4 सीखने के लिए विचार-मंथनों का उपयोग करना

विचार-मंथन से प्राप्त परिणामों का उपयोग करने के कई तरीके हैं। ध्वनि या विज्ञान के किसी अन्य क्षेत्र के विषय में विद्यार्थियों के शुरूआती विचारों को आपको समझने का तरीका हो सकता है। ताकि आप विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में दिये गये वैज्ञानिक अवधारणाओं के प्रति विद्यार्थियों की समझ को कैसे विस्तारित किया जाए? इससे सम्बन्धी शैक्षिक योजना बना सकें।

विचार-मंथन के परिणामों का उपयोग विद्यार्थियों की प्रगति पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है। वे ऐसा स्वयं कर सकते हैं या आपके साथ मिलकर कर सकते हैं। विचार-मंथन मजेदार गतिविधि है और इसमें अधिक समय भी नहीं लगता है। इसलिए, यह अपनी कक्षा के विभिन्न योग्यता वाले विद्यार्थियों से प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने का एक अच्छा तरीका है।

अब केस स्टडी 3 को पढ़ें जिसमें यह वर्णन किया गया है कि किस प्रकार एक शिक्षिका ने ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है? के बारे में अपनी कक्षा की सोच को विस्तार देने पाठ एवं योजना बनाने के लिए कक्षा के विचार-मंथन के परिणामों के साथ कार्य किया। संसाधन 2, के ‘प्रगति व प्रदर्शन का मूल्यांकन करना’, शीर्षक के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करता है– कि विद्यार्थियों की समझ और प्रगति के बारे में एकत्र की गई जानकारी का उपयोग कैसे किया जाए?

केस स्टडी 3: कक्षा में विचार-मंथन से प्राप्त जानकारी का उपयोग करना

कुंजा ने अपनी कक्षा के साथ ‘ध्वनि’ पर एक विचार-मंथन किया था जिसे नीचे दिखाया गया है। उन्होंने अपने अगले पाठ योजना बनाने के लिए विचार-मंथन का उपयोग करने से पहले, विद्यार्थियों की समझ के बारे में और गहरी छानबीन करने के लिए कुछ प्रश्न पूछे।

मैंने सभी विद्यार्थियों से पूछा कि जब मैं शब्द ‘ध्वनि’ उच्चारित किया तो उनके मन में जो-जो शब्द व विचार आए वे मुझे बताएं। मैंने उन्हें बिना किसी विशेष क्रम के ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया। कुछ मिनटों बाद मैं रुकी और कक्षा में बताए गये उनके विचारों के लिए धन्यवाद दिया। मैंने विद्यार्थियों द्वारा दिये गये कुछ उत्तरों के बारे में कुछ प्रश्न पूछा ताकि मैं जान सकूं कि उन्होंने जो कहा उसके बारे में वे क्या जानते हैं? मैंने पाया कि अधिकतर विद्यार्थी ध्वनि के प्रकारों का वर्णन तो आसानी से कर पा रहे थे, परन्तु वे यह वर्णन करने में असमर्थ थे कि ध्वनि कैसे बनती है और ध्वनियों में विभिन्नता किस कारण से होती है? मैंने निर्णय लिया कि इस विचार-मंथन के परिणामों का उपयोग करके यह योजना बनाऊंगी कि ध्वनियां कैसे बनती हैं तथा किस प्रकार उनके सुरों में परिवर्तन (मॉडुलन) किया जा सकता है? यह समझाने के लिए विद्यार्थियों की मदद कैसे की जा सकती है।

सबसे पहले मैंने एक बार फिर से विचार-मंथन को करीब से देखा और शब्दों को विभिन्न क्षेत्रों में समूहबद्ध किया [चित्र 4]।

चित्र 4 ध्वनि कैसे बनती है और ध्वनि के प्रकार के बारे में श्रीमती धा के विद्यार्थियों का विचार-मंथन।

मैंने उन यंत्रों को सूचीबद्ध किया, जिनका उल्लेख विद्यार्थियों ने सबसे पहले किया था। इसके बाद विद्यार्थियों द्वारा सुझाई गई ध्वनियों के विवरण और प्रकार लिखे। अंत में मैंने ऐसे शब्द तलाशे जिनको ध्वनियां कैसे बनती हैं? इससे जोड़ा जा सकता है। इस सूची में मैंने ‘फूंकना’, ‘बजाना’, ‘कंपन’, ‘बोलना’ और ‘तार छेड़ना’ रखे। इसके बाद मैंन यही कार्य ध्वनि के प्रकारों के साथ किया। मैंने विद्यार्थियों ध्वनि उत्पन्न करने के तरीकों के बारे में और अधिक समझाने के लिए कहा था, पर वे यह नहीं समझा सके कि असल में क्या होता है?

योजना बनाने के कार्य को आरंभ करने के लिए मेरे पास ऐसे चार वाद्य यंत्रों का उपयोग करने का विचार था, जिनसे ध्वनि उत्पन्न करने के लिए चोट करनी होती है, तार छेड़ना होता है या फूंकना होता है, और साथ ही मैंने कुछ साधारण वस्तुएं एकत्र करने का भी सोचा था, जिसे ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था। जैसे– टिन का खाली डिब्बा, तार और रबर बैंड। मैंने पाया कि विद्यार्थी ध्वनि उत्पन्न तो कर सकते थे, परन्तु उन्हें यह नहीं पता था कि ध्वनि उत्पन्न किस कारण से हो रही है? इसलिए मैंने थोड़े चावल भी ले लिए ताकि कंपन को दर्शाने के लिए उन्हें ड्रम पर रखा जा सके।

मैंने छोटी-छोटी गतिविधियों की एक शृंखला संचालित करने की योजना बनाई, जिसमें विद्यार्थी जोड़ियों में कार्य करते हुए ध्वनि उत्पन्न करने के विभिन्न तरीके आज़मा सकेंगे। विद्यार्थियों उनके द्वारा गतिविधि करने के दौरान मैं उनसे पूछ सकूंगी कि ध्वनि किस कारण से उत्पन्न हो रही है। मैं उन्हें वस्तुओं तथा यंत्रों पर हाथ रखने को प्रोत्साहित करूंगी ताकि वे कंपन का अनुभव कर सकें। इसके बाद जब मुझे लगेगा कि उन सभी को कंपनों का अनुभव हो गया है तो ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है, इसके बारे में मैं उनके लिए एक आरेख बनाऊंगी।

मैं सभी छोटी-छोटी गतिविधियों को कमरे में व्यवस्थित करूंगी और वे बारी-बारी से एक से दूसरी गतिविधि पर जा सकेंगे। उनके लिए सभी गतिविधियां तो नहीं पर कम-से-कम चार या पाँच गतिविधि करना आवश्यक होगा।

गतिविधि 4: आगे के चरणों की योजना बनाने के लिए अपने विद्यार्थियों के विचार-मंथन के परिणामों का उपयोग करना।

केस स्टडी 3 में श्रीमती धा द्वारा की गई गतिविधि, में उन्होंने इसकी छानबीन की थी कि ध्वनियां कैसे उत्पन्न होती हैं? जैसे अन्य किसी गतिविधि को करने की कोशिश करें।

  • आप, ऐसी किसी योजना के लिए अपनी कक्षा को किस प्रकार अनुकूलित कर सकते हैं?

  • ध्वनि के किन क्षेत्रों को समझने में आपके विद्यार्थियों के लिए मदद चाहिए?
  • इन चीजों की पहचान कर लेने के बाद सोचें, कि ध्वनियां कैसे उत्पन्न होती हैं? इसकी छानबीन करने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए आप कौन सी गतिविधियां कर सकते हैं?
  • यदि आपकी कक्षा बड़ी है, तो हो सकता है कि आप कंपनों से संबंधित कुछ सरल गतिविधि आज़माने के लिए एक बार में एक समूह के साथ कार्य करें और उस दौरान बाकी कक्षा किसी पाठ्य-आधारित गतिविधि पर कार्य करे।
  • गतिविधियां आज़माएं।
  • विद्यार्थियों ने कैसी प्रतिक्रिया दी और आपके विचार में उन्होंने उस अनुभव से क्या सीखा? इस बारे में कुछ नोट्स लिखें। आपने यह कैसे लगाया?

आपने देखा कि किस प्रकार श्रीमती धा ने जाना कि उनकी कक्षा को क्या-क्या जानकारी है और उनके ज्ञान में कहां-कहां कमियाँ हैं? उन्होंने विद्यार्थियों के उत्तरों का विश्लेषण किया। ध्वनि के मुख्य पहलुओं में श्रेणीबद्ध किया। सबसे पहले, ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए। उनका अगला चरण, विभिन्न यंत्रों या वस्तुओं को बजाने के तरीके में बदलाव करने से उत्पन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की ध्वनियों की छानबीन करना हो सकता था। विद्यार्थियों को ध्वनि उत्पन्न करने के ठोस उदाहरण देने से कंपनों को कहीं बेहतर ढंग से समझने में उन्हें मदद मिलेगी।

विचार-मंथन करने से श्रीमती धा को अपने शिक्षण को अपने विद्यार्थियों की आवश्यकताओं पर अधिक प्रत्यक्ष रूप से निर्देशित करने में मदद मिली है। इस प्रकार की पद्धति आपके लिए भी ऐसा ही सकारात्मक असर दे सकती है।

3 विचार-मंथन से प्राप्त जानकारी का प्रभावी उपयोग करना

5 सारांश