1 विचारों की खोज करने के लिए समूहकार्य का उपयोग करना

कई विद्यार्थियों के मन में, चीजें डूबती और तैरती क्यों हैं? इस बारे में आधे-अधूरे विचार होते हैं जो उन्होंने अनुभव के माध्यम से विकसित किए होते हैं। संभवतः उन्हें, चीज़ें तैरती या डूबती क्यों हैं? इससे संबंधित अवधारणाएं कभी भी अच्छी तरह से समझाई नहीं गई हैं। अथवा वस्तुतः तैरती या डूबती क्यों हैं? इस बारे में उन्हें बात करने का अवसर कभी नहीं मिला है।

इस अत्यंत मूलभूत अवधारणा को समझना स्वास्थ्य व सुरक्षा कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अपने समुदायों में वस्तुओं और लोगों का परिवहन करने के लिए स्थानीय जलमार्गों, नदियों और समुद्र का उपयोग करने वाले कई लोगों को लिए ये सिद्धांत समझना आवश्यक है।

समूहकार्य से विद्यार्थी अपने विचारों के बारे में तर्कसंगत रूप से बात कर पाते हैं और दूसरों के साथ अच्छे तथा आधे-अधूरे, दोनों प्रकार के विचार साझा कर पाते हैं। साथ मिल कर ऐसे समूह अपनी समझ को साझा कर सकते हैं। ऐसे विचारों का परीक्षण कर सकते हैं, जिनके बारे में वे खोज करने से कुछ निश्चित न कर सके हों। कुछ मामलों में समूहकार्य, जोड़ी में कार्य करने से बेहतर क्यों हो सकता है? इसका कारण यह है कि यदि तैरने के बारे में आपके सभी विद्यार्थियों की समझ आधी-अधूरी किंतु भिन्न-भिन्न है, तो अधिक घटकों को साथ में एकीकृत करने से उनकी बेहतर समझ तक पहुँच पाने की संभावना अधिक है। शिक्षक के तौर पर आपकी भूमिका यह है कि आप विद्यार्थियों के विचारों को एक साथ जोड़ने में और उन्हें संगठित करके, चीज़ें तैरती या डूबती क्यों हैं? इसकी समान समझ का रूप देने में उनकी मदद करें। अन्य छोटे समूह कोई दूसरा कार्य कर रहे हों, तब किसी एक समूह से बात करने का अर्थ यह है कि आप प्रश्न पूछ कर और संबंधित जानकारियां प्रदान करके इन विद्यार्थियों की सोच को स्पष्ट करने में उनकी मदद कर सकते हैं।

अब केस स्टडी 1 पढ़ें जो इस बारे में है कि किस प्रकार एक शिक्षक ने कक्षा 1 के अपने छोटे-छोटे विद्यार्थियों के साथ डूबने और तैरने के आरंभिक विचारों की खोज की।

केस स्टडी 1: आरंभिक विचारों की खोज करने के लिए छोटे समूहों का उपयोग करना

श्रीमती खांडे कक्षा 1 को पढ़ाती हैं। वे अपनी कक्षा को प्रेरक वातावरण देने की कोशिश करती हैं और इसके लिए वे विद्यार्थियों को ऐसा समय देती हैं, जिसमें वे स्वयं चुन सकते हैं कि उन्हें क्या करना है ?समय गुजरने के साथ -साथ उन्होंने ऐसी सामग्रियां जुटा ली हैं, जो वे अपने विद्यार्थियों के खेलने के लिए वहां रख सकती हैं। उन्होंने बेकार कपड़ों की गुड़िया बनाई हैं और कपड़े तैयार किए हैं, ताकि विद्यार्थी उनके साथ नाटिका खेल सकें। उनके पास एक बड़ा सा प्लास्टिक का टब भी है जिसे वे पानी से भर देती हैं और उसमें विद्यार्थियों के लिए जलक्रीड़ा का आनंद लेने के लिए खिलौने और डिब्बे, बर्तन आदि डाल देती हैं। वे बताती हैं कि किस प्रकार वे पानी से खेल रहे विद्यार्थियों के एक समूह के साथ शामिल हो गईं।

मैंने अपने विद्यार्थियों के लिए एक सत्र आयोजित किया था, जिसमें उन्हें स्वयं चुनना था कि उन्हें क्या करना है? उनके करने के लिए बहुत से अलग-अलग कार्य थे। मैंने तय किया कि पानी में मैंने जो खिलौने और डिब्बे आदि डाले हैं, जब विद्यार्थी उनसे खेलेंगे, तो उनकी बातें सुनने और उनसे बातचीत करने के लिए मैं पानी के टब के बगल में ही खड़ी रहूंगी। मैं पानी के गुणों के बारे में और विशेष रूप से, चीजें क्यों तैरती हैं? इस बारे में उनके विचार जानना चाहती थी। वे पत्थरों से खेल रहे थे और उन्हें अलग अलग डिब्बों में डाल रहे थे।

खेलते-खेलते वे एक-दूसरे से बात कर रहे थे। दो लड़कियां अपने प्रत्येक डिब्बे में एक-एक पत्थर रख रही थीं और उन्हें टब में तैरा रही थीं। जब मैंने उनसे पूछा कि वे क्या कर रही हैं? तो उन्होंने कहा कि वे लोगों को नदी पार करवा रही हैं और लड़के पत्थरों को नाव से लेकर सड़क के पार ले जा रहे थे। एक लड़का बोला– ‘अगर मैं सारे पत्थर इस बर्तन में रख दूं तो यह काम जल्दी हो जाएगा।’ उसने ऐसा किया और वह टब डूब गया। दूसरा लड़का बोला कि तुम्हें एक बार में एक पत्थर रखना होगा। इसी समय उनमें से एक लड़की बोली कि एक बार में केवल एक आदमी होना चाहिए, ‘गाँव में मेरे पिता भी लोगों को इसी तरह नदी पार कराते हैं’ [चित्र 1]।

चित्र 1 नदी पार करते हुए लोग।

इसके बाद उन्होंने इस बारे में बात की कि सबसे अच्छा क्या रहेगा? तो मैंने उनसे पूछा कि अगर वे अपने-अपने टबों को जांच कर यह देखें कि वे कितना वजन संभाल सकते हैं तो क्या होगा? मैंने उनसे पूछा कि क्या वे इसका पता लगा सकते हैं? एक लड़के ने अपने सारे पत्थर अपने टब में रख दिए, क्योंकि उसे नहीं लगता था कि उसके दोस्त के टब की तरह यह डूब जाएगा। परन्तु उसका भी टब डूब गया। मैंने पूछा कि अगर वह एक-एक करके पत्थर रखता जाए, तो कैसा रहेगा वह पत्थर रखता गया और हम प्रत्येक पत्थर को गिनने की कोशिश करते रहे। कुछ विद्यार्थी गिनने के मामले में औरों से बेहतर थे। इससे उन्हें अपने गिनने के कौशल का अभ्यास करने का एक अच्छा अवसर मिला।

नाव डूब गई, तब मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे जांचने के लिए एक बार फिर से पत्थरों की संख्या गिनें। मैंने उनसे पूछा कि अगर हम टब में केवल छहः पत्थर रखें तो क्या होगा? क्या वह तैरेगा या डूब जाएगा? पाँच विद्यार्थियों के उस समूह में मतभेद थे, दो कह रहे थे कि वह डूब जाएगा और बाकी कह रहे थे कि वह तैरेगा। जब वह तैर गया, तो उसके बाद मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे अलग अलग आकार के पन्नियों के टब, जिसे मैंने इकट्ठे किए थे। आजमाएं और देखें कि वे सभी पत्थरों की समान संख्या से डूब जाते हैं या नहीं।

मेरे विद्यार्थी लंबे समय तक खेलते रहे और इस दौरान उन्होंने अपने विचार परखे। इसके बाद वे लोगों को नदी पार करवाने के अपने अभिनय में फिर से मशगूल हो गए। पत्थर इंसान बन गए थे जो बार-बार इधर से उधर और उधर से इधर, नदी के पार जा रहे थे। इस बारे में भी काफी बातचीत हो रही थी कि वे अपने साथ क्या ले जा रहे हैं? नदी के दूसरी ओर पहुंच कर वे क्या करेंगे? इस बारे में अधिक चर्चा हुई कि नाव पर उसकी क्षमता से ज्यादा भार न डाला जाए नहीं तो वह डूब जाएगी। विद्यार्थी अपनी कहानी और अभिनय के प्रसंग में, तैरने और डूबने के विचार की खोज करने में पूरी तरह संलग्न थे और साथ मिलकर समूह के रूप में कार्य कर रहे थे।

विचार के लिए रुकें

  • आपके विचार में, इस तरह से खेलने और सीखने में सक्षम होने से विद्यार्थियों को क्या हासिल हुआ?
  • क्या आपको कभी समूहों में कार्य करना पड़ा है?
  • आपको वह करने में कितना आनन्द आया था? और क्यों?
  • क्या बातचीत करने से आपको समूह के अन्य सदस्यों से सीखने में मदद मिली थी? और कैसे?

समूहकार्य से किसी भी आयु के विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने, प्रश्न पूछने सुझाव देने का समय तथा सुरक्षित माहौल मिलता है। वयस्कों के रूप में अकसर हमारे पास किसी मुद्दे के बारे में इतने विचार तब तक नहीं होते अथवा उस मुद्दे के बारे में हम इतनी गहराई से तब तक नहीं सोचते जब तक कि हम दूसरों के साथ बात नहीं करते या अपने विचार साझा नहीं करते। स्कूल में विद्यार्थियों के लिए भी यही बात लागू होती है।

सीखने की क्रिया एक सामाजिक प्रक्रिया है (वायगटस्की, 1978), और विज्ञान में क्या घटित हो रहा है? इस बारे में दूसरों के साथ बातचीत कर पाने से विद्यार्थियों ने जो देखा या अनुभव किया उससे, यह कार्य अकेले करने की बजाय बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। अमुक चीज़ क्यों होती है? इस बारे में अपने विचारों पर दूसरों से बात करने से हमें समस्या के बारे में अधिक गहराई से सोचने में मदद मिलती है। जब विद्यार्थी किसी मुद्दे या समस्या के बारे में बात करते हैं तभी जाकर वे संभावित समाधानों या, अमुक चीज़ क्यों होती है? इसके कारणों के बारे में सोचना आरंभ करते हैं।

कक्षा को संगठित करने के तरीके के रूप में समूहकार्य का उपयोग करने से सभी विद्यार्थियों को अपेक्षाकृत बड़े श्रोतावर्ग के सामने लज्जित हुए बिना या सकुचाए बिना, बोलने और विचारों के साथ जोख़िम लेने के अधिक मौके मिलते हैं। संसाधन 1, ‘सीखने के लिए बोलना’ देखें, विशेष रूप से कक्षा में सीखने की गतिविधियों के लिए बात करने की योजना बनाने पर दिए गए अनुभाग को। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और रुचि उत्पन्न होगी। यद्यपि विद्यार्थियों से समूह में कार्य करने को कह देना मात्र ही अधिक नहीं है। आपको इस बारे में ध्यान से सोचना होगा कि समूहों का गठन कैसे किया जाए? वे कौन सा कार्य करेंगे और चर्चा के बाद क्या होगा? इस इकाई का शेष अंश आपको इन मुद्दों के बारे में सोचने में मदद देगा।

समूहकार्य, जोड़ी में कार्य का उपयोग करने के बाद का अगला चरण स्वाभाविक है, परन्तु समूहकार्य का उपयोग कर लेने पर आप तब भी जोड़ी में कार्य का उपयोग करते रहने से वर्जित नहीं हो जाते हैं। प्रत्येक विधि के अपने-अपने लाभ हैं और वे बड़ी या छोटी कक्षाओं को संभालने में आपकी अलग-अलग तरीकों से मदद करते हैं। परन्तु ध्यान हमेशा उस सर्वोत्तम कार्यनीति का प्रयोग करने पर केंद्रित होना चाहिए, जिससे अधिकतम विद्यार्थियों के लिए उद्देश्यपूर्ण शिक्षण परिणाम हासिल किए जा सकते हों।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है?

2 समूहकार्य का उपयोग करने की विधियां और इसके लाभ