1 तकनीकः ‘विचार करें–जोड़ा बनाएं–साझा करें’ (Think-Pair-Share)

‘विचार करें–जोड़ा बनाएं–साझा करें’ (Think-Pair-Share) एक ऐसी प्रभावी तकनीक है जो विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करती है। केस स्टडी आपको दिखाएगी कि यह तकनीक कैसे काम करती है

Think-Pair-Share में विद्यार्थियों के लिए काम का समायोजन शामिल होता है जो उन्हें स्वयं करना होता है। काम कुछ सरल सही/गलत प्रश्न, परिभाषाओं के साथ शब्द मिलान, या निर्देशों के सेट को क्रम में लगाना हो सकता है। उनके द्वारा एक बार लगभग पांच मिनट तक प्रश्नों को करने के बाद, विद्यार्थी साथी के साथ नोट्स की तुलना करते हैं। केस स्टडी में, जोड़ियां अपने उत्तर दूसरी जोड़ी के साथ साझा करती हैं (चित्र 1)।

चित्र 1 विद्यार्थियों को समस्या हल करने के लिए जोड़ियों में काम करने के लिए कहा जाता है। फिर वे अपने समाधान की तुलना दूसरी जोड़ी से करते हैं।

केस स्टडी 1: एक प्रशिक्षण सत्र जिसमें Think-Pair-Share (विचार करें–जोड़ा बनाएं–साझा करें) तकनीक का प्रयोग किया जाता है

श्री सिंह ने स्थानीय DIET में एक प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया। वहाँ बैठकर प्रशिक्षक को सुनने की बजाए वह समूह की कई गतिविधियों में भाग लेने के लिए गया। उन्होंने फिर इस गतिविधि को अपने विद्यार्थियों के साथ करने की कोशिश की।

गत सप्ताह मैंने DIET में प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया था। यह प्रत्येक बार की अपेक्षा कहीं बेहतर था क्योंकि हमें बताई गई गतिविधियों को करके देखने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रशिक्षक ने ब्लैकबोर्ड पर नौ चित्र बनाए [संसाधन 3 देखें]। हमें प्रत्येक चित्र को एक तत्व, यौगिक या मिश्रण के रूप में लेबल करना था। मैं चिंतित था! मैं जीव विज्ञान का अध्यापक हूँ और मुझे इस विषय के बारे में कुछ खास याद नहीं था। प्रशिक्षक ने पक्का न होने पर हमें अनुमान लगाने के लिए प्रोत्साहित किया।

हमने फिर अपने से आगे बैठे अध्यापक के साथ अपने उत्तर मिलाए। मेरे से आगे अंजू बैठी थी, जो एक भौतिकशास्त्री थी, इसलिए वह भी बहुत आश्वस्त नहीं थी। मैंने अपने कुछ उत्तरों में बदलाव किया और उसने कुछ अपने उत्तर बदले, तथा अंत में हम उत्तरों पर सहमत हुए। फिर हमने दूसरी जोड़ी के साथ उन्हें साझा किया। मुझे एहसास हुआ कि मैं सही था – मैंने सोचा था कि यह एक तत्व था लेकिन वर्णन नहीं कर सका कि ऐसा क्यों है? अंजू ने मुझे समझाया कि यह यौगिक था क्योंकि इसमें अणु थे। अगले समूह में शंका करते हुए बताया कि यह एक तत्व था क्योंकि सभी परमाणु एक समान थे। अंततः, हम में से चार ने अन्य चार के साथ अपने परिणामों को मिलाया और पाया कि हम सहमत थे।

मुझे एहसास हुआ कि अपने सहयोगियों से बातचीत करने के दौरान मैं बहुत कुछ सीख गया था। तथा कक्षा में कोई दूसरा नहीं जानता था कि मैंने पहली बार में कैसा किया था, इसलिए मुझे अपनी कम जानकारी पर शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई।

कुछ दिनों बाद, मैं दसवीं कक्षा को रासायनिक अभिक्रियाएं पढ़ा रहा था। मैंने उनसे तत्व की परिभाषा पूछी। केवल तीन बच्चों ने अपने हाथ उठाए और जिससे मैंने पहले पूछा उन्होंने गलत जवाब दिया, इसलिए मैंने उनके साथ जोड़ी में कार्य करने का अभ्यास किया। इसमें केवल 15 मिनट लगे। यद्यपि हमने नौवीं कक्षा में तत्व, यौगिक और मिश्रण पढ़ाए थे, लेकिन उनमें से कुछ विद्यार्थियों ने परीक्षा में अच्छा नहीं किया था। मुझे विश्वास है कि उन्हें ’रासायनिक अभिक्रियाएं’ अब आसान लगेंगी क्योंकि उन्हें अंतनिर्हित विचारों की समझ थी। मैंने विद्यार्थियों को सावधानीपूर्वक देखा और बात–चीत को सुना। सुषमा को बेहद अच्छे से समझ आया था लेकिन रेहाना को कठिनाई हुई। मैं ध्यान रखूंगा कि जब हम रासायनिक सूत्रों का अभ्यास करें तो वे एक साथ बैठें, जिससे सुषमा रेहाना की मदद कर सके।

विचार के लिए रुकें

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  • आप अपने सहयोगियों के साथ अक्सर कितनी बार वैज्ञानिक विचारों पर बातचीत करते हैं?

विचार करें–जोड़ा बनाएं–साझा करें (Think-Pair-Share) का उपयोग करते समय, आप अपने विद्यार्थियों को अपने उत्तर किसी साथी से तुलना करने के लिए कह सकते हैं या फिर आप श्री सिंह की भांति कर सकते हैं। विद्यार्थियों को किसी अन्य जोड़ी के साथ मिलाने के लिए कह सकते हैं। आप चार पर ही रुक सकते हैं अथवा आपके पास आठ या 16 के समूह होने तक जारी रख सकते हैं। मुख्य बात यह है कि समूह को किसी दूसरे समूह से बात करने से पहले सही उत्तरों पर सहमत होना होगा। अपने विद्यार्थियों को बात करने और ज्ञान के सह–निर्माण का अवसर देने से लाभ प्राप्त होते हैं।

अगर आप विद्यार्थियों के काम करने के दौरान उनके बीच घूमते हैं, तो आपको शीघ्र पता चल जाएगा कि किसे समझ आया है तथा किसे नहीं। आपको पता चल जाएगा कि किन विद्यार्थियों को सहायता की जरूरत है। आपको यह भी पता लगेगा कि कहीं–कहीं पहली बार गलत उत्तर देने वाले विद्यार्थियों ने अपने सहपाठियों से बात करने के बाद अपने विचारों को बदल लिया है। इससे आपको अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करने और उनका विश्वास बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

गतिविधि 1: विचार करें–जोड़ा बनाएं–साझा करें (Think-Pair-Share) का उपयोग करना

यह गतिविधि अपनी कक्षा के साथ Think-Pair-Share की तैयारी करने और उसे कार्यान्वित करने में आपकी सहायता करेगी। आप इसका उपयोग रासायनिक सूत्र लिखने की समझ को मजबूत करने के लिए कर सकते हैं।

उन रसायनों पर विचार करें जिनके सूत्र कठिन होते हैं (अर्थात् जिनमें कोष्ठक शामिल होते हैं) या वे जिनको आपके अनुभव में विद्यार्थी अक्सर गलत कर देते हैं (कुछ विचारों के लिए संसाधन 4 देखें)। इन रसायनो में से पांच चुनें और उनके नाम ब्लैकबोर्ड पर लिखें।

अपने विद्यार्थियों को सूत्र स्वयं पूरा करने के लिए पांच मिनट दें। फिर प्रत्येक विद्यार्थी को दूसरे से अपने उत्तर की तुलना करने को कहें। यदि वे सहमत नहीं होते हैं, तो उनमें से प्रत्येक को यह बताते हुए कि उन्होंने यह उत्तर क्यों लिया? अपने पड़ोसी को समझाने का प्रयास करना होता है। जब वे उत्तरों पर सहमत हो जाते हैं, तो उनसे दूसरी जोड़ी के साथ साझा करने के लिए कहें। जब वे काम कर रहे हों, तो कमरे में घूमते रहें और उनकी बातचीत को ध्यान से सुनें।

अंत में, अपने विद्यार्थियों से बातचीत बंद करने के लिए कहें। उत्तरों को पूरी कक्षा को बताने के लिए कुछ विद्यार्थियों को चुनें। यदि ऐसे कुछ विद्यार्थी हैं जिनके सूत्र गलत थे, तो उनसे अपने विचार स्पष्ट करने को कहें और अन्य विद्यार्थियों को सही उत्तर स्पष्ट करने के लिए कहें।

विचार के लिए रुकें

क्या आपको अपने विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर हैरानी हुई, प्रसन्नता हुई या निराशा हुई?

एक बार इस तरीके से अपने विद्यार्थियों की समझ को परखने पर शुरूआत में आपको यह जानकर निराशा हो सकती है कि आपने जो उन्हें पढ़ाया उनमें से कुछ चीजें उन्हें समझ नहीं आईं। इसका यह अर्थ नहीं है कि वे समझ नहीं सकते हैं। इसका अर्थ है कि आपको उनकी समझ विकसित करने के लिए दूसरे तरीके ढूंढने की जरूरत है। जोड़ियों में उन्हें थोड़ी चर्चा करने का अवसर देना ऐसा करने का बहुत अच्छा तरीका है।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

2 तकनीकः समस्याओं को हल करना