1 विचार-मंथन क्या है?

विचार-मंथन एक तकनीक है जो विद्यार्थियों को किसी विषय के बारे में अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ‘ध्वनि’ या ‘ध्वनि कैसी बनती है?’ जैसे एक शब्द या प्रश्न का उपयोग करके, आप विद्यार्थियों से उनके मन में उठने वाले विचारों को आपको बताने के लिए कह सकते हैं। जब विद्यार्थी उत्तर दें तब उनके सभी उत्तरों को आप के (या किसी विद्यार्थी) द्वारा ब्लैकबोर्ड पर अंकित किया जाएगा, जैसा चित्र 1 में दिखाया गया है।

चित्र 1 ध्वनि के बारे में एक विचार-मंथन को अंकित करना।

विचार–मंथन तकनीक का उपयोग छोटी कक्षाओं के साथ–साथ बड़ी कक्षाओं में भी किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग विद्यार्थियों के समूहों या जोड़े में साथ भी किया जा सकता है। विचार–मंथन से पहले विद्यार्थियों को विषय के बारे में सहपाठियों से कुछ समय के लिए उस पर बातचीत करने की अनुमति दी जाती है, जिससे विद्यार्थियों को अधिक गहराई से सोचने में मदद मिलती है। विद्यार्थियों को अपने विचार प्रस्तुत करने का एक अवसर दिया जाता है। जब कोई विद्यार्थी बोलता है, तो दूसरे विद्यार्थी उसके विचार सुनकर और अधिक व्यापक रूप से सोचने के लिए प्रेरित होते हैं। विचार–मंथन तकनीक का मुख्य उद्देश्य यही है कि विद्यार्थियों को किसी विषय को अधिक गहराई और रचनात्मकता से सोचने के लिए प्रोत्साहित करना। (जैसे ध्वनि के बारे में) अब केस स्टडी 1 को पढ़ें, जो यह बोध कराता है कि कैसे एक अध्यापक ने पहले तकनीक का अनुभव करके इसका अपनी कक्षा में उपयोग किया।

केस स्टडी 1: श्रीमती खान का विचार-मंथन का पहला अनुभव

श्रीमती खान बताती हैं कि कैसे उन्होंने पहली बार विचार–मंथन का अनुभव किया और वे बहुत रोमांचित थी कि किस प्रकार से बड़े समूह में वार्ता करने में उनका आत्मविष्वास बढ़ा। विचार–मंथन तकनीक ने श्रीमती खान को और गहराई से सोचने में उनकी मदद की कि किस प्रकार उनकी कक्षा ज्यादा से ज्यादा सीखने वाली है।

मैंने सबसे पहले विचार-मंथन के बारे में तब जाना जब मैं पर्यावरण अध्ययन के पाठों को विद्यार्थियों के लिए अधिक संवादात्मक बनाने के संबंधी एक दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। जब प्रशिक्षक ने श्यामपट्ट पर ‘संवादात्मक अध्यापन’ लिखा और 20 अध्यापकों के एक समूह से कहा कि मन में आने वाले सभी विचारों पर विचार-मंथन करें। प्रशिक्षक ने हमसे हमारे मन में उठने वाले विचारों को बोलने के लिए कहा मैं पहले तो कुछ भी कहने में घबरा रही थी। जब प्रशिक्षक ने मेरे द्वारा कहे गये शब्दों को श्यामपट्ट पर लिखा तब मैं उन शब्दों के बारे में ज्यादा सोच सकी। अब मैंने खुद के विचारों पर सोचना शुरू कर दिया था, इसलिए मैंने कहा ‘विचार साझा करना’, जिस पर प्रशिक्षक ने कहा था कि यह एक अच्छा विचार है। इस टिप्पणी से मेरा आत्मविष्वास बढ़ गया और इसलिए मैंने अन्य विचार प्रस्तुत करने शुरू कर दिये। मैंने अनेक सेवारत् शिक्षक प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया था परन्तु कभी बोली नहीं थी, इसलिए मैं इस प्रशिक्षण में बहुत खुश थी।

श्यामपट्ट सुझावों की विस्तृत श्रृंखला से भर जाने के कारण प्रशिक्षक को लिखना बन्द करना पड़ा। तब उन्होंने हमारे विचारों को ठीक से देखा और हमसे पूछा कि क्या ऐसे तरीके हैं? जिनसे हम इन विचारों को समूहों में बांट सकते हैं, जैसे– जो अध्यापक के लिए हैं और दूसरे जो विद्यार्थियों के लिए हैं।

मुझे बहुत सारे विचारों और कार्यनीतियों को व्यवस्थित करने का यह तरीका काफी अच्छा लगा। शेष दिन में हमने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि इनमें से कुछ कार्यनीति का उपयोग कैसे किया जाए? एक था ‘विद्यार्थियों के साथ विचार-मंथन कैसे करें’? जो मुझे वास्तव में उपयोगी लगा। मैं यह सोचते हुए घर गयी कि मैं अपनी कक्षा के साथ इस तकनीक का इस्तेमाल कैसे कर सकती हूँ। मैंने इस संबंध अपने एक सहकर्मी से बात की। पाठों और विषय-बिंदुओं से संबंधित विचारों को अपनी कक्षा में आज़माने से पहले अकसर मैं उन्हीं के साथ विचारों को साझा करती हूँ।

श्रीमती ख़ान इस अनुभव से बहुत प्रभावित हुईं। यदि संभव हो तो आप भी निम्नलिखित गतिविधि को अपने किसी सहकर्मी के साथ करके देखें।

गतिविधि 1: स्वयं या किसी सहकर्मी के साथ विचार-मंथन करना

ऐसे पाठ्य/प्रकरणों पर नज़र डालें, जिन्हें आप पर्यावरणीय विज्ञान या विज्ञान में पढ़ाने जा रहे हैं। उस प्रकरण को चुनें, जिसके बारे में आप यह मानते हो कि आपके विद्यार्थी पहले से जानते हैं या तो स्वयं, या समान कक्षा को पढ़ाने वाले या कक्षा में नई और भिन्न कार्यनीतियों का उपयोग करने में रुचि रखने वाले सहकर्मी के साथ, ध्वनि (या किसी अन्य विषय) के बारे में आप क्या जानते हैं, इस पर विचार-मंथन करने की कोशिश करें।

ज़ोर से ‘ध्वनि’ उच्चारित करें और अपने मस्तिष्क में उठने वाले विचारों को सुनें। उन विचारों पर ध्यान दें तथा उन विचारों को लिख लें। एक-दूसरे से बात करने के दौरान यह कार्य तेजी से करें। कुछ मिनटों के बाद, रुकें और आपने जो लिखा है, उस पर नज़र डालें।

इसके बाद, सोचें कि आप शब्दों को समूहबद्ध कैसे कर सकते हैं। समूहबद्ध करने के लिए आपको इस बारे में यह सोचना होगा कि ध्वनि के पाठ का केंद्र बिंदु क्या हो सकता है? या फिर, क्या सिखाना चाहते हैं? उसके अनुसार शब्दों को साथ में समूहबद्ध करें। यदि आप यह जानकारी कर रहे थे कि ध्वनियां कैसे बनती हैं? तो आप विभिन्न वस्तुओं और जंतुओं द्वारा की जाने वाली ध्वनि के प्रकार की जानकारी करने की तुलना में, शब्दों को अलग ढंग से समूहबद्ध करते।

साथ ही, चर्चा करें कि कैसे कार्यनीति ने आप दोनों को ध्वनि के विषय पर अधिक केन्द्रित किया?

विचार के लिए रुकें

क्या आपको अपने सहकर्मी के साथ इसे करने में आनंद आया? ध्वनि के बारे में और अधिक विचार करने में आपको इससे कितनी मदद मिली? सोचें कि आप अपनी कक्षा या कक्षा में किसी समूह के साथ इसे कैसे कर सकते हैं?

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

2 कक्षा में विचार मंथन करना