4 कक्षा के एक संसाधन के रूप में रेडियो

केस स्टडी 3: भाषा और साक्षरता के विकास के लिए रेडियो का उपयोग करना

श्रीमती रेखा बिहार के एक प्राथमिक विद्यालय में मल्टी-ग्रेड शिक्षिका हैं। यहाँ वे बता रही हैं कि अपने भाषा पाठों में वे किस तरह एक संसाधन के रूप में रेडियो का उपयोग करती हैं।

मेरे विद्यालय में उपलब्ध पाठ्यपुस्तकों के अलावा बहुत ही कम संसाधन हैं। मैं अपने खाली समय में अक्सर रेडियो सुनती हूँ और मुझे पता चला है कि इसमें कई रोचक कार्यक्रम आते हैं। अब मैं नियमित रूप से रेडियो का उपयोग छात्रों के भाषा पाठों में इनपुट के एक अतिरिक्त स्रोत के रूप में करती हूँ। वह जिस तरह से बच्चों को कक्षा के बाहर की दुनिया से परिचित कराने में मेरी सहायता करता है यह मुझे अच्छा लगता है।

मैं शामिल किए जा रहे विषयों के आधार पर उपयुक्त कार्यक्रमों का चयन करने के लिए समाचार पत्र में दी गई रेडियो प्रोग्राम गाइड को देखती हूँ। मैं कक्षा में कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण करना चाहती थी, इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि इनका समय उपयुक्त हो, लेकिन अब मेरे पास रिकॉर्डिंग सुविधा वाला एक रेडियो है, इसलिए मैं पहले से ही उन्हें चुन सकती हूँ और बाद में चला सकती हूँ।

अक्सर मैं अपने छात्रों को खासतौर पर तैयार किए गए शिक्षाप्रद कार्यक्रम सुनाती हूँ, क्योंकि ये स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए जाते हैं और इनमें एक या दो संक्षिप्त कार्य अथवा अन्य गतिविधियाँ होती हैं। कार्यक्रमों के बाद हम हमेशा उसकी विषय वस्तु के बारे में बात करने में समय बिताते हैं। यदि कोई बात समझ नहीं आई थी, तो इससे उसे समझने में मदद मिलती है। कभी-कभी पूरी कक्षा इसमें एक साथ भाग लेती है। कभी-कभी मैं अपने छात्रों के समूह बनाती हूँ और उनसे कहती हूँ कि वे साथ बैठकर कार्यक्रम के बारे में चर्चा करें। मैं अक्सर इन चर्चाओं के बाद अपने छोटे छात्रों को कार्यक्रम की विषय सामग्री के बारे में संक्षेप में कुछ लिखने को कहती हूँ और अपने बड़े छात्रों को एक लंबी रिपोर्ट तैयार करने को कहती हूँ।

मैं कक्षा में कहानियों, नाटकों और धारावाहिकों का प्रसारण भी करती हूँ। इसके बाद उनके पात्रों, उनमें उठाए गए मुद्दों, या आगे क्या होगा, इस बारे में चर्चा होने लगती है। कभी कभी मैं अपने छात्रों को आमंत्रित करती हूँ कि वे अपने शब्दों में इसके संवाद लिखें और रोल प्ले के रूप में प्रस्तुत करें।

मुझे यह अच्छा लगता है कि किस तरह रेडियो कार्यक्रम अलग अलग आवाजों, नई अभिव्यक्तियों और भाषा के अलग अलग रजिस्टरों से मेरे छात्रों का परिचय करवाते हैं। कार्यक्रमों के दौरान अपरिचित लगने वाले शब्दों को मैं लिख लेती हूँ और बाद में अपने छात्रों से पूछती हूँ कि क्या उन्हें वे शब्द मालूम हैं या क्या वे उनका अर्थ बता सकते हैं। कभी कभी वे सुनी गई भाषा पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि प्रस्तुतकर्ता ने किसी शब्द का उच्चारण इस लहजे में किया या अमुक शब्द अथवा अभिव्यक्ति का उपयोग किया, जबकि इसके बजाय एक वैकल्पिक शब्द का उपयोग किया जा सकता था। इन अंतरों पर चर्चा करने से भाषा की समृद्धि और विविधता के प्रति उन्हें जागरुक बनाने में मदद मिलती है।

मैंने अपने छात्रों की घर की भाषा में भी कार्यक्रम के एक छोटे अनुभाग के प्रसारण का प्रयोग किया है। जो छात्र इसे समझ सकते थे, उनसे मैंने कहा कि वे अपने सहपाठियों को बताएँ कि वक्ता ने क्या कहा है। इसके बाद मैंने उनसे वक्ता द्वारा उपयोग किए गए दो या तीन मुख्य शब्दों को दोहराने को कहा और बाकी कक्षा को मौखिक रूप से उन्हें दोहराने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने परिचित शब्द बोर्ड पर लिखे जिनसे वे अपनी घर की भाषा में परिचित थे या जानते थे, और शेष कक्षा ने अपनी अभ्यास पुस्तिकाओं में उनकी नकल की। हर कोई इस पाठ में पूरी तरह खोया हुआ था।

मेरे छात्रों के लिए रेडियो प्रसारण का उपयोग करने से उन्हें हर समय मेरी ही आवाज़ सुनते रहने के बजाय एक पूरक विकल्प मिलता है।

विचार के लिए रुकें

  • श्रीमती रेखा के रेडियो-आधारित पाठ उनके छात्रों को भाषा और साक्षरता के विकास के कौन-से अवसर देते हैं?
  • क्या आपको लगता है कि कक्षा में रेडियो का उपयोग करने में कोई चुनौतियां हो सकती हैं? आप उनसे कैसे निपट सकते हैं?

मुख्य संसाधन ‘सभी को शामिल करना’ में इस बारे में अधिक विचार मिलते हैं कि कक्षा में किस तरह छात्रों की घर की भाषा को महत्व देकर उनकी सहभागिता बढ़ाई जा सकती है।

गतिविधि 4: कक्षा में रेडियो का उपयोग करना

कक्षा में रेडियो कार्यक्रमों का उपयोग करने से पहले भाषा और साक्षरता के विकास में उनके उपयोग का अभ्यास करना फायदेमंद होता है।

चित्र 4 कक्षा में रेडियो सुनना।

लगभग एक सप्ताह की अवधि में, ऐसे दो या तीन रेडियो कार्यक्रम सुनने का समय निकालें, जो आपके अपने छात्रों के लिए उपयुक्त लगते हों। इन्हें सुनते समय इस बारे में सोचें कि आप निम्नलिखित के सन्दर्भ में इनके प्रसारण से आपने छात्रों को क्या लाभ देना चाहते हैं:

  • इसकी सामग्री के पहलू
  • उनकी भाषा और साक्षरता का विकास।

इसके बाद, कल्पना करें कि आप कक्षा में हैं और ऊंची आवाज़ में बोलकर उस तरह के प्रश्नों और चर्चा बिन्दुओं का अभ्यास करें, जिन्हें शायद आप अपने विद्यार्थियों के विषय ज्ञान और भाषा व साक्षरता के स्तर को ध्यान में रखते हुए उनसे प्रसारण के बाद पूछना चाहेंगे।

ऐसी एक या दो गतिविधियाँ रेखांकित करें, जो आपके छात्र प्रसारण के बाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इनमें बोलना या लिखना अथवा दोनों का मिश्रण शामिल हो सकता है। इस बारे में सोचें कि आप अपने छात्रों को किस प्रकार व्यवस्थित करेंगे, इसमें उन्हें कितना समय लगेगा और आप किस तरह अंत में कक्षा को एक साथ लाएँगे।

जब आप इस कौशल को कई बार दोहरा लें, तो एक कार्यक्रम चुनें, जिसका सीधा प्रसारण किया जा सकता हो, या जिसे रिकॉर्ड करके बाद में आपके छात्रों के लिए चलाया जा सकता हो। जितना संभव हो, इन पाठों की योजना पहले से ही बनाएँ। इसके बाद इसे आज़मा कर देखें।

विचार के लिए रुकें

  • क्या पाठ आपकी उम्मीद के अनुसार हुआ?
  • अगली बार आप अलग ढंग से क्या करेंगे?

एक भाषा-समृद्ध कक्षा बनाने के बारे में आगे के विचारों के लिए, संसाधन 2 ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना’ को देखें।

3 कक्षा का रीडिंग कॉर्नर

4 सारांश