1 असली दुनिया में लेखन

गतिविधि 1: असली दुनिया में लेखन

आप अपने स्कूल और अपने समुदाय में किस प्रकार का लेखन पाते हैं? अपने किसी सहकर्मी के साथ, सूची तैयार करने के लिए कुछ समय निकालें। उदाहरणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • यातायात संकेत

  • विज्ञापन
  • समय-सारणियाँ
  • स्वास्थ्य संबंधी पोस्टर
  • राजनीतिक नारे
  • कैलेंडर
  • धार्मिक पाठ
  • पत्रिकाएँ
  • समाचार-पत्र
  • पुस्तकें
  • सिनेमा के पोस्टर
  • स्कूल के नोटिस
  • विषय के चार्ट
  • उपस्थिति चार्ट।
चित्र 1 एक स्कूल मेनू।

अब प्रश्नों के इन दो सेट का उत्तर दें:

  • सेट 1:
    • आपके विचार में आपके छात्र अपने घर या समुदाय में किस प्रकार का लेखन देखते हैं?
    • इस लेखन के प्रत्याशित पाठक कौन हैं?
    • इस लेखन का उद्देश्य क्या है?
  • सेट 2:
    • आपके छात्र स्कूल में किस प्रकार का लेखन करते हैं?
    • इस लेखन के प्रत्याशित पाठक कौन हैं?
    • इस लेखन का उद्देश्य क्या है?

क्या आपके छात्रों द्वारा स्कूल के बाहर देखे जाने वाले लेखन और स्कूल में उनके द्वारा किए जाने वाले लेखन में कोई समानताएँ हैं? क्यों या क्यों नहीं?

केस स्टडी 1 आप एक ऐसी शिक्षिका के बारे में पढ़ेंगे, जिसने अपनी कक्षा में असली दुनिया के लेखन को उजागर किया।

केस स्टडी 1: पोस्टकार्ड लेखन

श्रीमती शर्मिला कानपुर के एक स्कूल में दूसरी कक्षा की शिक्षिका हैं। यहाँ वे साधारण लेखन गतिविधि का वर्णन कर रही हैं, जिसे उन्होंने अपने कम उम्र वाले छात्रों के साथ आज़माया।

गर्मियों से पहले, मुझे दिल्ली की यात्रा करने वाले अपने एक मित्र से एक पोस्ट कार्ड मिला। मैं अपने छात्रों को दिखाने के लिए उसे अपनी कक्षा में ले आई। वे पोस्टकार्ड के सामने वाले हिस्से में लाल किले की तस्वीर और पीछे मेरे मित्र का संदेश देख कर उत्साहित थे।

मैंने पोस्टकार्ड में अपने छात्रों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए एक पाठ की योजना तैयार करने का निर्णय लिया। मैंने मोटे सफ़ेद कार्ड के आयताकार टुकड़े काटे और उनमें से प्रत्येक को एक टुकड़ा सौंप दिया। फिर मैंने उन्हें एक तरफ़ अपना पसंदीदा कोई परिचित या काल्पनिक चित्र उतारने को कहा।

जब उनका काम ख़त्म हुआ, तो मैंने उन्हें दूसरी तरफ़ दो हिस्से करने के लिए कहा। दाईं ओर उन्होंने अपने घर का पता लिखा। कुछ छात्र इसे समझ नहीं पाए, तब मैंने उन्हें अपनी बात समझाई और लिखने के लिए कहा।

पते के बाईं ओर उन्होंने अपने माता-पिता के लिए एक छोटा संदेश लिखा। मैंने ब्लैकबोर्ड पर कुछ वाक्यों के नमूने लिखे, जैसे कि, ‘प्रिय माताजी और पिताजी’,‘आशा है आप स्वस्थ होंगे’, ‘आपको मेरी शुभकामनाएँ’। इस प्रकार मैंने कम सक्षम छात्रों की मदद की। अधिक सक्षम छात्रों ने अपनी पसंद का संदेश लिखा। फिर उन्होंने अपने संदेश के अंत में अपने नाम का हस्ताक्षर किया।

मेरे प्रधानाचार्य ने पोस्टकार्ड के लिए स्टाम्प खरीदने हेतु कुछ पैसे दिए। पोस्टकार्ड के ऊपरी दाएँ हिस्से में स्टाम्प चिपकाने के बाद, मैं अपने छात्रों के साथ निकटतम पोस्टबॉक्स तक गई और उसमें कार्ड डाल दिए।

अगले सप्ताह जब पोस्टकार्ड घरों पर वितरित किए गए, तो मेरे छात्र काफ़ी रोमांचित हुए। उसे पाकर उनके माता-पिता भी बेहद ख़ुश थे।

विचार के लिए रुकें

  • श्रीमती शर्मिला की पोस्टकार्ड गतिविधि ने किस प्रकार संरचना और प्रतिलेखन के बीच संतुलन स्थापित किया?
  • आप बड़े बच्चों के लिए इस गतिविधि को किस प्रकार अनुकूलित करेंगे?

इस गतिविधि में छात्रों को स्वयं अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए पाठ की रचना के लिए कहा गया, लेकिन इसे करने के लिए आवश्यक कुछ वाक्यांश शिक्षिका ने उन्हें दिए। इस प्रकार की गतिविधि में माता-पिता को संदेश का प्रेषण सकारात्मक रूप से घर-स्कूल के बीच संवाद को बढ़ावा देता है। बड़े छात्रों के लिखने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। वे एक दूसरे को, या अपने किसी परिचित दूसरे स्कूल के छात्र को भी पोस्टकार्ड लिख सकते हैं।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

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