4 विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करना
अपने विद्यार्थियों को प्रश्न करने में सहायता देने के लिये पहला चरण है उनकी रूचि को बढ़ावा देना। ऐसा करने के लिये उन्हें उन सामग्रियों के साथ सीधे संपर्क में लाना चाहिये जो उनके कौतुहल को बढ़ाता है। यह उतना कठिन नहीं है जितना शायद प्रतीत हो क्योंकि विद्यार्थी ऐसी कई वस्तुओं में रुचि दिखायेंगे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होंगी या ऐसे वस्तुओं के समूह की ओर आकर्षित होंगे, जिन्हें आपने एक साथ देखने की अपेक्षा नहीं की होगी। वस्तुएँ, जिनका आपके विद्यार्थियों के लिये एक विशिष्ट अर्थ हो वे भी उनका कौतुहल बढ़ा सकती हैं और बात–चीत का प्रारंभ कर सकती हैं। आप यह जितना अधिक करेंगे, उतना ही आपके विद्यार्थियों द्वारा किये गये प्रश्नों की गुणवत्ता बेहतर होती जाएगी। पहले प्रकार के प्रश्न, जो आपके विद्यार्थी पूछेंगे, वे हैं, ‘आप क्यों उन्हें कक्षा में लेकर आये?’ ‘वे उनके साथ क्या करने जा रहे हैं?’
केस स्टडी 2: श्रीमती कल्पना अपने विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करती हैं
कक्षा IV के विद्यार्थियों के साथ काम करती हुई श्रीमती कल्पना स्कूल के आसपास और समुदाय में पाए जाने वाले कई विभिन्न प्रजातियों के पौधों और जानवरों की पहचान करने के लिये मानदंड की योजना बनाने तथा प्रयोग करने पर काम प्रारंभ कर रही हैं।
मैंने निश्चय किया कि मेरे विद्यार्थियों के साथ मैंने जो पहला चरण लेना था, वह था पौधों और जानवरों की मुख्य विशेषताओं के संबंध में उनकी समझ को विकसित करना। फिर वे इसे जीवित वस्तुओं के संग्रह में समानताएँ और अंतर देखने के आधार के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। पहले पाठ में मैंने उनके साथ जानवरों की सामान विशेषताओं को खोजा। यह करने के लिये मैंने भारत में पाये जाने वाले बहुत सारे जानवरों के चित्र इकट्ठे किये, जिन्हें मैंने पत्रिकाओं और समाचारपत्रों से काट कर निकाले थे। पहले मैंने विद्यार्थियों को अपने साथियों के साथ इस विषय पर बात करने के लिये कहा कि सभी जानवरों के सम्बन्ध में वे क्या प्रश्न पूछ सकते थे? उसके बाद मैंने चित्रों को दीवार पर प्रदर्शित किये, जिससे कि सभी उन्हें देख पायें। मेरी कक्षा जोड़ियों में काम करने की आदी है। मैंने जिन चित्रों का प्रयोग किया उसमें बाघ, हाथी, गाय, बन्दर और एक घोड़ा था।
कुछ मिनटों के बाद, मैंने स्वयंसेवकों से प्रश्नों का सुझाव देने के लिये कहा, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर रिकॉर्ड किये। फिर मैंने उन्हें कहा कि वे खोज करें कि जानवरों को वर्गीकृत करने के लिये अपने प्रश्नों को मानदंड के रूप में प्रयोग करके वे उनकी छँटाई कैसे कर सकते थे? किन जानवरों का रंग समान था से लेकर क्या जानवर शिशुओं को जन्म देते थे? तक के प्रश्न होते हैं। उनके मानदंडों, जो प्रश्नों के हल निकले थे उसमें ये समानतायें शामिल थीं। एक सिर, दो आँखें, एक मुँह, दाँत, नाक, नासिका छिद्र, पूँछ, चार पाँव, शरीर और त्वचा, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर सूचीबद्ध किये।
आगे, मैंने पूछा कि जब उन्होंने चित्रों को देखा, तब जानवरों के बीच कौन से अंतर वे देख पाये। विद्यार्थियों ने उदाहरणों के रूप में रंग, माप, आकार, त्वचा और त्वचा पर विभिन्न पैटर्न्स बताये। आगे, हमने बात–चीत की जानवरों की समूहों में छँटाई करने के लिये कौन सी विशेषताएँ सबसे बढ़िया थीं और हमारे पास समान विशेषताएँ क्यों हैं? मैंने सुझाव दिया कि हमारे बीच अंतर होते हैं, लेकिन हम सभी समान समूह के सदस्य हैं (अर्थात मनुष्य), और इसलिये हमारी समान विशेषताएँ हैं। अगले सत्र में मैं विभिन्न प्रकार के पक्षियों, विशेषकर स्थानीय पक्षियों के कुछ और चित्र लाने का विचार कर रही हूँ। फिर मैं विद्यार्थियों से सोचने के लिये कहूँगी कि इतने भिन्न प्रकार के पक्षियों में अंतर करने के लिये वे कौनसे मानदंडों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे वे देखेंगे कि जब वे जानवरों और पौधों के एक समूह की छँटाई और वर्गीकरण करते हैं, तब उन्हें कितने ध्यान के साथ और अधिक समीप होकर देखना पड़ता है।
मैं प्रसन्न थी कि जानवरों के समूह बनाने में और उनके द्वारा किये गए प्रश्नों की गुणवत्ता के सम्बन्ध में बातें करने में मेरे विद्यार्थी रुचि दिखा रहे थे।
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आपके व्यावसायिक निर्णय पर निर्भर होता है कि किन प्रश्नों के उत्तर देने हैं और किन्हें खोजों के लिये प्रेरणा के रूप में प्रयोग करना है। प्रत्येक प्रश्न के लिये खोज करना सदा संभव नहीं होता है, लेकिन विद्यार्थियों को उनके अपने प्रश्नों को करने देने का समय देना, उन्हें किसी भी विषय के सम्बन्ध में अधिक गहराई से सोचने पर बाध्य करता है। इसी एक कारण से ही, यह एक अति योग्य गतिविधि है।
गतिविधि 3: अपने विद्यार्थियों के साथ प्रश्न करना
आप अपनी कक्षा को जो अगला विषय पढ़ायेंगे, उसके सम्बन्ध में सोचिये। ऐसी वस्तुओं का एक संग्रह इकट्ठा करें जो उनके कौतुहल को बढ़ावा दे। आपके विद्यार्थियों की आयु और जो विषय आप पढ़ा रहे हैं, उसके अनुसार ये कुछ सरल खिलौने, बीजों का संग्रह अथवा विभिन्न प्रकार की पत्तियों का संग्रह हो सकता है।
- यह सुनिष्चित करें कि आप विद्यार्थियों को कैसे व्यवस्थित करेंगे। क्या आप पूरी कक्षा के साथ काम करने जा रहे हैं अथवा एक बार में एक समूह के साथ? संसाधन 5 में मुख्य संसाधन ‘समूह कार्य का प्रयोग करना’ देखें, विशेष रूप से समूहों की योजना बनाने और व्यवस्था करने के सम्बन्ध में अनुच्छेद को पढ़ें।
- अपने विद्यार्थियों से सरल प्रश्न पूछें, ‘इन वस्तुओं के सम्बन्ध में आप क्या जानना चाहेंगे?’
- उन्हें या तो जोड़ियों में या छोटे समूहों में वस्तुओं के सम्बन्ध में बात करने का समय दें तथा उनसे कहें कि वे जो जानना चाहते हैं, उन प्रश्नों को लिखें।
- अपने विद्यार्थियों को कहें कि वे अपने प्रश्नों को दीवार पर प्रदर्शित करें अथवा उनसे कहें कि बारी–बारी से प्रत्येक समूह अपने प्रश्नों की फीडबैक दें।
- ब्लैकबोर्ड पर उनके प्रश्नों को लिखें और उनसे पूछें कि क्या विद्यार्थी उनमें से किसी का भी उत्तर दे सकते हैं। कक्षा में कोई और उनके लिये उत्तर दे सकता है या आप दे सकते हैं।
- उन्हें बताएँ कि बाकी प्रश्नों के उत्तर जैसे-जैसे वे विषय पढ़ते जायेंगे, उन्हें मिलते जायेंगे। प्रश्नों को दीवार पर ही छोड़ दें अथवा उन्हें नोट कर लें जिससे आप बाद में उन पर दोबारा आ सकें और विद्यार्थी देख पायें कि उन्होंने कौनसे प्रश्नों के उत्तर दे दिये हैं।
- उनसे पूछें कि क्या उन्होंने अभ्यास करने में आनंद उठाया और क्यों?
पाठ के बाद, प्रश्नों को अधिक समीप से देखें और उन प्रश्नों को पहचानें, जिन्हें विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक में से अथवा अन्य विज्ञान की पुस्तक में से दे सकते हों अथवा अपने विचारों की खोज करके दे पायें।
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![]() वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना |
विडियो को देखने से आपको इस यूनिट में मिले विचारों में से कुछ को संगठित करने में सहायता मिलेगी।
3 विद्यार्थियों के प्रश्नों को वर्गीकृत करना