1 संख्या समझ विकसित करने के लिए खेल का उपयोग करना

विचार के लिए रुकें

अपने बचपन के बारे में सोचें। क्या आपने संख्याओं के बारे में विद्यालय से बाहर कुछ भी सीखा था? उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आपने विद्यालय जाने से पहले गणना करना सीख लिया हो, या आपको पैसे, आयु या चीज़ों को समान रूप से बाँटने की समझ आ गई हो। आपने ये सब कैसे सीखा?

बच्चे बहुत कम उम्र से खेलना शुरू कर देते हैं। सामान्य रूप से यह माना जाता है कि खेलने से सामाजिक व्यवहार, तार्किक तथा रणनीतिक सोच, कभी-कभी प्रतिस्पर्धात्मकता या कभी टीमवर्क और एकजुटता जैसी चीज़ें विकसित होती हैं।

खेलना आपको रोमांच, हर्ष, निराशा और आनंद जैसे अनुभव प्रदान करता है। शोध बताते हैं कि गणित सिखाने में खेल का उपयोग करने से गणित के प्रति बेहतर रवैया पैदा होता है, उन्नत प्रेरणा मिलती है और विद्यार्थियों की समस्या निवारण योग्यताओं के विकास में सहायता मिलती है (अर्नेस्ट, 1986; सुलिवान और अन्य, 2009; ब्रैग, 2012)। ऐसा तर्क दिया जाता है कि गणितीय खेल खेलते समय होने वाली गणितीय चर्चाएँ गणितीय समझ को विकसित करती हैं (स्केम्प, 1993)।

इस इकाई में विद्यार्थियों की संख्या समझ को विकसित करने के लिए कुछ पहले ही आज़माए जा चुके खेलों के उदाहरण दिए गए हैं। इस इकाई में विद्यार्थियों द्वारा अच्छे संख्या खेलों को खोजने और खेलों द्वारा प्रस्तावित शिक्षण अवसरों की पहचान करने पर भी चर्चा होगी।

यहाँ पहली गतिविधि उस खेल का उदाहरण है, जो संख्या संबंधों की समझ विकसित करती है। इसमें ऐसे गणितीय साधन का उपयोग किया जाता है जिनके बारे में विद्यार्थी पहले से अवगत हैं: ‘सौ वर्ग’। पुस्तकों में और इंटरनेट पर ऐसे कई खेल नि:शुल्क उपलब्ध हैं। इस इकाई की गतिविधियाँ NRICH नामक एक नि:शुल्क गणितीय संसाधन वेबसाइट से ली गई हैं, जो कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यूके) की मिलेनियम गणितीय परियोजना का एक भाग है।

इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको किसी शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्ति के अनुभव का ज्ञान होगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।

गतिविधि 1: आपको क्या चाहिए?

इस गतिविधि के लिए, विद्यार्थी जोड़ियों या छोटे-छोटे समूहों में कार्य करते हैं। आप गतिविधि के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए संसाधन 2, ‘समूहकार्य प्रबंधन’ का उपयोग कर सकते हैं।

विद्यार्थियों को सौ वर्ग (चित्र 1) का प्रिंटआउट या उसकी एक प्रति दें, अथवा उनके पुस्तकों में पहले से दी गई प्रति का उपयोग करने के लिए कहें। सुनिश्चित करें कि उन्हें सभी सौ वर्ग दिखाई दें। उन्हें इस बारे में न बताएँ कि वे इस टास्क को कैसे करेंगे बल्कि उन्हें स्वयं इसका पता लगाने दें ताकि उन्हें इनकी रणनीतियों के बारे में सोचना पड़ें, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। इसके कारण संस्पेंस भी बना रहता है।

चित्र 1 एक सौ वर्ग।

भाग 1: यह निर्णय लेना कि आपको क्या जानना चाहिए

निम्नलिखित को ब्लैकबोर्ड पर लिखें:

आठ संकेत

  • संख्या 9 से बड़ी है।
  • संख्या 10 का गुणज नहीं है।
  • संख्या 7 का गुणज है।

  • यह एक विषम संख्या है।
  • संख्या 11 का गुणज नहीं है।
  • संख्या 200 से कम है।
  • इसका इकाई अंक इसके दहाई अंक से बड़ा है।
  • इसका दहाई अंक एक विषम संख्या है।

विद्यार्थियों को नीचे दी गई बातें कहें:

मेरे मन में एक संख्या है जो कि एक सौ वर्ग पर है लेकिन मैं आपको यह नहीं बताने वाला कि वह क्या है। हालाँकि, आप मुझसे ब्लैकबोर्ड पर लिखे आठ में से चार संकेत पूछ सकते हैं और मैं उसका हाँ या नहीं में जवाब दूँगा।

इसके अलावा एक और चीज़ है जो मैं आपको बताना चाहता हूँ: दिए गए संकेतों में से चार सही हैं लेकिन उनसे संख्या को ढूँढने में कोई मदद नहीं मिलेगी। उनका पता लगाने के लिए चार संकेतों को ढूँढना आवश्यक है।

क्या आप अपने समूह में उस संख्या को ढूँढ सकते हैं जिसके बारे में मैं सोच रहा हूँ और यह पता लगा सकते हैं कि किन चार संकेतों से आपको मदद मिलेगी और किन चार से नहीं? आपको अपने सौ वर्ग में से चुनी गई संख्या को ढूँढने के लिए किस चीज़ की जानकारी होनी चाहिए?

भाग 2: संख्या क्या है?

यह भाग गतिविधि भाग 1 में विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए अनुमान की परीक्षा लेने के लिए बनाया गया है।

  • विद्यार्थियों से कहें कि: ‘मैं किसी संख्या के बारे में सोच रहा हूँ – अपने समूहों में रहकर, वे चार संकेत तय करें और मुझसे पूछें कि मैं किस संख्या के बारे में सोच रहा हूँ।’
  • कुछ मिनट बाद एक अन्य समूह से उनके द्वारा सोचे गए संकेतों के बारे में पूछें और उन्हें इसे आज़माने दें। भले यह काम करे या न करे, लेकिन उनसे इन चार संकेतों को चुनने का कारण पूछें। यह पूछें कि क्या किसी समूह ने उनसे अलग चार संकेतों का चुनाव किया है और फिर उन संकेतों को आज़माएँ। संकेत सही होने पर रुक जाएँ और अपने द्वारा चुनी गई संख्या का पता लगाएँ।
  • यही प्रक्रिया कई अलग संख्याओं के लिए दोहराएँ, या विद्यार्थियों से कहें कि वे अब आपकी भूमिका निभाएँ और कोई संख्या सोचें।
  • उसके बाद इस बात पर चर्चा करें कि संख्या को ढूँढने के लिए किन चार संकेतों की आवश्यकता नहीं है। सर्वश्रेष्ठ संकेत क्या हो सकते हैं, और क्यों?

(स्रोत: NRICH से रूपांतरित, http://nrich.maths.org/ 5950 [Tip: hold Ctrl and click a link to open it in a new tab. (Hide tip)] .)

वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 का उपयोग करके श्रीमती भाटिया यह प्रदर्शित करती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 को आज़माया

मैं मानती हूँ कि ये खेल मनोरंजक गतिविधियाँ हैं लेकिन मेरे मन में इस दावे को लेकर हमेशा थोड़ा संदेह रहता है कि क्या गणितीय शिक्षण के लिए ये बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। मेरे लिए इस बात पर विश्वास करना बहुत कठिन था कि ये संख्या खेल उन सामान्य पारंपरिक शिक्षण विधि के विकल्प बन सकते हैं, जिनका उपयोग करके मैं अपनी कक्षा को पढ़ाती हूँ और अपने विद्यार्थियों को स्पष्ट रूप से गणितीय विचार समझाती हूँ। लेकिन मैंने निर्णय लिया कि मैं इन खेलों का उपयोग अवश्य करूँगी क्योंकि मैंने पाया कि कभी-कभी मेरे वे विद्यार्थी जिनकी आयु कम थी, वे भी गणित का काम करते समय ऊब जाते थे और यह बात मुझे दुःखी करती है और मुझे कुछ और करने के लिए प्रेरित करती है।

मेरी कक्षा बड़ी है – लगभग 80 विद्यार्थी हैं। हालाँकि वे केवल कक्षा III और IV से होने चाहिए थे, फिर भी विद्यार्थियों के गुण एक दूसरे से बहुत अलग होते हैं: कुछ विद्यार्थी अभी भी शुरुआती-वर्ष की संख्याओं की धारणाओं से जूझते प्रतीत होते हैं, जबकि अन्य खुशी-खुशी उच्च कक्षाओं के कार्य कर पाते हैं। ऐसी गतिविधियाँ ढूँढना जिन्हें वे सभी कर सकें और जो उन सभी के लिए चुनौतीपूर्ण हो, बहुत कठिन है।

चूँकि मेरे पास फ़ोटोकॉपियर या सभी विद्यार्थियों के लिए कागज़ के बड़े पत्रक या स्केल जैसे संसाधन तक नहीं हैं, इसलिए इस गतिविधि को तैयार करते समय मैंने विद्यार्थियों से गृह-कार्य के रूप में उनकी अभ्यास पुस्तिकाओं के कवर के अंदर की ओर सौ वर्ग बनाने के लिए कहा। अधिकांश विद्यार्थियों ने ऐसा कर लिया, लेकिन कुछ ने नहीं किया। मैं उन विद्यार्थियों को वहाँ कक्षा में उसी समय उन वर्गों को बनाने के लिए कहकर समय बर्बाद करना नहीं चाहती थी, इसलिए मैंने सुनिश्चित किया कि जब विद्यार्थी चार-चार या पाँच-पाँच के समूह में जाएँ, तो वे ऐसे किसी के पास बैठे जिसने गृह-कार्य किया है, ताकि वे दोनों समान सौ वर्ग को देख सकें। उन्हें समूहों में बाँटने के लिए, मैंन बस विषम पंक्तियों वाले विद्यार्थियों से पीछे मुड़ जाने और उनके सामने बैठे विद्यार्थियों के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा।

मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि मैंने उन्हें उचित निर्देश नहीं दिए थे, कि इसका पता कैसे लगाया जाए कि कौन से संकेत आवश्यक थे और कौन नहीं थे या यह कि इस संबंध में सबसे पहले पूरी कक्षा के साथ चर्चा कर लेनी चाहिए। मुझे वास्तव में चिंता हो रही थी कि उन्हें पता नहीं होगा कि क्या करना है। लेकिन मैंने सोचा मैं एक प्रयास करूँगी और देखूंगी कि क्या यह गतिविधि ठीक चल रही है और उस टास्क को उसी तरीके से प्रस्तुत किया जैसा कि उसका वर्णन किया गया था।

मैंने यह तय किया कि अगर ये विद्यार्थी चार मिनट के बाद भी यह पता नहीं लगा पाते हैं कि आगे कैसे बढ़ना है, तो मैं उन्हें बता दूँगी। इसमें उन्हें उतना समय नहीं लगा। यह सुनिश्चित करने के लिए, कि वे टास्क का प्रयास करते रहे, मैं कक्षा में इधर-उधर टहल रही थी और उनकी चर्चाएँ सुन रही थी। मैंने कुछ समूहों से कहा ‘आप इसका पता कैसे लगाएँगे?’ दिए गए संकेतों के विकल्पों का चयन करने में उनके उत्तर अलग-अलग थे और इस बात के औचित्य पर भी उनकी राय अलग-अलग थी कि वे उनका चुनाव क्यों कर रहे हैं। मैंने पाया कि साथ वाले समूह भी उनके जवाब सुनेंगे, कभी-कभी उनका नज़रिया बदलने पर। उस तरीके से पूरी कक्षा को इस चर्चा के लिए रोकने की आवश्यकता के बिना उन सभी विद्यार्थियों को एक दूसरे से सीख मिली।

मुझे वास्तव में कक्षा का वह कोलाहल अच्छा लगा – वहाँ उत्तेजना थी और जुड़ाव था। विद्यार्थी काफ़ी मुस्कुरा रहे थे और एक दूसरे से चर्चा करने, सहमति जताने और असहमति जताने के लिए अपने-अपने गणितीय तर्कों को विकसित कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि प्रत्येक विद्यार्थी के पास एक तर्क मौजूद था और उन समूहों के कार्य में शामिल प्रतीत हो रहे थे।

थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा कि संकेतों पर निर्णय लेने के लिए वे तीन मिनट का समय और ले लें और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके समूह के प्रत्येक विद्यार्थी को सहमति द्वारा निष्कर्ष स्वरूप निकाले गए संकेतों के बारे में पता होना चाहिए और उसकी समझ होनी चाहिए। मैंने ऐसा इसलिए पूछा, क्योंकि मैं इस बात को सुनिश्चित करना चाहती थी कि उस समूह के सभी विद्यार्थी, चाहे उनकी योग्यता जो भी रही हो, इस खेल से सीखेंगे। इसी कारण से, मैंने भी इस गतिविधि के दूसरे भाग के दौरान समूह के ‘सबसे होशियार’ विद्यार्थी से वे प्रश्न नहीं पूछे।

संकेतों की आवश्यकता क्यों थी या क्यों नहीं थी, इसकी चर्चा करने से विद्यार्थियों को अपने-अपने विचारों के संबंध में चर्चा करने का अवसर मिल गया। कभी-कभी, पहली बार में, उन्होंने अपने आप को अनाड़ी की तरह दिखाया, लेकिन मैंने उनसे ‘उसे फिर कहने’ के लिए कहा और मैं चकित रह गई कि उनमें से अधिकांश ने दूसरे चरण में इतनी जल्दी स्वयं को अधिक सहजता से व्यक्त किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल ‘सबसे होशियार’ विद्यार्थी ही जवाब न दें, मैंने अलग-अलग विद्यार्थी से पूछा कि क्या दिए गए जवाब से वे सहमत हैं तथा उनके सहमत होने पर उनसे उसी कथन को उनके शब्दों में दोहराने के लिए कहा। अगर वे सहमत नहीं थे, तो उन्हें इसका कारण बताना पड़ा।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जैसा कि श्रीमती भाटिया ने कुछ छोटी-छोटी चीज़ें की और उनसे फ़र्क पड़ा, इसलिए आप जब भी ये गतिविधियाँ करें, तो इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग अवश्य करें।

विचार के लिए रुकें

निम्न चिंतन को बढ़ावा देने वाले अच्छे प्रश्न हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या प्रश्न पूछे? विद्यार्थियों को अपने गणितीय विचार का प्रदर्शन करने के लिए सक्षम बनाने में कौन-कौन से प्रश्न सबसे सफल रहे?
  • क्या आपके सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो ऐसा करने का आपका क्या कारण था?

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

2 गणितीय शिक्षण के लिए अच्छे खेलों के आवश्यक गुण