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कल्पना करना, तुलना करना और विषमता का पता लगाना : संख्या पद्धतियां 

यह इकाई किस बारे में है

गणित में कई संख्या प्रणालियाँ होती हैं: प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय संख्याएँ, अपरिमेय संख्याएँ और वास्तविक संख्याएँ। विद्यार्थी अक्सर सोचते हैं कि इन संख्या प्रणालियों के बीच का अंतर कुछ हद तक अस्पष्ट और मामूली है। इस इकाई में इन संख्या प्रणालियों के बीच समानता और असमानता का पता लगाया जाएगा, और यह पता लगाया जाएगा कि इनके बीच विभिन्न गणितीय संक्रियाएँ जैसे जोड़, गुणा, घातांक, कैसे काम करते हैं।

द नेशनल करिक्युलम फ्रेमवर्क फॉर टीचर एजुकेशन (NCFTE, 2009) में गणित के पाठों को रोचक, विद्यार्थी केंद्रित और विद्यार्थी सहभागी होना और विद्यार्थियों में गणित की समझ बढ़ाने वाला होना आवश्यक बनाया गया है। ऐसा करना आसान नहीं है। इस इकाई का लक्ष्य समानता और असमानता का काम करके और कल्पनाशीलता का उपयोग करके इसे प्राप्त करने में शिक्षकों की मदद करना है। इकाई में इनमें से हर तरीके का वर्णन किया जाएगा और उदाहरण दिए जाएँगे कि कक्षा में इन्हें कैसे लागू किया जा सकता है। इस इकाई में यह भी चर्चा की जाएगी कि किसी पाठ्यपुस्तक का उपयोग करके मौजूदा कक्षा व्यवहारों में कैसे छोटे–छोटे बदलाव किए जा सकते हैं।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • कुछ विचार कि संख्याओं और संख्याओं की संक्रियाओं कार्यों की कल्पना और विश्लेषण कैसे करें और उनकी सीमाओं को कैसे पहचानें।

  • समानता और असमानता की गतिविधियों की संरचना और प्रभावों को पुनः व्यवस्थित करना और गणित का बोध करने में कल्पना आपके विद्यार्थियों की कैसे मदद कर सकती है।

इस यूनिट का संबंध संसाधन 1 में दर्शाई गई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF, 2005) और NCFTE (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।

1 समानता और असमानता पता लगाने की गतिविधियाँ

समानता और असमानता लोगों को गणितीय गुणधर्मों और इसके अनुप्रयोगों से सजग रखने के लिए अच्छी गतिविधियाँ हैं। समानता और असमानता का कार्य विद्यार्थियों को गणितीय विषय वस्तुओं के बारे में सोचने और इस बात पर ध्यान देने पर बाध्य करता है कि क्या समान है और क्या अलग। ऐसा करते समय, विद्यार्थी वे संबंध बनाते हैं, जिनपर वे आमतौर पर ध्यान नहीं देते। उन्हें गणितीय चिंतन प्रक्रिया की ओर प्रेरित किया जाता है, जैसे सामान्यीकरण, यह अनुमान कि क्या समान रहता है और क्या बदल सकता है, और इन कल्पनाओं का सत्यापन। संबंध मालूम करने, संरचनाएँ देखने, चीजों का कारण पता करने और कथनों की सत्यता य असत्यता पर तर्क–वितर्क करने के लिए विद्यार्थियों को सारग्रहण का उपयोग करने देने की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की आवश्यकता का यह एक उदाहरण है।

समानता और असमानता की गतिविधियाँ, जैसा गतिविधि 1 में दिया गया है, विद्यार्थियों की इस बात में मदद कर सकती हैं:

  • उनके अधिगम को मजबूत बनाना।

  • उन्हें विभिन्न संख्या प्रणालियों के विभिन्न उद्देश्य याद दिलाएँ
  • प्रणालियों की सूक्ष्म समानताएँ और असमानताओं की जानकारी प्राप्त करें।

गतिविधि 1 में आपके विद्यार्थियों के लिए इस बारे में सोचना आवश्यक है कि कौन से कथन हमेशा, कभी–कभी सत्य होते हैं या कभी सत्य नहीं होते। उद्देश्य संख्या प्रणालियों के बीच असमानताओं की जानकारी प्राप्त करना और उनके कारणों के लिए गणितीय तर्क विकसित करना है। ऐसा करके वे गणितीय भाषा को उनके उपयोग के बारे में अधिक परिशुद्ध बन सकते हैं और अधिक सूक्ष्म समानताओं और असमानताओं पर ध्यान दे सकते हैं। अगले प्रश्नों में, किसी संख्या रेखा को देखकर कल्पना की ओर पहला कदम बढ़ाया गया है।

इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहयोगी के साथ करें, क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। गतिविधियों को स्वयं करके देखने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको अधिक विद्यार्थी को केंद्र में रखने वाला शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: हमेशा सत्य, कभी–कभी सत्य या कभी सत्य नहीं?

तैयारी

कथनों को एक सूची के रूप में दिया जा सकता है, या कार्ड पर लिखा जा सकता है और उन्हें यादृच्छिक रूप से साझा किया जा सकता है। प्रश्नों की एक पूरी सूची, और कार्यपत्रक का एक उदाहरण, जिसे कार्ड के रूप में काटा जा सकता है, संसाधन 2 और 3 में देखा जा सकता है। विभिन्न संख्या प्रणालियों और उनके गुणधर्मों की एक रूपरेखा संसाधन 4 में देखी जा सकती है।

इस गतिविधि में कार्य करने के तरीकों के लिए कुछ सुझाव नीचे दिए गए हैं:

  1. आप विद्यार्थियों को स्वयं कार्य करने, अपने विचार कक्षा को बताने या अपने विचार अपने साथी/सहपाठी से साझा करने को कह सकते हैं।
  2. कथन सभी को करने के लिए दिए जा सकते हैं – लेकिन यह थकाऊ हो सकता है, इसलिए विद्यार्थियों से उसका केवल एक भाग करने को कहें; उदाहरण के लिए, विषम/सम/अभाज्य संख्याएँ करने के लिए।
  3. आप विद्यार्थियों को उनकी अपनी पसंद चुनने को भी कह सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि वे ऐसी तीन चुनना चाहें, जिन्हें वे करना चाहेंगे और दो ऐसी जिन्हें वे नहीं करना चाहें, तो आप उन्हें अपने साथियों की सहायता से पूरी पाँच करने के लिए कह सकते हैं।
  4. विद्यार्थियों को अपनी पसंद चुनने देने से अक्सर कक्षा में सक्रिय भागीदारी और जुड़ाव सक्षम होता है।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों से पूछें कि निम्न में से कौन से कथन ’हमेशा सही हैं’, ’कभी–कभी सही हैं’ या ’कभी सही नहीं हैं’, और क्यों?

  1. दो प्राकृत संख्याओं का योग भी एक प्राकृत संख्या होता है।
  2. दो पूर्णांकों का योग एक पूर्णांक नहीं होता।
  3. दो अपरिमेय संख्याओं का अंतर एक अपरिमेय संख्या होता है।
  4. दो अपरिमेय संख्याओं का गुणनफल एक अपरिमेय संख्या होता है।
  5. दो पूर्ण संख्याओं का भागफल एक पूर्ण संख्या होता है।
  6. दो वास्तविक संख्याओं का भागफल एक वास्तविक संख्या होता है।
  7. पूर्ण संख्याओं के ऐसे अनंत युग्म होते हैं, जिनका योग 0 होता है।
  8. पूर्ण संख्याओं का एक युग्म होता है, जिसका गुणनफल 1 होता है।
  9. दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल एक दोहराव रहित, समाप्ति रहित दशमलव होता है।
  10. किसी संख्या रेखा में किसी प्राकृत संख्या का सटीक स्थान निर्धारित नहीं किया जा सकता।
  11. दो पूर्णांकों का अंतर, किसी संख्या रेखा पर दोनों पूर्णांकों में से प्रत्येक के बाईं ओर होता है।
  12. दो वास्तविक संख्याओं के बीच परिमित प्राकृत संख्याएँ होती हैं।
  13. यदि a एक प्राकृत संख्या है तो a2 भी प्राकृत संख्या होती है।
  14. संख्या ab, a तथा b दोनों से बड़ी है।

आप मुख्य संसाधन ’शिक्षण के लिए बातचीत’ पर भी एक नजर डाल सकते हैं।

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती अपराजिता बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है, जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

कई कारणों से इस गतिविधि को आजमाने में मुझे डर थाः

  • गतिविधि की असामान्य संरचना
  • विद्यार्थियों के लिए उनके स्वयं के कारण तैयार करने की आवश्यकता
  • विद्यार्थी आपस में बातचीत करते हैं, जबकि आमतौर पर इसकी मेरी कक्षा में अनुमति नहीं है
  • मेरा डर कि उन्हें विभिन्न संख्या प्रणालियों के बारे में शायद कुछ भी याद नहीं रहेगा!

यह गतिविधि शुरू करने से पहले, मैंने छह विद्यार्थियों को एक से 14 के बीच एक संख्या बताने को कहा। ये छह संख्याएँ वे प्रश्न बन गई जो उन्हें हल करना था। विद्यार्थियों को एक–दूसरे से बात करने की अनुमति देने के बारे में मुझे बहुत असहजता थी, क्योंकि मुझे लगा था कि कक्षा में 79 विद्यार्थी होने से बहुत शोरगुल का वातावरण हो जाएगा; क्या चर्चा हुई इसे नियंत्रित करना मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा और सब अस्त–व्यस्त हो जाएगा। क्या होगा यदि प्रिंसिपल ऐसे अस्त–व्यस्तता के माहौल में पास से निकलें! दूसरी तरफ मेरा मानना है कि बातचीत से सीखने में मदद मिलती है, क्योंकि जब आप बात करते हैं, तो आपको अपनी सोच व्यवस्थित करनी होती है – अन्यथा श्रोता आपको समझेगा नहीं।

तो मैंने अपने आपको बहादुर बनाया और पाठ शुरू कियाः मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे स्वयं शांतिपूर्वक उत्तर निकालें और अपने कारण लिख लें। फिर मैंने उन्हें अपने साथी से अपने विचारों और कारणों की चर्चा जोड़ी में करने को कहा। लेकिन यह उन्हें चुपचाप करना था, ताकि दूसरे यह न सुन पाएँ कि वे क्या कह रहे हैं और उनके विचार चुरा न लें! मैंने उन्हें कहा कि कुछ देर बाद यादृच्छिक रूप से किसी को चुना जाएगा और उसे युग्म की सोच के बारे में बताने को कहा जाएगा। अन्य विद्यार्थी तब संरचनात्मक तरीके से टिप्पणी कर पाए, ठीक वैसे ही जैसे हम कभी–कभी पूरी कक्षा की चर्चा में करते हैं। मेरे इस डर के समाधान के लिए कि वे कुछ भी याद नहीं रख पाएँगे, मैंने ब्लैकबोर्ड पर पाठ्यपुस्तक के उन पृष्ठों के क्रमांक लिखे जहाँ उन्हें संख्या प्रणाली की जानकारी मिल सकती थी – और वे उन्हें देखने के लिए स्वतंत्र थे।

मुझे आश्चर्य हुआ कि इसने बहुत अच्छा काम किया! कक्षा में अव्यवस्था नहीं हुई। जोड़ी में बात करने से शोर हुआ, लेकिन वह अधिक नहीं थाः उन्हें प्रतिस्पर्धा और गोपनीयता का बोध अच्छा लगा। मैंने इधर–उधर घूमकर और दीवार के सहारे खड़े रहकर निरीक्षण करते हुए बातचीत सुनी। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी की बातचीत गणित के बारे में थी, और उन असहमतियों से गणित गुणधर्मों पर सटीक चर्चाएँ हुई, जिनमें पाठ्यपुस्तकों से संदर्भ निकालना और अपनी बात को बताने के लिए संख्या रेखा का उपयोग करना शामिल था। पूरी कक्षा की चर्चा मेरे अनुमान से कम जीवंत थी, क्योंकि तब तक थोड़ी–बहुत असहमति ही थी। हालाँकि, उपयोग की गई गणितीय भाषा से मुझे खुशी हुई। कक्षा की चर्चा एक समेकन गतिविधि बन गई। उनके जवाबों से मुझे पता लगा कि विभिन्न संख्या प्रणालियों में संक्रियाएँ करते समय वे गुणधर्मों के अंतर और इन अंतरों के परिणामों को वास्तव में समझ रहे थे।

इस बात में जो सबसे कठिन बात मुझे लगी वह थी एक शिक्षक के रूप में मेरी भूमिका में बदलाव। अब मैं उन्हें यह समझाने और बताने के लिए खड़ी नहीं थी कि क्या करना है। वास्तव में, मैंने बहुत कम बात की और चर्चा में बीच में शामिल न होना और उन्हें बताना कि इसे कैसे करें, कठिन था। हालाँकि, इसका अर्थ है कि यह अब उनकी सीख है और उनका चिंतन है, जो कि एक सशक्त अनुभव था।

क्या मैं अगली बार कोई बदलाव करूँगा? हाँ, मैं कोशिश करूँगा कि वे अपन प्रश्न स्वयं चुनें, यद्यपि मुझे नहीं पता कि पूरी चर्चा का नेतृत्व कैसे किया जाएगा जब वे सभी अलग–अलग प्रश्न चुन लेंगे। शायद, मैं उन्हें उनके निष्कर्षों पर छोटी प्रस्तुतियां बनाने को कह सकता हूँ। मुझे लगता है कि मैं भी प्रश्नों को ’कार्ड’ स्वरूप में तैयार करूँगा और इनका उपयोग तब करूँगा जब पाठ को समाप्त करने में पाँच या दस मिनट बचे होंगे। मुझे लगता है इससे वह दोहराव होगा जो इस पूरे ज्ञान को उनके दिमाग में रखने के लिए आवश्यक है, बिना इस बात का एहसास दिलाए कि पुस्तक से और अभ्यास किए जा रहे हैं।

अपने शिक्षण अभ्यास में दिखाना

जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करें, तो बाद में बताएं कि क्या ठीक रहा और कहां गड़बड़ हुई। ऐसे सवाल की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नज़र आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसी बातें ऐसी ’स्क्रिप्ट’ पता करने में सहायक होती हैं, जिससे आप विद्यार्थियों में गणित के प्रति रुचि जगा सकें और उसे मनोरंजक बना सकें। यदि वे कुछ भी समझ नहीं पाते हैं तथा कुछ भी नहीं कर पाते हैं, तो वे शामिल होने में कम रुचि लेंगे। जब भी आप गतिविधियां करें, इस चिंतनशील अभ्यास का उपयोग करें यह ध्यान देते हुए, जैसे श्रीमती अपराजिता ने किया, कि कुछ छोटी–छोटी चीजों से काफी फर्क पड़ता है।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे सवाल हैं:

  • आपकी कक्षा कैसी रही?

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • क्या आपको लगा कि आपको किसी समय हस्तक्षेप करना होगा?

  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

2 कल्पनाशीलता पर कार्य करना

डॉर्फलर (1991) और वान हैली (1986) के शोध से पता चलता है कि कल्पना करना गणित को सीखने का एक सशक्त औजार है। (आप कल्पना चित्रण का उपयोग करनाः बीजगणितीय तत्समक इकाई में कल्पना चित्रण के बारे में अधिक जान सकते हैं।) हालाँकि, अधिकांश कल्पना चित्रण निरूपणों में गणित में उनके उपयोग के संबंध में सीमाएँ होती हैं। विद्यार्थियों को इस बारे में जानकारी रखना होगी कि किसी विशेष प्रयोजन के लिए किस कल्पना चित्र निरूपण का उपयोग करना है।

गतिविधि 2 में विद्यार्थी संख्या रेखा के लिए इन सीमाओं की खोज करेंगे। गतिविधि में विद्यार्थियों से विभिन्न संख्या प्रकारों की गुणधर्म पहचानने को कहा जाता है। यह उन्हें अपने उदाहरणों में चयन के विकल्प भी देता है, जिससे भाग लेने वाले विद्यार्थी को अपने स्वामित्व का बोध होता है।

गतिविधि 2: संख्या रेखा पर संख्याएँ दर्शाना

तैयारी

यह गतिविधि उन विद्यार्थियों के लिए बेहतर काम करती है, जो जोड़ों या छोटे समूहों में काम करते हैं, ताकि विचारों और अभिमतों को आसानी से साझा किया और चुनौती दी जा सके। यदि आपके विद्यार्थी इस तरह से काम करने के आदी नहीं हैं, तो आपको यह योजना बनानी होगी कि उन्हें जोड़ों और छोटे समूहों में किस तरह व्यवस्थित किया जाएगा, ताकि वे आसानी से एक–दूसरे से बात कर सकें।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:

  1. संख्या रेखा पर ये संख्याएँ एकदम सही अंकित करें:
    • 2 – 4
    • 18/4
    • √2
    • 17/3
  2. क्या आप परिणामों से खुश हैं? क्या आप उन सभी को एकदम सही स्थान पर रख पाएँगे? आपको कैसे पता?
  3. क्या आपको ऐसी अन्य संख्याएँ पता हैं, जिन्हें संख्या रेखा पर दिखाना कठिन या आसान है?

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 के बारे में शिक्षक अभय अपने अनुभव बताते हैं

मैंने स्वयं गतिविधि 2 को आजमाया और उसमें शिक्षण की संभावना देखी। हालाँकि यह वैसी गतिविधि नहीं थी जिसे हम विद्यालय में करते हैं, इसलिए मैं बहुत आशंकित था। मैं बताऊँगा कि मैंने उस आशंका को कैसे दूर किया और मेरे अनुभव ने मेरे विद्यार्थियों के लिए इस गतिविधि की मेरी योजना पर किस प्रकार प्रभाव डाला।

चूँकि मुझे सीधे अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ इस गतिविधि को उपयोग करने का साहस नहीं हुआ, इसलिए मैंने पहले इसे अपने साथियों पर आजमाना चाहा। मैंने अपने साथियों, जिनमें से कुछ गणित शिक्षक नहीं थे, को संख्या रेखा पर संख्याएँ चिह्नित करने को कहा। फिर मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने यह कैसे किया। पूर्ण और परिमेय–सांत संख्याओं को दर्शाने की उनकी विधियाँ समान थीं, लेकिन परिमेय असान्त और अपरिमेय संख्याओं को चिह्नित करने की उनकी विधियाँ अलग–अलग थीं। उदाहरण के लिए, कुछ संख्याओं के लिए उन्होंने दशमलव का उपयोग किया, जबकि अन्य के लिए उन्होंने रचना का उपयोग किया। बाद में इस बारे में एक चर्चा हुई कि क्या इन संख्याओं को किसी संख्या रेखा पर ठीक–ठीक रखा जा सकता है, और कल्पना चित्रण के रूप में संख्या रेखा की क्या–क्या सीमाएँ हैं।

अपने सहकर्मियों को पहले इस कार्य को करने, और फिर उसके बारे में बताने के लिए कहने से मुझे अपने कक्षा 9 के विद्यार्थियों के लिए पाठ की योजना बनाने में बहुत मदद मिली। मैंने देखा कि मेरे सहकर्मियों ने एक–दूसरे को सुनकर सीखा। मैंने उन्हें नहीं बताया कि कैसे करना है। इसने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि क्या मेरे विद्यार्थी भी इसी तरह सीख पाएँगे? किस बात पर मैंने सोचा कि उनकी सीख कुछ अलग हो सकती है?

मैंने तय किया कि मैं चाहूँगा कि मेरे विद्यार्थी भी अपनी सहपाठियों से सीखें, ताकि वे जान सकें कि कौन–कौन सी विधियाँ हैं और उनकी प्रभावशीलता और सीमाओं के बारे में सोच सकें, जैसा कि मेरे सहकर्मियों ने किया। इसका अर्थ यह हुआ कि मुझे यह पक्का करने के लिए ऐसी पाठ योजना ग्रहण करनी पड़ी कि उसमें ज्ञान के विनिमय का अवसर मिले, अर्थात मुझे समय साझाकरण की योजना बनानी पड़ी ।

इसलिए काम को स्वयं करके मुझे विश्वास हो गया था कि यह सीखने के अत्यधिक अवसरों वाला एक प्रेरक कार्य है। अपने सहकर्मियों को यह कार्य करने को कहने से मुझे मेरी कक्षा के साथ इसे आजमाने की मेरी आतुरता को शांत करने में मदद मिली। उनके जवाबों को सुनकर मैंने शिक्षण की अपनी मान्यताओं पर ही प्रश्न किए और मैं शिक्षण की भिन्न तकनीकों के बारे में सोचने को प्रेरित हुआ, ताकि साझा शिक्षण हो सके। अपने ’नए’ विचारों को आजमाने के लिए मैं कुछ नए पाठों की योजना भी बनाऊँगा।

विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

अधिक जानकारी के लिए, संसाधन 5, ’पाठों का नियोजन करना’ पढ़ें।

3 समानता और असमानता की गतिविधियाँ बनाना – मौजूदा अभ्यास में छोटे–छोटे बदलाव करना

नए शिक्षण विचारों के बारे में पढ़ना रोमांचक और वांछनीय हो सकता है, लेकिन यह मौजूद व्यवहारों में शामिल कैसे होगा? केस स्टडी के शिक्षकों की तरह, आप इस इकाई या अन्य स्रोतों से गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं और उन्हें अपने शिक्षण व्यवहारों में शामिल करने के लिए ग्रहण कर सकते हैं। कभी–कभी छोटे बदलाव भी शिक्षण की गुणवत्ता और निपुणता पर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं।

अगली गतिविधि एक नियोजन गतिविधि है, जो पाठ्यपुस्तक के उपयोग के मौजूदा व्यवहार में छोटे–छोटे बदलावों पर केंद्रित है। इसमें पाठ को तैयार करने के लिए थोड़ा अधिक समय लगता है, लेकिन इससे शिक्षण समय की अत्यधिक बचत होती है, क्योंकि पुस्तक के अभ्यासों का उपयोग अधिक दक्षता से होता है और ध्यान इस बात पर रहता है कि क्या सीखा जा सकता है। ,कुछ प्रश्न तैयार रखने से अच्छी शुरुआत होती है, जिससे विद्यार्थी समानता और असमानता पता कर पाएँगे। इन्हें आपकी मेज पर कागज के टुकड़े पर लिखकर रखा जा सकता है या दीवार पर लगाया जा सकता है। इन प्रश्नों का उपयोग किसी भी पाठ में किसी भी बिंदु पर बार–बार किया जा सकता है।

कुछ आसान लेकिन अच्छे प्रश्न ये हैं:

  • क्या समान है और क्या असमान है?
  • क्या आप ऐसा एक और प्रश्न बना सकते हैं?
  • क्या आप एक कठिन प्रश्न और एक आसान प्रश्न बना सकते हैं?
  • आपको कैसे पता?

गतिविधि 3: पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों को ग्रहण करने की योजना

जिस पाठ्यपुस्तक का आप उपयोग करते हैं, उसमें विभिन्न संख्या प्रणालियों में काम करने के अभ्यासों पर नजर डालें।

  • इन प्रश्नों में क्या समान है और क्या असमान है?
  • आप इन प्रश्नों में छोटे–छोटे बदलाव कैसे करेंगे ताकि ये आपको समानता और असमानता पता करने में मदद करें?
  • आप इन प्रश्नों को अपने विद्यार्थियों को कैसे बताएँगे, ताकि ये उन्हें समानता और असमानता पता करने में मदद करें?
  • आप इन पाठों को पढ़ाते समय उपयोग किए जाने वाले नोट्स बना लें। अपने विचारों को दूसरे शिक्षकों के साथ साझा करने से आप विभिन्न पाठों के लिए सुझावों की एक सूची बना पाएँगे।

आप संसाधन 6 में ग्रहण किए गए पाठ्यपुस्तक प्रश्नों का एक उदाहरण देख सकते हैं।

केस स्टडी 3: शिक्षक आनंद गतिविधि 3 के बारे में अपने विचार बताते हैं

मैं ग्रामीण क्षेत्र में माध्यमिक कक्षाओं को पढ़ाता हूँ, जहाँ हर कक्षा में लगभग 80 बच्चे होते हैं। कक्षा को पढ़ाने से पहले आमतौर पर मैं किसी अध्याय के किसी विशेष अभ्यास में दिए प्रश्नों पर सावधानीपूर्वक एक नजर डालता हूँ। गतिविधि में बताई विधि से मैंने कभी भी प्रश्नों पर विचार नहीं किया। यह बहुत साधारण लगा। मैंने अधिक ध्यान देने की अपेक्षा नहीं की थी, क्योंकि मुझे लगा कि पुस्तकें अच्छी हैं और विद्यार्थियों के सामने गणितीय विचारों को धीरे–धीरे, चरण दर चरण प्रस्तुत करती हैं। हालाँकि मुझे बार–बार इस बात से चिढ़ होती है कि विद्यार्थियों को यह याद रखने में कठिनाई होती है कि पिछले पाठ में, पिछले सप्ताह, पिछले माह या पिछले वर्ष उन्होंने क्या पढ़ा था और अक्सर वे परीक्षा में भी वैसा नहीं कर पाते जैसा मैं उनसे अपेक्षा करता हूँ! उन्होंने विभिन्न संख्या प्रणालियों के बीच के अंतर पर ध्यान क्यों नहीं दिया, कुछ उदाहरण दें?

तो इस अवसर पर, मैंने NCERT की कक्षा 9 के लिए अध्याय ’संख्या प्रणाली’ को देखा, विशेष रूप से अभ्यास 9.3। मैंने इस बारे में सोचा कि इन प्रश्नों में क्या समान है और क्या अलग–अलग हैः मैंने ध्यान दिया कि प्रश्न 1 में भिन्नात्मक रूप से दशमलव रूप में रूपांतरण है; प्रश्न 3 में इसका ठीक उल्टा पूछा गया है। मैंने एक छोटा सा बदलाव करने के बारे में सोचा और इन दोनों प्रश्नों को मिला दिया। दो अलग–अलग प्रश्नों के बजाय, जिनके बीच अन्य प्रश्न भी था, विद्यार्थियों को अब 65/100 और 13/99 को दशमलव रूप में और फिर दशमलव रूपों को वापस भिन्नात्मक रूप में बदलने को कहा गया। मैंने सोचा कि इससे उन्हें दशमलव और भिन्नों की अवधारणाओं को जोड़कर देखने, संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी और वे इन दोनों अवधारणाओं के बारे में अलग–अलग नहीं सोचेंगे।

यह स्थिति वास्तव में दिखाई दी। इससे अधिक, विद्यार्थियों को यह प्रश्न पूछकर कि ’क्या समान है, क्या अलग है?’ और ’आपको कैसे पता?’, सान्त और असान्त दशमलवों में समानता और अंतर पहचान पा रहे थे, और यह व्याख्या कर पा रहे थे कि वे कैसे अलग हैं।

प्रतिफल के रूप में, मैंने सोचा कि पाठ्यपुस्तक में दिए प्रश्नों पर एक आलोचनात्मक नजर डालना महत्वपूर्ण है। स्वयं से यह पूछकर कि ’क्या समानता है और क्या अंतर है?’ मैं प्रश्नों की संरचना में अंतर और उनके द्वारा दिए जाने वाले शिक्षण अवसर देख सकता था।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उन दो विषयों पर एक नोट बनाएँ जो आपको शीघ्र ही पढ़ाने हैं, जहाँ थोड़े से बदलाव के साथ उन विचारों का उपयोग किया जा सकता है।

4 सारांश

इस इकाई में इस शिक्षण का अन्वेषण किया गया है कि विभिन्न संख्या प्रणालियों में क्या समानता और अंतर हैं और जोड़, गुणा, घातांक आदि गणितीय संक्रियाएँ इनमें कैसे कार्य करती हैं। महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के रूप में NCF (2005) तथा NCFTE (2009) से शिक्षण की आवश्यकताओं का उपयोग किया गया। गणितीय पाठों को रोचक, विद्यार्थी केंद्रित, विद्यार्थी सहभागी और गणित की समझ बढ़ाने वाले बनाने के लिए यह इकाई कल्पना चित्रण का उपयोग करके समानता और असमानता के कार्यों के शैक्षणिक तरीकों के विकास पर केंद्रित है। इस इकाई में इस बात की चर्चा भी की गई है कि किस प्रकार पाठ्यपुस्तक का उपयोग करके मौजूदा कक्षा शिक्षण में छोटे बदलावों की योजना किस प्रकार बनाई जा सकती है।

संसाधन

संसाधन 1: NCF/NCFTE शिक्षण आवश्यकताएं

इस इकाई की सीख नीचे बताई गई NCF (2005) और NCFTE (2009) की शिक्षण आवश्यकताओं से जुड़ी हैः

  • शिक्षार्थियों को उनके शिक्षण में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करें; रटन्त पद्धतियों से शिक्षण को दूर ले जाएं।
  • पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों से उनका आलोचनात्मक परीक्षण करते हुए जुड़ें, न कि बिना प्रश्न किए उन्हें ’दिया गया’ और स्वीकृत मान लें।
  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें, जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिसपर साथ मिलकर कार्य करें।
  • संबंध स्थापित करने, संरचनाएँ देखने, समस्याओं का पता लगाने, कथनों की सत्यता या असत्यता पर तर्क देने के लिए विद्यार्थियों को अमूर्त कल्पनाओं का उपयोग करने दें।

संसाधन 2: गतिविधि 1 के लिए कथनों की पूरी सूची

यहाँ पर उन कथनों की व्यापक (लेकिन समग्र नहीं) सूची दी गई है, जिनका उपयोग गतिविधि 1 के लिए किया जा सकता है। वह क्षेत्र (संक्रियाएँ, कौन सी संख्या प्रणालियाँ आदि) चुनें जिनपर आप अपने विद्यार्थियों से काम करवाना चाहेंगे। विद्यार्थियों से पूछा जाता है कि निम्न में से कौन से कथन ’हमेशा सत्य हैं’, ’कभी–कभी सत्य हैं’ या ’कभी सत्य नहीं हैं’ और उनसे इसका कारण बताने को कहा जाता है।

संवरक के गुण पर कार्य करना

  1. दो प्राकृत संख्याओं का योग/अंतर/गुणा/भाग एक प्राकृत संख्या होती है।
  2. दो पूर्ण संख्याओं का योग/अंतर/गुणा/भाग एक पूर्ण संख्या होती है।
  3. दो पूर्णांकों का योग/अंतर/गुणा/भाग एक पूर्णांक नहीं होता।
  4. दो परिमेय संख्याओं का योग/अंतर/गुणा/भाग एक परिमेय संख्या होती है।
  5. दो अपरिमेय संख्याओं का योग/अंतर/गुणा/भाग एक अपरिमेय संख्या होती है।
  6. दो वास्तविक संख्याओं का योग/अंतर/गुणा/भाग एक वास्तविक संख्या होती है।

व्युत्क्रमों पर कार्य करना

  1. अपरिमेय संख्याओं के ऐसे अनंत युग्म हैं, जिनका योग/गुणा 0 (या 1) होता है।
  2. परिमेय संख्याओं के ऐसे अनंत युग्म हैं, जिनका योग/गुणा 0 (या 1) होता है।
  3. पूर्णांकों के ऐसे अनंत युग्म हैं, जिनका योग/गुणा 0 (या 1) होता है।
  4. पूर्ण संख्याओं के ऐसे अनंत युग्म हैं, जिनका योग/गुणा 0 (या 1) होता है।
  5. पूर्ण संख्याओं का एक ऐसा युग्म है, जिनका योग/गुणा 0 (या 1) होता है।

दशमलव को दर्शाना

  1. किसी सान्त दशमलव को किसी पूर्णांक के शून्येतर पूर्णांक पर अनुपात के रूप में दिखाया जा सकता है।
  2. किसी असान्त दशमलव को किसी पूर्णांक के अशून्य पूर्णांक पर अनुपात के रूप में दिखाया जा सकता है।
  3. किसी पुनरावर्ती दशमलव को किसी पूर्णांक के अशून्य पूर्णांक पर अनुपात के रूप में दिखाया जा सकता है।
  4. किसी गैर–पुनरावर्ती दशमलव को किसी पूर्णांक के अशून्य पूर्णांक पर अनुपात के रूप में दिखाया जा सकता है।
  5. किसी परिमेय और अपरिमेय संख्या का योग एक पुनरावर्ती दशमलव होता है।
  6. दो वास्तविक संख्याओं का योग एक गैर–पुनरावर्ती, अनवसानी दशमलव होता है।
  7. किसी परिमेय और अपरिमेय संख्या का गुणा एक पुनरावर्ती दशमलव होता है।
  8. दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल एक दोहराव रहित, समाप्ति रहित दशमलव होता है।
  9. किसी परिमेय और अपरिमेय संख्या का गुणा एक पुनरावर्ती दशमलव होता है।
  10. दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल एक दोहराव रहित, समाप्ति रहित दशमलव होता है।

किसी संख्या रेखा पर संख्याओं का पता लगाना

  1. किसी संख्या रेखा पर किसी प्राकृत संख्या/पूर्णांक के सही–सही स्थान का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
  2. किसी संख्या रेखा पर किसी पूर्णांक के सही–सही स्थान का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
  3. किसी संख्या रेखा पर किसी परिमेय संख्या के सही–सही स्थान का निर्धारण किया जा सकता है।
  4. किसी संख्या रेखा पर किसी अपरिमेय संख्या के सही–सही स्थान का निर्धारण किया जा सकता है।
  5. किसी संख्या रेखा पर किसी वास्तविक संख्या के सही–सही स्थान का निर्धारण किया जा सकता है।
  6. दो प्राकृत संख्याओं का योग, किसी संख्या रेखा पर उन दोनों संख्याओं में से प्रत्येक के दाईं ओर होता है।
  7. दो पूर्णांकों का अंतर, किसी संख्या रेखा पर दोनों पूर्णांकों में से प्रत्येक के बाईं ओर होता है।
  8. दो वास्तविक संख्याओं का योग, किसी संख्या रेखा पर उन दोनों संख्याओं में से प्रत्येक के दाईं ओर होता है।
  9. दो पूर्णांकों का भागफल किसी संख्या रेखा पर उन दोनों पूर्णांकों में से प्रत्येक के बाईं ओर होता है।
  10. किसी संख्या रेखा पर दो वास्तविक संख्याओं के बीच अनंत वास्तविक संख्याएँ होती हैं।
  11. किसी संख्या रेखा पर दो वास्तविक संख्याओं के बीच परिमित प्राकृत संख्याएँ होती हैं।
  12. किसी संख्या रेखा पर दो परिमेय संख्याओं के बीच अनंत अपरिमेय संख्याएँ होती हैं।
  13. दो पूर्ण संख्याओं के बीच कम से कम एक पूर्ण संख्या होती है।

चरघातांकन

  1. यदि a एक प्राकृत संख्या/पूर्णांक है तो a2 भी प्राकृत संख्या होती है।
  2. हर वास्तविक संख्या के लिए a2 धनात्मक संख्या होती है।
  3. संख्या ab, a तथा b दोनों से बड़ी होती है।

संसाधन 3: ’कार्ड’ स्वरूप में गतिविधि 1

इस संसाधन में गतिविधि 1 के कथन इस रूप में प्रस्तुत किए गए हैं, जिन्हें कागज या कार्ड पर मुद्रित करके काटा जा सकता है। इन छोटे–छोटे कार्डों को फिर विद्यार्थियों को यादृच्छिक रूप से कार्य करने के लिए दिया जा सकता है। उन्हें लंबी गतिविधि के रूप में उपयोग किया जा सकता है, या पाँच या दस मिनट की छोटी गतिविधि के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

चित्र R2.1 कार्ड स्वरूप में गतिविधि 1 के कथन।

संसाधन 4: संख्या प्रणालियाँ और उनके गुणधर्म

तालिका R4.1 में विभिन्न संख्या प्रणालियों में संख्याओं पर संक्रियाओं के गुणधर्म की रूपरेखा दी गई है। आप अपने विद्यार्थियों से ’हाँ’ या ’नहीं’ भरने को कह सकते हैं।

तालिका R3.1 संख्या प्रणालियाँ और उनके गुणधर्म।
संख्याओं पर संक्रियाओं के गुणसंख्या प्रणाली
प्राकृतपूर्णपूर्णांकपरिमेयअपरिमेयवास्तविक
योग के अंतर्गत बंदः यदि a, b किसी समुच्चय में शामिल हैं, तो a + b भी समुच्चय में शामिल होगा।हाँहाँहाँहाँनहींहाँ
योज्य तत्समकः किसी समुच्चय के भाग के लिए, समुच्चय में z एक संख्या होती है, जैसे a + z = a। नहींहाँहाँहाँनहींहाँ
योज्य व्युत्क्रमः समुच्चय में हर संख्या a के लिए, समुच्चय में एक अन्य संख्या –a होती है जैसे a + (− a) = z।नहींनहींहाँहाँनहींहाँ
गुणन के अंतर्गत बंद यदि a, b किसी समुच्चय में शामिल हैं, तो a × b भी समुच्चय में शामिल होगा।हाँहाँहाँहाँनहींहाँ
गुणात्मक तत्समकः किसी समुच्चय के भाग के लिए, समुच्चय में u एक संख्या होती है, जैसे a × u = a.।हाँहाँहाँहाँनहींहाँ
गुणात्मक व्युत्क्रमः समुच्चय में हर संख्या a के लिए, समुच्चय में एक अन्य संख्या a−1 होती है जैसे a × a−1 = u.।नहींनहींनहींहाँनहींहाँ

संसाधन 5: पाठों का नियोजन करना

अपने पाठों का नियोजन और उनकी तैयारी क्यों महत्वपूर्ण है

अच्छे अध्यायों की योजना बनानी होती है। नियोजन आपके अध्यायों को स्पष्ट और सुसामयिक बनाने में मदद करता है, जिसका अर्थ यह है कि आपके विद्यार्थी सक्रिय और आकृष्ट बने रह सकते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है ताकि अध्यापक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों की शिक्षण–प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। अध्यायों की श्रंखला के लिए योजना पर काम करने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व–शिक्षण को जानना, पाठ्यक्रम में से आगे बढ़ने के क्या अर्थ है, और विद्यार्थियों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है।

नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग–अलग अध्यायों और साथ ही, एक के ऊपर एक विकसित होते अध्यायों की श्रंखला, दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। अध्याय के नियोजन के चरण ये हैं:

  • अपने विद्यार्थियों की प्रगति के लिए आवश्यक बातों के बारे में स्पष्ट रहना
  • तय करना कि आप कौन से ऐसे तरीके से पढ़ाने जा रहे हैं जिसे विद्यार्थी समझेंगे और आपको जो पता लगेगा उसके प्रति अनुक्रिया करने के लचीलेपन को कैसे बनाए रखेंगे
  • पीछे मुड़कर देखना कि अध्याय कितनी अच्छी तरह से चला और आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा ताकि भविष्य के लिए योजना बना सकें।

अध्यायों की श्रंखला का नियोजन करना

जब आप किसी पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं, तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय। आपको विद्यार्थियों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ चर्चा से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार अध्याय लगेंगे, लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत रहना चाहिए कि आप भविष्य में उस सीख पर अलग तरीकों से और अलग अलग समयों पर तब लौट सकते हैं, जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा।

सभी पाठों की योजनाओं में आपको निम्न बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगाः

  • विद्यार्थियों को आप क्या पढ़ाना चाहते हैं
  • आप उस शिक्षण का परिचय कैसे देंगे
  • विद्यार्थियों को क्या और क्यों करना होगा।

आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेंगे ताकि विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा ताकि आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रंखला में से प्रगति करेंगे तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेंगे। यदि कुछ भागों को अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें।

अलग–अलग पाठों की तैयारी करना

पाठों की श्रंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा जो विद्यार्थियों ने उस बिंदु तक की है। आप जानते हैं या पाठों की श्रंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा, लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए हर पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा सम्मिलित महसूस करें।

पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और कि सभी संसाधन तैयार हैं, जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड़ सकती है।

जब आप नए विषय पढ़ाते हैं, आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिए समय की जरूरत पड़ सकती है।

तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।

1 परिचय

पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे और करेंगे, ताकि हर एक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है। विद्यार्थी जो पहले से ही जो जानते हैं उन्हें उसे साझा करने की अनुमति देकर वे जो करने वाले हों उसमें उनकी दिलचस्पी पैदा करें।

2 पाठ का मुख्य भाग

विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समूहकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। उपयोग करने के लिए संसाधनों और उस तरीके की पहचान करें जिससे आप अपनी कक्षा में उपलब्ध स्थान का उपयोग करेंगे। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न विधियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँच पाएँगे, क्योंकि वे विभिन्न तरीकों से सीखेंगे।

3 शिक्षण की जाँच करने के पाठ की समाप्ति

हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए – जैसे नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते देखना – लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए।

पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई उनकी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपको पता रहे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है।

पाठों की समीक्षा करना

हर पाठ का पुनरावलोकन करें और इस बात दर्ज करें कि आपने क्या किया, आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा, किन संसाधनों का उपयोग किया गया और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ ताकि आप अगले पाठों के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए, आप निम्न का निर्णय कर सकते हैं:

  • गतिविधियों में बदलाव करना
  • खुले और बंद प्रश्नों की एक श्रंखला तैयार करना
  • जिन विद्यार्थियों को अतिरिक्त सहायता चाहिए उनके साथ अनुवर्ती सत्र आयोजित करना।

सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे या अधिक बेहतर कर सकते थे।

जब आप हर पाठ में से गुजरेंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप हर होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ है कि आप जानते हैं कि आप शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं और इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने को तैयार रहेंगे।

संसाधन 6: गतिविधि 3 के उदाहरण

अनुकूलन अभ्यास 1.6 (NCERT की कक्षा 9 की पाठ्यपुस्तक, अध्याय 1 का पृ. 26)

अभ्यास 1.6

1. पता लगाएँ: (i) (ii) (iii)
2. पता लगाएँ: (i) (ii) (iii) (iv) 125 times negative one divided by three
3. सरल करें: (i) two times two divided by three postfix times postfix times(ii) open one divided by three cubed close super seven(iii) divided by(iv) postfix times .8 times one divided by two

अपने विद्यार्थियों को यह अतिरिक्त प्रश्न पूछकर अनुकूलन करें:

  • इन प्रश्नों को हल करने की विधियों में क्या समान है और क्या अलग–अलग है?
  • ऊपर दिए प्रश्न 1, 2 और 3 के लिए दो अतिरिक्त भाग बनाएँ। इन प्रश्नों में से एक आसान और एक कठिन होना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप स्वयं हल कर सकते हों!

अनुकूलन अभ्यास 1.2, प्रश्न 1 (NCERT की कक्षा 9 की पाठ्यपुस्तक, अध्याय 1 का पृ. 8)

अभ्यास 1.2

  1. बताएँ कि ये कथन सही हैं या गलत। अपने उत्तरों का कारण बताएँ।
    • i.हर अपरिमेय संख्या एक वास्तविक संख्या होती है।
    • ii.संख्या रेखा पर हर बिंदु Square root of m,

      रूप का होता है, जहाँ m एक प्राकृतिक संख्या है।

    • iii.हर वास्तविक संख्या एक अपरिमेय संख्या होती है।

अपने विद्यार्थियों को यह अतिरिक्त प्रश्न पूछकर इस अभ्यास का अनुकूलन करें:

  1. आप कैसे जानते हैं कि आप सही हैं?
  2. प्रश्न 1 के लिए आपके सही उत्तरों के उल्टे उत्तर अपने साथी के साथ आजमाएँ और उन्हें विश्वास दिलाएँ।

अतिरिक्त संसाधन

References

Dewey, J. (1967) Democracy and Education. New York, NY: The Free Press.
Dörfler, W. (1991) ‘Meaning: image schemata and protocols: plenary lecture’, in Furinghetti, F. (ed.), Proceedings of PME XV, Vol. I, pp. 95–126.
National Council of Educational Research and Training (2005) National Curriculum Framework (NCF). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2009) National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE). New Delhi: NCERT.
Papert, S. (1980) Mindstorms: Children, Computers, and Powerful Ideas. New York, NY: Basic Books.
Watson, A., Jones, K. and Pratt, D. (2013) Key Ideas in Teaching Mathematics. Oxford: Oxford University Press.
Van Hiele, P. (1986) Structure and Insight: A Theory of Mathematics Education. Orlando, FL: Academic Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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