3 अनुमान लगाना और सामान्यीकरण

अनुमान लगाना (सिद्धांत) और बाद में तर्क देना कि वे सच हैं, कभी-कभी सच हैं या गलत हैं, सामान्यीकरण के विचारों को विकसित करने का हिस्सा है जिन पर बीजगणितीय सोच निर्भर करती है।

‘योगात्मक तत्समक’ – अर्थात, यह विचार कि शून्य जोड़ने या घटाने से मूल संख्या वही रहती है – अपेक्षाकृत रूप से आसानी से समझ लिया जाता है। हालाँकि बाद में बीजगणितीय समीकरण हल करने में उसके उपयोग के कारण इस तत्समक का अन्वेषण आवश्यक हो जाता है।

विद्यार्थियों के लिए ऐसे तत्समकों की समझ को स्पष्ट रूप से कह पाना बेहद महत्वपूर्ण है और ऐसा विद्यार्थियों से अनुमान विकसित करने के लिए कह कर किया जा सकता है। जब किसी संख्या में शून्य जोड़ा जाता है या उसमें से घटाया जाता है तो क्या होता है इस बारे में कक्षा कथन या अनुमान विकसित कर सकती है।

विद्यार्थी अक्सर अपने विचारों को जाँचने के लिए कई अलग-अलग संख्याएँ आज़मा कर देखते हैं। विद्यार्थियों को यह विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है कि उनके अनुमान (या सिद्धांत) सारी संख्याओं के लिए काम करते हैं या नहीं। इस तरह से आपके विद्यार्थी संख्या के गुणों के बारे में बीजगणितीय रूप से सामान्यीकृत करना आरंभ कर देंगे।

किसी कक्षा द्वारा विकसित किए गए नियम या अनुमान प्रदर्शित किए जा सकते हैं और/या जिस विद्यार्थी की अवधारणा थी उसके नाम से उस नियम का नाम रखा जा सकता है, उदाहरण के लिए ‘प्रेम का नियम’।

यहाँ विद्यार्थियों द्वारा जोड़ने के बारे में विकसित किए गए कुछ अनुमानों के उदाहरण दिए गए हैं:

  • प्रेम का नियम: ‘जब आप किसी संख्या में शून्य जोड़ते हैं तो इससे वह संख्या नहीं बदलती जिससे आपने आरंभ किया था।’ (a + 0 = a)
  • अनीशा का नियम: ‘जब आप किसी संख्या में से शून्य घटाते हैं तो इससे वह संख्या नहीं बदलती जिससे आपने आरंभ किया था।’ (a – 0 = a)
  • ज्योत्सना का नियम: ‘यदि आपने जिस संख्या से आरंभ किया था उसमें से वही संख्या निकाल लेते हैं तो उत्तर 0 आता है।’ (a – a = 0)
  • विशाल का नियम: ‘यदि संख्या वाक्य के प्रत्येक ओर से संख्याओं की अदलाबदली कर दी जाए तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि संख्याएं समान हैं, तो संख्या वाक्य तब भी संतुलित होगा।’ (a + b = b + a)
  • सिमी का नियम: ‘जब आप दो संख्याएँ जोड़ते हैं, तो आप जोड़ी जाने वाली संख्याओं का क्रम बदल सकते हैं और आपको तब भी वहीं संख्या प्राप्त होगी।’ (a + b = b + a)

अन्वेषण और अनुमान लगाना

निम्नलिखित गतिविधि आपको दिखाती है कि कैसे आप अंकगणित कथनों का अन्वेषण करके और वे सच हैं, कभी-कभी सच हैं या कभी सच नहीं हैं, इसके बारे में अनुमान लगा कर विद्यार्थियों को बीजगणितीय रूप से सोचना आरंभ करने में मदद कर सकते हैं। कई बार यह देख कर विद्यार्थी आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि उन्हें ‘यह सत्य नहीं है’ कहने की अनुमति है। यह वाकई महत्वपूर्ण है कि उन्होंने संख्याओं के साथ दिखने वाली हर चीज़ को यूं ही स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए बल्कि उन्हें यह सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए ‘क्या यह हमेशा सत्य है या मैं इसे असत्य ठहरा सकता/सकती हूँ?’

गतिविधि 2: अनुमान

तैयारी

ब्लैकबोर्ड पर कई अंकगणितीय कथन लिखें। कुछ उदाहरण जिन्हें आप उपयोग कर सकते हैं:

  • (3 + 5) + 8 = 3 + (5 + 8)
  • (3 + 5) × 8 = 3 + (5 × 8)
  • (3 – 5) – 8 = 3 – (5 – 8)
  • (3 × 5) + 8 = 3 × (5 + 8)

नोट करें कि कुछ कथन सच होने चाहिए और कुछ सच नहीं होने चाहिए।

संसाधन 2 में कथनों के और उदाहरण हैं।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों से निम्न करने को कहें:

  • प्रत्येक कथन की वैधता की जांच करें।
  • सारे सही कथनों के लिए, एक, दो या सभी तीन संख्याएँ बदल कर कई मिलते जुलते कथन लिखें। क्या ये सभी सत्य हैं? यदि हाँ, तो क्या आपको लगता है कि ये कथन संख्याओं के सभी संभावित चयनों के लिए सत्य होंगे? अपने विचारों को अनुमान के रूप में लिख कर रखें।
  • सारे गलत कथनों के लिए, एक, दो या सभी तीन संख्याएँ बदल कर कई मिलते जुलते कथन लिखें। क्या इनमें से सभी गलत है या आप एक सही कथन ढूँढ सकते हैं? क्या आपको लगता है कि संख्याओं के सभी संभावित चुनावों के लिए ये कथन गलत होंगे? अपने विचारों को अनुमान के रूप में लिख कर रखें।

यह गतिविधि विद्यार्थियों को बातें करके सीखने के मूल्यवान अवसर प्रदान करती है। आप शायद गतिविधि के इस पहलू के लिए अपने नियोजन में मदद के लिए मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए संवाद’ को देखना चाहें।

वीडियो: सीखने के लिए बातचीत

केस स्टडी 2: श्रीमती कपूर गतिविधि 2 के उपयोग के बारे में बताती हैं

मैंने विद्यार्थियों को पाँच के समूह में बाँटा और फिर मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिखे कथनों की वैधता पर चर्चा के लिए उन्हें दस मिनट दिए।

समूहों के बीच बहुत चर्चा हुई। इससे मुझे बहुत ही खुशी हुई क्योंकि जब मैंने उनकी बातों को सुना तो वे सब सोच रहे थे कि कथन सत्य क्यों थे या क्या वे उन संख्याओं को सोच सकते थे जो उन्हें असत्य बना सके या इसका विपरीत सही हो।

ऐसे कुछ विद्यार्थी थे जो अपने समूह में सोच में कोई योगदान नहीं दे रहे थे, इसलिए मैंने समूह से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे उन्हें भी चर्चा में शामिल करें। उनमें से एक ने स्कूल में कुछ समय खो दिया था और उसे फिर से समूह का हिस्सा बन पाने में मदद की ज़रूरत थी।

उसका अंकगणित खास तौर पर अच्छा था, इसलिए उन्होंने जल्द ही उसके योगदान की सराहना की। मैंने कक्षा से कहा कि हर किसी को उसके हिस्से का सोचना ज़रूरी था और विचार साझा करना हर किसी के लिए मददगार होगा। मैंने यह भी कहा कि मैं उस विद्यार्थी को चुनूँगी जो प्रस्तुति देगा इसलिए जो भी कहा गया है उस पर हर किसी को रिपोर्ट करना आवश्यक था। तो फिर वे सभी अभ्यास में लग गए।

मैंने अलग अलग विद्यार्थियों से उनके अपने समूह की चर्चाओं से उत्तर देने को कहा और यह बताने को कहा कि उन्हें क्या लगता था कि कथन हमेशा सत्य, कभी-कभी सत्य था या कभी सत्य नहीं था। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने कौन सी संख्याएँ आज़माई थीं और उनसे यह बताने की कोशिश करने के लिए भी कहा कि उन्होंने वो विशेष मान क्यों चुने थे। फिर मैंने अन्य समूहों को भी उनके द्वारा चुनी गई संख्याओं का योगदान करने के लिए कहा, तो इस तरह हमारे पास उदाहरणों की एक खासी तादाद एकत्रित हो गई।

इसमें काफी समय लग गया, खासकर एक गलत कथन के साथ क्योंकि कई समूहों को यकीन था कि वे उसे सत्य बनाने का कोई तरीका ढूँढ सकते थे। इसका अर्थ था हम उन सारे कथनों को नहीं देख पाए जो मैंने तैयार किए थे और इसलिए मैंने उन्हें अपने खुद के अनुमान लिख कर बाकी को गृहकार्य के रूप में पूरा करने के लिए कहा।

उन्हें जो मिला था उस पर हमने अगले दिन चर्चा की और उसमें अधिकांश ने भारी योगदान दिया। मैंने देखा कि कक्षा में पीछे बैठे कुछ विद्यार्थी बहुत शांत थे। जब मैं उनसे बात करने गई, तो उनमें से कुछ ने कहा कि वे नहीं समझे थे कि वे क्या करना था, तो मैंने उनसे पूछा कि दूसरों के द्वारा बनाए गए अनुमान सही या गलत क्यों थे।

विचार के लिए रुकें

कक्षा के पीछे बैठे शांत विद्यार्थियों से श्रीमती कपूर ने जिस तरह बात की उसके बारे में आपका क्या सोचना है? उन्हें क्या करना है यह उनके न समझने के क्या संभावित कारण हो सकते हैं?

अब इस बारे में सोचें कि आपके विद्यार्थियों ने गतिविधि पर कैसी प्रतिक्रिया दी और निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें:

  • विद्यार्थियों से कैसी प्रतिक्रियाएँ अनपेक्षित थीं? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

2 बीजगणितीय रूप से विचार करना

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