संसाधन 2: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना

विद्यार्थियों के अधिगम का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं–

  • योगात्मक मूल्यांकन विद्यार्थी पहले से सीखा गया है उसको देखता है तथा उसका निर्णय करता है। यह सामान्यतया परीक्षाओं के स्वरूप में आयोजित किया जाता है, जहाँ विद्यार्थी को परीक्षा में प्रश्नों के प्रति उनकी उपलब्धियों को बताते हुए श्रेणीकृत किया जाता है। इससे परिणामों की रिपोर्टिंग करने में मदद मिलती है।
  • निर्माणात्मक मूल्यांकन (या अधिगम का मूल्यांकन) यह मूल्यांकन काफ़ी अलग है जो अधिक अनौपचारिक तथा समस्या चिन्हीकरण पर आधारित होता है। शिक्षक इसको शिक्षण प्रक्रिया के अंग के रूप में उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए, जहां, विद्यार्थियों से किसी विषय वस्तु को समझा हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए प्रश्नों का इस्तेमाल किया जाता है। इस मूल्यांकन के परिणामों को अगले शिक्षण अनुभव बदलाव के लिए उपयोग किया जाता है। निगरानी और फ़ीडबैक निर्माणात्मक मूल्यांकन का हिस्सा है।

निर्माणात्मक मूल्यांकन अधिगम को बढ़ाता है, क्योंकि अधिकांश विद्यार्थियों को अवश्य में सीखने के लिए :

  • समझना चाहिए कि उनसे क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है?
  • जानना चाहिए कि अपनी पढ़ाई में वे इस समय किस स्तर पर हैं?

  • समझना चाहिए कि वे किस प्रकार प्रगति कर सकते हैं? (अर्थात क्या पढ़ना चाहिए और कैसे पढ़ना चाहिए?)

  • जानना चाहिए कि कब उन्होंने लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम हासिल कर लिए हैं?

शिक्षक के रूप में, यदि आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे तो आप विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है:

  • पहले: पढ़ाने से पहले मूल्यांकन से आपको यह जानने में मदद मिलती है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? और पढ़ाने से पहले क्या कर सकते हैं? यह आधार-रेखा निर्धारित करता है और आपको अपनी शिक्षण योजना तैयार करने के लिए प्रारंभिक बिंदु देता है। छात्र क्या जानते हैं इस बारे में अपनी समझ को बढ़ाने से, विद्यार्थियों को जिसमें पहले से ही महारत हासिल है, उसे दुबारा पढ़ाने या संभवतः उन्हें जो जानना या समझना है। लेकिन नहीं जानते उसे छोड़ने के मौक़े कम होंगे।
  • पढ़ाते समय: कक्षा में पढ़ाते समय मूल्यांकन करने में यह देखना शामिल होता है कि क्या विद्यार्थी सीख रहे हैं? और उनमें सुधार हो रहा है। इससे आपको अपनी शिक्षण पद्धति, संसाधनों और गतिविधियों का समायोजन करने में मदद मिलेगी। यह आपको यह समझने में मदद करेगा कि विद्यार्थी वांछित उद्देश्य की दिशा में किस प्रकार प्रगति कर रहा है तथा आपका शिक्षण कितना सफल है।
  • पढ़ाने के बाद: शिक्षण के बाद किया जाने वाला मूल्यांकन इसकी पुष्टि करता है कि विद्यार्थियों ने क्या सीखा है? और आपको दर्शाता है कि किसने सीखा है और किसे अभी मदद की ज़रूरत है। इससे आप अपने शिक्षण लक्ष्य का प्रभावी आकलन कर सकेंगे।

पहले: आपके छात्र क्या सीखेंगे इस बारे में स्पष्ट रहना?

जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की शृंखला में क्या सीखना चाहिए? तो आपको उसके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं? और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है? ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वाक़ई समझा है या नहीं? उदाहरण के लिए–

विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें या विद्यार्थियों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर चर्चा करने के लिए कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, तभी आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं और उन्हें क्या सीखना है?

पहले: जानना कि छात्र अपने शिक्षण के किस स्तर पर हैं

आपके विद्यार्थियों में सुधार हेतु मदद करने के क्रम में आपको और उन्हें अपने ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें आप तब निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

  • विद्यार्थियों को मानसिक मानचित्र बनाने या उस विषय के बारे में वे पहले से क्या जानते हैं? उसे सूचीबद्ध करने के लिए जोड़े में कार्य करने के लिए कहें। विद्यार्थियों को उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दें लेकिन उन्हें विचारों के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं देना चाहिए। उसके बाद आप उन मानसिक मानचित्र या सूचियों की समीक्षा करें।
  • महत्वपूर्ण शब्दावली को बोर्ड पर लिखें और प्रत्येक शब्द के बारे में वे क्या जानते हैं? यह बताने के लिए स्वेच्छा से उन्हें आगे आने के लिए कहें। फिर बाक़ी कक्षा से कहें कि यदि वे शब्द समझते हैं तो अपने अंगूठे की दिशा को ऊपर रखें यदि वे बहुत कम जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं, तो अंगूठे की दिशा को नीचे की ओर रखें और यदि वे कुछ जानते हैं, तो बराबर में रखकर दिखायें।

कहाँ से शुरुआत करनी है? यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए व्यवहारिक और रचनात्मक रूप से पाठ योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं ताकि आप और वे दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है? आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी।

पढ़ाते समय: शिक्षा में विद्यार्थियों की प्रगति सुनिश्चित करना

जब आप विद्यार्थियों से उनकी प्रगति के बारे में बात करते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि उनको आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक लगे।

  • छात्रों को यह जानने में मदद करना कि उनका कौन सा पक्ष मजबूत है और उसे कैसे और सुदृढ़ कर सकते हैं?
  • इस बारे में स्पष्ट रहना कि आगे विकास के लिए क्या आवश्यक है?
  • इस बारे में सकारात्मक रहना कि वे किस प्रकार अपनी समझ को विकसित कर सकते हैं? इस बात का ध्यान रखना और आपकी सलाह का उपयोग करने में सक्षम करते हैं।

आपको विद्यार्थियों विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए अवसर प्राप्त कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को भरने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नलिखित कार्य करने होंगेः

  • कुछ ऐसे कार्य पर वापस नज़र दौड़ाना होगा जिनके बारे में आपने सोचा था कि वे पहले से जानते हैं।
  • आवश्यकता के अनुसार विद्यार्थियों के समूह बनाना और उन्हें अलग-अलग कार्य देना।
  • विद्यार्थियों को स्वयं यह निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करना कि उन्हें किन संसाधनों को पढ़ने की ज़रूरत है ताकि वे ‘स्वयं अपना अंतराल भर सकें’।
  • ‘निम्न वर्गीय, उच्च वर्गीय’ वाले कार्यों का उपयोग करना, ताकि सभी छात्र प्रगति कर सकें - इन्हें इसलिए नियोजित किया गया है कि सभी छात्र काम शुरू कर सकें लेकिन अधिक समर्थ को प्रतिबंधित न किया जाए और वे अपने ज्ञान के विस्तार के लिए प्रगति कर सकें।

पाठों की गति को धीमा करके अक्सर आप दरअसल पढ़ाई को तेज़ करते हैं क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय देकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े मुहैया करा रहे हैं।

पढ़ाने के बाद: प्रमाण एकत्रित करना, उसकी व्याख्या करना और आगे की योजना बनाना

जब शिक्षण–अधिगम चल रहा हो कराने के बाद और गृह कार्य देने के बाद, ज़रूरी है कि–

  • इस बात को जाँचें कि आपके विद्यार्थी कितनी अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं।
  • इसे अगले पाठ के लिए अपनी योजना में सुधार करने के लिए उपयोग में लाएँ
  • विद्यार्थियों को फीडबैक दें।

मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है।

सूचना या प्रमाण एकत्रित करना

प्रत्येक विद्यार्थी में सीखने की गति अलग–अलग होती है, वह स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको ध्यान देना होगा–

  • विविध स्रोतों से जानकारी एकत्रित करें - अपने अनुभव से, छात्र से, दूसरे विद्यार्थियों से, अन्य शिक्षकों से, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों से।
  • विद्यार्थियों का व्यक्तिगत रूप से जोड़ों में और समूहों में मूल्यांकन करें, तथा स्व-मूल्यांकन को बढ़ावा दें। अलग विधियों का भी प्रयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई एक पद्धति आपके वह सभी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती जिसकी आपको ज़रूरत है। विद्यार्थियों के सीखने और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के विभिन्न तरीक़ों में शामिल हैं जैसे– देखना, सुनना, विषयों पर चर्चा, तथा लिखित वर्ग और गृह-कार्य की समीक्षा करना।

अभिलेखन

भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं जैसे कि–

  • शिक्षण–अधिगम के समय जो आप देखते हैं उसे डायरी/नोटबुक/रजिस्टर में नोट कर ले।
  • विद्यार्थियों के कार्य के नमूने जैसे– लिखित, कला, शिल्प, परियोजनाएँ, कविताएँ आदि संरक्षित करना।
  • प्रत्येक विद्यार्थी का प्रोफ़ाइल तैयार करना।
  • विद्यार्थियों की किन्हीं असामान्य घटनाओं, परिवर्तनों, समस्याओं, शक्तियों और शिक्षण प्रमाणों को लिखकर रखना।

प्रमाण की व्याख्या

जैसे ही जानकारी एवं प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है ताकि यह समझा जा सके है कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको शिक्षण में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फ़ीडबैक देकर, नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यकता है।

सुधार के लिए योजना बनाना

मूल्यांकन, प्रत्येक विद्यार्थियों को विशिष्ट और विभेदक शिक्षण गतिविधियों की स्थापना करते हुए सार्थक ढंग से सीखने का अवसर प्रदान करती है। अधिक ज़रूरतमंद विद्यार्थियों पर ध्यान देने तथा अधिक उन्नत विद्यार्थियों को चुनौती देते हुए सार्थक शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराने में आपकी मदद कर सकता हैं।

संसाधन 3: विचार-मंथन सत्र की व्यवस्था करना