1 गणित सीखने से संबंधित कुछ समस्याएँ – ‘गणितीय आघात’

‘गणितीय आघात’ थोड़ा नाटकीय लगता है। हालाँकि, अधिक से अधिक शोध ऐसे प्रमाण प्रदान करते हैं, जो विद्यार्थियों द्वारा गणित पढ़ते समय वास्तविक, विक्षुब्ध आघात का अनुभव किए जाने की ओर इशारा करते हैं। बात बीच में खत्म करके या अनदेखा करके यह कहना आसान लगता है कि ‘उन्हें कुछ समझ नहीं आता’ या ‘उन्हें पढ़ाई में और मेहनत तथा अभ्यास करना चाहिए’। लेकिन ऐसा मानने के ऐसे वास्तविक कारण हैं, कि इस आघात के कारण ही लोग अपने जीवन में आगे गणित का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें तथा समाज को संपूर्ण रूप में कई नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

गणितीय आघात विद्यार्थियों के इस एहसास तथा विश्वास से उत्पन्न होता है कि उन्हें गणित सीखते समय खुद से कुछ करना या सोचना नहीं चाहिए या वे कुछ कर अथवा सोच नहीं सकते। लैंज और मीनी (2011) ने गणितीय आघात का इस रूप में वर्णन किया: ‘गणित के संबंध में अभिव्यक्ति, व्याख्या और एजेंसी के लिए अवसरों से वंचित होना और इसलिए उसे सतही गणितीय ज्ञान के निष्क्रिय प्राप्तकर्ताओं का दर्जा दिया गया है’।

गणितीय आघात का प्रभावित विद्यार्थियों के लिए गंभीर परिणाम हो सकता है। वे गणित को ऐसी चीज़ कहकर अस्वीकार कर सकते हैं, जिसे वे नहीं कर सकते। वे स्वयं ही पूर्वानुमान लगाने लगते हैं क्योंकि जैसे ही उन्हें गणित में किसी क्षेत्र के बारे में कुछ समझ में आना बंद हो जाता है, उन्हें यह विश्वास हो जाता है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्हें ‘वह समझ‘ नहीं आता है और वे कभी भी समझ नहीं पाएँगे। यह गणित के अन्य क्षेत्रों में उनकी क्षमता के प्रति उनके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है। वे ऐसा महसूस करने लगते हैं कि उनके पास कोई विकल्प या कोई नियंत्रण नहीं है। इसे ‘कोई एजेंसी न होने’ के रूप में जाना जाता है।

गणित आघात के ट्रिगर में से एक ट्रिगर स्वयं गणित की भाषा है। यह प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व और गणितीय शब्दावली दोनों है, जिससे मौजूदा भाषा ज्ञान और संरचनाओं से जुड़ना बिल्कुल अलग और कठिन लग सकता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

2 भिन्न पर कार्य करने के बारे में सीखने से संबंधित समस्याएँ