1 खोज क्या होते हैं?
विज्ञान में खोज स्वरूप और उद्देश्य से विविध होते हैं। कुछ एक ‘सही’ उत्तर होते हैं, जबकि अन्य खुले और खोजपूर्ण होते हैं। कुछ को एक सत्र में समाप्त किया जा सकता है, जबकि दूसरों को एक विस्तृत समय के दौरान संचालित करने की आवश्यकता होती है। उन्हें पूरा करने के लिये आवश्यक कौशलों के परिसर में वे भिन्न होते हैं। कुछ खोज को शिक्षक द्वारा निर्देशित किया जा सकता है और दूसरों को विद्यार्थियों द्वारा स्वयं ही निर्देशित किया जा सकता है।
सभी खोज में यह समानता है कि अन्वेषण एक अवधि से प्रारंभ होते हैं और धीरे–धीरे एक ऐसी समस्या अथवा प्रश्न से सम्बन्ध रखते हैं, जिसे हल करना अथवा जिसका उत्तर देना आवश्यक होता है। खोज में प्रमाण को संकलित करना और उसका विश्लेषण करना भी सम्मिलित होता है जिससे जिस प्रश्न की खोज की जा रही है, उसका उत्तर दिया जा सके।
वेलिंगटन और आयरसन (2012) ने खोज के लिये प्रश्नों के प्रारूप का वर्गीकरण प्रस्तुत किया, जिसका संक्षिप्तीकरण सारणी 1 में किया गया है।
प्रश्न के प्रकार | उदाहरण |
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‘कौनसा । कौनसी’ | कौनसी थैली सबसे मज़बूत है? कौनसा कपड़ा सर्वश्रेष्ठ ऊष्मारोधी है? |
‘क्या’ | यदि उबलते पानी में नमक मिलाया जाता है, तो क्या होता है? समय बीतने के साथ–साथ खाद के ढेर के साथ क्या होता है? |
‘कैसे’ | जलाये जाने पर कागज़ कैसे बदलता है? तापमान द्वारा घुलनशीलता कैसे प्रभावित होती है? मेरे आहार में कितनी वसा है? नदी के पानी की गुणवत्ता कैसे बदलती है? |
टर्नर (2012) द्वारा विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक खोज की व्याख्या की गयी है। सारणी 2 में उनका संक्षिप्तीकरण किया गया है।
खोज के प्रकार | उदाहरण |
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दीर्घकालीन निगरानी/प्रेक्षण | हमारा कम्पोस्ट का ढेर समय के साथ कैसे बदलेगा? |
पहचान और वर्गीकरण करना (सर्वेक्षण सम्मिलित है) | लोगों की ऊँचाई क्यों भिन्न होती है? |
पैटर्न ढूँढना | क्या, अधिक ऊँचे पौधे अधिक बड़े बीजों से उगते हैं? कुछ वस्तुएँ क्यों तैरती हैं? |
अनुसंधान (द्वितीयक स्रोतों के उपयोग द्वारा) | बिना घड़ियों के हम समय कैसे बता सकते हैं? |
निष्पक्ष परीक्षण (चरों को नियंत्रित करना) | कौनसी थैली सबसे मज़बूत है? |
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केस स्टडी 1 इस पर ध्यान केन्द्रित करता है कि छोटी आयु के विद्यार्थी परिवर्तन की खोज कैसे कर सकते हैं।
केस स्टडी 1: परिवर्तन का अनुभव करना
श्रीमती बीना शर्मा कहती हैं कि उन्होंने कैसे भोजन बनाने के विषय द्वारा अपनी छोटी आयु के विद्यार्थियों को खोज करने के लिये प्रोत्साहित किया
मैं कक्षा III के 65 विद्यार्थियों को पढ़ाती हूँ। मैं भोजन बनाने से सम्बब्धित अध्याय पढ़ा रही थी। उसके भाग के रूप में मैंने अपने विद्यार्थियों से रोटी बनवाई।
हाथ धो लेने के बाद मैंने उन्हें मिश्रण बनाने के लिये थोड़ा–सा आटा, नमक और तेल दिया। मिश्रण को बाँटने के लिये उन्होंने चार के समूहों में काम किया। जब उन सब के पास थोडा–सा गूँथा हुआ आटा था तब मैंने उन्हें उसकी व्याख्या करने के लिये कहा और पूछा कि उसे क्या वे वैसे ही खा लेंगे? उन्हें यह बहुत हास्यास्पद लगा।
मैंने उनसे पूछा कि जिसे वे खा लेंगे, इसे वैसा भोजन बनाने के लिये हमें क्या करना चाहिये? ‘इसे पकाइये!’ वे चिल्लाये। अत:, उस दिन बाद में मैंने उसे पकाया। अगले सत्र में हमने देखा कि आटा कैसे बदल गया था? और हमने उसे चखा
यह केस स्टडी दिखाता है कि कैसे बदलाव विज्ञान के कई विषयों में पाया जाता है। कैसे छोटी आयु के विद्यार्थी सरल अन्वेषी खोज को बड़ी आयु के विद्यार्थियों से जैसी अपेक्षित होगी उससे एक अधिक अनौपचारिक विधि से क्रियान्वित कर सकते हैं।
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यद्यपि छोटी आयु के विद्यार्थियों से ‘उत्क्रमणीय’ और ‘अनुत्क्रमणीय’ शब्दों का प्रयोग अपेक्षित नहीं है, वे ऐसे बदलावों के कई उदाहरणों के सम्मुख आये होंगे, जिनमें तेल को पानी में जलाने, छानने और अलग करना सम्मिलित है।
इन अनुभवों का प्रयोग तब किया जा सकता है, जब विद्यार्थियों को ‘उत्क्रमणीय’ और ‘अनुत्क्रमणीय’ बदलावों से परिचित कराया जाता है। अपने दिमाग में अनुभवों के एक खजाने का निर्माण करके विद्यार्थी अधिक अमूर्त अवधारणाओं के बारे में सीखने की ओर अधिक सरलता से जा सकते हैं।
यह आवश्यक है कि आप विद्यार्थियों को उत्क्रमणीय और अनुत्क्रमणीय बदलाव की अधिक निकटता से खोज करने के अवसर प्रदान करें। खोज के द्वारो विद्यार्थी पहले से ही हो चुके दैनिक अनुभवों के साथ कड़ियाँ जोड़ेंगे और अपने सीखने में अधिक व्यस्त होंगे। यदि आप विद्यार्थियों को इन बदलावों के और नई निर्मित वस्तुओं के बारे में केवल पढ़ने के लिये कहें, तो विचार उतने ठोस नहीं होंगे और सीखना भी उतना अर्थपूर्ण नहीं होगा।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है