1 पढ़ने की शुरुआत – ‘कौन?’, ‘क्या?’, ‘कहाँ?’, ‘क्यों?
आपके प्रारंभिक पठन अनुभवों के बारे में आपको क्या याद है? नीचे वर्णित अनुभवों के साथ उनकी तुलना किस प्रकार की जा सकती है?
केस स्टडी 1: पढ़ना सीखने की स्मृतियाँ
निम्नलिखित उद्धरणों में , सात भारतीय शिक्षक पढ़ना सीखने के अपने प्रारंभिक अनुभवों को याद करते हैं। जब आप उनके संस्मरण पढ़ते हैं, तो टिप्पणियाँ दर्ज करें कि किसने पढ़ने में उनकी मदद की, उन्होंने क्या पढ़ा , कहाँ पढ़ा , और क्यों पढ़ा।
- a. मेरी माँ कई पारंपरिक कथाएँ सुनाया करती थीं, जिन्हें सुनकर मेरा और मेरी बहनों का मनोरंजन होता था। कभी-कभी वे उन्हें लिखती थीं और उनके चित्र बनाती थीं। उन्होंने हमें भी प्रोत्साहित किया कि हम रिसाइकिल किए गए कागज़ से और पत्रिकाओं के कट-आउट से अपनी चित्र पुस्तिका बनाएँ। मेरे पास उन पुस्तकों का एक छोटा-सा कलेक्शन था, जो हमने साथ मिलकर बनाई थीं।
- b. मेरे दादाजी बहुत सख्त मिज़ाज व्यक्ति थे। हर दिन वे मुझे शब्दकोश के पाँच शब्द याद करवाते थे। हमारे घर में वही एकमात्र पुस्तक थी। एक बार, जब वे मुझे पैसे नहीं दे रहे थे, तो मैंने उनसे कहा ‘आप बहुत कंजूस हैं!’ इससे वे चिढ़ गए, लेकिन वे हँसने भी लगे। मेरे पास एक व्यापक शब्दावली थी, लेकिन मैंने कहानियों की कोई किताब नहीं पढ़ी थीं।
- c. मेरे बचपन में, पिताजी हर दिन शाम को हमें वेदों से एक अंश पढ़कर सुनाते थे। इसके बाद वे हमसे इसकी व्याख्या करने को कहते थे। वे परिच्छेद जटिल और समझने में कठिन होते थे। एक दिन मेरी दीदी ने चुपचाप वेद लिए और अगला परिच्छेद मुझे पढ़कर सुनाया। उन्होंने इसका अर्थ भी इतना स्पष्ट रूप से बताया कि मुझे वह समझ आ गया। उस दिन शाम को पिताजी मुझसे बहुत प्रसन्न हुए!
- d. मेरी दादी एक लकड़ी से मिट्टी में शब्द बनाती थीं और मुझसे उनका अर्थ पूछती थीं। शब्दों से मेरा वही पहला परिचय था। इसके बाद मेरी बहन ने अपनी स्कूल की पाठ्यपुस्तक से मुझे पढ़ना सिखाया। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मेरी ऊंचाई ज्यादा थी और मैं अपनी उम्र से बड़ा लगता था, इसलिए उसे चिंता थी कि अगर स्कूल जाने पर मैं पढ़ नहीं सका, तो लोग मुझे चिढ़ाएंगे।
- e. मेरे घर में और गाँव में कोई पठन सामग्री नहीं थी। पहली बार मैंने लिखे हुए शब्द स्कूल जाने पर ही देखे थे। मेरी शिक्षिका मेरी प्रेरणा की स्त्रोत थी। वे कई रोमांचक कहानियाँ सुनाती थीं और हम ज़मीन पर बैठकर उन्हें सुनते थे। मुझे वे कहानियाँ आज भी याद हैं। इसके बाद उन्होंने वे कहानियाँ बड़े-बड़े अक्षरों में चार्ट पेपर पर लिख दीं, ताकि हर कोई उन शब्दों को देख सके। चूंकि मुझे वे कहानियाँ पहले ही याद हो गई थीं, इसलिए मुझे लगा कि मैं उन्हें आसानी से पढ़ सकता हूँ।
- f. मेरे स्कूल के शिक्षक ने मुझे कविताएँ याद करना सिखाया। समय के साथ-साथ इनकी लंबाई बढ़ती गई। लंबी कविता को याद करना मज़ेदार होता था। मैं अपने माता-पिता को कविता सुनाकर प्रभावित किया करता था। कभी-कभी वे मुझसे घर आए मेहमानों को कविता सुनाने को कहते थे। मुझे रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता Independence Day आज भी याद है। मुझे उसकी शुरूआती पंक्तियाँ बहुत पसंद हैं: ‘When the mind is without fear/And the head is held high/Where knowledge is free…’. बहुत बड़ी उम्र तक मैंने किताबों में कविताएँ नहीं पढ़ीं।
- g. वयस्क होने से पहले तक मुझे पढ़ने में रुचि नहीं थी। मेरे स्कूल के शिक्षक हमारी कक्षा में सिर्फ पाठ्यपुस्तक का ही उपयोग करते थे। हम पाठ पढ़ते थे और अभ्यास पूरा करते थे। इसकी सामग्री बहुत उबाऊ थी और मेरी रुचियों से बिल्कुल अलग थी। मैंने घर में जो कहानियाँ सुनी थीं, वे कहीं ज्यादा रोचक थीं, मुझे रात में देर तक जागकर अपने चाचाजी से रामायण की कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता था। उम्र बढ़ने पर मुझे सिनेमा देखने जाना पसंद था। वास्तव में सभी फ़िल्में कहानियाँ ही होती हैं।
विचार के लिए रुकें इन उद्धरणों के बारे में आपकी टिप्पणियों से क्या पता चलता है?
|
उपरोक्त उदाहरण बताते हैं कि पठन सीखना एक इंटरएक्टिव प्रक्रिया है, जिसमें कई तरह के लोग, सामग्री के स्त्रोत और अनुभव शामिल होते हैं। क्या यहाँ वर्णित पद्धतियों और संसाधनों में से कोई आपकी कक्षा में भी मौजूद हैं? क्यों या क्यों नहीं?
गतिविधि 1: पढ़ना सीखने की आपकी यादें
अब आप पढ़ना सीखने की अपनी यादों के बारे में बताएंगे। चित्र 1 में बने चार्ट के बीच में अपना नाम लिखें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देकर अन्य चार हिस्सों को पूरा करें:
- पठन से आपका परिचय किसने करवाया?
- आपने सबसे पहली बार क्या पढ़ा था?
- आपने यह कहाँ पढ़ा था?
- ऐसा क्यों हुआ था?
अपनी यादें किसी सहकर्मी के साथ बाँटें। पढ़ना सीखने के आपके अनुभवों में क्या समानताएं और अंतर हैं?
क्या आप अपने प्रारंभिक पठन अनुभवों का उपयोग अपने कक्षा अध्यापन में करते हैं? क्यों या क्यों नहीं?
विचार के लिए रुकें अब इस चार्ट को अपनी कक्षा के छात्रों के नज़रिए से देखें। चार्ट के बीच में आपके नाम की जगह आपके किसी छात्र के नाम की कल्पना करें।
|
केस स्टडी 2: ‘बस पर बक्से’
इंदौर में कक्षा एक की शिक्षिका श्रीमती लता बताती हैं कि किस प्रकार उन्होंने अपने छोटे छात्रों को ‘बस पर बक्से’ नामक एक सरल कहानी के द्वारा आकर्षित किया (संसाधन 1 देखें).
यह कहानी बहुत सरल है: यह एक बस में चढ़ने वाले अलग अलग लोगों की कहानी है, जिनमें से हर एक के पास एक बक्सा होता है। प्रत्येक बक्से में कुछ अलग सामान है। धीरे-धीरे बस पूरी तरह भर जाती है और किसी नए व्यक्ति के आने की जगह नहीं बचती।
कहानी सुनाने से पहले, मैंने कुछ ऐसी चीजों के बारे में सोचा, जो बक्से में हो सकती हैं। मैंने सबसे पहले छात्रों को कार्डबोर्ड का एक बड़ा बक्सा दिखाया, जो मैं अपने घर से लाई थी। वे इसे देखकर काफी रोमांचित थे। इसके बाद मैंने उन्हें कहानी सुनाई। जब भी वाक्यांश ‘… और उस बक्से में थे…’ कहती, तो मैं अपने छात्रों को इसमें शामिल करती थी। मैंने बक्से में रखने के लिए जो वस्तुएँ सोचीं, उनमें एक बटन और एक बकरी शामिल थे।
हर प्रकरण में, मैंने छात्रों से कहा कि वे कक्षा के सामने खड़े होकर हावभाव के द्वारा उस वस्तु का वर्णन करें। लबानी ने एक बटन का प्रदर्शन करने के लिए अपना अंगूठा और पहली अंगुली साथ मोड़ ली और पद्मज ने एक बकरी का संकेत देने के लिए अपने हाथ पर चार उंगलियाँ ‘चलाई’।
एक बार सुनाने के बाद, मैंने उन्हें दोबारा कहानी सुनाई और इस बार हर हिस्से के बाद मैंने विराम लिया, ताकि मेरे छात्र मेरे पीछे उसे दोहराएँ। इसके बाद मैंने कहानी फिर से सुनाई, और मेरे छात्रों ने हावभाव के द्वारा उसका प्रदर्शन करते हुए मेरे साथ कहानी दोहराई।
दो दिन बाद, मैंने अपने छात्रों की जोड़ियाँ बनाईं, जिनमें मैंने ज्यादा आत्मविश्वास वाले छात्रों को यथासंभव कम आत्मविश्वास वाले छात्रों के साथ रखा, और उनसे कहा कि वे अपनी याददाश्त के अनुसार ‘Boxes on the Bus’ की कहानी एक दूसरे को सुनाएँ।
दो छात्र पिछले सत्र में मौजूद नहीं थे, इसलिए मैंने ऐसी जोड़ियाँ चुनीं, जो उनकी सहायता कर सकें और उन्हें समझा सकें कि उन्होंने पहले क्या सीखा है, और अनुपस्थित छात्रों को उनके साथ तीन के समूह में रखा।
मैंने पूरी कक्षा को कुछ रंगीन पत्रिकाओं से कहानियों की विषयवस्तु से संबंधित चित्र काटने, उन्हें मैं जो कार्डबोर्ड का बक्सा लाई थी उस पर चिपकाने तथा उनके बगल में लेबल लगाने के लिए शब्द लिखने में अपनी मदद करने के लिए आमंत्रित किया।
अगले सप्ताह, मुझे एक नाव यात्रा के बारे में चित्र पुस्तिका मिली, जिससे मुझे दूसरी कहानी बनाने की प्रेरण मिली। इस बार उसे ‘नाव पर बक्से’ नाम दिया गया। इस संस्करण के लिए, मैंने खुद बताने के बजाय अपने छात्रों से सुझाव मांगे कि प्रत्येक बक्से में क्या रखा जाये।
विचार के लिए रुकें निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें और यदि संभव हो, तो अपने किसी सहकर्मी के साथ उन पर चर्चा करें:
दूसरों के विचारों के साथ अपने विचारों की तुलना करें। |
छात्रों को प्रारभिक पठन गतिविधियों में एक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। श्रीमती लता की कक्षा के छोटे छात्र ‘Boxes on the Bus’ की कहानी में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे क्योंकि:
- वे साथ मिलकर कहानी सुन रहे थे
- वे मुख्य वाक्यांश ‘…और इस बक्से में थे …’ को दोहराकर तथा उनके सहपाठियों द्वारा बनाए गए हावभावों की नकल करके अपनी आवाज़ और शरीर का उपयोग कर रहे थे
- चित्रों और लेबल के द्वारा बक्से को सजाकर वे परिचित कहानी की ध्वनियों को अक्षरों, शब्दों और वाक्यांशों के साथ जोड़ पाने में सक्षम थे।
कोई मज़ेदार कहानी कई बार सुनना छात्रों को बहुत अच्छा लगता है। इससे वे पात्रों को जान सकते हैं, आगे क्या होने वाला है यह सोच सकते हैं और वह कहानी दोबारा खुद सुना सकते हैं।
गतिविधि 2: एक सरल कहानी को बढ़ाने के लिए संसाधन ढूँढना
इस गतिविधि के लिए, आप स्थिति अध्ययन 2 की कहानी ‘बस पर बक्से’ पर अथवा अपनी पसंद की किसी अन्य कहानी पर आधारित कुछ प्रारंभिक पठन गतिविधियों की योजना बनाएँगे। सबसे पहले अपनी कक्षा, स्कूल, घर और समुदाय में देखें। कहानी सुनाने में सुधार के लिए कौन-से संसाधन उपलब्ध हैं?
निम्नलिखित पर विचार करें:
- उपयुक्त वस्तुएँ
- चित्र
- योगदान कर सकने वाले लोग
- वस्तुएँ बनाने के लिए सामग्रियाँ।
आपने जिन संसाधनों की पहचान की है, उनका उपयोग करके कहानी को आगे बढ़ाने के लिए यथासंभव ज्यादा से ज्यादा विचार लिखें। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- कई कहानियाँ चित्रों या वस्तुओं के माध्यम से दर्शाई जा सकती हैं। ‘Boxes on the Bus’ की कहानी के लिए, आप अलग अलग आकारों वाले बक्से, एक खिलौना बस, एक बस का पोस्टर और प्रत्येक बक्से में रखी वस्तुएँ दर्शाने के लिए कई छोटी-छोटी चीजें या पत्रिकाओं के चित्रों का उपयोग कर सकते हैं।
- क्या आपने कुछ ऐसे व्यक्तियों के बारे में सोचा, जो यह कहानी सुनाने में योगदान कर सकते हैं? क्या स्कूल के किसी छात्र के परिवार के कोई सदस्य बस चलाते हैं? यदि ऐसा है, तो उन्हें - या यदि छात्र बड़ी उम्र का है, तो उसे - इस बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।
- अपने छात्रों के साथ मिलकर आप कहानी के शब्दों और चित्रों का एक पोस्टर बना सकते हैं।
-
आप एक सरल नाटिका भी तैयार कर सकते हैं, जिसमें एक छात्र बस ड्राइवर की भूमिका निभाएगा। कक्षा को दो समूहों में बाँटें। एक समूह के छात्र अपने साथ एक बक्से में कोई सामान लेकर बस में चढ़ेंगे। दूसरे समूह के छात्र अनुमान लगाएँगे कि हर बक्से में क्या सामान है। चाहें तो आप एक धुन तैयार कर सकते हैं और अपने छात्रों को कहानी गाकर सुनाने को कह सकते हैं।
अपनी कक्षा में अपने विचारों और संसाधनों को आज़माने के लिए एक योजना बनाएँ। यह याद रखें कि एक या दो बड़ी गतिविधियों की बजाय कुछ दिनों तक चलने वाली कई छोटी-छोटी गतिविधियाँ आपके छोटे छात्रों में सीखने को बढ़ावा देने में ज्यादा प्रभावी होती हैं। अपने विचारों के बारे में अपने सहकर्मियों के साथ चर्चा करें और फिर उन्हें अपनी पाठ योजना में शामिल करें।
विचार के लिए रुकें
|
कथावाचन - अपनी याददाश्त से कहानियाँ सुनाना - आपके छात्रों का पठन से परिचय करवाने का एक तरीका है। यह कहानियों के प्रवाह से उनका परिचय करवाता है और इस बारे में उनकी रुचि जगाता है कि आगे क्या होगा। कहानी के बारे में आपके प्रश्नों के लिए उनके जवाबों से आप आकलन कर सकते हैं कि उन्होंने क्या सीखा है। क्या वे अपने आप कहानी फिर से सुना सकते हैं या इसके लिए उन्हें आपकी सहायता की ज़रुरत होती है। यह अवश्य जांचें कि आपके सभी छात्र इसे समझ गए हैं। यदि आपको लगता है कि वे इसे समझ नहीं सके हैं, तो कहानी अलग अलग तरीकों से दोबारा सुनाएँ।
प्रारंभिक पठन कौशल का विकास करने में अपने छात्रों की सहायता करने का एक और तरीका उन्हें ऊँची आवाज़ में पुस्तकें पढ़कर सुनाना है।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है