संसाधन 4: समझ विकसित करना

वैकल्पिक गलतफहमी धारणाओं को बदलना कठिन हो सकता है और वे विज्ञान की सार्थक पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए आपको जो काम करने की ज़रूरत है, वह यह है कि इस तरह से पढ़ाया जाए जिससे कि आपके विद्यार्थियों को अपने ‘त्रुटिपूर्ण’ विचारों को पुनर्निमित करने और अपनी अवधारणात्मक समझ को बदलने में मदद मिले। सांगेर और ग्रीनबोव (2000) ने ‘नये विचारों को समायोजित करने के क्रम में मौजूदा गलतफहमियों धारणाओं’ को फिर से बनाने, पुनर्गठित करने और पुनःस्थापित करने के लिए अवधारणात्मक परिवर्तन को वर्णित किया (2000, पी. 522)।

पढ़ाई बस आवश्यक रूप से मौजूदा विचारों और सिद्धांतों में नयी जानकारी को जोड़ने का ही मामला नहीं होता है। मौजूदा विचारों के विखंडन और उनकी जगह लेने के लिए नये विचारों को बनाने की आवश्यकता पड़ सकती है। खासकर विज्ञान में ऐसा होता है। Vosniadou et al। (2001) ने इस बात का उल्लेख किया कि भौतिक परिघटना की वैज्ञानिक व्याख्या प्रायः सहज नहीं होती और हमारे रोजमर्रा के अनुभव के विपरीत होती है।

शिक्षक किस प्रकार से विद्यार्थियों की वैज्ञानिक समझ को विकसित कर सकते हैं और उनकी वैकल्पिक संकल्पनाओं को बदल सकते हैं इस बारे में ढेर सारा अनुसंधान साहित्य उपलब्ध है। उन्हें इसके बारे में बस जानकारी प्रदान करना बहुत से मामलों में असफल रहा है। विद्यार्थियों की वैकल्पिक संकल्पनाएं नये विचारों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न करती हैं और वे दूसरी ओर ले जा सकती हैं। ऐसे कुछ प्रमुख दृष्टिकोण जिनका कि आप उपयोग कर सकते हैं, नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • संज्ञानात्मक संघर्ष उस समय उत्पन्न होता है जबकि आप ऐसे प्रमाण का अनुभव करते हैं, जो कि आपके मौजूदा विचारों के साथ टकराता है और उन पर से विश्वास को खत्म कर देता है। उदाहरण के लिए, अगर आप इस विचार को मानते हैं कि बर्फ पानी को उस समय भी ठंडा बनाती है जबकि वह 0°C पर होता है तो ऐसा प्रमाण उपलब्ध कराना आसान है जो कि इसका विरोध करे। आपको संज्ञानात्मक संघर्ष की घटनाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग करने की ज़रूरत है। ऐसे टकरावपूर्ण प्रमाण को उपलब्ध कराना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है जिसके फलस्वरूप विचारों से असंतोष उत्पन्न होता है। उस दशा में इन विचारों के स्थान पर रखने के लिए किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती है, यदि विद्यार्थी को दिग्भ्रमित और वापस उसके पिछले विचारों पर जाने के लिए स्वतंत्र नहीं छोड़ना है। अतः आपको एक बेहतर विश्वसनीय लगने वाली व्याख्या या एक ऐसा सिद्धांत प्रस्तुत करने की ज़रूरत है, जो कि पढ़ने वाले के लिए समझ में आने योग्य और सार्थक हो।
  • उपमाएं और मॉडल उस समय उपयोग हो सकते हैं, जबकि वे नये विचारों को प्रस्तुत करते हों। उदाहरण के लिए, आप उस समय पानी में कणों का नमूना प्रदर्शित करने के लिए स्वयं विद्यार्थियों के नमूनों का उपयोग कर सकते हैं, जब वह गर्म करके ठंडा किया गया हो।
  • चर्चा का समय इस बात की दलील देता है कि पढ़ाई व्यक्तिगत गतिविधि नहीं वरन सामाजिक गतिविधि है। चर्चा के जरिये, विद्यार्थी अन्य के साथ अपने स्वयं के विश्वासों की तुलना कर सकते हैं। चर्चाएं विद्यार्थियों को प्रश्न उठाने और नये विचारों के लिए प्रमाण का समर्थन करने के मूल्य पर विचार करने में समर्थ बनाती हैं। चर्चा संज्ञानात्मक संघर्ष के अनुभव और नये विचारों का बोध प्राप्त करने में विद्यार्थियों की मदद करती है। चर्चाएं हालांकि समय लेती हैं पर अगर सार्थक पढ़ाई करनी है, तो ये अति आवश्यक हैं।
  • विज्ञान का इतिहास हो सकता है आपके विद्यार्थी विज्ञान को एक कठिन विषय पाएं और सोचें कि यह ‘तीक्ष्ण बु्द्धि वाले’ लोगों के लिए है। यह तथ्य प्रायः एक चमत्कार पैदा करने वाली जानकारी से कम नहीं होता कि पूर्व के कतिपय अति मेधावी वैज्ञानिकों के भी वही विचार थे जो उनके अपने हैं। अनेक लेखक अवधारणात्मक परिवर्तन के लिए अध्यापन में कथा वाले दृष्टिकोण के उपयोग समर्थन करते हैं (मैसन और वैजक्वेज-अबाद, 2006)। इसमें काल-क्रम के अनुसार वैज्ञानिक संकल्पना के क्रमिक विकास की कहानी कही जाती है। इस प्रकार की अवधारणाएं अक्सर सरल से जटिल तथा मूर्त से अमूर्त की ओर जाती हैं। वैज्ञानिकों के विचारों के परीक्षण के जरिये विद्यार्थी अपने स्वयं के विचारों की जांच कर सकते हैं और यह काम वे सहज तरीके से कर सकते हैं।

संसाधन 3: निगरानी करना और फीडबैक देना

अतिरिक्त संसाधन