संसाधन 2: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है

बातचीत मानव विकास का हिस्सा है। यह सोचने–विचारने, सीखने और विश्व का बोध करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए साधन के रूप में करते हैं। सीखने के अनुभव के रूप में बात करने को प्रोत्साहित करना, विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रगति को बढ़ाने में सहायक होगा। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है।

  • उन विचारों को परखा गया है
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
  • जिससे विद्यार्थी अधिक सीखते हैं।

किसी कक्षा में रटा–रटाया दोहराने से लेकर उच्च स्तरीय चर्चा तक, विद्यार्थी से वार्तालाप के विभिन्न तरीके हैं।

पारंपरिक तौर पर, शिक्षक की बातों का दबदबा होता था और वह विद्यार्थियों की बातचीत या विद्यार्थियों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। तथापि, पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठ–नियोजन शामिल होता है। जिससे विद्यार्थी आपस में अधिक बात करें और अपने पूर्व ज्ञान से सह–सम्बन्ध बनाते हुए सीखें।यह किसी शिक्षक और उसके विद्यार्थियों के बीच प्रश्न–उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दों या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज–प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दावली बढ़ाने के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के कामों और दूसरे तथा अन्य विषयों के नियोजन का भी हिस्सा है। इसे समूची कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, आउटडोर गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक छानबीन और रचनात्मक कार्यों से जोड़ा जा सकता है।

यहां तक कि समिति साक्षरता और गणितीय कौशलों वाले नन्हें विद्यार्थी गहन चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पूर्व अनुभव पर आधारित और रूचिकर हो। उदाहरण के लिए, विद्यार्थी तस्वीरों, रेखाचित्रों या वास्तविक वस्तुओं से जुड़ी कहानियों, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। विद्यार्थी कठपुतली शो या रोल प्ले (अभिनय) द्वारा संभावित समाधान या अपने सुझावों की सूची बना सकते है।

जो कुछ आप विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में विचार करें कि आप किस प्रकार की बातचीत को विद्यार्थियों में होते देखना चाहते हैं। कुछ प्रकार की बातचीत खोज करने वाली होती है, उदाहरण के लिए– ’इसके बाद क्या होगा?’, ’क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ’यह क्या हो सकता है?’ या ’आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।

इसे रोचक, मज़ेदार और सभी विद्यार्थियों को बातचीत में जोड़े। विद्यार्थी सहज होकर, बिना किसी भय या झिझक के, अपने दृष्टिकोण व्यक्त कर सकें और विचारों का पता लगा सकें, इसकी आवश्यकता है।

विद्यार्थियों की वार्ता को आगे बढ़ाएं

शिक्षण के लिए वार्ता अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती हैः

  • सुनने के अवसर प्रदान करती है।
  • विद्यार्थियों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
  • इसे आगे ले जाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी वार्ता खोज– बीन करने वाली होती है, जिसका अर्थ है कि विद्यार्थी एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और उन पर चुनौती पेश करते हैं ताकि वे जवाबों को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में, ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के अपने प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारशीलता को पैदा कर सकते हैं। आप बातचीत सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।

अगर विद्यार्थियों की बातों, विचारों और अनुभवों का सम्मान और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों के बारे में सावधान रहें। कमजोर विद्यार्थियों को भी इसमें शामिल करने के उपायों पर सोंच–विचार करें। ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी विद्यार्थियों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

विद्यार्थियों को खुद से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौती भरे प्रश्न पूछे जाते हैं, जहां विद्यार्थियों के विचारों को सम्मान मिलता है और उनकी प्रशंसा की जाती है। यदि विद्यार्थियों में खुद के प्रति होने वाले व्यवहार का भय होगा या अपने विचारों के असम्मान का भय होगा तो वे बेझिझक प्रश्न नहीं पूछेंगे। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना, उनको जिज्ञासा दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के बार में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है। विद्यार्थियों का प्रश्न पूछना, उनके नजरिये को भी स्पष्ट कर देता है।

आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘विद्यार्थियों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आपः

  • अपने पाठ के एक भाग को ‘अगर आपका प्रश्न है तो हाथ उठाएं’ नाम रख सकते हैं।
  • किसी विद्यार्थी को हॉट–सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे विद्यार्थियों को उस विद्यार्थी से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जैसे कि वे पात्र हों, उदाहरणतः पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल खेल सकते हैं
  • पूछताछ का अभ्यास करने के लिए विद्यार्थियों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • विद्यार्थियों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणतः पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों की प्रतिशतता या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं जो आप इस डेटा के बारे में पूछ सकते हैं
  • विद्यार्थियों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार डिज़ाइन कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुक्त होते हैं तो उस समय आपको उनकी रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब विद्यार्थी अधिक स्पष्टता और सटीक से आपस में बात–चीत करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

संसाधन 3: तत्व, यौगिक और मिश्रण