढ़ा ने किया।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि पाठ के अंत में आपको दुबारा समझाना पड़ा?
  • अगले पाठ में आप किस प्रकार इस सीख पर पुनः बल देंगे?

गणितीय वार्तालाप को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यावहारिक गतिविधि का उपयोग करना एक ऐसी तकनीक है, जिसका आप कई अलग–अलग प्रकरणों में उपयोग कर सकते हैं। दो अन्य ऐसे प्रकरणों के बारे में सोचने का प्रयास करें, जहाँ आप इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। अपने विचारों को अपने स्कूल या स्थानीय स्कूलों के गणित के साथी शिक्षकों के साथ साझा करें और उनके विचारों का नोट तैयार करें, जिसे आपकी पाठ योजना में एकीकृत किया जा सके।

2 प्रभावी फी़डबैक

फी़डबैक शिक्षण में बहुत बड़ा फर्क़ लाते हुए देखा गया है (Hattie and Timperley, 2007) जब वह स्पष्ट रूप से इन तीन प्रश्नों का उत्तर दें:

  • मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?
  • मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?
  • अब इसके आगे क्या?

सर्वप्रथम विद्यार्थी को शिक्षण के प्रयोजन या उद्देश्य (मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ) के बारे में बहुत स्पष्ट होने की जरूरत है। मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ? पर फी़डबैक ने, ‘विद्यार्थी, सीखने के मामले में किस दिशा में बढ रहे हैं और वे इस समय कहाँ हैं ?’ के बीच के अंतराल को पाटने के लिए अधिक ध्यान और प्रेरणा प्रदर्शित करते हुए दर्शाया है। लेकिन, वे उस प्रेरणा को तभी व्यावहारिक रूप से लागू कर सकते हैं, जब वे तीसरे प्रश्न ‘अब इसके आगे क्या?’ का उत्तर जानते हुए अंतराल को और अधिक पाट सकें।

फी़डबैक देने और प्राप्त करने के लिए शिक्षक और विद्यार्थी, दोनों को पर्याप्त कौशल की ज़रूरत है। इसके लिए कक्षा लोकाचार की आवश्यकता है, जो विद्यार्थियों को किसी के उपहास के भय के बिना अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का मौक़ा दे और जहाँ हर किसी के सीखने और मिलजुल कर सुधार करने पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित हो। ऐसे लोकाचार के तहत शिक्षकों या अन्य विद्यार्थियों के लिए ‘मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?’ और ‘अब इसके आगे क्या?’ पर केंद्रित फ़ीडबैक देना, और विद्यार्थियों के लिए उस फ़ीडबैक को सुनना और उस पर कार्रवाई करना संभव है।

यदि विद्यार्थी मिलजुल कर अपनी धारणाओं को आज़माने का प्रयास करते हैं, तो वे एक दूसरे से लगातार प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं। फी़डबैक शिक्षकों के समरूप गुणवत्ता वाली नहीं होगी, क्योंकि विद्यार्थियों का विषय ज्ञान उतना गहरा नहीं होगा और ना ही वे शिक्षक की भाँति संबंध जोड़ पाते हैं; लेकिन, फौ़रन फी़डबैक प्राप्त करने का मौका़ गुणवत्ता के मुद्दे से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।

अगली गतिविधि का उद्देश्य त्रिभुजों के बारे में अधिक जानना है, लेकिन यह कक्षा को प्रभावी फ़ीडबैक के लिए तीन प्रश्नों (‘मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?’, ‘मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?’ और ‘अब इसके आगे क्या?’) का उपयोग करते हुए आज़माने का मौक़ा भी देता है। आप इस गतिविधि से विचारों को अन्य गणितीय प्रकरणों पर भी लागू कर सकते हैं।

गतिविधि 2: क्या होगा यदि ...?

चित्र 2 विद्यार्थी कितने अलग प्रकार के त्रिभुज बना सकते हैं?

प्रत्येक विद्यार्थी, या विद्यार्थियों के समूह के सामने छड़ियों से तैयार किया गया त्रिभुज होना चाहिए।

अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे समूहों में निम्न प्रश्नों पर चर्चा करें:

  • उन्हीं तीन छड़ियों का प्रयोग करते हुए, आप कितने अलग त्रिभुज बना सकते हैं? क्यों? क्या होगा यदि आप दो छड़ियों की स्थिति में अदला–बदली करते हैं?

  • यदि आप एक छोटी या लंबी छड़ी में अदला–बदली करें तो त्रिभुज का क्या होगा?

  • क्या होगा यदि आप दो छड़ियों के बीच कोण को कम करें या बढ़ा दें?
  • तीन भुजाओं और तीन कोणों को मापें। इन मापों को घटते क्रम में व्यवस्थित करें। आप क्या देखते हैं? क्या अन्य विद्यार्थियों ने भी यही देखा? त्रिभुजों के लिए इसके परिणामस्वरूप अपने प्रेक्षण का उल्लेख करें।
  • दो ऐसे त्रिभुजों के बारे में परिणाम तैयार करें, जिनकी संगत भुजाओं की लंबाइयाँ समान हैं। क्या आपके विचार में सभी त्रिभुजों के लिए यह कथन सही है? क्या आप इस कथन को अन्य बहुभुज के लिए विस्तृत कर सकते हैं?

इसके अलावा विद्यार्थियों से विचार–विमर्श के दौरान और बाद में प्रश्नों पर विचार करने के लिए कहें:

  • मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?
  • मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?
  • अब इसके आगे क्या?

फिर उनसे कक्षा के साथ अपने निष्कर्षों को साझा करने के लिए कहें। समूहों से कहें कि वे ‘मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?’, ‘मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?’ और ‘अब इसके आगे क्या?’ पर अपने विचार सम्मिलित करें। विद्यार्थियों से कहें कि वे अन्य समूहों को सुनें और तैयारी करें तथा इन प्रश्नों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।

फिर अलग–अलग विद्यार्थियों से कक्षा के समक्ष अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए कहें। अन्य विद्यार्थियों को टिप्पणी करने के लिए प्रोत्साहित करें। सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि विभिन्न समूहों के विद्यार्थियों को बोलने का मौक़ा मिले।

वृत्त–अध्ययन 2: श्रीमती चड्ढ़ा गतिविधि 2 के उपयोग का अनुभव बताती हैं

मैंने गतिविधि 1 के बाद सीधे गतिविधि 2 का उपयोग किया। विद्यार्थियों ने विभिन्न त्रिभुज बनाने की कोशिश में बहुत समय लगाया और मुझे छड़ियों के सिरों को मिलाने के बारे में उन्हें याद दिलाते रहना पड़ा। अंततः उन सबने महसूस किया कि उनके पास पहले चार सवालों के जवाब थे। इस बार मैंने उनसे किसी दूसरे समूह को अपने परिणाम प्रस्तुत करने और उन्हें सही साबित करने की कोशिश करने और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए कहा। मैंने पाठ के उद्देश्य या ‘मैं किस दिशा में बढ़ रहा/रही हूँ?’ के बारे में एक दूसरे को सुनना शुरू करने से पहले सोचने के लिए कहते हुए, जिसके बारे में अब तक मैंने कई बार बात की थी, कक्षा को फ़ीडबैक के बारे में विचारों से परिचय करवाया। फिर मैंने सुनने वाले समूह से ‘मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?’ और ‘अब इसके आगे क्या? पर, विचार प्रस्तुत करने वाले समूह को’ फी़डबैक देने के लिए कहा। पाँच मिनट के बाद मैंने कक्षा को सुनना छोड़ कर प्रस्तुत करने के लिए याद दिलाया।

उसके बाद, हमने कक्षा में विचार–विमर्श किया। मैंने पहले पूछा, ‘क्या आसान था?’ कक्षा ने कहा कि उन्हें अपने त्रिभुज और भुजाओं के बारे में बात करना बहुत आसान लगा, लेकिन जब तक किसी ने विचार करने और बदलने की याद नहीं दिलाई वे बता नहीं पाए कि क्यों त्रिभुज समरूप थे – लेकिन अलग! उन्होंने त्रिभुजों का वर्णन करने के लिए ‘समरूप’ शब्द का भी प्रयोग किया, जिसे सुन कर मुझे बेहद ख़ुशी हुई। हमने ’समरूप’ के गणितीय अर्थ पर चर्चा की और मैंने गणितीय त्रिभुज और आकारों में ’समरूप’ के मतलब की अपनी गणितीय परिभाषा लिखने के लिए प्रत्येक समूह से कहा।

फिर मैंने विद्यार्थियों से पूछा कि उन्हें क्या कठिन लगा। उन्होंने कहा कि उपयुक्त फ़ीडबैक देना कठिन था, लेकिन उसने उन्हें वाक़ई सोचने पर मजबूर किया। ‘मैं कैसे काम कर रहा/रही हूँ?’ और ‘अब इसके आगे क्या?’ का उपयोगी उत्तर देने का प्रयास करना आसान नहीं था, लेकिन उसके कारण आपने जो कहा उसके बारे में सोचना पड़ा। मैंने जवाब दिया, ‘मैं जानती हूँ!’ यह भी एक दिलचस्प सत्र बन गया और मुझे लगता है कि बहस ने काफी़ विद्यार्थियों की मदद की, क्योंकि वे कक्षा के बाद काफी़ ख़ुश नजऱ आ रहे थे।

आप ‘सभी को शामिल करना’ से संबंधित मुख्य संसाधन पर भी नज़र डालना चाहेंगे।

विचार के लिए रुकें

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?

  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

यदि आपको इंटरनेट तक पहुँच हासिल है, तो आप भी इसी तरह के कार्यों को तैयार करने के लिए गतिशील ज्यामिति सॉफ़टवेयर (जैसे कि निःशुल्क डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध प्रोग्राम GeoGebra) का उपयोग कर सकते हैं।

3 सहकारी शिक्षण

भरी हुई कक्षा में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए, विद्यार्थियों को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए जैसा कि उन्होंने श्रीमती चड्ढा जी की कक्षा में केस स्टडी 2 में किया तथापि, माध्यमिक गणित कक्षाओं में शायद ही कभी सहकारी शिक्षण को लागू किया जाता है और जहाँ ऐसा होता है, वहाँ उद्देश्यपूर्वक होने के बजाय वह अक्सर डिफाल्ट (default) से होता है। Slavin et al. (2003) ने प्रमाण की काफी़ समीक्षा की और निष्कर्ष निकाला कि ‘सहकारी शिक्षण आधुनिक अनुसंधान के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक है’ (पृ. 177)– इस सफलता के चार प्रमुख कारण (Wiliam, 2011) निम्न प्रतीत होते हैं:

  • प्रेरणा: विद्यार्थी एक दूसरे को सीखने में मदद करते हैं, क्योंकि ऐसा करना स्वयं उनके हित में है। इसका चौतरफा़ प्रयास बढ़ाने पर प्रभाव पड़ता है, जिसके फलस्वरूप शिक्षण में अधिक सफलता हासिल होती है और उसके कारण चुनौतीपूर्ण अवधारणाओं को हल करने के लिए अधिक प्रेरणा मिलती है।
  • सामाजिक एकजुटता: विद्यार्थी अपने साथियों की मदद इसलिए करते हैं कि वे एक ही समूह का हिस्सा हैं और उनके लिए समूह की सफलता मायने रखती है।
  • वैयक्तिकरण: यदि किसी विशेष विद्यार्थी को परेशानी हो रही हो, तो इस बात की संभावना है कि समूह में कोई और उसकी मदद करे। जहाँ समूह अच्छी तरह संरचित हों, वहाँ हमेशा वही लोग मदद नहीं करते या मदद प्राप्त नहीं करते।
  • संज्ञानात्मक विस्तार: विचार–विमर्श में योगदान देने वाले लोगों को विचारों के माध्यम से सोचने के लिए और स्वयं अपने तथा दूसरों को उन्हें स्पष्ट करने के लिए मजबूर किया जाता है।

यदि किसी बड़ी कक्षा में विद्यार्थियों को अपेक्षित मदद पाना हो, तो उन्हें एक दूसरे की मदद करने के लिए उपलब्ध होना चाहिए। विद्यार्थियों द्वारा एक दूसरे को पढ़ाना आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी हो सकता हैः एक अध्ययन में विद्यार्थियों ने अपने शिक्षक से वैयक्तिक रूप से पढ़ाए जाने पर जितना सीखा लगभग उतना ही साथी द्वारा पढ़ाए जाने पर भी सीखा, संभवतः इसका कारण यह हो कि उन्हें साथी द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर कम भय महसूस होता है (Schacter, 2000).

अगली गतिविधि का उद्देश्य एक समस्या को हल करने के लिए अन्य गणितीय विचारों के साथ संबंध स्थापित करने के क्रम में विद्यार्थियों को सहयोगपूर्वक एक साथ काम करने के लिए कहना है।

गतिविधि 3: संबंध जोड़ना

इस गतिविधि के लिए आपको प्रत्येक विद्यार्थी के लिए कम से कम तीन छड़ियों की ज़रूरत है। यदि यह संभव नहीं है, तो विद्यार्थियों की प्रत्येक जोड़ी के लिए या तीन विद्यार्थियों के एक जैसे समूहों के लिए तीन छड़ियों का उपयोग करें। प्रत्येक विद्यार्थी (या विद्यार्थियों की जोड़ी ) यादृच्छिक रूप से तीन छड़ियाँ उठाता है। सुनिश्चित करें कि उन्हें अपनी छड़ियों की लंबाई का चयन करने का मौका़ न मिले।

अपने विद्यार्थियों से कहें:

  • अब आप अपनी छड़ियों को खिसका सकते हैं, ताकि आपके द्वारा तैयार त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा का एक अंश ‘काट’ सकें, जिससे तीन लंबाइयाँ एक समकोण त्रिभुज का निर्माण करें।

  • अपने समूहों में चर्चा करें कि आप किस प्रकार काटी जाने वाली सही लंबाई जानेंगे। इस लंबाई का पता लगाने के लिए आप किन तथ्य(यों) का उपयोग करेंगे?
  • समकोण त्रिभुज बनाने के लिए आपके द्वारा प्रयुक्त तीन छड़ियों को यथासंभव सटीक रूप से मापें।

  • तीन छड़ियों में से प्रत्येक की लंबाई का एक दूसरे के प्रति अनुपात का पता लगाएँ।
  • किसी और विद्यार्थी को खोजें, जिससे ये अनुपात मेल खाते हों।
  • दूसरे विद्यार्थी से छानबीन करें कि आपके त्रिभुजों के बीच क्या सामान्य है, जिसके परिणामस्वरूप अनुपात मेल खा रहे हैं।
  • निरूपित करें और अपने निष्कर्ष कक्षा में प्रस्तुत करें।

केस स्टडी 3: श्रीमती चड्ढ़ा गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव बताती हैं

मैंने कुछ समय पहले कक्षा में पाइथागोरस प्रमेय पढ़ाया और त्रिकोणमिति पर आगे बढ़ना चाहती थी। अब चूँकि कक्षा में साथ मिल कर त्रिभुज के बारे में ख़ुशी से बात हो रही थी और सही शब्दावली का उपयोग कर रहे थे, मैंने सोचा मैं यह जानने के लिए इस अभ्यास का उपयोग कर सकती हूँ कि उन्हें पाइथागोरस कितनी अच्छी तरह याद हैं और मुझे दुबारा पढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं।

मैंने उन्हें बताया कि इस सत्र का प्रयोजन समकोण त्रिभुजों के साथ काम करना, उनके द्वारा सीखे अन्य गणितीय विचारों के लिए संबंध जोड़ना और उन्हें जो पता था उस ज्ञान में विस्तार करना है। इसका मतलब था कि वे जब भी संबंध जोड़ सकें, तो उन्हें अपने लिए उसे नोट करना होगा, ताकि वे कक्षा के साथ उन्हें साझा कर सकें और मैं अंत में उनसे पूछूँगी कि क्या उन्होंने नया कुछ सीखा है।

उन्होंने स्वाभाविक रूप से समूहों का गठन किया, जो कल गतिविधि 1 और 2 करते समय उन्होंने इस्तेमाल किया था और अपनी छड़ियों को थाम लिया। उन्होंने बात करना शुरू किया कि वे कैसे आश्वस्त थे कि उनके पास ‘काटने’ के लिए सही लंबाई है – मैंने वास्तव में उन्हें अपनी छड़ी काटने नहीं दिया, सिर्फ़ उन्हें चिह्नित करने के लिए कहा। पहले उन्होंने माप के बारे में यह कहते हुए बातचीत शुरू की कि यदि हम सही तरह 90° मापते हैं, तो वह ठीक होगा, इसके लिए उन्होंने अपना कोणमापक (चाँदा) निकाला और मापना शुरू कर दिया। मैं देखना चाहती थी कि जब वे एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे, तब क्या हो सकता है, इसलिए मैं बस विभिन्न समूहों को सुन रही थी। मैंने कुछ लोगों को कहते सुना ‘निशान लगाओ’, ‘हाय, यह तो सरक गया’ और ‘ऐसा करना मुश्किल है’। मैंने पूरी कक्षा से इस बारे में सोचने के लिए कहा कि उस समय वे गणित के साथ कौन–सा संबंध जोड़ रहे थे, जिसे वे जानते हैं, क्योंकि मुझे लगा कि वे बस मापने में तल्लीन हैं। मैंने उन सबको चुप रहने और 30 सेकंड सोचने, और फिर काम पर लौटने के लिए कहा।

शांति से सोचने के समय ने असर दिखाया और एक ने कहना शुरू किया, ‘हमें कर्ण का पता लगाना चाहिए, तो हम उपयोग में लाएँगे, हुँ...प...’ किसी और ने कहा ‘पाइथागोरस – अरे वो क्या था!’ मैंने देखा कि कई लोग अपनी पाठ्यपुस्तक में पाइथागोरस प्रमेय ढूँढ़ रहे थे। लग रहा था कि वे कुछ ही मिनटों में बस दुहरी जाँच कर रहे थे, वे समकोण नाप रहे थे और वर्गमूल निकाल रहे थे। मैं बेहद ख़ुश थी कि मुझे बस उन्हें सोचने के लिए समय देना है और फिर बड़ी आसानी से पूरी कक्षा ने पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करने और स्वाभाविक रूप से सही उत्तर पाने में एक दूसरे की मदद की।

मुझे लगा कि कक्षा में अधिकांश लोगों को पाइथागोरस की अच्छी समझ थी, लेकिन मैंने देखा कि पवनदीप और कुछ और लोग उलझन में थे। मैंने उनसे कहा कि जब कक्षा के बाकी़ लोग भाग 2 शुरू कर दें वे मुझसे बात करें और मैंने पाया कि वे पाइथागोरस प्रमेय पर पाठ पढ़ाते समय अनुपस्थित थे। साथ मिल कर हमने योजना बनाई कि वे कैसे इसकी पूर्ति करेंगे, जिसमें पाठ्यपुस्तक का उपयोग, इंटरनेट का उपयोग करना शामिल था और उनके अगले पाठ से पहले, पिछले सप्ताह उन्हें जो समझ में आया उसे मुझे बताना था।

मैंने विद्यार्थियों को स्वेच्छा से आगे आने और इस कार्य को कैसे हासिल किया, यह बताने के लिए कहा। मैंने उनसे यह भी पूछा कि क्या इस गतिविधि को उन्होंने किसी अलग पद्धति से भी हल किया। उन्हें पुनः चार के समूहों में विभाजित करने के बाद इस चर्चा के साथ गतिविधि का दूसरा भाग संपन्न किया गया कि क्या हो रहा है।

उन्होंने इच्छा से भाग 2 को हल करना शुरू किया। वे जानते थे कि कुछ पता करना है और वे उसका पता लगाना चाहते थे। उन्होंने इसकी दुहरी जाँच करते हुए अंकगणित से हल किया कि उनके पास सही उत्तर है। (वे सामान्य रूप से कब जाँच करते हैं? आम तौर पर वे बस अभ्यास पूरा करने की कोशिश करते हैं!) भिन्न के रूप में रखे जाने पर वे अनुपात की तुलना नहीं कर पाए, इसलिए उनको एहसास हुआ कि उन्हें कुछ और करना चाहिए। कुछ ने कहा कि हम समतुल्य भिन्नें बना सकते हैं; कुछ को दशमलव स्वरूप में दर्शाना आसान लगा। सौभाग्य से विभिन्न आकार के समद्विबाहु त्रिभुज वाले कई समूह थे और कुछ 30–, 60 और 90 डिग्री के त्रिभुज वाले भी। इसलिए एकसमान उत्तर वाले विद्यार्थियों का स्वाभाविक रूप से समूह गठित हुआ और वे देख सकते थे कि यदि कोण एकसमान हों, सभी भुजाओं के लिए अनुपात एकसमान होंगे – एक मामले में उन्होंने यह भी देखा कि भुजाएँ दुगुनी हो गई। यह त्रिकोणमिति अनुपात के बारे में सीखने के लिए एकदम सही शुरुआत थी, लेकिन उसे अगले पाठ तक इतंज़ार करना पड़ा । पहले हमें कुछ प्रश्नों के जवाब देने थे, ताकि वे देख सकें कि उन्होंने पाठ के उद्देश्य की सफलतापूर्वक पूर्ति की है।

विचार के लिए रुकें

विद्याथियों के अधिगम के मूल्यांकन के लिए आप समस्या समाधान (problem solving) का कितनी बार प्रयोग करते हैं ? आपके विचार में क्या श्रीमती चड्ढा को पता चल सका कि उनकी कक्षा में हरेक क्या कर सकता है? उनमें से कइयों को पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग कैसे किया जाए, यह याद करने में कुछ मदद मिली होगी, क्या इसका मतलब है कि वे इसके बारे में नहीं जानते थे?

अपनी कक्षा को प्रश्न हल करते हुए देखने से आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि कौन गणितीय अवधारणा के उपयोग की पद्धति को समझ रहा है, कौन सिर्फ़ प्रश्नों को हल करने के नियमों की प्रणाली का अनुसरण कर रहा है और इसलिए संदर्भ से पीछे छूट गया है, कौन बिल्कुल ही नहीं समझ पा रहा है। शायद यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विद्यार्थी समझ जाएँ कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं। एक शिक्षक के रूप में, फिर आप ‘इसके आगे कहाँ?’ प्रश्न पर वाक़ई अच्छा फ़ीडबैक दे सकते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे श्रीमती चड्ढा़ ने किया।

अधिक विवरण के लिए, संसाधन 2 ‘प्रगति और निष्पादन का मूल्यांकन’ पढ़ें।

4 सारांश

इस इकाई ने त्रिभुजों के बारे में पढ़ाने के लिए तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अवधारणाओं का उपयोग कियाः

  • विद्यार्थियों को अपने गणितीय विचारों के बारे में बात करने में सक्षम बनाने हेतु मदद करने की आवश्यकता। विद्यार्थियों को यदि उन्हें पूरी तरह समझना हैं और जिस वर्तमान संदर्भ में उसे सीखा, यदि उससे परे उनका उपयोग करना है, तो उन्हें अपने विचारों को अभिव्यक्त करने में सक्षम होने की ज़रूरत है। क्योंकि सोचने के लिए भाषा की आवश्यकता है, वे विद्यार्थी, जिन्हें विशिष्ट गणितीय शब्दावली और पदावली का स्वयं उपयोग करने के लिए मदद दी गई है, सोचने के लिए कहे जाने पर फ़ायदेमंद स्थिति में हैं।
  • विद्यार्थियों को अपने शिक्षण में अधिक संलग्न होने और अधिक प्रेरित महसूस करने में मदद करने के लिए फ़ीडबैक की भूमिका।
  • सहकारी शिक्षण, जहाँ विद्यार्थी सीखने में एक दूसरे की प्रभावी रूप से सहायता करते हैं। यह बड़ी कक्षाओं को पढ़ाते समय विशेष रूप से उपयोगी है।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचारों को पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उन दो प्रकरणों पर अब एक नोट तैयार करें, जिन्हें आप जल्द ही पढ़ाने वाले हैं, जहाँ थोड़े–बहुत समायोजन के साथ उन विचारों का उपयोग किया जा सकता है।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

इस इकाई की सीख नीचे बताई गई NCF (2005) और NCFTE (2009) की शिक्षण आवश्यकताओं से जुड़ी हैः

  • शिक्षार्थियों को उनके सीखने में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करने के लिए; रटने की पद्धतियों से शिक्षण को दूर ले जाने के लिए।
  • अधिगम (सीखने) को निजी अनुभवों से अर्थ की खोज के रूप में और ज्ञान निर्माण को विचारात्मक शिक्षण की निरंतर विकास प्रक्रिया के रूप में देखें।

  • विद्यार्थियों को गणित से डरने के बजाय उसका आनंद उठाना सिखाने के लिए सहयोग।

संसाधन 2: प्रगति और निष्पादन का मूल्यांकन

विद्यार्थियों के अधिगम का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं:

  • योगात्मक मूल्यांकन पीछे मुड़ कर देखता है और जो पहले से सीखा गया है उसका निर्णय करता है। यह सामान्यतया परीक्षाओं के स्वरूप में आयोजित किया जाता है, जहाँ विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रश्नों के प्रति उनकी उपलब्धियों को बताते हुए श्रेणीकृत किया जाता है। इससे परिणामों की रिपोर्टिंग में भी मदद मिलती है।
  • निर्माणात्मक मूल्यांकन (या अधिगम का मूल्यांकन) काफी़ अलग है, जो अधिक अनौपचारिक तथा नैदानिक स्वरूप का होता है। शिक्षक उन्हें अधिगम प्रक्रिया के अंग के रूप में उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिए, जहाँ यह पता लगाने के लिए प्रश्न पूछने का इस्तेमाल किया जाता है कि क्या विद्यार्थियों ने किसी चीज़ को समझा है या नहीं। इस मूल्यांकन के परिणामों का फिर अगले शिक्षण अनुभव को बदलने के लिए उपयोग किया जाता है। निगरानी और फ़ीडबैक निर्माणात्मक मूल्यांकन का हिस्सा है।

निर्माणात्मक मूल्यांकन अधिगम–प्राप्ति को बढ़ाता है, क्योंकि सीखने के लिए, अधिकांश विद्यार्थियों कोः

  • समझना चाहिए कि उनसे क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है
  • जानना चाहिए कि अपनी पढ़ाई में वे इस समय किस स्तर पर हैं
  • समझना चाहिए कि वे किस प्रकार प्रगति कर सकते हैं (अर्थात् क्या पढ़ना चाहिए और कैसे पढ़ना चाहिए)
  • जानना चाहिए कि कब उन्होंने लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम हासिल कर लिए हैं।

शिक्षक के रूप में, अगर आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे, तो आप अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता हैः

  • पहले: पढ़ाने से पहले मूल्यांकन से आपको यह जानने में मदद मिलती है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं और पढ़ाने से पहले क्या कर सकते हैं। यह आधार–रेखा निर्धारित करता है और आपको अपनी शिक्षण योजना तैयार करने के लिए प्रारंभिक बिंदु देता है। विद्यार्थी क्या जानते हैं इस बारे में अपनी समझ को बढ़ाने से, विद्यार्थियों को जिसमें पहले से ही महारत हासिल है, उसे दुबारा पढ़ाने या संभवतः उन्हें जो जानना या समझना है (लेकिन नहीं जानते), उसे छोड़ने के मौक़े कम होंगे।
  • पढ़ाते समय: कक्षा में पढ़ाते समय मूल्यांकन करने में यह देखना शामिल है कि क्या विद्यार्थी सीख रहे हैं और उनमें सुधार हो रहा है। इससे आपको अपनी शिक्षण पद्धति, संसाधनों और गतिविधियों का समायोजन करने में मदद मिलेगी। यह आपको यह समझने में मदद करेगा कि विद्यार्थी वांछित उद्देश्य की दिशा में किस प्रकार प्रगति कर रहा है और आपका शिक्षण कितना सफल है।
  • पढ़ाने के बाद: शिक्षण के बाद किया जाने वाला मूल्यांकन पुष्टि करता है कि विद्यार्थियों ने क्या सीखा है और आपको दर्शाता है कि किसने सीखा है और किसे अभी मदद की ज़रूरत है। इससे आप अपने शिक्षण लक्ष्य का प्रभावी आकलन कर सकेंगे।

पहलेः आपके विद्यार्थी क्या सीखेंगे इस बारे में स्पष्ट रहना

जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना चाहिए, तो आपको उसे उनके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं, और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है। ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वाक़ई समझा है या नहीं। उदाहरण के लिएः

विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें, या शायद विद्यार्थियों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर चर्चा करने के कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं कि उन्हें क्या सीखना है।

पहलेः जानना कि विद्यार्थी अपने शिक्षण के किस स्तर पर हैं

आपके विद्यार्थियों में सुधार के लिए मदद करने के क्रम में आपको और उन्हें उनके ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें, आप निम्न कर सकते हैं:

  • विद्यार्थियों को मानसिक मानचित्र बनाने या उस विषय के बारे में वे पहले से क्या जानते हैं, उसे सूचीबद्ध करने के लिए जोड़े में कार्य करने के लिए कहें, और उन्हें उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दें, लेकिन उन चंद विचारों के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं देना चाहिए। उसके बाद आप उन मानसिक मानचित्र या सूचियों की समीक्षा करें।
  • महत्वपूर्ण शब्दावली को बोर्ड पर लिखें और प्रत्येक शब्द के बारे में वे क्या जानते हैं, यह बताने के लिए स्वेच्छा से उन्हें आगे आने के लिए कहें। फिर बाक़ी कक्षा से कहें कि यदि वे शब्द समझते हैं, तो अपना अंगूठा थम्ब्स–अप की मुद्रा में ऊपर उठाएँ, यदि वे बहुत कम जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं, तो थम्ब्स–डाउन की मुद्रा में नीचे करें और यदि वे कुछ जानते हैं, तो अंगूठे को क्षैतिज यानी बीच में रखें।

कहाँ से शुरुआत करनी है, यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक रूप से पाठ की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं, ताकि आप और वे, दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है। आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी।

पढ़ाते समयः शिक्षा में विद्यार्थियों की प्रगति सुनिश्चित करना

जब आप विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक, दोनों लगे। निम्नांकित के द्वारा इस काम को करें:

  • विद्यार्थियों को उनकी ताक़त और यह जानने में मदद करना कि वे कैसे और सुधार कर सकते हैं
  • इस बारे में स्पष्ट रहना कि आगे और किस चीज़ के विकास की ज़रूरत है
  • इस बारे में सकारात्मक रहना कि वे किस प्रकार अपनी शिक्षा का विकास कर सकते हैं, जाँचना कि वे समझते हैं और आपकी सलाह का उपयोग करने में सक्षम महसूस करते हैं।

आपको विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए अवसर मुहैया कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को पाटने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नतः करना होगाः

  • कुछ ऐसे कार्य पर वापस नज़र दौड़ाना होगा, जिनके बारे में आपने सोचा था कि वे पहले से जानते हैं

  • आवश्यकता के अनुसार विद्यार्थियों के समूह बनाना, उन्हें अलग–अलग कार्य देना
  • विद्यार्थियों को स्वयं यह निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करना कि उन्हें किन संसाधनों को पढ़ने की ज़रूरत है ताकि वे ‘स्वयं अपना अंतराल पाट सकें’
  • ‘निम्न प्रवेश, ऊँची सीमा’ वाले कार्यों का उपयोग करना, ताकि सभी विद्यार्थी प्रगति कर सकें – इन्हें इसलिए अभिकल्पित किया गया है कि सभी विद्यार्थी काम शुरू कर सकें, लेकिन अधिक समर्थ को प्रतिबंधित न किया जाए और वे अपने ज्ञान के विस्तार के लिए प्रगति कर सकें।

पाठों की रफ़तार को धीमा करके, अक्सर आप दरअसल पढ़ाई को तेज़ करते हैं, क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय और आत्मविश्वास देते हैं, जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं, आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े मुहैया करा रहे हैं।

पढ़ाने के बादः प्रमाण एकत्रित करना और उसकी व्याख्या करना, और आगे की योजना बनाना

जब पढ़ाना–सिखना चल रहा हो और कक्षा–कार्य और गृह–कार्य निर्धारित करने के बाद, ज़रूरी है कि:

  • इस बात का पता लगाएँ कि आपके विद्यार्थी कितनी अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं
  • इसे अगले पाठ के लिए अपनी योजना सूचित करने के लिए उपयोग में लाएँ
  • विद्यार्थियों को प्रतिक्रिया दें।

मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है।

सूचना या प्रमाण एकत्रित करना

प्रत्येक विद्यार्थी, स्वयं अपनी गति और शैली में, स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको दो चीज़ें करनी होंगीः

  • विविध सूत्रों से जानकारी एकत्रित करें – स्वयं अपने अनुभव से, विद्यार्थी, अन्य विद्यार्थियों, अन्य शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों से।
  • विद्यार्थियों का व्यक्तिगत रूप से, जोड़ों में और समूहों में मूल्यांकन करें, तथा स्व–मूल्यांकन को बढ़ावा दें। अलग विधियों का प्रयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई एक पद्धति आपके वह सभी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती, जिसकी आपको ज़रूरत है। विद्यार्थियों के सीखने और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के विभिन्न तरीक़ों में शामिल हैं, देखना, सुनना, विषयों और प्रकरणों पर चर्चा, तथा लिखित वर्ग और गृह–कार्य की समीक्षा करना।

अभिलेखन

भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है, लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं, जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं, जैसे कि:

  • पढ़ाते–सीखते समय जो आप देखते हैं उसे डायरी/नोटबुक/रजिस्टर में नोट करना

  • विद्यार्थियों के कार्य के नमूने (लिखित, कला, शिल्प, परियोजनाएँ, कविताएँ आदि) पोर्टफ़ोलियो में रखना
  • प्रत्येक विद्यार्थी का प्रोफ़ाइल तैयार करना
  • विद्यार्थियों की किन्हीं असामान्य घटनाओं, परिवर्तनों, समस्याओं, शक्तियों और शिक्षण प्रमाणों को नोट करना।

प्रमाण की व्याख्या

जैसे ही सूचना और प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए, उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है, ताकि यह समझ सकें कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। ,इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको शिक्षण में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फी़डबैक देकर या नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, या शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यककता है।

सुधार के लिए योजना बनाना

मूल्यांकन, विशिष्ट और विभेदक शिक्षण गतिविधियों की स्थापना द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को सार्थक रूप से सीखने के अवसर प्रदान करने, अधिक मदद के ज़रूरतमंद विद्यार्थियों पर ध्यान देने और अधिक उन्नत विद्यार्थियों को चुनौती देते हुए सार्थक शिक्षण अवसर उपलब्ध कराने में आपकी मदद कर सकते हैं।

अतिरिक्त संसाधन

References

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Zack, V. and Graves, B. (2001) ‘Making mathematical meaning through dialogue: “Once you think of it, the Z minus three seems pretty weird”’, Educational Studies in Mathematics, vol. 46, pp. 229–71.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन–शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है, जब तक कि अन्यथा निर्धारित न किया गया हो। यह लाइसेंस TESS-India, OU और UKAID लोगो के उपयोग को वर्जित करता है, जिनका उपयोग केवल TESS-India परियोजना के भीतर अपरिवर्तित रूप से किया जा सकता है।

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत–भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन युनिवर्सिटी के साथ काम किया।