संसाधन 4: चर्चा संचालित करने के कुछ संभावित प्रारूप

  • संचालक कथन: विद्यार्थियों को जोड़ियों या समूहों में संग ठित करें। उन्हें कथनों की एक सूची दें, जिन्हें उनको प्राथमिकता के क्रम में व्यवस्थित करना है। इसका एक उदाहरण इस प्रकार हो सकता है:

    यह करना महत्वपूर्ण है:

    • फलों व सब्जियां का सेवन करें
    • चाय पिएं
    • विटामिन पूरक (सप्लीमेंट) लें
    • वसायुक्त भोजन का सेवन करें
    • प्रोटीन का सेवन करें
    • कार्बोहायड्रेटों का सेवन करें
    • स्वच्छ जल पिएं।

    इसके बाद विद्यार्थी अपनी सूची को अन्य समूहों की सूचियों के सामने रख कर उसकी तुलना कर सकते हैं।

  • बर्फ की गेंद का खेल: विद्यार्थी किसी प्रश्न पर जोड़ियों में चर्चा करते हैं, जैसे ‘क्या लड़कों को लड़कियों से अधिक भोजन की आवश्यकता होती है?’ इसके बाद वे एक और जोड़ी से जुड़ कर चार का समूह बनाते हैं और एक-दूसरे के साथ अपने विचार साझा करते हैं। इसके बाद चार का वह समूह एक और चार के समूह से जुड़ता है और आठ का समूह बनाता है तथा प्रक्रिया को दोहराता है। इसके बाद शिक्षक प्रत्येक आठ के समूह से कहते हैं कि वे अपनी चर्चा को सारांशित करें।
  • तिकड़ियों को सुनना: तीन-तीन के समूहों में कार्य करते हुए, प्रत्येक विद्यार्थी चर्चा में एक अलग भूमिका ले लेता है, नामतः ‘वक्ता’, ‘प्रश्नकर्ता’ या ‘अभिलेखक’। वक्ता अपने विचार समझाएगा और अपने विचारों का औचित्य सिद्ध करेगा, प्रश्नकर्ता स्पष्टीकरण मांगेगा और अभिलेखक उन विचारों को लिखेगा जिन पर चर्चा की गई है। इसके बाद अभिलेखक अपनी-अपनी चर्चा के मुख्य बिंदुओं के बारे में पूरी कक्षा को बता सकते हैं।
  • दूत: कक्षा को चार-चार के समूहों में बाँटें और प्रत्येक समूह को एक अलग शोध कार्य दें। उदाहरण के लिए, एक समूह आहार में प्रोटीन की महत्ता की जांच-पड़ताल कर सकता है, वहीं दूसरा समूह शरीर पर कैल्शियम के सीमित सेवन के प्रभावों का पता लगा सकता है। अपने शोध कार्य में मदद के लिए विद्यार्थियों को जानकारियों के स्रोतों तक पहुंचने की आवश्यकता हो सकती है। इस तैयारी के लिए उन्हें पर्याप्त समय चाहिए होगा। प्रत्येक समूह से किसी एक व्यक्ति (दूत) को स्वयं आगे आना चाहिए या उसे चुना जाना चाहिए, जो दूसरे समूह के समक्ष अपने जांच-परिणामों/अपनी खोजों के बारे में बोलेगा और उन्हें सारांशित करेगा। जब वह अपना कार्य पूरा कर ले, तो उन्हें दूसरे समूह के दूत के शोध सारांश को ध्यान से सुनना चाहिए। इसके बाद दूत अपने मूल समूह में लौटेगा और दूसरे समूह ने जो कहा उस पर चर्चा की जाएगी।
  • बहस: कक्षा को चार-चार के समूहों में विभाजित करें। आधे समूहों को प्रदत्त सुझाव या विचार (जिसे ‘प्रस्ताव’ भी कहा जाता है), के पक्ष में तर्क देना है और आधों को विरोध में। प्रस्ताव का एक उदाहरण यह हो सकता है: ‘विद्यार्थियों को अपने विद्यालयी भोजन के रूप में सब्जियां अवश्य खानी चाहिए।’ विद्यार्थियों को अपने तर्क तैयार करने और उनके दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले प्रमाणों पर शोध करने के लिए समय दें। उन्हें यह तैयारी करने के लिए एक संपूर्ण पाठ और शायद गृहकार्य की आवश्यकता हो सकती है। प्रत्येक समूह को बारी-बारी से अपने तर्क प्रस्तुत करने दें। जब वे ऐसा कर चुके हों, तो हाथ उठा कर मतदान करवा के, चर्चा को समापन तक पहुंचाएं।
  • गुब्बारा बहस: इसमें विद्यार्थियों का समहू होता है, एवं प्रत्येक को किसी विषय-बिंदु पर एक अलग दृष्टिकोण दिया जाता है (जो आवश्यक नहीं कि उनका खुद का हो), और उन्हें इस दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करने होते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि उन्हें जो वस्तु या मुद्दा दिया गया है, उसे गर्म हवा के गुब्बारे से ‘बाहर फेंक’ न दिया जाए। इन विद्यार्थियों को, बोलने से पहले अपने तर्क की योजना बनाने में मदद देने के लिए अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता हो सकती है। बाकी के विद्यार्थी प्रत्येक दृष्टिकोण को सुनते हैं और फिर किस वस्तु या दृष्टिकोण को त्यागा जाना चाहिए इस पर पूरी कक्षा मतदान करती है।

संसाधन 3: कुपोषण की परिभाषाएं

अतिरिक्त संसाधन