संसाधन 4: चंद्रमा और इसका पृथ्वी व सूरज के साथ संबंध
चंद्रमा एक गोलाकार पिंड है जो सूरज के कारण चमकता है और इसके कुछ प्रकाश को परावर्तित करता है। लेकिन सूरज और पृथ्वी के संदर्भ में चंद्रमा का स्थान क्या है? और यह किस तरह घूमता है?
हम जानते हैं कि–
- चंद्रमा दिन और/या रात के विभिन्न समय पर दिखाई देता है
- चंद्रमा किस समय दिखाई देता है, इसका उसके चमकने वाले हिस्से की आकृति और उसकी कलाओं के साथ नजदीकी संबंध है
- चंद्रमा की उज्ज्वलता सूरज की तुलना में काफी कम है तथा यह नगण्य मात्रा में ताप–उत्सर्जन करता है
- चंद्रमा के कलाओं के एक पूरे चक्र की अवधि लगभग 29.5 सौर दिवसों की होती है
- चंद्रमा प्रत्येक सौर दिवस को कुछ समय के लिए दिखाई देता है, हालांकि अलग–अलग समय पर (बशर्ते यह बादलों के पीछे न छिपा हो)
- पृथ्वी की ओर चंद्रमा का हमेशा एक ही हिस्सा दिखाई देता है
- चंद्रमा हमेशा एक समान आकार का होता है
- चंद्रमा का आकार लगभग उतना ही है जितना सूर्य का
- चंद्रग्रहण कभी–कभार ही होते हैं (साल में दो बार से अधिक नहीं)।
चित्र 4.1 से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि चंद्रमा किस तरह पृथ्वी के चक्कर लगाता है। यह दर्शाता है कि हम चंद्रमा के केवल विभिन्न आकार के हिस्सों को ही देखते हैं जब वह अपनी कक्षा के विभिन्न चरणों में होता है। यह दिखाता है कि कैसे चद्रंमा के चरणों की उत्पत्ति इसके पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने के कारण होती है। चरणों के एक चक्र के पूरा होने में औसतन, 29.5 दिन का समय लगता है।
आप देखेंगे कि चंद्रमा का हमेशा एक ही हिस्सा पृथ्वी की ओर मुंह किए होता है। चंद्रमा एक ही समय अपनी धुरी पर भी घूमता है और साथ ही साथ एक ही दिशा में घुमते हुए पृथ्वी के चारों ओर भी चक्कर लगाता है। इसके अलावा, आप जब भी पूर्ण चद्रं देखते हैं, तो पृथ्वी के एक तरफ रहने वाले बाकी लोग भी पूर्ण चंद्र देखेंगे। यही बात अमावस्या और चंद्रमा के बाकी सभी चरणों पर भी लागू होती है।
कृपया ध्यान दें: आपको दक्षिणी गोलार्द्ध के लिए आरेखों की श्रृंखला को उलटना पड़ेगा।
संसाधन 3: विद्यार्थियों द्वारा चंद्रमा की आकृति को रिकार्ड करने के लिए एक नमूना