Skip to main content
Printable page generated Wednesday, 8 May 2024, 11:48 PM
Use 'Print preview' to check the number of pages and printer settings.
Print functionality varies between browsers.
Unless otherwise stated, copyright © 2024 The Open University, all rights reserved.
Printable page generated Wednesday, 8 May 2024, 11:48 PM

दृश्यवालोकनों का उपयोग करना :बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ

यह इकाई किस बारे में है

बीजगणितीय सर्वसमिका, गणितीय पाठ्यचर्या और गणित में सामान्यतः एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय माध्यमिक विद्यालयों की कक्षा 9 की पाठ्यचर्या में समीकरणों और बहुपदों को हल करने के लिए आठ प्रकार की सर्वसमिकाओं का उपयोग किया जाता है। इन सर्वसमिकाओं को जानने और पहचानने से विद्यार्थियों को गणितीय प्रक्रियाओं को जानने में मदद मिलेगी। यह उन्हें इन प्रक्रियाओं को बीजगणितीय युक्तियों और समस्या हल लागू करते समय सरलता एवं दक्षता विकसित करने में भी सक्षम बनाएगा। सर्वसमिकाओं की शक्ति का पूरी तरह उपयोग करने के लिए, बीजगणितीय सर्वसमिकाओं में उतार–चढ़ाव को पहचानने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है। सर्वसमिकाओं को सीखते और लागू करते समय मुख्य समस्या यह है कि अधिकांश विद्यार्थियों के लिए यह काम बस याद रखने, जस का तस, लिखने या सुनाने का प्रश्न होता है।

इस इकाई में दृश्य निरूपणों का उपयोग करके कुछ विभिन्न तरीके बताए जाएँगे, जिनका उपयोग आप अपने विद्यार्थियों के साथ उनकी बीजगणितीय सर्वसमिका सीखने में मदद करने के लिए कर सकते हैं। ये तरीके याद रखने पर कम भरोसा करते हैं और इसके बजाय सर्वसमिकाओं की अवधारणाओं की समझ विकसित करते हैं।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • आपके विद्यार्थियों को सर्वसमिकाओं के निर्माण की खोज करने और उनका पता लगाने में मदद के लिए चित्रों का किस प्रकार उपयोग करें।
  • कुछ विचार कि स्मृति पर निर्भर किए बिना किस प्रकार सर्वसमिकाओं का उपयोग करें और उन्हें कैसे लागू करें।
  • गणित हल करने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने विद्यार्थियों को अनुमति देने हेतु वर्तमान कार्यों को किस प्रकार समायोजित करें।

इस यूनिट का संबंध संसाधन 1 में दर्शाई गई NCF (2005) और NCFTE (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।

1 याद रखते हुए सीखना

याद रखते हुए सीखना, या रटना, दोहराव पर आधारित एक शिक्षण तकनीक है।

शिक्षण के इस तरीके के समर्थन में कई तर्क हैं: एक यह है कि गणित में कुछ तथ्यों का तुरंत याद आना गणित के अन्य विषयों में निपुण बनने के लिए आवश्यक है।

कई विद्यार्थियों को अपना ’टाइम टेबल’ रटकर याद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि सवालों को हल करते समय वे 6 × 7 जैसी अपेक्षाकृत सरल गणनाएँ करने में समय व प्रयास न लगाएँ – विशेष रूप से जब उनके पास कैल्क्यूलेटर न हो। टाइम टेबल को कंठस्थ याद रखने से उन्हें संख्याओं का बेहतर बोध भी प्राप्त होता है; उदाहरण के लिए, संख्याओं के परिमाण का और इस बात का कि संख्याएँ किस प्रकार संबंधित हैं या गुणज और भिन्न क्या हैं। इसी प्रकार के तर्कों का उपयोग याद रखते हुए बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को सीखने के लिए भी किया जा सकता है।

हालाँकि, याद रखने की शिक्षण तकनीक के विरोध में भी कई तर्क हैं (डी मॉर्गन, 1865; मॉर्टन एंड बूथ, 1997)। इनमें से एक तर्क ’पहुंच’ के बारे में है। विद्यालय में अपनी कम उपस्थिति, आवश्यक अभ्यास के लिए समय या अवसर की कमी, या समय पर वापस याद ला पाने की कमजोरी के कारण सभी विद्यार्थियों को याद रखने की तकनीक से लाभ नहीं मिलता। डिसलेक्सिया जैसी विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों को इससे बहुत नुकसान होता है।

एक अन्य तर्क इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि याद रखने की तकनीक से क्या–क्या याद रखा जा सकता है। याद रखने की तकनीक बोध पर केंद्रित नहीं है या समझ का निर्माण नहीं करती; न ही यह अवधारणाओं की गहराई से व्याख्या का समर्थन करती है, और इस बात का भी नहीं कि किस प्रकार वे गणित के अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं। यह याद रखने और उनकी यथावत् पुर्नप्रस्तुति पर केंद्रित है, जो कि किसी विषय के उन अधिक जटिल पहलुओं का अध्ययन करते समय समस्याप्रद हो सकता है (जैसे सूत्र या एल्गोरिथ्म) जिनमें कई चरण शामिल होते हैं। याद रखने से अर्थ की समझ नहीं आती, जिसका अर्थ है कि तत्व छूट जाते हैं, विवरण अव्यवस्थित हो जाते हैं, तनाव बढ़ जाता है और परीक्षा असफल हो सकती है।

याद रखते हुए सीखने का अनुभव अक्सर रोचक नहीं होता; इसे अपनी दोहराई जाने वाली प्रकृति और समझ व संबंध स्थापित करने पर ध्यान की कमी के कारण अरुचिकर भी माना जा सकता है। विद्यार्थी अभ्यासों को यांत्रिक रूप से ’पूरा’ करते हैं, जिसमें उनके दिमाग का उपयोग कम से कम होता है। यह सभी विद्यार्थियों के लिए समस्याप्रद होता है। (अच्छे अंक लाने वाले तेज विद्यार्थियों सहित)। गणित सीखते समय उबाऊपन, चिन्तन की बहुत कम आवश्यकता और संबंध स्थापित करने व गणित को अर्थ देने के कार्य के अवसर की कमी से यह विधि सीखने वालों के लिए विषय को समझना और उसका आनंद लेना कठिन बना देती है।

विचार के लिए रुकें

  • याद रखने की तकनीक द्वारा सीखने के बारे में आपके क्या विचार हैं? क्या आपको लगता है कि यह हमेशा अच्छी तरह काम करती है, कभी–कभी करती है, या अक्सर नहीं करती?
  • याद रखते हुए गणित सीखने का आपका अनुभव कैसा रहा?
  • अपने किसी एक ऐसे विद्यार्थी के बारे में सोचें जो अच्छी तरह याद कर लेता है, और एक ऐसे विद्यार्थी के बारे में सोचें जिसे परेशानी होती है। उनके बारे में कौन सी बातें एक जैसी हैं और कौन सी बातें अलग–अलग?

2 बीजगणितीय सर्वसमिकाओं की समझ विकसित करने के लिए मानसिक चित्रण

मानसिक चित्रण सीखने के लिए स्मृति पर कम भरोसा करने का एक प्रभावी तरीका है। मानसिक चित्रण का मतलब है किसी चीज़ का चित्र अपने मन में देखना। अलग–अलग लोग चीज़ों को हमेशा एक ही नजर से नहीं ’देखेंगे’, लेकिन ’दृश्य चिंतन’ आपके विद्यार्थियों में समझ के निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है (Dörfler, 1991)।

मानसिक चित्रण को अपेक्षाकृत रूप से सरल संक्रियाओं द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, गुणा को ऐसी गुणन तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जो कि क्षेत्रफल के समान हो। (गुणन को दर्शाने के अन्य तरीके भी हैं।)

7 × 3 के गुणन को सात गुणा तीन वर्गों के क्षेत्र द्वारा दिखाया जा सकता है (चित्र 1)। इस चित्र से यह भी स्पष्ट है कि गुणा विनिमेय होता है – अर्थात 7 × 3 का गुणनफल वही होता है जो 3 × 7 का होता है।

चित्र 1 योग 7 × 3 के लिए गुणन तालिका।

इसलिए 7 × 3 और 3 × 7 बराबर होता है, अर्थात 21। इसे ऐसे लिखा जा सकता हैः

7 × 3 ~ 3 × 7 ~ 21।

गुणन का प्रदर्शन आपके विद्यार्थियों की गुणा के किसी सवाल को समझने में मदद कर सकता है, क्योंकि किसी बड़े आयत के क्षेत्र को छोटे आयतों के क्षेत्रों में आसानी से विभाजित किया जा सकता है। उपयोग की गई संख्याओं के अनुपात में क्षेत्र मॉडल नहीं बनाना अच्छा होता हैः यह अधिक अमूर्त प्रतिरूपणों को उभारता है और ऋणात्मक संख्याओं को दर्शाने के मानसिक विकास को कम कठिन बनाता है। चूँकि ऋणात्मक क्षेत्र बनाना संभव नहीं है, इसलिए इस प्रकार के निरूपण को ’गुणन तालिका’ कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, 24 × 13 को चित्र 2 में गुणन तालिका द्वारा दर्शाया जा सकता है। इस प्रकार 24 × 13 ~ (20 + 4) × (10 + 3) ~ 200 + 40 + 60 + 12 ~ 312।

चित्र 2 24 × 13 के लिए गुणन तालिका।

एक अन्य उदाहरण में, 192 को चित्र 3 में गुणन तालिका द्वारा दर्शाया जा सकता है। इस प्रकार 192 ~ (20 – 1) × (20 – 1) ~ 400 – 20 – 20 + 1 ~ 361।

चित्र 3 192 के लिए गुणन तालिका।

यह वियोजन मॉडल बड़ी संख्याओं के गुणनफल प्राप्त करने या बीजगणित वाले गुणा के लिए बहुत उपयोगी होता है। बीजगणित वाला एक साधारण उदाहरण 3(a – b) है, जैसा कि चित्र 4 में दिखाया गया है।

अतः 3(a – b) ~ 3 a – 3 b।

चित्र 4 3(a – b) के लिए एक गुणन तालिका।

आपने ध्यान दिया होगा कि इन उदाहरणों में कभी–कभी बराबर के चिह्न (=) के स्थान पर समतुल्यता का चिह्न (~) उपयोग किया गया है, जो समान रूप से मान्य होगा। समतुल्यता का चिह्न गणित को कुछ स्वतंत्रताएँ, आनंद दे सकता है, विशेष रूप से जब चिह्न को ’बराबर है’ के स्थान पर ’कहने का एक अन्य तरीका’ के रूप में पढ़ा जाए।

गुणा को गुणन तालिका के रूप में देखकर गतिविधि 1 विद्यार्थियों की मानसिक चित्रण में सहायता करेगी। इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहयोगी के साथ करें, क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी।

स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो परोक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो केस स्टडी 1 पढ़ें और अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको छात्रों को केन्द्रित करने वाले बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: गुणन तालिकाएँ बनाना

अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि कई उदाहरण दिखाने वाली गुणन तालिकाओं को कैसे बनाएँ। मदद के लिए आप केस स्टडी 1 से विचारों का उपयोग कर सकते हैं।

फिर इन सवालों को बोर्ड पर लिखें:

  • (105)2
  • (14.3)2
  • 4(99)
  • 982
  • 7(t + r)
  • (r + q)(s - r)

इन सभी सवालों के लिए, अपने विद्यार्थियों से यह करने के लिए जोड़ी बनाकर काम करने को कहें:

  • a.सवाल को एक गुणन तालिका के रूप में मॉडल करें
  • b.यदि उपयुक्त हो, तो क्षेत्र को छोटे–छोटे क्षेत्रों में वियोजित करें
  • c.(a) और (b) के अपने जवाबों का उपयोग करते हुए इन गणनाओं के गुणन पर काम करें।

पाठ के बाद , ’ विचार के लिए रुकें ’ में दिए संकेतों का उपयोग पाठ में अपने शिक्षण का मूल्यांकन करने के लिए करें।

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती अपराजिता बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है, जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

इस गतिविधि पर काम शुरू करने से पहले हमने इस बात पर चर्चा की कि वर्ग या गुणा की गई किसी संख्या को एक क्षेत्रफल मॉडल द्वारा कैसे दिखाया जा सकता है, उस तरीके की नकल करते हुए जो मैंने इस इकाई को पढ़कर सीखा है। मैंने 5 × 6 जैसी छोटी संख्याओं से शुरू किया और फिर 56 × 64 और 65 × 115 ली। अनूप ने प्रश्न 65 × 115 = 65(100 + 10 + 5) के लिए बंटन गुणा का उपयोग करने का विचार किया, और इसलिए उसने इसपर आगे काम करते हुए इसे एक–गुणा–दो की तालिका द्वारा दिखाया [चित्र 5]।

चित्र 5 सवाल 65 × 115 के लिए गुणन तालिका।

फिर हमने अन्य गुणन समस्याएँ आजमाईं। लगभग पूरा काम उन्होंने स्वयं ही किया, लेकिन थोड़ी–थोड़ी देर में मुझे वे अपने पड़ोसी के काम पर नजर डालते दिखाई दे रहे थे। उन्होंने अधिकांश काम अच्छे से कर लिया था। दशमलव के प्रश्न में, उनमें से अधिकांश ने इसे 14 + 0.3 के रूप में बंटित किया। मैंने उन्हें पूछा कि क्या अब उन्हें ये आसान लगता है, तो उनमें से कुछ ने कहा कि नहीं, तो मैंने उन्हें बताया कि वे तीन गुणा तीन की तालिका बनाने के लिए अधिक वियोजन पर विचार कर सकते हैं।

जब वे 982 पर आए, तो जिन लोगों ने 90 + 8 का फैसला किया था उन्हें कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन जिन लोगों ने इसे 100 – 2 द्वारा दिखाने का फैसला किया था, वे जानना चाह रहे थे कि क्षेत्र ऋणात्मक कैसे हो सकता है। इस कारण गणित में निरूपण और मॉडलिंग पर एक जीवंत चर्चा हुई और इस बात पर भी कि विभिन्न लेबल लाने में यह क्यों मददगार हो सकता है। इस स्थिति में, किसी गुणन तालिका और क्षेत्र निरूपण के बीच भिन्नता और समानता। धनात्मक संख्याओं के साथ काम करते समय हमने अनुमान लगाया कि गुणन तालिका और क्षेत्र निरूपण समान होगा, लेकिन क्षेत्र मॉडल में आपको ऋणात्मक संख्याओं के साथ समस्याएँ आएँगी क्योंकि ऋणात्मक क्षेत्र वास्तव में होता ही नहीं। हालाँकि, हम जानते हैं कि गुणन ऋणात्मक हो सकता है, इसलिए हम इसे गुणन तालिका क्यों कहें!

मैं स्वयं 100 – 2 निरूपण में अधिक गहराई में नहीं गई, क्योंकि इससे इस इकाई के दूसरे भाग पर अच्छी चर्चा हुईः किसी गुणन तालिका में ऋणात्मक संख्याओं पर कैसे काम करें।

विचार के लिए रुकें

पाठ के बाद विचार करने के लिए कुछ अच्छे प्रश्न हैं:

  • आपकी कक्षा कैसी रही?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?

  • क्या आपको लगा कि आपको किसी समय हस्तक्षेप करना होगा?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

3 बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को गुणन की विशेष स्थितियों के रूप में देखा जाता है

विद्यार्थी बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को अक्सर कोई जादू या यथार्थ सत्य समझ लेते हैं। शायद ही उन्हें इस बात का बोध होता है कि ये सर्वसमिकाएँ कहाँ से आती हैं या यह कि वे गुणन की विशेष परिस्थितियाँ हैं।

सर्वसमिकाओं को याद करने की विद्यार्थियों की आदत का एक कारण यह है कि वे सर्वसमिका द्वारा चित्रित संबंध के साथ कोई तादाम्य स्थापित करने में विफल रहते हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि विद्यार्थी निम्न प्रकार के सर्वसमिकाओं को वापस याद करते समय सामान्य त्रुटियाँ करते हैं:

left parenthesis equation left hand side x minus y right parenthesis squared equals right hand side x squared minus y squared
equation left hand side open x minus y close squared equals right hand side sum with, 3 , summands x squared plus two times x times y plus y squared
equation left hand side open x minus y close squared equals right hand side x squared plus two times x times y minus y squared

भले ही यह देखना बहुत ही सरल है कि क्या दो कथन सही हैं (बस उन्हें चरों के कुछ मानों को सत्यापित करना होता है), विद्यार्थी ये गलतियाँ करना जारी रखते हैं। कभी–कभी विद्यार्थी इस बात से अंजान रहते हैं कि वे अपने कथनों को कितनी आसानी से सत्यापित कर सकते हैं। एक अन्य और अधिक गंभीर कारण यह है कि उन्होंने कभी भी इन कथनों के भौतिक (या ज्यामितीय) अर्थ को नहीं समझा।

इन सर्वसमिकाओं को समझने में अपने विद्यार्थियों की मदद करने के लिए आप पिछले अनुभाग में बताई गई मानसिक चित्रण तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं। गतिविधि 2 आपको अपने विद्यार्थियों की भिन्न–भिन्न सर्वसमिकाओं का मतलब स्वयं पता करने में मदद करने की विधि बताती है। यह काम बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के प्रतिमानों का पता लगाने, देखने और सामान्यीकृत करने पर केंद्रित है। अपनी समझ विकसित करने में मदद पाने के विचारों के बारे में बात करते समय विद्यार्थी किसी भागीदार के साथ काम करते हैं।

यह गतिविधि शुरू करने से पहले, यह पता कर लेना अच्छा होगा कि क्या आपके विद्यार्थी x + y और x − y की लंबाइयों को सही रूप में चित्रित कर लेते हैं। पहले वाले को समझना आसान है जबकि दूसरे वाले में थोड़ी अधिक मेहनत लगती है।

लंबाई ‘x + y’ का चित्रण

यदि सफेद भाग x है, और भूरा भाग y है, तो काला भाग x + y है। इसे ’भूरा’ भाग (x को दिखाने वाला) की लंबाई में सफेद भाग (y को दिखाने वाला) की जोड़ी गई लंबाई वही है जो काले भाग (x + y को दिखाने वाला) की है’ (चित्र 6 देखें)।

चित्र 6 x + y की लंबाई को दिखाना।

‘x – y’ की लंबाई को दिखाना

यदि सफेद भाग x है और भूरा भाग y है, तो काला भाग x − y है। इसे इस रूप में भी बताया जा सकता है कि ’सफेद भाग (x को दिखाने वाला) की लंबाई में से भूरा भाग (y को दिखाने वाला) को निकालने पर काला भाग (x − y को दिखाने वाला) बचता है’ (चित्र 7 देखें)।

चित्र 7 x – y को दिखाना।

गतिविधि 2: बीजगणितीय गुणनों की विशेष स्थितियों के रूप में बीजगणितीय सर्वसमिका

अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:

  1. अपने पड़ोसी को किसी गुणन तालिका के रूप में निम्न गणितीय व्यंजक बताएँ (आरेखित न करें या करके न बताएँ)। यह कैसा दिखाई देगा?
    • a.(x + y)2
    • b.(x + a)(x + b)
    • c.(x − y)2
    • d.(x − y)(x + y)
  2. अब हर व्यंजक का एक गुणन तालिका के रूप में निरूपण बनाएँ, जैसा कि आपने चरण 1 में बताया है।
  3. आपके द्वारा चरण 2 में बनाए गए क्षेत्रों को दिखाने वाले गणितीय व्यंजक को किसी भिन्न तरीके से लिखने का प्रयास करें।
  4. निम्न चार व्यंजकों में से हर एक के लिए चरण 1, 2 और 3 के अपने उत्तरों का अवलोकन करें और उनकी तुलना करें:
    • चरण 3 में आपको व्यंजक (a), (b), (c) और (d) के लिए कितने पद मिले?
    • ये पद किस तरह बने हैं?
    • इन व्यंजकों में क्या समानता है? क्या अलग है? पदों के संगत क्षेत्र बॉक्स में रंग भरना मददगार हो सकता है।
    • इस तरह से बीजगणितीय सर्वसमिका निकालने के नियम या विधि की व्याख्या करें, ताकि अन्य कक्षाओं के अन्य विद्यार्थी इस बारे में पढ़ सकें।

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 के उपयोग का अनुभव श्रीमती कपूर बताती हैं

चूँकि मुझे लगता था कि कुछ विद्यार्थी ऐसे होंगे, जिन्हें संख्या से बीजगणित पर जाने में परेशानी होगी, इसलिए हमने पहले प्रश्न, (x + y)2, को एक पूरी कक्षा की गतिविधि के रूप में किया। इस कारण, और गतिविधि 1 में विद्यार्थियों द्वारा पहले ही गुणन तालिकाएँ बना लिए जाने के कारण, विद्यार्थी चरण 1 और 2 को काफी आसानी से कर पाए।

चरण 3 के कारण समतुल्यता के महत्व के बारे में एक चर्चा हुई। संकलित पदों वाला कोई व्यंजक उस व्यंजक के बराबर हो सकता है, जहाँ पदों को अभी तक संकलित नहीं किया गया है – यह केवल थोड़ा अधिक उलझनभरा दिखाई ही देता है। मैंने उनसे पूछा कि क्या वे इसे और भी अधिक उलझनभरा दिखाने के लिए कोई विचार दे सकते हैं, तो उनके पास कई विचार थे! इस पर हम सभी को हँसी आई, जो बहुत अच्छी बात थी, विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए, जो सामान्य तौर पर चुपचाप रहते हैं और जिनके मन में गणित को लेकर कुछ उत्सुकता होती है, वे भी मुस्कुराएँ और अधिक सहज दिखाई दिए।

चरण 4 का अंतिम भाग कठिन साबित हुआ। कठिनाई इसे समझाने में नहीं थी, बल्कि ऐसा संक्षेप में करने में थी। जिन वर्णनों के साथ हमने समापन किया वे बिल्कुल सही नहीं थे, लेकिन विद्यार्थी और मैं उनसे खुश थे। हम सबने महसूस किया कि बेहतर बनने के लिए हमें स्वयं के वर्णन और विधियाँ लिखने का और अभ्यास करने की आवश्यकता है।

हमने (a + b + c)2 को शामिल करने के लिए प्रश्नों का विस्तार किया और पदों को विभिन्न चिह्न देकर प्रयास किया, और उन्हें आसानी से समाधान प्राप्त हो गए।

हमने यह भी तय किया कि (a + b)3 या (a − b)3 करने के लिए हम इसे दो भागों में कर सकते हैं, (a + b)(a + b)2 = (a + b)(a2 + 2ab + b2), और फिर इसे गुणन तालिका में रख सकते हैं।

विद्यार्थियों को बहुत खुशी हुई और उनमें इस तरह से काम करने का आत्मविश्वास जागा। एक विद्यार्थी ने कहा कि वह इतना चिंतामुक्त हो गया है कि वह अब अपनी याददाश्त विफल हो जाने पर बीजगणितीय सर्वसमिका को हल करके पता कर लेगा।

विचार के लिए रुकें

पाठ के बाद विचार करने के लिए कुछ अच्छे प्रश्न हैं:

  • आपकी कक्षा कैसी रही?
  • क्या सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया? या आपने कुछ ऐसे विद्यार्थी देखे जो इस काम में भाग नहीं ले रहे थे? आपने उन्हें अगले पाठ से कैसे जोड़ा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

4 पैटर्न पता करना और बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को समायोजित करना

गतिविधि 2 में, आपने अपने विद्यार्थियों के साथ गुणन और बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के चित्रों का विकास करने पर काम किया। आपके विद्यार्थी अब गुणन और बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के गुणनफल को प्राप्त करने के लिए सूत्र और एल्गोरिथम याद करने के बजाय उन्हें हल करके निकालने की विधियों से परिचित होंगे।

गणित में बीजगणितीय सर्वसमिकाओं को समझने की शक्ति न केवल उनके गुणनफल निकालने में सक्षम होना है, बल्कि (और शायद अधिक महत्वपूर्ण रूप से) इस बात में भी है कि जब वे आसानी से पहचाने जाने वाले रूप में न हो, तो उन्हें पहचानने में सक्षम हों। व्यंजकों को ’बदलने’ में सक्षम होना, ताकि उन्हें बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के भिन्नरूपों के रूप में लिखा जा सके, भी एक अत्यंत शक्तिशाली कौशल है।

गतिविधि 3 इस बात पर केंद्रित है। इसमें विद्यार्थियों को बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के संदर्भ में प्रतिमान पहचानने और व्यंजकों में फेरबदल करने के तरीके सक्रिय रूप से विकसित करने की आवश्यकता होती है।

गतिविधि 3: पैटर्न पहचानना

यह बीजगणितीय सर्वसमिकाओं के संदर्भ में पैटर्न पहचानने और गणितीय व्यंजकों में फेरबदल करने से संबंधित गतिविधि है।

अपने विद्यार्थियों से यह तय करने को कहें कि क्या नीचे दी गई हर गणना ’बीजगणितीय सर्वसमिका’ का एक उदाहरण है। वे अपनी पाठ्यपुस्तक में इन्हें देख सकते हैं:

  • 5.62 − 0.32 = 31.27
  • (x − 3)(x + 5) = x2 + 2x – 15
  • 118 × 123 = 14514
  • 25/4x2 – y2/9 = (5/2x + y/3)(5/2x – y/3)

केस स्टडी 3: गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव श्रीमती अग्रवाल बताती हैं

मैंने अपने विद्यार्थियों से बीजगणितीय गतिविधियों पर नजर डालने को कहा, ताकि उन्हें याद आ जाए कि वे किस बारे में हैं। उसके बाद, विद्यार्थियों ने दिए गए प्रश्नों को खुशी–खुशी सर्वसमिकाओं के साथ तुलना करना शुरू कर दिया। पहले वाले के लिए उन्होंने सही सर्वसमिका पहचाना, लेकिन सुमन और कुछ अन्य ने इसे 5.62 − 0.32 = (5.62 − 0.32) (5.62 + 0.32) के रूप में लिखा। मैंने सोचा कि उसकी गलती को अन्य विद्यार्थियों को बताना अच्छा होगा, ताकि वे सभी उसकी इस गलती से सीख ले सकें। इसलिए मैंने उसे बुलाया और ब्लैकबोर्ड पर इसे लिखने को कहा। एक बार, रवि ने पूछा ’ऐसा कैसे हो सकता है कि दाईं ओर [RHS] हमारे पास वही अभिव्यक्ति है, लेकिन फिर इसे दूसरे से गुणा किया जाता है?’ सुमन ने अपना काम तुरंत देखा और RHS के सूचकांक मिटा दिए, जिससे सही उत्तर मिला।

दूसरा वाला काफी आसानी से हो गया लेकिन तीसरे वाले के लिए कुछ बच्चों ने इसे 100 + 18 और 100 + 23 के रूप में अलग–अलग किया। इससे यह चर्चा निकली कि क्या वह पर्याप्त आसान था या इसे सरल बनाने का कोई और तरीका भी था। मुझे यह पसंद आया कि विद्यार्थी उत्तर प्राप्त करने के अलग–अलग तरीकों के बारे में सोच रहे थे।

कुछ विद्यार्थी आखिरी वाले को open five times times times four x minus y times nine close times open five times times times four x plus y times nine close.) के रूप में लिखना चाह रहे थे। इस सुझाव में सही और गलत क्या था, इस बात पर भी काफी चर्चा हुई। फिर मैंने उन्हें अपनी पाठ्यपुस्तक निकालने को कहा, ’अभ्यास करने’ के लिए नहीं बल्कि यह देखने के लिए कि क्या वे अब उन सर्वसमिकाओं को आसानी से पहचान सकते हैं, जिन्हें उन्हें उपयोग करना है।

आप मुख्य संसाधन ’ प्रगति और प्रदर्शन का मूल्यांकन ’ पर भी एक नजर डालना चाह सकते हैं।

विचार के लिए रुकें

पाठ के बाद विचार करने के लिए कुछ अच्छे प्रश्न हैं:

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

5 सारांश

यह इकाई जटिल व्यंजकों के साथ काम करना सुगम बनाने के लिए चित्रीय निरूपणों का उपयोग करने पर केंद्रित है। जब एक बार आपके विद्यार्थी क्षेत्र गणनाओं और विस्तार कोष्ठकों के बीच का संबंध समझ लेते हैं, तो उन्हें अपनी याददाश्त पर भरोसा करने के बजाय उन्हें हल करके पता करने का एक तरीका मिल जाता है। ये विचार विद्यार्थियों को अपने काम को एक अर्थ देने में सक्षम बनाते हैं और इसलिए उन्हें महसूस होता है कि ये विचार उनके अपने हैं।

इससे यह भी पता चलता है कि विद्यार्थी यह पूछते हुए इन विचारों के साथ खेलते हैं कि ’क्या होगा यदि इसे इस तरीके के बजाय दूसरे तरीके से किया जाए, या इसे कम के बजाय अधिक अस्तव्यस्त बनाया जाए?’ इससे याददाश्त की आवश्यकता वाली कुछ चिंताओं से मुक्ति मिलती है और विद्यार्थियों को सीखी गई बातें अधिक आसानी से याद रखने में मदद मिलती है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि जब विद्यार्थी याददाश्त से सर्वसमिकाओं को पुनः तैयार कर सकते हैं, तो वे गणितीय समस्याओं को अधिक सरलता से हल कर सकते हैं। लेकिन अक्सर वे याददाश्त के बारे में बहुत चिंतित होते हैं, वे ऐसी सरलता नहीं ला पाते।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उन दो विषयों पर एक नोट बनाएँ जो आपको शीघ्र ही पढ़ाने हैं, जहाँ थोड़े से बदलाव के साथ उन विचारों का उपयोग किया जा सकता है।

संसाधन

संसाधन 1: NCF/NCFTE शिक्षण आवश्यकताएं

यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगाः

  • विद्यार्थियों को गणित को सूत्रों और यांत्रिक प्रक्रियाओं से परे देखने दें।
  • शिक्षार्थियों को उनके शिक्षण में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करें; रटन्त पद्धतियों से शिक्षण को दूर ले जाएँ।

  • पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों से उनका आलोचनात्मक परीक्षण करते हुए जुड़ें, न कि बिना प्रश्न किए उन्हें ’दिया गया’ और स्वीकृत मान लें।

  • संबंध स्थापित करने, संरचनाएँ देखने, समस्याओं का पता लगाने, कथनों की सत्यता या असत्यता पर तर्क देने के लिए विद्यार्थियों को अमूर्त कल्पनाओं का उपयोग करने दें।

अतिरिक्त संसाधन

References

De Morgan, A. (1865) ‘A speech of Professor De Morgan, President, at the first meeting of the London Mathematical Society’, Proceedings of the London Mathematical Society, Vol.1 (1866), pp. 1–9.
Dörfler, W. (1991) ‘Meaning: image schemata and protocols – plenary lecture’, in Furinghetti, F. (ed.) Proceedings of PME XV, Vol. I, pp. 95–126.
Marton, F. and Booth, S. (1997) Learning and Awareness. Mahwah, NJ: Erlbaum.
National Council of Educational Research and Training (2005) National Curriculum Framework (NCF). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2009) National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2012a) Mathematics Textbook for Class IX. New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2012b) Mathematics Textbook for Class X. New Delhi: NCERT.
Skemp, R. (1976) ‘Relational understanding and instrumental understanding’, Mathematics Teaching, vol. 77, pp. 20–26.
Van Hiele, P. (1986) Structure and Insight: A Theory of Mathematics Education. Orlando, FL: Academic Press.
Watson, A., Jones, K. and Pratt, D. (2013) Key Ideas in Teaching Mathematics. Oxford: Oxford University Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन–शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है, जब तक कि अन्यथा निर्धारित न किया गया हो। यह लाइसेंस TESS-India, OU और UKAID लोगो के उपयोग को वर्जित करता है, जिनका उपयोग केवल TESS-India परियोजना के भीतर अपरिवर्तित रूप से किया जा सकता है।

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।