2 विद्यार्थियों की संलग्नता और सीखने की क्रिया

किसी भी प्रयोग प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है, सीखने में विद्यार्थियों की मदद करना। केस स्टडी1 1 में, श्रीमती शहनाज़ के विद्यार्थियों ने सीखा कि विभिन्न प्रकार के खाद्य-पदार्थों को पकाने पर वे किस प्रकार बदलते हैं, और इससे उनके प्रेक्षण कौशल के विकास में भी मदद हुई। श्रीमती शहनाज़ ने अपने विद्यार्थियों की सोचने की क्रिया को विस्तार देने के लिए अपने प्रश्न पूछने के कौशल का उपयोग किया। जैसे कि, विद्यार्थी के उत्तर को मात्र स्वीकार कर लेने की वजाय, उन्होंने पूछा कि विद्यार्थी को कैसे पता कि चावल सफेद हो जाएगा।

परन्तु, जहां एक ओर प्रयोग प्रदर्शन से अवधारणाओं और प्रक्रियाओं का सीधा प्रेक्षण संभव हो पाता है, वहीं दूसरी ओर आप यह मान कर नहीं चल सकते कि विद्यार्थी प्रेक्षण मात्र से ही वैज्ञानिक समझ विकसित कर लेंगे। शिक्षक होने के नाते आप किसी प्रयोग प्रदर्शन से समझने और सीखने में अपने विद्यार्थियों की मदद करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। आपकी भूमिका एक मध्यस्थ और व्याख्याकार की है (मोंक एवं ओस्बोर्न, 2000)।

विद्यार्थी निष्क्रिय प्रेक्षकों के रूप में नहीं सीखेंगे उनका सक्रिय रूप से संलग्न होना ज़रूरी है। इसके लिए श्रीमती शहनाज़ ने अपने विद्यार्थियों का ध्यान इस बात पर केंद्रित किया कि पकाए जाने पर खाद्य-पदार्थ किस प्रकार बदलते हैं? और प्रश्न पूछने के द्वारा उनके निकटता से प्रेक्षण करने के कौशल को प्रोत्साहित किया। उन्होंने विषय को विद्यार्थियों के अनुभवों से भी जोड़ा।

विद्यार्थियों को संलग्न करने का एक और तरीका यह है कि उन्हें कोई भूमिका या कार्य दिया जाए, जिससे उनके प्रेक्षण केंद्रित हो जाएं। उदाहरण के लिए, अधिक आयु वाले विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन के आगे बढ़ने के साथ-साथ परिणाम और प्रेक्षण अपनी पुस्तकों में लिख सकते हैं।

विद्यार्थियों को प्रयोग प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से संलग्न करने और वे जो प्रेक्षण करते हैं, उसके बारे में सोचने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने का एक विशिष्ट तरीका है पूर्वानुमान-प्रेक्षण-व्याख्या (प्रेडिक्ट-ऑब्जर्व-एक्स्प्लेन) पीओई नामक तकनीक का उपयोग करना, जिसका वर्णन व्हाइट एवं गनस्टोन (1992) द्वारा किया गया है:

  • विद्यार्थी यह पूर्वानुमान लगाते हैं कि क्या होगा? और अपने पूर्वानुमान का औचित्य सिद्ध करते हैं। पूर्वानुमान के लिए कोई उचित आधार होना चाहिए न कि कोई अनुमान। पूर्वानुमान लगाने के लिए उन्हें अपनी मौजूदा जानकारी और समझ को प्रश्नगत स्थिति में व्यवहार में लाना चाहिए।
  • जो हो रहा है, विद्यार्थी उसका प्रेक्षण और वर्णन करते हैं।
  • विद्यार्थियों से कहा जाता है कि वे अपने प्रेक्षण का वर्णन करें और उनके पूर्वानुमान और प्रेक्षण में जो भी अंतर हों, उनका समाधान करने की कोशिश करें।

उनके विचारों को चुनौती देने का एक तरीका है पीओई का इस्तेमाल करना, परन्तु इसका उपयोग केवल तब ही किया जा सकता है जब विद्यार्थियों के पूर्वानुमानों का कोई आधार हो। इससे आपको उनकी समझ के बारे में मूल्यवान, गहरी जानकारी मिलेगी। अनुमानों के आधार पर लगाए गए पूर्वानुमानों से उपयोगी मूल्यांकन जानकारी नहीं मिलती है।

विचार के लिए रुकें

मंड परीक्षण एक आसान परीक्षण है जिसमें खाद्य-पदार्थ पर आयोडीन का घोल डाला जाता है। यदि मंड (स्टार्च) अनुपस्थित है, तो आयोडीन का घोल पीले या नारंगी रंग का ही बना रहता है। जब मंड उपस्थित होता है, तो नीला या काला रंग दिखता है।

इस खाद्य परीक्षण का प्रयोग प्रदर्शन करने के लिए आप पीओई तकनीक का उपयोग कैसे कर सकते हैं?

पीओई का उपयोग करने के द्वारा, आप बतौर एक शिक्षक, अपने विद्यार्थियों से उनके मौजूदा ज्ञान और समझ को व्यवहार में लाने को कह रहे हैं। अपने विद्यार्थियों से उनके पूर्वानुमानों का औचित्य सिद्ध करने के लिए कहने से आप यह पता लगा सकेंगे किक उनके मन में पहले से क्या विचार मौजूद हैं। विद्यार्थियों को, जो हो रहा है, उसका प्रेक्षण करने को कहने से आप उनके मौजूदा विचारों का मूल्ययांकन कर सकते हैं और उन्हें चुनौती दे सकते हैं। कसे स्टडी 2 में आप जानेंगे कि किकस प्रकार एक शिक्षिका, श्रीमती मोहंती ने मंड परीक्षण कके अपने प्रयोग प्रदर्शन में पीओई का उपयोग किया।

हालांकि, इस बात की संभावना है कि विद्यार्थी विभिन्न खाद्य-पदार्थों से परिचित हों पर हो सकता है कि जो खाद्य-पदार्थ वे खाते हैं उनके और पोषक तत्वों के समूहों के बीच संपर्क बनाने में उन्हें कठिनाई होती हो। आंशिक तौर पर ऐसा इसलिए है, क्योंकि ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘विटामिन’ या ‘मंड’ जैसी चीजें, अमूर्त अवधारणाएं हैं। आप मंड का बैग नहीं खरीदते हैं अथवा कटोरी भर प्रोटीन नहीं खातते हैं। इस विषय को पढ़ाने में चुनौती यह है कि पोषक तत्व समूहों और कैसे वे विभिन्न खाद्य-पदार्थों में पाए जाते हैं इस संबंध में विद्यार्थियों की अवधारणात्मक समझ को विकसित कैसे किया जाए शब्दों के अशुद्ध उपयोग से आसानी से भ्रम पैदा हो सकता है, जैसे ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘मंड’ और ‘शर्करा’। अतैव यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि शर्करा और मंड, दोनों ही कार्बोहाइड्रेट हैं, और मंड का खाद्य-परीक्षण करते समय, ‘कार्बोहाइड्रेट’ शब्द का उपयोग करने की बजाए ‘मंड’ शब्द का उपयोग करें।

केस स्टडी 2: श्रीमती मोहंती का प्रयोग प्रदर्शन

इस केस स्टडी में एक शिक्षिका, श्रीमती मोहंती खाद्य परीक्षणों के बारे में पढ़ाते वक्त इस्तेमाल किए गए एक प्रयोग प्रदर्शन की तैयारी के बारे में बताती हैं। कक्षा बड़ी होने या सुरक्षा की दिक्कतों के चलते, कक्षा में खाद्य पदार्थों का परीक्षण करना मुश्किलो सकता है। ऐसी स्थितियों में शिक्षक द्वारा प्रयोग प्रदर्शन एक उपयोगी कार्यनीति है। कक्षा 6 के 60 विद्यार्थियों को पाठ पढ़ाया जाना था।

मैं चाहती थी कि विद्यार्थी यह सीखें कि कुछ खाद्य-पदार्थों में मंड होता है और यह कि खाद्य-पदार्थ में मंड की उपस्थिति का पता एक आसान से परीक्षण द्वारा लगाया जा सकता है। मैं चिंतित थी कि यदि प्रत्येक विद्यार्थी परीक्षण करता है, तो काफी भोजन व्यर्थ हो जाएगा। साथ ही में आयोडीन भी अपर्याप्त थी। इसलिए मैंने खाद्य-पदार्थों में मंड की उपस्थिति का परीक्षण दिखाने के लिए प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग करने का फ़ैसला लिया।

प्रयोग प्रदर्शन की योजना बनाते समय, मैंने मंड-युक्त और मंड-विहीन, दोनों प्रकार के खाद्य-पदार्थों को शामिल करने का निर्णय लिया, ताकि विद्यार्थी परीक्षण के परिणामों का अंतर देख सकें। मैं उन्हें बहुत से अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थ दिखाना चाहती थी, इसलिए मुझे प्रयोग प्रदर्शन के लिए बड़ा स्थान चाहिए था। सभी विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन देख सकें, इसके लिए मैंने प्रयोग प्रदर्शन फ़र्श पर करने का निर्णय लिया। कुछ विद्यार्थी फ़र्श पर बैठ गए, कुछ उनके पीछे कुर्सिसयों पर तथा कुछ पीछे खड़े हो गए। मैंने तय किया कि कम प्रेरित विद्यार्थियों को तथा, जिन्हें सीखने में मुश्किल होती है, उन्हें सबसे आगे बैठाया जाए, ताकि उन्हें संलग्न होने का सर्वोत्तम मौका मिले। ससाथ ही, पीछे वाले विद्यार्थी भी देख सकें यह सुनिश्चित करने के लिए, मैंने परखनलिययों की बजाए छोटी-छोटी तश्तरियों पर खाद्य-पदार्थों का परीक्षण करने का निर्णय लिया क्योंकि परखनलियां बहुत छोटी होती हैं [चित्र 1]।

परीक्षण के बारे में समझा देने के बाद, मैंने उन्हें मंड और आयोडीन की अभिक्रिया दिखाई और फिर विभिन्न खाद्य-पदार्थों पर परीक्षण किया। मैं विद्यार्थियों में रुचि जागृत करना चाहती थी, पर यह कोई बहुत रोचक खाद्य परीक्षण नहीं है। तो मैंने ससोचा कि मैं विद्यार्थियों से पूर्वानुमान लगवाऊंगी। कुछ खाद्य-पदार्थों का परीक्षण करने के बाद, मैंने उनसे पूर्वानुमान लगाने को कहा कि परीक्षण सकारात्मक होगा या नकारात्मक, इसके लिए उन्हें हाथ उठाकर बताना था। प्रत्येक श्रेणी के लिए उनका उत्तर लिखा जाना था। इससे मुझे यह भी पता चला कि विद्यार्थियों ने मंड-युक्त खाद्य-पदार्थों के विचार को समझा किया है या नहीं।

ब्लैकबोर्ड पर मैंने परिणामों के लिए चार स्तंभों वाली एक तालिका बनाई, पहले स्तंभ में खाद्य-पदार्थ का प्रकार, दूसरे में उसका मूल रंग, तीसरे में रंग का बदलाव और चौथे में मंड की उपस्थिति का निष्कर्ष [चित्र 1]। मैंने प्रत्येक खाद्य-पदार्थ का नाम पहले स्तंभ में लिख दिया। पहले मैंने प्रत्येक खाद्य पदार्थ के परीक्षण के बाद परिणाम को किसी विद्यार्थी द्वारा लिखवाने के लिए सोचा, पर बाद में मैंने तय किया कि यदि विद्यार्थी अपने स्वयं के प्रेक्षण और अनुमान एवं निष्कर्ष अपनी पुस्तकों ममें लिखें तो वे अधिक संलग्न रहेंगे।

खाद्य-पदार्थ का प्रकारखाद्य-पदार्थ का मूल रंगरंग में परिवर्तनक्या मंड उपस्थिति है?

Footnotes  

चित्र 1 खाद्य-पदार्थों में मंड की उपस्थिति को लिखने के लिए एक तालिका।

यह देख कर मैं बहुत प्रभावित हुई कि मेरे सभी विद्यार्थी इसमें बहुत रुचि ले रहे थे और उन्होंने बहुत ही विचारपूर्ण उत्तर दिए। मैंने देखा कि कैसे वे हो रही घटनाओं के बारे में एक-दूसरे से बात कर रहे थे? क्योंकि वे अलग ढंग से बैठे थे और आसानी से बात कर पा रहे थे।

विचार के लिए रुकें

  • श्रीमती मोहंती ने ऐसे कौन से कदम उठाए जो दर्शाते हैं कि उन्होंने अपना ध्यान विद्यार्थियों की आवश्यकताओं और उनकी सीखने की क्रिया पर केंद्रित किया था?
  • उनके प्रयोग प्रदर्शन ने विद्यार्थियों को किस प्रकार संलग्न किया?
  • आपके विचार में विद्यार्थियों को प्रयोग प्रदर्शन से क्या लाभ हुआ?

जैसा कि आप श्रीमती मोहंती के अनुभव से देख सकते हैं कि प्रयोग प्रदर्शन की योजना बनाना और विद्यार्थियों के बड़े समूह को संभालते हुए प्रयोग प्रदर्शन करना एक काफी जटिल शिक्षण युक्ति है।। परन्तु, यह तथ्य आपकी सारी कोशिशों को सार्थक बना देता है कि प्रयोग प्रदर्शन का आपके विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया पर इतना सकारात्मक असर पड़ सकता है।

1 प्रयोग प्रदर्शनों का उपयोग क्यों करें?

3 प्रयोग प्रदर्शनों का प्रबंध करना