Skip to main content
Printable page generated Friday, 26 April 2024, 10:41 AM
Use 'Print preview' to check the number of pages and printer settings.
Print functionality varies between browsers.
Unless otherwise stated, copyright © 2024 The Open University, all rights reserved.
Printable page generated Friday, 26 April 2024, 10:41 AM

शब्दावली अभिनीत करना और प्रश्न पूछना: वृत्त का अन्वेषण करना

यह इकाई किस बारे में है

वृत्त हमारे आस-पास सभी जगह हैं। वृत्त एक ऐसा आकार है, जिस पर हम अपने जीवन में बहुत निर्भर हैं: पहिये वृत्ताकार होते हैं, और इसी प्रकार भोजन की थालियाँ, कप, बोतलों के ढक्कन, डीवीडी और मशीनों के दाँते भी वृत्ताकार होते हैं। हम ‘जीवन चक्र’ और ‘गोल घूमने’ जैसी अभिव्यक्तियों को भी वृत्त की चित्र से दिखाते हैं। हम वृत्त में बैठते हैं, वृत्ताकार चपातियाँ खाते हैं और वृत्ताकार डिब्बों में भोजन परिरक्षित रखते हैं; हम वृत्ताकार पहियों वाली साइकिलें व कारें भी चलाते हैं।

इस प्रकार हम कम उम्र से ही - वृत्ताकार वस्तुओं के साथ काम करके, खेलकर या उनके बारे में बातें करके वृत्तों से परिचित रहते हैं।

विद्यार्थी वृत्तों व उनकी विशेषताओं की सहज समझ के साथ ही विद्यालय में आते हैं। यह यूनिट पता लगाएगा कि विद्यार्थियों का ध्यान अन्तर आरै समानता की महत्वपूर्ण गणितीय धारणाओं की ओर आकृषट करने के लिए कैसे ‘अच्छे’ प्रश्न पूछकर उस सहज ज्ञान का उपयोग प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इससे आपके विद्यार्थियों को संकल्पनाओं की बेहतर सैद्धान्तिक समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • वृत्तों से संबद्ध ज्यामितीय सिद्धांत की बेहतर समझ विकसित करने के लिए अपने विद्यार्थियों के सहज ज्ञान का उपयोग कैसे करें।
  • वृत्त ज्यामिती में अन्तर और समानता पर काम करने के लिए कार्ययोजना बनाना।
  • विद्यार्थियों का ध्यान इन गणितीय संकल्पनाओं की ओर आकृष्ट करने के लिए ‘अच्छे’ प्रश्नों के कुछ सुझाव।

1 सहज ज्ञान संबंधी अध्ययन

वृत्तों के बारे में सीखना ज्यामिती के बारे में सीखने का एक भाग है। ज्यामिती को अक्सर स्कूली पाठ यक्रम का एक ऐसा भाग माना जाता है, जो समझने में मुश्किल है और परिणामस्वरूप जिसे केवल याद करके सीखा जा सकता है।

यह आश्चर्यजनक लग सकता है, क्योंकि जीवन ज्यामिती से भरपूर है और हम हर समय इसका उपयोग करते हैं व ऐसा करके ज्यामिती की एक सहजज्ञान आधारित समझ विकसित करते रहते हैं। बायर्स व हर्सकोविक्स सहजज्ञान आधारित समझ को ‘पूर्व विश्लेषण किये बिना समस्या हल करने की योग्यता’ कहते हैं (1977, p. 26).

अत:, विद्यालयी ज्यामिती को ऐसे रोचक, समझ में आने योग्य व प्रासंगिक विषय क्षेत्र के रूप में अनुभव करना संभव होना चाहिए, जो जीवन के अनुभवों से संबद्ध हो और पहले से मौजूद व अक्सर व्यावहारिक स्तर के ज्ञान का उपयोग करता हो। लेकिन यह कर पाने में बाधाएँ भी हैं।

विचार के लिए रुकें

स्वयं अपनी कक्षा के बारे में सोचकर, अपने विद्यार्थियों के सहज ज्ञान को ज्यामिती सीखने के लिए विकसित करने में आने वाली तीन बाधाएँ लिखें।

2 जीवन में वृत्त बनाम गणितीय वृत्त: शब्दावली

संभवत: आप विद्यालयी ज्यामिती को सीखने में आने वाली कई बाधाएँ सोच पाएँगे। यह यूनिट उनमें से एक से आरंभ होता है: गणितीय भाषा को अधिक सुगम व ‘रटने’ (याद करके सीखने) पर कम निर्भर कैसे बनाएँ।

वृत्त एक सरल किंतु विशिष्ट ज्यामितीय आकार है। इसमें कोई शीर्ष या कोना नहीं होता व वृत्त पर सभी बिन्दु केन्द्र से समान दूरी पर होते हैं।

कक्षा IX व X की ज्यामिती सीखने के लिए, विद्यार्थियों को वृत्त से संबद्ध तत्वों व संकल्पनाओं को परिभाषित करने के लिए नई शब्दावली से परिचित होना चाहिए। (गणित की शब्दावली के बारे में और गतिविधियाँ यूनिट गणितीय पुनरुत्थान का निर्माण: त्रिभुजों में समानता व सर्वांगसमता में पाई जा सकती हैं।) यह विशिष्ट शब्दावली कक्षा के बाहर अधिक उपयोग नहीं की जाती है, और इस कारण विद्यार्थियों को अपरिचित लग सकती है, जो विद्यालय के बाहर रोजमर्रा के उपयोग की भाषा में इन शब्दों से परिचित नहीं हैं। अक्सर ही उन्हें यह शब्दावली रटकर याद करने को कहा जाता है। शब्दावली चित्र 1 में दिखाई गई है।

चित्र 1 वृत्त के तत्वों को परभाषित करती शब्दावली।

ध्यान दें कि वृत्त की परिधि का अर्थ है, उसके घेरे की पूरी लंबाई। यह वृत्त के गणना से संबद्ध एक संकल्पना है; और इस कारण वृत्त का भाग नहीं है।

गतिविधि 1 का उद्देश्य विद्यार्थियों को रटने की अपेक्षा अन्य तरीके से वृत्तों के सदंर्भ में प्रयुक्त विभिन्न शब्दों से परिचित कराना है। इसके लिए विद्यार्थियों को इन शब्दों व संकल्पनाओं को भौतिक रूप से निरुपित करना होगा, व ऐसा करते समय उनकी एक छवि व स्मृति बनानी होगी। यह गतिविधि विद्यार्थियों से अन्तर आरै समानता के बारे में भी प्रश्न करती है: ‘क्या समानता है?’ और ‘क्या भिन्नता है’ के साथ ही ‘क्या समान रहना चाहिए?’ व ‘क्या बदला जा सकता है?’ ज्यामिती सीखते समय समानता पर काम करना बहुत महत्वपूर्ण प्रशिक्षण उपकरण है। वटसन आदि कुछ (2013, p. 108) यह दावा भी करते हैं कि यह:

ज्यामिती में विशेषकर प्रासंगिक व महत्वपूर्ण है। ज्यामिती के अधिकांश प्रमेय इस बात के अध्ययन से बने हैं कि किस परिवर्तन की अनुमति है जो कुछ सम्बन्धों या गुणों को समान बनाते हैं।

इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो परोक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: वृत्त को अभिनीत करना

इस गतिविधि के लिए, विद्यार्थियों से एक वृत्त में बैठने को कहें (चित्र 2। यदि आपकी कक्षा बड़ी है, तो आप 20-30 विद्यार्थियों को वृत्त में रखकर बाकी से देखने को कह सकते हैं। यह गतिविधि सबसे कारगर तब होगी, यदि आप अपने विद्यार्थियों को बाहर ले जाएँ जहाँ अधिक जगह हो। इस गतिविधि के दो भाग हैं: पहला है विद्यार्थियों को कुछ खास तरह से अपनी जगह से चलने के निर्देश देना, दूसरा काम है, इस गतिविधि को थोड़े अन्तर के साथ कई बार दुहराना।

चित्र 2 वृत्त में बैठी एक कक्षा।

भाग 1: वृत्त के साथ जुड़े शब्दों को अभिनीत करना

एक विद्यार्थी को किसी शब्द को अभिनीत करने के लिए कुछ खास तरीकों से चलने को कहें (इसे कैसे करना है, यह नीचे की सूची में दिया गया है) लेकिन उस शब्द का उच्चारण न करें। सभी विद्यार्थी चिल्लाकर उस शब्द का अन्दाज़ा लगाते हैं। फिर दूसरे विद्यार्थी को यह करके बताने को कहें कि शब्द को किस प्रकार अभिनीत किया गया था। गतिविधि को और आकर्षक बनाने के लिए आप विद्यार्थियों से इस बारे में अपने विचार बताने को कह सकते हैं कि उन्हें शब्द को किस प्रगकार अभिनीत करना चाहिए।

विद्यार्थी शब्द को कैसे अभिनीत कर सकते हैं, यहाँ दिया गया है:

  • त्रिज्या (Radius): विद्यार्थी को उठकर वृत्त के केंद्र में जाकर अपने स्थान पर वापस आने को कहें।
  • चाप (Arc): विद्यार्थी (S1) को अन्य विद्यार्थी (S2) का नाम देने के लिए कहें; फिर S1, S2 व इनके बीच बैठे विद्यार्थियों को उनके हाथ उठाने के लिए कहें।
  • व्यास (Diameter): विद्यार्थी (S1) को उनसे ठीक विपरीत बैठे विद्यार्थी (S2) का नाम लेने के लिए कहें। दोनों विद्यार्थी अपने हाथ सामने एक दूसरे की ओर बढ़ाते हैं; वकैल्पिक रूप से, उनसे एक रस्सी के दोनों छोर पकड़ने को कहें।

  • जीवा (Chord): एक विद्यार्थी को किसी और विद्यार्थी का नाम लेने को कहें; दोनों अपने हाथ एक दूसरे की ओर बढ़ाएँगे या एक रस्सी का उपयोग करेंगे।

  • वृत्तखण्ड (Segment): एक विद्यार्थी को किसी और विद्यार्थी का नाम लेने को कहें; दोनों अपने हाथ एक दूसरे की ओर बढ़ाएँगे या एक रस्सी का उपयोग करेंगे। दोनों के बीच जिस ओर कम विद्यार्थी बैठे होंगे, वे अपने हाथ बढ़ाकर खाली जगह को भरेंगे।

  • त्रिज्यखण्ड (sector): एक विद्यार्थी को किसी और विद्यार्थी का नाम लेने को कहें; दोनों विद्यार्थी केंद्र में जाते हैं, हाथ मिलाते हैं और अपने स्थान पर लौट जाते हैं।
  • परिधि (Circumference) : एक विद्यार्थी को खड़े होकर अपने कदमों की संख्या ज़ोर से गिनते हुए वृत्त के आसपास चलने को कहें। फिर विद्यार्थी कहेगा ‘वृत्त की परिधि … कदम है’।

भाग 2: शब्दावली पर आत्मविश्वास जगाना

गतिविधि का यह भाग भाग 1 से आगे बढ़कर विद्यार्थियों को दुहराव के माध्यम से प्रत्येक विचार को शब्द देने में आत्मविश्वास बढ़ाने का मौका देगा। इस गतिविधि के दौरान, विद्यार्थियों को अन्तर आरै समानता शब्दों व शब्दों के गुणों (क्या परिवर्तित हो सकता है क्या नहीं) के बारे में सोचने के लिए भी इस प्रकार के प्रश्न पूछकर प्रेरित किया जा सकता है:

  • (उदाहरण के लिए) चाप व जीवा में क्या समान व असमान है?
  • क्या आप एक और परिधि बना सकते हैं?
  • यदि आप एक और जीवा बनाते हैं, तो क्या समान रहना चाहिए और क्या बदला जा सकता है?

पाठ से पहले आपको वे प्रश्न सोचने होंगे , जो आप विद्यार्थियों से पूछेगें। आप उपरोक्त प्रश्नों से वृत्त की शब्दावली को वृत्तों के अन्य तत्वों से बदल सकते हैं।

एक विद्यार्थी से वृत्त से संबंधित वह शब्द कहें, जिसे आप उससे अभिनीत कराना चाहते हैं। यदि विद्यार्थी को यह करना याद न रहा हो, तो पूछें कि क्या किसी और को याद है और वह उस विद्यार्थी को बता सकता है। प्रत्येक विद्यार्थी की क्रिया के बाद, सभी विद्यार्थी उस शब्द को ज़ोर से बोलते हैं व कोई अन्य विद्यार्थी बताता है कि शब्द को किस प्रकार अभिनीत किया गया।

इसे कई बार दुहराएँ व अन्तर और समानता के प्रश्नों पर आ जाएँ।

गतिविधि के अंत में, अपने विद्यार्थियों से प्रत्येक शब्द की परिभाषा अपनी पुस्तिका में लिखने को कहें। फिर पुस्तिकाएँ आपस में बदल दें व एक-दूसरे के उत्तरों का मूल्यांकन करने को कहें, जिससे हर किसी को अच्छी परिभाषाएँ देखने को मिल सकें।

प्रमुख संसाधन ‘विचारशीलता को प्रोत्साहन के लिए प्रश्नों का उपयोग’ पर भी नज़र डाल लें।‘Using questioning to promote thinking’.

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती चक्रकोटि बताती हैं

यह एक शिक्षिका की कहानी है, जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

यह विद्यार्थियों को वृत्तों से संबद्ध विभिन्न शब्दों से परिचित होने के लिए प्रेरित करने वाला एक अच्छा अभ्यास था। उन्होनें अभिनय को बहुत पसंद किया, यद्यपि वे पहले अनिच्छुक थे क्योंकि हमने पहले इस प्रकार की गतिविधियाँ नहीं की थीं। मैंने पहले उन्हें व्यास व चाप को अभिनीत करने के निर्देश दिए। अगला निर्देश देने से पहले मैंने उनसे शब्द को अभिनीत करने के बारे में उनके विचार पूछे। पहले यह चर्चा कुछ अव्यवस्थित थी, क्योंकि वे लोग एक-दूसरे के विचारों को सुनकर उनपर बात आगे नहीं बढ़ा रहे थे। अत: मैंने उन्हें पहले उन्हें जो कहना था, वह एक सहयोगी के साथ मिलकर कहने का अभ्यास करने को कहा। यह वाकई कारगर रहा और उनके विचार बहुत सुधर गए, जो गतिविधि में सुझाए अनुरूप ही थे।

अन्तर और समानता के बारे में प्रश्नों पर प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक थी। इससे मुझ समेत हम सभी इन शब्दों व संकल्पनाओं के बारे में एक अलग ढंग से सोचने लगे: अचानक संबंध स्पष्ट हो गए, जैसे कि वृत्त के कुछ भागों की भूमिका, जैसे केंद्र। रोचक बात यह कि कुछ समय बाद विद्यार्थी बिना मेरे दखल दिए भी ये प्रश्न पूछने लगे। शब्दावली को केवल रटकर याद करने से कितना बेहतर था! इस तरह विदयार्थियों को यह भी पता लग गया कि वास्तव में ज्यामिती पर काम करना मुश्किल ही हो, आवश्यक नहीं।

फिर हम कक्षा में गए और इस शब्दावली को कागज़ पर पढ़ा। विद्यार्थियों ने चार के समूह में काम किया और प्रत्येक समूह को उन्होंने जो समझा उस पर एक प्रस्तुति बनाने के लिए एक अलग शब्द या संकल्पना दी गई थी। फिर इन्हें साझा किया गया और प्रत्येक समूह को कम से कम एक प्रश्न पूछने को कहा गया। इस प्रकार, प्रत्येक समूह ने स्वयं अपने विषय को अच्छे से समझने की कोशिश की व उन्हें उस पर प्रश्नों के उत्तर भी देने पड़े। उन्हें वह भी सुनकर समझना पड़ा जो दूसरे कह रहे थे और साथ ही प्रश्न पूछने पड़े। उनके प्रश्नों व उत्तरों से पता लगा कि वे विषयों के बीच सहसंबंध स्थापित कर पा रहे थे।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने पर बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे सवाल की ओर ध्यान दें, जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नजर आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें। जैसे श्रीमती चक्रकोडी ने कुछ छोटी–छोटी चीजें की, जिनसे काफी फर्क पड़ा।

विचार के लिए रुकें

निम्न चिंतन को बढ़ावा देने वाले अच्छे प्रश्न हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?

3 ज्यामितीय सहजज्ञान विकसित करना

ज्यामिती का सहजज्ञान वास्तविक जीवन के अनुभवों से विकसित होता है व इसमें अक्सर गतिशील छवियाँ शामिल होती हैं। हम जिन आकारों का उपयोग करते व जिनसे खेलते हैं, वे स्थिर नहीं होते। वे बदलते हैं, वे स्थान से हिलते हैं और उन्हें अन्य आकारों में बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब किसी मित्र के साथ केक का चौकोर टुकड़ा (बराबर आधा-आधा) साझा किया जाता है, तो चौकोर को दो त्रिभुजों, दो चतुर्भुजों आदि में काटा जा सकता है। रंगोली बनाते समय (चित्र 3 देखें), आकारों के भीतर के आकारों से खेला जा सकता है, उनमें बदलाव किए जाते हैं और कुछ नया किया जाता है।

चित्र 3 रंगोली बनाना

आकारों से खेलना वास्तुशिल्प में भी देखा जा सकता है। इसके विपरीत, विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली ज्यामिती को अक्सर अपरिवर्ती समझा जाता है: तथ्य, जिनसे खेलने और जिनमें कोई परिवर्तन करना संभव नहीं है। हाल के वर्षों में Cabri जैसे गतिशील ज्यामिती सॉफ़टवेयर या मुफत शेयरवेयर पैकेज GeoGebra के विकास के साथ इस धारणा का धीरे-धीरे परिमार्जन हो रहा है।

अत: विद्यालय में उपयोग होने वाली ज्यामिती में भाषा की बाधा को पार करने के तरीकों को खोजने के साथ ही, अब आप ज्यामितीय सहज ज्ञान के बारे में भी सोचेंगे। फ़्यूजिता आदि। (2004) ज्यामितीय सहज ज्ञान को इनसे संबद्ध बताते हैं:

दिमाग में ज्यामितीय आकार बनाने व उनमें परिवर्तन का कौशल, ज्यामितीय गुण देखना, चित्रों को ज्यामितीय संकल्पनाओं व प्रमेयों से जोड़ना व यह निर्णय करना कि ज्यामिती में प्रश्नों को हल करते समय कैसे शुरू करना चाहिए।

गतिविधि 1 के भाग 2 की तरह, यह अन्तर और समानता पर ध्यान केंद्रित करेगा; यानि इस पर कि क्या समान बना रहता है और क्या बदल सकता है। अगली गतिविधि इसका उदाहरण प्रस्तुत करती है कि विद्यार्थी ज्यामितीय कथनों पर अधिक सहज ज्ञान के साथ कैसे काम कर सकते हैं और साथ ही अपने दिमाग में कैसे गतिशील ज्यामितीय छवियाँ विकसित कर सकते हैं। वे इस कथन के बारे में सोचकर ऐसा करेंगे: ‘किसी वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र पर बराबर कोण बनाती हैं।’

गतिविधि 2: ज्यामितीय कथनों के बारे में सोचने का एक सहज ज्ञान आधारित तरीका

इस गतिविधि के लिए, विद्यार्थियों को तीन सीधी लंबी छड़ें, जैसे बाँस के लट्ठे चाहिए, जो लंबाई में समान हों। उन्हें इन छड़ों से एक त्रिभुजाकार फ़्रेम बनाने को कहें , जिसमें फ्ऱेम की दो भुजाएँ समान लंबाई की हों - दूसरे शब्दों में, एक समद्विबाहु त्रिभुज बने (चित्र 4 देखें)। यह गतिविधि बाहर करना सबसे बेहतर होता है, संभव हो, तो जहाँ विद्यार्थी मिट्टी या रेत पर अपने चलने के निशानों को देख सकें।

चित्र 4 एक समद्विबाहु त्रिभुज

भाग 1: देखें क्या हो रहा है

  • बाँस के लट्ठों को पकड़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी से उन छड़ों (या त्रिभुज की भुजाओं) के बारे में कुछ बोलने को कहें, जिन्हें उन्होंने पकड़ रखा है। क्या वे कोण या सापेक्षिक लंबाई के बारे में कुछ कह सकते हैं? दूसरी भुजाओं या कोणों में क्या समान है और क्या भिन्न है?
  • अब विद्यार्थियों को त्रिभुज की भुजाओं को खिसकाने को कहें। विद्यार्थी 1 को उसी स्थिति में रहने को कहें, हालांकि वे मुड़ सकते हैं। विद्यार्थी 1 को अपने ही स्थान पर रखते हुए विद्यार्थी 2 व 3 को त्रिभुज को खिसकाने को कहें।
  • दूसरे विद्यार्थियों से निम्न प्रश्नों के उत्तर देने को कहें:
    • विद्यार्थी 2, फिर विद्यार्थी 3 की गतिविधि को अंकित करने से क्या आकार बनता है? (उत्तर: एक वृत्त - और दोनों विद्यार्थी एक ही वृत्त बना रहे हैं।)
    • यह आकार क्यों बना?

    • विद्यार्थी 1 क्या भूमिका निभा रहा है? (उत्तर: वृत्त का केंद्र।)
    • विद्यार्थी 2 व 3 के बीच की दूरी को उन्होनें कैसे परिभाषित किया? (उत्तर: वृत्त की जीवा।)
    • विद्यार्थी 1 व 2 या विद्यार्थी 2 व 3 के बीच की दूरी को उन्होंने कैसे परिभाषित किया? (उत्तर: त्रिज्या।)

भाग 2: समानता पर काम करना

पहले विद्यार्थियों को तीन-तीन के समूह में विचार करने और इन तीन प्रश्नों के बारे में अपना विचार बाकी कक्षा के साथ साझा करने को कहें:

  • बाँस की छड़ों की लंबाई किन तरीकों से बदली जा सकती है?
  • इससे और क्या बदलेगा? क्या समान बना रहेगा?
  • क्या वे कोई ऐसा गणितीय कथन दे सकते हैं, जो इस बारे में उनके विचार बता सके?

भाग 3: ‘किसी वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र पर समान कोण बनाती हैं’, इस गणितीय कथन का अर्थ लगाना

कक्षा के बाहर ही विद्यार्थियों को ‘किसी वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र पर समान कोण बनाती हैं’ किसी लिखित स्वरूप में दे दें, क्योंकि यह याद रखने में मुश्किल है।

  • विद्यार्थियों को तीन-तीन के समूह में चर्चा करने को कहें कि इस कथन का क्या अर्थ हो सकता है। यह उससे कैसे संबंधित है, जिसपर वे काम कर रहे हैं? उन्हें याद दिलाएँ कि वे बाँस की छड़ों का उपयोग कर या किसी और तरीके से कोशिश कर सकते हैं।
  • विद्यार्थियों से इस बार में सुझाव माँगें कि ऐसे गणितीय कथन कैसे अधिक पहुँच योग्य हो सकते हैं।
  • उनके विचारों के बारे में पूरी कक्षा की एक चर्चा कराएँ।

आप संसाधन 2, ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना’ में इस बारे में और पढ़ सकते हैं।

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 के उपयोग का अनुभव श्रीमती चक्रकोटि बताती हैं

इस गतिविधि के लिए हम मैदान में गए। पहले हमने एक कक्षा के रूप में एकसाथ भाग 1 किया। क्योंकि मेरे पास पाँच समूहों के लिए पर्याप्त बाँस की छड़ें थीं, मैंने विद्यार्थियों को पाँच समूहों में बाँट दिया और प्रत्येक समूह को बाँस की तीन छड़ें दीं, जिनमें से दो समान लंबाई वाली थीं और एक अलग लंबाई की। फिर उन्हें अपने समूह में गतिविधि का भाग 1 करके उससे बनने वाला पथ चिह्नित करने को कहा गया। मैंने उनसे अपने प्रेक्षण के नोट बनाने को भी कहा।

फिर प्रत्येक समूह की तीसरी छड़ को कई बार बदला गया (वे सभी अलग लंबाइयों की थीं) और उन्होंने फिर वही गतिविधि की। मैंने गतिविधि के भाग 2 से प्रश्न पूछने से पहले यह करने का निर्णय लिया क्योंकि मुझे लगा कि इससे वे समान प्रश्न पूछने की ओर आगे बढ़ेंगे। फिर जब तक मैं भाग 2 से प्रश्न पूछूँगी, उन्हें अच्छा लगेगा, क्योंकि ये वे प्रश्न होंगे, जो वे स्वयं सोच चुके होंगे - जो वास्तव में कुछ हद तक हुआ भी।

भाग 2 के लिए मैंने पहले उन्हें तीन-तीन के समूह में काम करने को कहा, क्योंकि मुझे लगा कि छोटे समूहों में काम करना गणितीय चर्चा में मदद करेगा। उन्हें गणितीय कथन करना मुश्किल लगा, लेकिन उन्होंने इसका प्रयास किया। इसने गतिविधि के भाग 3 के लिए अच्छी तैयारी करवाई। कथन ‘किसी वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र पर समान कोण बनाती हैं’ की शब्दावली को समझने के लिए, गतिविधि का वह भाग एक ही भौतिक स्थान पर करना बहुत मददगार था, क्योंकि इससे विद्यार्थियों को यह बताने में मदद मिली कि उन्होंने पहले क्या किया था, कुछ नए विचारों पर काम किया जा सका और वे दिए गए कथन से अपनी शब्दावली को मिला सके।

बहुत सारी दौड़-भाग हुई। उन सबके यह लिख लेने के बाद, कि उन्होंने क्या देखा था और पूरे समूह की कुछ चर्चाओं के बाद हम कक्षा में वापस गए। वहाँ जाकर, वे जो कुछ हुआ था उस पर और चर्चा के लिए बैठ गए और उसका अर्थ क्या है। यद्यपि इस चर्चा में पहले कही जा चुकी बातें भी दुबारा आईं, मुझे कक्षा के बाहर हुई गतिविधि और जो काम उन्हें अपने स्थान पर बैठ कर पाठ्यपुस्तकों व अभ्यास-पुस्तिकाओं के बीच करना था, उनके बीच की कड़ी को स्पष्ट करना आवश्यक लगा। उनकी घर की गतिविधि के एक भाग के रूप में मैंने उनसे दूसरे गुणों के लिए कुछ गतिविधि सोचने को कहा जिसपर वे गतिविधि 1 में चर्चा कर चुके थे।

विचार के लिए रुकें

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?

4 ज्यामितीय छवि विकसित करने के लिए स्वयं अपने प्रश्न बनाना

गतिविधि 2 व केस स्टडी 2 बताती हैं कि विद्यालयी ज्यामिती विद्यार्थियों के सहजज्ञान पर काम करके कैसे सीखी जा सकती है। श्रीमति चक्रकोडी ने बताया कि उन्होंने कक्षा के बाहर व अन्दर सीखी हुई बातों के बीच की कड़ी को चर्चा के माध्यम से कैसे सुदृढ़ किया। छड़ों का उपयोग करके ज्यामिती पढ़ने व विद्यार्थियों को स्थान परिवर्तन को बार-बार ‘अभिनीत’ करने को कहने से उनके दिमाग में छवियाँ बन जाती हैं। ये छवियाँ इस यूनिट में पहले परिभाषित ज्यामितीय सहजज्ञान को विकसित करने के लिए आवश्यक हैं। इस बात से अवगत रहना भी महत्वपूर्ण है कि सभी लोग विवरण दिए जाने पर समान छवि नहीं ‘देखेंगे’।

विद्यार्थियों को किसी ज्यामितीय छवि से अवगत कराने का एक अच्छा तरीका उनसे यह पूछना है कि क्या प्रश्न पूछे जाने हैं।

गतिविधि 3: अच्छे प्रश्न पूछना

यह कार्य अकेले और जोड़ियों में काम करने वाले विद्यार्थियों, उसके बाद होने वाली पूरी कक्षा की चर्चा या विचार-विमर्श, उसके बाद और एकल/जोड़ी के कार्य, आदि के लिए कारगर है।

विद्यार्थियों को चित्र 5 को देखने और उसके बारे में संभावित प्रश्न पूछने को कहें।

चित्र 5 प्रश्न क्या है?

कुछ प्रश्न ये हो सकते हैं:

  • वृत्त का केंद्र क्या है?

  • बिंदु P क्या है?
  • कोण OTP समकोण क्यों है?
  • रेखा t क्या है?
  • रेखा t रेखा t’ से कैसे संबंधित है?

विचार के लिए रुकें

  • आपकी कक्षा कैसी रही? क्या वे प्रश्न सोच पाए? इसने उनकी वृत्तों के बारे में समझ को मूल्यांकित करने में आपकी मदद कैसे की?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?

विद्यार्थियों को अच्छे प्रश्न पूछने के लिए मार्गदर्शन देना एक ऐसी तकनीक है, जिसका आप कई विषयों में उपयोग कर सकते हैं। यह विषय के बारे में विद्यार्थियों की समझ का मूल्यांकन करने में आपकी मदद के लिए बहुत अच्छी तकनीक है। जब विद्यार्थी अपने प्रश्न बना लें, तो आप जोड़ियों को अपने प्रश्नों की अदला-बदली करके एक-दूसरे के प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करने को कह सकते हैं। फिर उत्तरों को मूल्यांकन के लिए वापस दे दें। जब विद्यार्थी इस प्रकार की गतिविधि करते हैं, तो कक्ष में घूमना और वे जो कह रहे हैं, उसे सुनना महत्वपूर्ण है - यदि विद्यार्थी इसमें भाग नहीं ले रहे, तो आपको उन्हें प्रोत्साहित करना होगा। अगले पाठ में, विद्यार्थियों को दूसरे सहयोगियों के साथ काम करने को कहें, जिससे वे एक दूसरे की मदद कर सकें।

5 सारांश

इस यूनिट में, विशेषकर वृत्तों पर केंद्रित ज्यामितीय विचारों पर चर्चा की गई। ये विचार अपने आप में जटिल नहीं हैं, लेकिन आपसे कुछ जटिल शैक्षणिक आइडिया के बारे में सोचने के लिए कहा गया है। पहले आपसे विद्यार्थियों से यह कहने के बारे में सोचने को कहा गया था कि वे जो अभिनीत कर रहे हैं, उसे परिभाषित करने के लिए स्वयं वृत्तों की शब्दावली का उपयोग करें, न कि केवल रटकर शब्द याद करें। जो विद्यार्थी - स्वयं के या अपने सहपाठियों दवारा किए जा रहे काम को परिभाषित करने के लिए - स्वयं शब्दावली का उपयोग करते हैं, वे शब्दों को सामान्य उपयोग का बना लेते हैं और याद रख पाते हैं। अब गणित का कोई और आइडिया सोचें, जो विद्यार्थियों को उन शब्दों के उपयोग व अभिनीत करने पर उन्हें बेहतर ढंग से याद रखने में मदद करे।

इस यूनिट का दूसरा महत्वपूर्ण शैक्षणिक आइडिया है अन्तर और समानता का उपयोग। यह पूछना कि क्या समान है व क्या परिवर्तित हो गया है, विद्यार्थियों का ध्यान महत्वपूर्ण गणितीय जानकारियों पर केंद्रित करता है। वे स्वयं संबंध स्थापित कर पाते हैं व सामान्य अनुमान लगा सकते हैं - ऐसा कुछ जो इन विचारों को अपनाना व उनसे सीखना, उनपर नियत्रंण व अपरिचित संदर्भों में उपयोग में विद्यार्थियों की मदद करता है।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में आपके द्वारा उपयोग किए गए तीन विचार पहचानें जो अन्य विषयों को पढ़ाने में भी काम करेंगे। उन दो विषयों पर अब एक नोट तैयार करें, जिन्हें आप जल्द ही पढ़ाने वाले हैं, जहाँ थोड़े- बहुत समायोजन के साथ उन अवधारणाओं का उपयोग किया जा सकता है।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:

  • शिक्षार्थियों को उनके शिक्षण में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करने के लिए; रोट पद्धतियों से शिक्षण को दूर ले जाने के लिए।
  • शिक्षण को निजी अनुभवों से अर्थ की खोज के रूप में और ज्ञान निर्माण को विचारात्मक शिक्षण की निरंतर विकास प्रक्रिया के रूप में देखें।
  • विद्यार्थियों को गणित से डरने के बजाय उसका आनंद उठाना सिखाने के लिए समर्थन।

  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिसपर साथ मिलकर कार्य करें।

संसाधन 2: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए

अध्यापन के लिए केवल पाठ्यपुस्तकों का ही नहीं – बल्कि अनेक शिक्षण संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। आपके इर्द गिर्द ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप कक्षा में कर सकते हैं, और जिनसे आपके विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया को समर्थन मिल सकता है। आपके आसपास संसाधन भरे पड़े हैं जिनका संभवत: आप अपनी कक्षा में प्रयोग कर सकते हैं, तथा जिनसे विद्यार्थियों के शिक्षण में सहायता मिल सकती है। कोई भी स्कूल शून्य या जरा सी लागत से अपने स्वयं के शिक्षण संसाधनों को उत्पन्न कर सकता है। इन सामग्रियों को स्थानीय ढंग से प्राप्त करके, पाठ्यक्रम और आपके विद्यार्थियों के जीवन के बीच संबंध बनाए जाते हैं।

आपको अपने नजदीकी पर्यावरण में ऐसे लोग मिलेंगे जो विविध प्रकार के विषयों में पारंगत हैं; आपको कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी मिलेंगे। इससे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध जोड़ने, उसके महत्व को प्रदर्शित करने, विद्यार्थियों को उनके पर्यावरण की प्रचुरता और विविधता को देखने के लिए प्रोत्साहित करने, और संभवतः सबसे महत्वपूर्ण रूप से, विद्यार्थियों के शिक्षण में समग्र दृष्टिकोण – यानी, स्कूल के भीतर और बाहर शिक्षा को अपनाने की ओर काम करने में सहायता मिल सकती है।

अपनी कक्षा का अधिकाधिक लाभ उठाना

लोग अपने घरों को यथासंभव आकर्षक बनाने के लिए कठिन मेहनत करते हैं। उस पर्यावरण के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है जहाँ आप अपने विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अपेक्षा करते हैं। आपकी कक्षा और स्कूल को पढ़ाई की एक आकर्षक जगह बनाने के लिए आप जो कुछ भी कर सकते हैं उसका आपके विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। अपनी कक्षा को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं – उदाहरण के लिए, आप:

  • पुरानी पत्रिकाओं और पुस्तिकाओं से पोस्टर बना सकते हैं
  • वर्तमान विषय से संबंधित वस्तुएं और शिल्पकृतियाँ ला सकते हैं

  • अपने विद्यार्थियों के काम को प्रदर्शित कर सकते हैं

  • विद्यार्थियों को उत्सुक बनाए रखने और नई शिक्षण-प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए कक्षा में प्रदर्शित चीजों को बदलें।

अपनी कक्षा में स्थानीय विशेषज्ञों का उपयोग करना

यदि आप गणित में पैसे या परिमाणों पर काम कर रहे हैं, तो आप बाज़ार के व्यापारियों या दर्जियों को कक्षा में आमंत्रित कर सकते हैं और उन्हें यह समझाने को कह सकते हैं कि वे अपने काम में गणित का उपयोग कैसे करते हैं। वैकल्पिक रूप से, यदि आप कला विषय के अंतर्गत परिपाटियों और आकारों जैसे विषय पर काम कर रहे हैं, तो आप मेहंदी डिजाइनरों को स्कूल में बुला सकते हैं ताकि वे भिन्न-भिन्न आकारों, डिजाइनों, परम्पराओं और तकनीकों को समझा सकें। अतिथियों को आमिं त्रत करना तब सबसे उपयोगी होता है जब शैक्षणिक लक्ष्यों के साथ सम्बद्ध हर एक व्यक्ति को स्पष्ट होता है और सामयिकता की साझा अपेक्षाएं मौजूद होती हैं।

आपके पास स्कूल समुदाय में विशेषज्ञ उपलब्ध हो सकते हैं जैसे (रसोइया या देखभाल कर्ता) जिन्हें विद्यार्थियों द्वारा अपने शिक्षण के संबंध में प्रतिबिंबित किया जा सकता है अथवा वे उनके साथ साक्षात्कार कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली मात्राओं का पता लगाने के लिए, या स्कूल के मैदान या भवनों पर मौसम संबंधी स्थितियों का कैसे प्रभाव पड़ता है।

बाह्य पर्यावरण का उपयोग करना

आपकी कक्षा के बाहर ऐसे अनेक संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग आप अपने पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, पत्थरों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्रित कर सकते हैं (या अपनी कक्षा से एकत्रित करने को कह सकते हैं)। इन संसाधनों को अंदर लाने से कक्षा में रूचिकर प्रदर्शन तैयार किए जा सकते हैं जिनका संदर्भ पाठों में किया जा सकता है। इनसे चर्चा या प्रयोग आदि करने के लिए वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं जैसे वर्गीकरण से संबंधित गतिविधि, या सजीव या निर्जीव वस्तुएं। बस की समय सारणियों या विज्ञापनों जैसे संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं जो आपके स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं – इन्हें शब्दों को पहचानने, गुणों की तुलना करने या यात्रा के समयों की गणना करने के कार्य निर्धारित करके शिक्षा के संसाधनों में बदला जा सकता है।

कक्षा में बाहर से वस्तुएं लाई जा सकती हैं- लेकिन बाहरी स्थान भी आपकी कक्षा का विस्तार हो सकते हैं। आम तौर पर सभी विद्यार्थियों के लिए चलने-फिरने और अधिक आसानी से देखने के लिए बाहर अधिक जगह होती है। जब आप सीखने के लिए अपनी कक्षा को बाहर ले जाते हैं, तो वे निम्नलिखित गतिविधियो को कर सकते हैं:

  • दूरियों का अनुमान करना और उन्हें मापना
  • यह दर्शाना कि घेरे पर हर बिन्दु केन्द्रीय बिन्दु से समान दूरी पर होता है
  • दिन के भिन्न समयों पर परछाइयों की लंबाई रिकार्ड करना
  • संकेतों और निर्देशों को पढ़ना
  • साक्षात्कार और सर्वेक्षण आयोजित करना
  • सौर पैनलों की खोज करना
  • फसल की वृद्धि और वर्षा की निगरानी करना।

बाहर, उनका शिक्षण वास्तविकताओं तथा उनके स्वयं के अनुभवों पर आधारित होता है, तथा शायद अन्य संदर्भों में अधिक लागू हो सकता है।

यदि आपके बाहर के काम में स्कूल के परिसर को छोड़ना शामिल हो तो, जाने से पहले आपको स्कूल के मुख्याध्यापक की अनुमति लेनी चाहिए, समय सारणी बनानी चाहिए, सुरक्षा की जाँच करनी चाहिए और विद्यार्थियों को नियम स्पष्ट करने चाहिए। इससे पहले कि आप बाहर जाएं, आपको और आपके विद्यार्थियों को यह बात स्पष्ट रूप से पता होनी चाहिए कि किस संबंध में जानकारी प्राप्त की जाएगी।

संसाधनों का अनुकूलन करना

चाहें तो आप मौजूदा संसाधनों को अपने विद्यार्थियों के लिए कहीं अधिक उपयुक्त बनाने हेतु उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे से हो सकते हैं किंतु बड़ा अंतर ला सकते हैं, विशेष तौर पर यदि आप शिक्षण को कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आप स्थान और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे दूसरे राज्य से संबंधित है, या गाने में व्यक्ति के लिंग को बदल सकते हैं, या कहानी में शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे को शामिल कर सकते हैं। इस तरह से आप संसाधनों को अधिक समावेशी और अपनी कक्षा और उनकी शिक्षण-प्रक्रिया के उपयुक्त बना सकते हैं।

साधन संपन्न होने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम करें; संसाधनों को विकसित करने और उन्हे अनुकूलित करने के लिए आपके बीच ही आपको कई कुशल व्यक्ति मिल जाएंगे। एक सहकर्मी के पास संगीत, जबकि दूसरे के पास कठपुतलियाँ बनाने या कक्षा के बाहर के विज्ञान को नियोजित करने के कौशल हो सकते हैं। आप अपनी कक्षा में जनि संसाधनों को उपयोग करते हैं उन्हें अपने सहकर्मियों के साथ साझा कर सकते हैं ताकि अपने स्कूल के सभी क्षेत्रों में एक प्रचुर शिक्षण पर्यावरण बनाने में आप सबकी सहायता हो सके।

अतिरिक्त संसाधन

References

Bloomfield, A. and Vertes, B. (2005) People Maths: Hidden Depths. Derby: Association of Teachers of Mathematics.
Bloomfield, A. and Vertes, B. (2008) More People More Maths. Derby: Association of Teachers of Mathematics.
Byers, V. and Herscovics, N. (1977) ‘Understanding school mathematics’, Mathematics Teaching, vol. 81, pp. 24–7.
Fishbein, E. (1987). Intuition in Science and Mathematics: An Educational Approach. Dordrecht: Reidel.
Fujita, T., Jones, K. and Yamamoto, S.(2004) ‘Geometrical intuition and the learning and teaching of geometry’, paper presented at Topic Study Group 10 on Research and Development in the Teaching and Learning of Geometry, 10th International Congress on Mathematical Education (ICME-10), 4–11 July, Copenhagen, Denmark.
National Council of Educational Research and Training (2005) National Curriculum Framework (NCF). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2009) National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE). New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2012a) Mathematics Textbook for Class IX. New Delhi: NCERT.
National Council of Educational Research and Training (2012b) Mathematics Textbook for Class X. New Delhi: NCERT.
Watson, A., Jones, K. and Pratt, D. (2013) Key Ideas in Teaching Mathematics. Oxford: Oxford University Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।

इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:

चित्र 1: साभार (Figure 1: adapted from) http://upload.wikimedia.org/ wikipedia/ commons/ thumb/ 4/ 4f/ Circle_slices.svg/ 500px-Circle_slices.svg.png.

चित्र 2: © अज्ञात (Figure 2: © unknown)

चित्र 3: साभार (Figure 3: courtesy of) http://www.thehindu.com/ todays-paper/ tp-national/ tpkarnataka/ the-road-doubled-up-as-their-canvas/ article699822.ecehttp://www.thehindu.com/ todayspaper/ tp-national/ tp-karnataka/ the-road-doubled-up-as-their-canvas/ article699822.ece

चित्र 4: साभार (Figure 4: adapted from) https://commons.wikimedia.org/ wiki/ File:Thales%27_Theorem_Tangents.svg.

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत-भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन युनिवर्सिटी के साथ काम किया।